NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
व्यंग्य
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र: अगर आरएसएस न होता...अगर बीजेपी नहीं होती
"...ये तो अंग्रेजों की चापलूसी में लगे थे। कह रहे थे, अभी न जाओ छोड़ कर, कि दिल अभी भरा नहीं"
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
13 Feb 2022
Modi

शनिवार की शाम हो गई थी। पत्नी बोली, "क्या बात है, शनिवार बीतने वाला है, अभी तक कुछ लिखना-विखना शुरू नहीं किया है। क्या इस बार 'न्युजक्लिक' में कुछ नहीं देना है। तुम्हारे हर रविवार को आने वाले कॉलम 'तिरछी नजर' का क्या होगा"।

मैंने कहा, "इस बार रहने ही देते हैं। मन बड़ा व्यथित है। हमारे बाप दादा ने, पड़दादा ने, सबने मिलकर हमारे एक सौ सैंतीस साल बर्बाद कर दिए। ये तो सात साल कुछ ठीक-ठाक गुजरे हैं। कुछ काम काज हुआ है अन्यथा सब बर्बाद था"। मैंने थोड़ा उदासी से कहा।

पत्नी बोली, "नहीं, नहीं तुम लिखो"। उसके लिए मेरी यही उपयोगिता थी। वह हर रविवार को 'तिरछी नजर' अपने वाट्सएप और फेसबुक मित्रों को फारवर्ड करती थी। अन्यथा तो वह हफ्ते भर औरों के द्वारा फारवर्ड की गई चीजों को ही फारवर्ड करती रहती थी। उसने कहा, "अरे यह मोदी तो जो मन में आता है, बिना सोचे समझे बोल देते हैं। कांग्रेस नहीं होती तो आजादी भी नहीं मिलती। चलो मिल जाती पर लेट तो जरूर ही मिलती। ये तो अंग्रेजों की चापलूसी में लगे थे। कह रहे थे, अभी न जाओ छोड़ कर, कि दिल अभी भरा नहीं"। 

"और कांग्रेस न होती तो न दादा भाई नौरोजी होते, न ही गोखले। न महात्मा गांधी होते और न ही सुभाष चन्द्र बोस। और सरकार पटेल तो हरगिज ही नहीं होते। बस और बस सावरकर होता। और वो, इनका गोडसे होता। और गांधी नहीं होते तो वो गोडसे मारता किस को, किस पर गोली चलाता। और ये, तुम्हारे सरकार जी भी तीन सौ फीट ऊंची मूर्ति किसकी लगाते। किसकी प्रतिमा इंडिया गेट की कनोपी में सजाते। बड़े आये सरकार जी, जो मरजी बोल देते हैं, जहां मरजी बोल देते हैं। तुम जरूर लिखो। यही लिखो कि अगर आरएसएस नहीं होती तो क्या होता, अगर बीजेपी नहीं होती तो क्या होता।

मेरा माथा ठनका। मुझे पूरे हफ्ते भर विषय नहीं मिल रहा था, मुझे विषय मिल गया। अगर आरएसएस नहीं होती तो क्या होता, अगर बीजेपी नहीं होती तो क्या होता।

मैंने सोचा, अगर यह अराजक अराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस नहीं होता तो हमें आजादी शायद थोड़ा और पहले मिल जाती। ये ही तो अंग्रेजों की चमचागिरी कर रहे थे। ये ही तो अंग्रेजों के कहने पर अपनी वेशभूषा, अपनी ड्रेस, अपना गणवेश बदल रहे थे। ये ही तो स्वतंत्रता के हर आंदोलन का विरोध कर रहे थे। इन्होंने ही तो अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का भी विरोध किया था। अगर ये आरएसएस नहीं होती तो आजादी जरूर ही और जल्दी मिल जाती।

आरएसएस जैसी सोच इधर और वैसी ही सोच उधर नहीं होती तो देश का बंटवारा भी नहीं होता। देश का भूगोल अलग होता। पाकिस्तान नहीं बना होता। पाकिस्तान नहीं बनता तो बंगलादेश भी नहीं बनता। भारत की पश्चिमी सीमा अफगानिस्तान और ईरान से मिली होती। जिस अखंड भारत की बात ये हिन्दूवादी संगठन करते हैं, वह तभी संभव था जब वे नहीं होते। सचमुच अगर ये न होते तो भारत पाकिस्तान एक होते। भारत अखंड होता और अधिक मजबूत होता।

आरएसएस नहीं होती तो बीजेपी भी नहीं होती। बीजेपी नहीं होती तो मोदी भी नहीं होते। मोदी नहीं होते तो 2002 के दंगे नहीं होते। हर समय और हर एक बात मैं इतना हिन्दू मुसलमान नहीं होता।

अगर बीजेपी नहीं होती तो देश में पिछले सात साल से फैली घृणा नहीं होती। मॉब लिंचिंग नहीं होती। लोगों को घेर कर कभी गौमांस के नाम पर, कभी जन गण मन या फिर वंदे मातरम के नाम पर, कभी जय श्री राम बुलवाने के नाम पर मारा नहीं जाता। सचमुच अगर बीजेपी नहीं होती तो ऐसा हरगिज नहीं होता।

सचमुच अगर बीजेपी का निरंकुश शासन नहीं होता तो पिछले सात सालों से सरकार का विरोध करने वालों को राष्ट्र विरोधी नहीं मान लिया जाता। सैकड़ों हजारों लोगों को यूएपीए लगा, जेल में नहीं ठूंस दिया जाता। बुजुर्गो तक को भी सालों साल जेल में नहीं डाल दिया जाता। अगर बीजेपी नहीं होती तो यह अघोषित आपातकाल लागू नहीं होता।

अगर बीजेपी नहीं होती तो कम से कम चुनाव तो गरीबी, महंगाई, बेरोज़गारी पर लड़े जाते। गरीबी, महंगाई, बेरोज़गारी जाते या न जाते पर चुनाव का मुद्दा तो बनते। हर चुनाव को हिन्दू-मुस्लिम, भारत-पाकिस्तान, श्मशानघाट-कब्रिस्तान की जंग मान कर ही तो नहीं लड़ा जाता। बीजेपी नहीं होती तो लोकतंत्र तो कायम रहता। उसके मुद्दे तो बचे रहते।

अगर बीजेपी नहीं होती, बीजेपी का शासन नहीं होता तो जनता पर तानाशाही ढंग से नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन तो न थोपे जाते। सीएए और किसानों के तीन कानून सलाह मशविरा कर बनाये जाते। अगर बीजेपी नहीं होती, कोई भी और सरकार होती तो आंदोलनकारियों से बात तो करती, उनकी बात तो सुनती। अगर कोई और सरकार होती तो शाहीन बाग ऐसे कोरोना की भेंट नहीं चढ़ता। किसान साल भर से ज्यादा दिल्ली की सीमा पर नहीं पड़े रहते, अपने सात सौ से अधिक साथियों को नहीं खोते।

अगर बीजेपी नहीं होती तो हिजाब मुद्दा ही नहीं बनता। बल्कि उसे मुद्दा ही नहीं बनाया जाता। उसे वहीं का वहीं सुलझा लिया जाता। बीजेपी है तो आज हिजाब मुद्दा है, बीजेपी रहेगी तो कल पगड़ी मुद्दा बनेगी। बीजेपी रहेगी तो यहीं नहीं रुकेगी, आगे बढे़गी, और आगे बढ़ेगी।

सच में, आरएसएस नहीं होती, बीजेपी नहीं होती, तो देश अलग होता। अधिक अच्छा, अधिक सुंदर होता।

(व्यंग्य स्तंभ ‘तिरछी नज़र’ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Narendra modi
BJP
RSS

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

तिरछी नज़र: 2047 की बात है

कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 

ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!

तिरछी नज़र: ...ओह माई गॉड!

कटाक्ष: एक निशान, अलग-अलग विधान, फिर भी नया इंडिया महान!

तिरछी नज़र: हम सहनशील तो हैं, पर इतने भी नहीं


बाकी खबरें

  • अफ़ज़ल इमाम
    पीके से कांग्रेस की डील क्यों हुई फ़ेल?
    30 Apr 2022
    दिलचस्प बात यह है पीके से कांग्रेस की बातचीत टूटने को लेकर गोदी मीडिया में काफ़ी हायतौबा मची हुई है। यह बताने की कोशिश की जा रही है कि कांग्रेस ने पीके को अपने साथ न लेकर बहुत बड़ी ग़लती कर दी है।
  • भरत डोगरा
    क्यों आर्थिक विकास योजनाओं के बजट में कटौती कर रही है केंद्र सरकार, किस पर पड़ेगा असर? 
    30 Apr 2022
    योजनाबद्ध आर्थिक विकास के बजट में कटौती जारी है क्योंकि अर्थव्यवस्था और समाज के लिए मौजूद दीर्घकालिक लक्ष्यों को अभी के लिए मुल्तवी कर दिया गया है।
  • अनिल जैन
    उमर खालिद पर क्यों आग बबूला हो रही है अदालत?
    30 Apr 2022
    अमरावती के जिस कार्यक्रम में उमर खालिद का भाषण हुआ था, वहां उनका परिचय एक इन्कलाबी और क्रांतिकारी खयालों वाले छात्र नेता के रूप में दिया गया था। उच्च अदालत ने इन दोनों शब्दों (इन्कलाबी और क्रांतिकारी…
  • सीमा शर्मा
    ‘जलवायु परिवर्तन’ के चलते दुनियाभर में बढ़ रही प्रचंड गर्मी, भारत में भी बढ़ेगा तापमान
    30 Apr 2022
    जलवायु वैज्ञानिकों की ओर से किये जा रहे एक ताज़े विश्लेषण में गर्मी की लहरों को जलवायु परिवर्तन से सीधे तौर पर जोड़कर देखा जा रहा है, जबकि इससे यह संकेत मिल रहा है कि जलवायु परिवर्तन ने भारत में…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में लगातार तीसरे दिन कोरोना के 3 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 
    30 Apr 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,688 नए मामले सामने आए हैं | इसमें 43 फ़ीसदी से ज़्यादा यानी 1,607 मामले अकेले दिल्ली से सामने आए हैं | 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License