NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
घटना-दुर्घटना
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र : अवसर डाल डाल तो आपदाएं भी पात पात
अब बाढ़ आये या सूखा पड़े, देश के नेताओं, अफ़सरों और व्यापारियों को आपदा में अवसर ढूंढना आता ही है। जब आप आपदा में अवसर बना रहे हैं तो आपदाएं भी समाप्त होने का नाम नहीं ले रही हैं।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
14 Jun 2020
अवसर डाल डाल तो आपदाएं भी पात पात

जब से हमारे प्रधानमंत्री जी ने इस कोरोना की आपदा को अवसर में बदलने का आह्वान किया है, मैं अभिभूत हूँ। कैसी प्रतिभा है। ऐसा आह्वान तो कोई पहुँचा हुआ फकीर ही दे सकता है या फिर अत्यंत प्रतिभावान व्यक्ति। आपदा में, कठिनाई भूल जायें और आपदा को ही अवसर बनाने में लग जायें। वाह, क्या बात है।

tirchi nazar_3.JPG

जैसे ही कोरोना ने दुनिया और देश में पैर पसारे, मोदी जी के आह्वान से पहले ही कई लोग इसे अवसर बनाने में जुट गये थे। कालाबाजारियों ने अनाज और दलहन का स्टॉक जमा करना शुरू कर दिया था। जरूरी चीजों के दाम, खपत कम होने के बावजूद बढ़ने लगे थे। वैसे ऐसा पहली बार नहीं हो रहा था। हमारे देश में तो यह लगभग प्रथा जैसी ही है कि जैसे ही कोई आपदा आती है, कुछ लोग उसका लाभ उठाने में लग जाते हैं। आपदा में लाभ उठाने की इसी प्रवृत्ति को ही मोदी जी ने "अवसर में बदलना" कहा है।

कैसी या किसी की भी आपदा को अवसर में बदलने के बारे में हमारे यहाँ के लोगों को पहले से ही पता है। इस बारे में गाँव देहात के लोगों तक को सदियों से पता है। किसी की मजबूरी में उसको बढ़ी दर पर कर्ज देना या फिर जमीन दबा लेना, यह सब साहूकारों को, जमींदारों को सदियों से ही आता था और आज भी आता है। और उन्हें सिर्फ आपदा ही नहीं, किसी की खुशी को भी अपने लिए अवसर बनाना आता है। बेटी के ब्याह के अवसर पर भी अक्सर जमीन लिख ली जाती है।

अब बाढ़ आये या सूखा पड़े, देश के नेताओं, अफसरों और व्यापारियों को आपदा में अवसर ढूँढना आता ही है। बाढ़ में सैकड़ों हजारों के घर डूब जाते हैं पर कुछ नेता और अफसर सिर्फ हवाई दौरे से संतुष्ट न हो अपने लिए कोठियाँ भी बनवा लेते हैं। सूखा पड़ने पर अगर बहुतों के गहने बिकते हैं तो कुछ के नये बनते भी हैं। यह सब आपदा में अवसर ढूँढने के ही प्रमाण हैं।

अब इस कोरोना आपदा में भी, हजारों लोगों द्वारा गरीब मजदूरों की सहायता करने के साथ साथ ऐसी कहानियाँ भी सुनाई पड़ ही गयीं कि कैसे ट्रक, बस या टैक्सी वालों ने मजदूरों की गाढ़ी कमाई से हजारों कमाए। जिन्होंने प्रधानमंत्री जी के भाषण के बाद कमाए, उन्होंने प्रधानमंत्री जी के भाषण पर सुनते ही पालन कर लिया और जो पहले से ही कमा रहे थे उन्हें भी अंदाजा था कि यह व्यापारी और क्या भाषण दे सकता है। और भाषण के अलावा दे भी क्या सकता है।

गुजरात के एक व्यापारी को आपदा में अवसर और लोकल के लिए वोकल का सिद्धाँत इतना भाया कि उसने एम्बु बैग आधारित मशीन को अपनी कम्पनी द्वारा लोकली बना वेंटिलेटर बता कर बेच दिया। गुजरात सरकार ने भी लोकल के लिए वोकल होते हुए, अहमदाबाद सिविल अस्पताल के लिए वे नायाब वेंटिलेटर खरीद भी लिये। बताते हैं कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल में उच्च मृत्यु दर का कारण वही वेंटिलेटर हैं। उस व्यापारी की, जिसकी वेंटिलेटर बनाने की एकमात्र योग्यता यह थी कि वह सत्तारूढ़ दल के नजदीक था, मंशा गलत नहीं थी। वह तो मृत्यु दर बढ़ा, आपदा को और बड़ा बना अवसरों को बढा़ना चाहता था। 

प्रधानमंत्री जी का "आपदा में अवसर" का सिद्धाँत प्रकृति को भी इतना भाया कि उसने आपदाओं की लाइन ही लगा दी। कोरोना संकट तो चल ही रहा है कि पूर्वी तट पर अम्फान तूफान भेज दिया। इधर वह समाप्त हुआ भी नहीं था कि मुम्बई के पास के इलाके में निसर्ग भेज दिया। राजस्थान और आसपास टिड्डियों का हमला हो गया और अब तो यह प्रयागराज तक पहुँच चुकी हैं। इधर दिल्ली में भी छोटे छोटे भूकंप आते ही जा रहे हैं। डर है कि बड़ा न जाने कब आ जाये और अवसर पैदा कर जाये। पर हे प्रकृति मैया, अपना प्रकोप बंद करो। ये जो प्रधानमंत्री लोग होते हैं न, आपदा में अवसर देशवासियों के लिए नहीं, अपने और अपने लोगों के लिए ही बनाते हैं।

प्रधानमंत्री जी अभी तक भी "आपदा में अवसर" अलापे जा रहे हैं। मुझे लगता है कि वे इसीलिए कोरोना आपदा के प्रबंधन में भी ढील ढाल दिखा रहे हैं जिससे कि वे इस आपदा द्वारा दिये गए सुअवसर को ढंग से भुना सकें। आपदा तो कुछ जान माल की हानि के बाद समाप्त हो ही जायेगी लेकिन आखिरकार चुनाव तो जीतने के लिए ही बने हैं। तो आपदा में अवसर का लाभ उठाते हुए ही वर्चुअल चुनाव प्रचार शुरू कर दिया गया है। राज्यसभा चुनाव में भी अधिकतम सीटें जीतने का प्रबंधन भी साथ ही चल रहा है।

जब आप आपदा में अवसर बना रहे हैं तो आपदाएँ भी समाप्त होने का नाम नहीं ले रही हैं। कोरोना तो बढ़ता जा ही रहा है, कम होने का नाम ही नहीं रहा है। और इधर बाकी आपदाएँ भी पीछा नहीं छोड़ रही हैं। लो अब तिनसुकिया में गैस और तेल के कुएं में आग लग गई है। और ढूँढों आपदा में अवसर। अवसर डाल डाल तो आपदाएँ भी पात पात।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Oil India well fires in Assam
Coronavirus
COVID-19
Modi government
Assam fire

Related Stories

गुजरात : अस्पताल में आग लगने से कोविड-19 के 16 मरीजों सहित दो नर्सिंग स्टाफ की मौत

यूपी: ‘135 शिक्षक, शिक्षा मित्रों की पंचायत चुनावों में तैनाती के बाद कोविड जैसे लक्षणों से मौत'

महाराष्ट्र के विरार में अस्पताल में आग लगने से कोरोना के 13 मरीज़ों की मौत

नासिक के अस्पताल में आंखों में आंसू लिए जवाब मांग रहे हैं परिजन, मामले में प्राथमिकी दर्ज

त्रासदी: नासिक के अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई रुकने से 22 मरीज़ों की मौत

ग्लेशियर टूटने से तो आपदा आई, बांध के चलते मारे गए लोगों की मौत का ज़िम्मेदार कौन!

अपनी गायकी से दिलों को जीतने वाले एसपी बालासुब्रमण्यम का कोरोना से निधन

जॉर्डन में सैन्य अड्डे के पास विस्फ़ोट में दो लोगों की मौत, तीन अन्य घायल

कोरोना वायरस से संक्रमित माकपा के वरिष्ठ नेता श्यामल चक्रवर्ती का निधन

दिल्ली: कोविड-19 से संक्रमित पत्रकार ने एम्स की इमारत से कूदकर आत्महत्या की


बाकी खबरें

  • राज वाल्मीकि
    भारतीय रंगमंच का इतिहास वर्ग संघर्षों का ही नहीं, वर्ण संघर्षों का भी है : राजेश कुमार
    10 Apr 2022
    आज विपक्ष की तरह रंगमंच भी कमजोर हो गया है। शहरी रंगमंच इतना महंगा हो गया है कि सरकारी ग्रांट या अनुदान लेना उसकी मजबूरी हो गयी है। जो प्रतिरोध की धारा से जुड़ कर नाटक कर रहे हैं, उन पर सत्ता का दमन…
  • bhasha
    न्यूज़क्लिक टीम
    “नंगा करने का दुख है लेकिन सच्ची पत्रकारिता करने का फ़ख़्र”: कनिष्क तिवारी
    09 Apr 2022
    ख़ास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने मध्यप्रदेश के सीधी ज़िले के पत्रकार कनिष्क तिवारी से बातचीत की और उनकी पीड़ा को जाना। कनिष्क तिवारी वही पत्रकार हैं, जिन्हें एक अन्य पत्रकार और कई…
  • sdmc
    न्यूज़क्लिक टीम
    CR Park: SDMC मेयर के बयान के बाद मछली विक्रेताओं पर रोज़ी रोटी का संकट?
    09 Apr 2022
    दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर के बयान के बाद दशकों से मछली बेच रहे विक्रेताओं के लिए रोज़ी रोटी का संकट पैदा हो गया है. विक्रेता आरोप लगा रहे है कि वे SDMC और DDA की बेरुख़ी का शिकार हो रहे है जबकि…
  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    पत्रकार-पत्रकारिता से नाराज़ सरकार और राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार
    09 Apr 2022
    भारत प्रेस फ्रीडम की रिपोर्ट में उन देशों में शामिल है जहाँ पर पत्रकारों की हालत बहुत खराब मानी जाती है। हाल ही के दिनों में हुई कुछ घटनाएं इस रिपोर्ट को सही साबित करती हैं. पिछले कुछ दिनों में…
  • सोनिया यादव
    यूपी: खुलेआम बलात्कार की धमकी देने वाला महंत, आख़िर अब तक गिरफ़्तार क्यों नहीं
    09 Apr 2022
    पुलिस की मौजूदगी में मुस्लिम महिलाओं को सरेआम बलात्कार की धमकी देने वाला महंत बजरंग मुनि दास अभी भी पुलिस की गिरफ़्त से बाहर है। वहीं उसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे छात्र और नागरिक समाज के लोग दिल्ली…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License