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'हम काग़ज़ विहीन भारत के लोग'
तिरछी नज़र : सरकार ने स्पष्ट कर दिया है। आपके पास जमीन के कागजात होने चाहियें, भारत के लोग में शामिल होने के लिए। सरकार जमींदार बन चुकी है और जमींदार के लिए जमीन के कागजात ही सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
26 Jan 2020
71st republic day 2020
image courtesy: InReuters

आज गणतंत्र दिवस है। इकहत्तरवां गणतंत्र दिवस। आज हमें गणतंत्र बने सत्तर वर्ष बीत चुके हैं। हमारा संविधान लागू हुए सत्तर वर्ष बीत चुके हैं। आज के दिन, छब्बीस जनवरी से इकहत्तरवां वर्ष शुरू हो गया है। हमारा देश पिछले सत्तर साल से गणतंत्र है, गण यानी जनता का, लोक का, लोगों का तंत्र।

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हमारे देश के संविधान की प्रस्तावना शुरू होती है 'हम भारत के लोग......' से। मतलब कि देश को, संविधान को देश के लोगों से मतलब है। देश की जमीन से मतलब उस जमाने के नेताओं को नहीं होता था। न जाने कैसे लोग थे ये संविधान बनाने वाले। जरा सी 'अक्ल' नहीं थी। 'अक्ल' होती तो देश की जमीन को महत्व देते, लोगों का क्या है। 

अब हमारे पास 'अक्लमंद' नेता आये हैं। कहते हैं कि अगर 'भारत के लोग' बने रहना चाहते हो तो आपके पास कागजात होने चाहियें। पर कागजात का मतलब वोटर कार्ड नहीं है। वोटर कार्ड तो वोट देने के लिए है। वह नागरिकता की निशानी थोड़े ही है। वोटर कार्ड की मदद से जिस सरकार को बनाया, वही सरकार कह रही है कि वोटर कार्ड तो नागरिकता का सबूत नहीं है। यानी जिनके पास वोटर कार्ड है, वह जरूरी नहीं है कि देश के नागरिक हों। जरूरी नहीं है कि वे लोग जिनके पास वोटर आईडी कार्ड हो वे लोग "भारत के लोग" हो। तो इस हिसाब से यह सरकार, जिसे लोगों ने वोटर कार्ड का ही प्रयोग कर, वोट डाल कर चुना है, भारत देश की सरकार तो नहीं ही है। 

अब प्रश्न उठता है कि उन कागजात से जिनसे आप 'भारत के लोग' सिद्ध हो सकते हैं, और क्या हो सकता है। सरकार ने बता दिया है कि वह पासपोर्ट तो हरगिज नहीं हो सकता है। अमरीकी सरकार भारतीय पासपोर्ट से आपको भारत का नागरिक मान लेगी। यूके, जर्मनी और फ्रांस भी। पर अब भारत सरकार आपको भारत के पासपोर्ट से 'भारत के लोग' (नागरिक) नहीं मानेगी। कम से कम सरकार का तो यही कहना है।

एक और कागज है हमारे पास। पैन कार्ड। यह कार्ड भी सरकार द्वारा ही इशू किया गया है। पर यह भी आपको 'भारत के लोग' सिद्ध करने के लिए किसी भी काम का नहीं है। इसके द्वारा आप सरकार को पैसा (टैक्स) देते हैं, पर सरकार आपको कुछ भी नहीं देती है, नागरिकता भी नहीं। पैन कार्ड से आप सरकार के साहूकार तो बन जाते हैं, बैंकर तो बन जाते हैं पर सरकार आपको 'भारत के लोग' भी नहीं बनाती है।

आप सरकार की योजनाओं के लिए पैसा देते हैं। प्रधानमंत्री जी के विदेश दौरों के लिए पैसा देते हैं, सरकार की उपलब्धियों को दिखाने के लिए विज्ञापनों के लिए पैसा देते हैं, और यह सब आपको बिलकुल नहीं अखरता है। पर ध्यान रहे, आप कितना भी पैसा दे रहे हों, पैन कार्ड से आपको नागरिकता नहीं मिलने वाली। पैन कार्ड भी आपको 'भारत के लोग' नहीं बना सकता है।

सरकार ने साफ कर दिया है कि कागजात का मतलब आधार कार्ड भी नहीं है। इसी आधार कार्ड के पीछे ये सरकार पड़ी रहती है। सारी की सारी चीजें, बैंक अकाउंट, बीमा पॉलिसी, मोबाइल फोन, सब आधार कार्ड से लिंक करवा ली हैं। स्कूल में वजीफा चाहिए तो आधार जरूरी। कोई सब्सिडी चाहिए तो आधार जरूरी। यहां तक कि मनरेगा में दो-चार दिन की भी मजदूरी की है तो वह भी मिलेगी तभी जब आधार कार्ड होगा। आधार कार्ड न होने से गरीबों के राशन कार्ड बेकार हो जाते हैं, वे भूख से मर जाते हैं। पर अब इतना इंपोर्टेंट आधार कार्ड, लोगों को भूखा मार डालने वाला आधार कार्ड भी आपके 'भारत के लोग' होने का सबूत नहीं है।

जब ये सब सारे कार्ड, चार चार कार्ड आपके पास हों, पर फिर भी आप 'भारत के लोग' न बन पायें तो आखिर कौन से कागजात चाहियें, हम भारत के लोग में शामिल होने के लिए, भारत का नागरिक बनने के लिए। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है। आपके पास जमीन के कागजात होने चाहियें, भारत के लोग में शामिल होने के लिए। सरकार जमींदार बन चुकी है और जमींदार के लिए जमीन के कागजात ही सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। गरीब हो, जमीन नहीं है, तो सोच लो। गरीब भूमिहीन लोग 'हम भारत के लोग' मेंं शामिल नहीं हैं।

पर एक और तरकीब है। अगर जमीन न हो तो आपके पास बर्थ सर्टिफिकेट हो। यानी जन्म प्रमाणपत्र। अपना ही नहीं, अपने मां-बाप का भी, वह भी किसी एक का नहीं, दोनों का। दोनों का जन्म भारत में हुआ हो। किसी एक के से काम नहीं चलेगा। पर मां-बाप, दोनों का जन्म प्रमाणपत्र तो शायद मुकेश अंबानी के पास भी नहीं होगा। पर अंबानी-अडानी, टाटा-बिरला को चिंता की जरूरत नहीं है।

उनके पास तो जमीन ही बहुत सारी है। वैसे तो अभी तक दसवीं कक्षा का सर्टिफिकेट जन्म प्रमाणपत्र की तरह से चल जाता है पर इस मामले में यह चलेगा या नहीं, सरकार ने साफ नहीं किया है। अगर नहीं चला तो हो सकता है कि पढा़ लिखा होना भी आपके काम न आये।

फिर आखिर आपके काम क्या आयेगा। शहनशाह जी ने और शाह साहब ने अभी साफ साफ नहीं बताया है कि कौन सा कागज काम आयेगा। पर स्पष्ट है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इशू किया गया कागज तो अवश्य ही काम आयेगा। भले ही उसे आप भाजपा के खाते में जमा करवायें या फिर आपको 'भारत के लोग' साबित करने वाले विभाग के लोगों के पास। रिजर्व बैंक द्वारा इशू किये गये कागजों को चलाने के बाद अमीर तो बन ही जायेंगे 'भारत के लोग'। गरीब लोग ही रह जायेंगे संविधान सम्मत 'हम भारत के लोग' में सम्मिलित होने से।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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