NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
'टू मच डेमोक्रेसी', सच्ची में!
देश के डेमोक्रेसी के सत्तर वर्ष के इतिहास में इतना अधिक लोकतंत्र कभी नहीं रहा जितना इस समय है। इससे पहले देश ने इतना अधिक लोकतंत्र इमरजेंसी के समय में ही सहा था।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
20 Dec 2020
टू मच डेमोक्रेसी
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : countercurrents

देश में 'टू मच डेमोक्रेसी' है। डेमोक्रेसी इतनी मच है देश में कि अब से पहले कभी भी इतनी मच डेमोक्रेसी नहीं रही, शायद इमरजेंसी में भी नहीं। देश के डेमोक्रेसी के सत्तर वर्ष के इतिहास में इतना अधिक लोकतंत्र कभी नहीं रहा जितना इस समय है। इससे पहले देश ने इतना अधिक लोकतंत्र इमरजेंसी के समय में ही सहा था। अब की खासियत यह है कि टू मच डेमोक्रेसी बिना इमरजेंसी ही आ गई है। 

सरकार जी को जरूर किसी ने समझाया होगा कि देश में डेमोक्रेसी है, डिक्टेटरशिप नहीं। सब कुछ खुद से ही बोल देना और बिना सोचे समझे बोलना डिक्टेटरशिप में होता है, डेमोक्रेसी में नहीं। डेमोक्रेसी में डिक्टेटर को अन्दर से कुछ और, और बाहर से कुछ और नज़र आना पड़ता है। वैसे तो सरकार जी अभी भी डिक्टेटर ही हैं पर उन्होंने टू मच डेमोक्रेसी का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 'मन की बात' बुलवाने का काम औरों से भी करवाना शुरू कर दिया है। जैसे कि सरकार जी को स्वंय बोलने की बजाय नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत से कहलवाना पड़ा कि देश इसीलिए इतनी उन्नति नहीं कर पा रहा है, सुधर नहीं पा रहा है, क्योंकि देश में टू मच डेमोक्रेसी है। 

देश में डेमोक्रेसी यानी लोकतंत्र के विकास के लिए सरकार जी ने और भी बहुत सारे कदम उठाए हैं। सरकार जी खुद तो जो मन में आये बोलते ही हैं, उन्होंने अपने मंत्रियों, सांसदो को भी स्वतंत्र कर दिया है कि वे भी जो मन की बात बोलना चाहते हैं, बोलें। मंत्री जी चाहे तो सरे आम लोगों से गोली मारने का आह्वान कर सकते हैं या फिर भाजपा का कोई भी सांसद किसी समाज के सारे के सारे लोगों को हिंसक, बलात्कारी बता सकता है। 'मन की बात' बोलने वालों की स्वतंत्रता की रक्षा सरकार करती ही है। 

देश में डेमोक्रेसी है और बहुत ही ज्यादा है। इतनी ज्यादा है कि और किसी को आजादी हो न हो पर सरकारी दल के आई टी सेल को तो पूरी तरह की आजादी है। वह जिसके भी बारे में चाहे, जो भी चाहे और जब भी चाहे बोल सकता है। अब सरकार जी को, सरकार को, शासक दल को और उनके भक्तों को किसान आंदोलन जरा भी पसंद नहीं आया है। तो भाजपा की आई टी सेल की टीम के सारे सदस्यों ने सारे आंदोलनकारियों को आतंकवादी, खालिस्तानी, पाकिस्तानी बताना शुरू कर दिया। उससे भी काम नहीं बना तो उन्हें नक्सली, टुकड़े टुकड़े गैंग आदि कहने लगे। 

केवल भाजपा के आईटी सेल को ही नहीं सरकार ने सरकार और पार्टी के पक्षधर पत्रकारों को भी पूरी स्वतंत्रता दी हुई है कि वे जिसके बारे में जो मर्जी बोलें, अपशब्द बोलें या गाली दें, बस सरकार जी की प्रशंसा करते रहें। उस तरह के पत्रकारों की स्वतंत्रता की तो उच्चतम न्यायालय तक को भी फिक्र है। फिर भी अगर कोई 'टू मच डेमोक्रेसी' को देश की उन्नति में बाधक बता रहा है, 'टू मच डेमोक्रेसी' की शिकायत कर रहा है तो आश्चर्य की ही बात है। 

इस समय हमारे देश में डेमोक्रेसी अंग्रेज़ों के जमाने से भी ज्यादा है। अंग्रेज़ी राज में आंदोलन चला करते थे और लम्बे अर्से तक चलने वाले आंदोलनों की अंग्रेज सरकार भी कुछ सुन लेती थी। अंग्रेज़ों के कान पर तो जूं रेंग भी जाती थी पर अब की सरकार के कान पर तो जूं तक नहीं रेंगती है और सरकार कान में तेल और डाल कर बैठी रहती है। वैसे तो टू मच डेमोक्रेसी सभी राज्यों में, पूरे देश में है पर यह टू मच डेमोक्रेसी उत्तर प्रदेश में और भी अधिक है। उत्तर प्रदेश में तो सरकार ने इसी डेमोक्रेसी के नाते किसानों को यह सुविधा भी दे दी है कि वे पचास लाख (जिन्हें यकीन न आए, पचास हजार पढ़ लें) का मुचलका भर आंदोलन कर लें। अंग्रेजों के जमाने में भला यह सुविधा कहाँ थी। 

सरकार जी ने अपने शासन काल में देश में लोकतंत्र का इतना विकास किया है कि हमारा देश जो विश्व डेमोक्रेसी इंडेक्स में मोदी जी के आने से पहले सत्ताइसवें स्थान पर होता था अब चढ़ कर इक्यावनवें स्थान पर पहुंच गया है। यह मोदी जी के लगातार अनथक प्रयास से ही संभव हो पाया है। अगर मोदी जी इसी तरह कोशिश करते रहे तो देश को पहला स्थान (नीचे से) प्राप्त करने से भी कोई नहीं रोक सकता है। 

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Too much
Too Much Democracy
Narendra modi
BJP
modi sarkar

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

उर्दू पत्रकारिता : 200 सालों का सफ़र और चुनौतियां

तिरछी नज़र: सरकार-जी, बम केवल साइकिल में ही नहीं लगता

विज्ञापन की महिमा: अगर विज्ञापन न होते तो हमें विकास दिखाई ही न देता

तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की

…सब कुछ ठीक-ठाक है

तिरछी नज़र: ‘ज़िंदा लौट आए’ मतलब लौट के...

राय-शुमारी: आरएसएस के निशाने पर भारत की समूची गैर-वैदिक विरासत!, बौद्ध और सिख समुदाय पर भी हमला

बना रहे रस: वे बनारस से उसकी आत्मा छीनना चाहते हैं

तिरछी नज़र: ओमीक्रॉन आला रे...


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License