NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र : सरकार की कोशिश है कि ग़रीब ईश्वर के नज़दीक रहें
ये पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के बढ़ते दाम, ये खाने पीने की चीजों के बढ़ते दाम, बढ़ता हुआ रेल भाड़ा, ये सब देश की जनता को आध्यात्मिक ऊंचाई पर पहुंचाने का, ईश्वर के नज़दीक ले जाने का सरकारी प्रयास है।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
07 Mar 2021
तिरछी नज़र : सरकार की कोशिश है कि ग़रीब ईश्वर के नज़दीक रहें

देश में महंगाई दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करती जा रही है। जिस गति से महंगाई तरक्की कर रही है उस गति से तो बुलेट ट्रेन भी नहीं चलेगी। बुलेट ट्रेन, अगर चलेगी, और जब भी चलेगी, जहाँ भी चलेगी, उसे देख लोगों को महंगाई ही याद आयेगी। हमारे देश की धरती पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली चीज़ महंगाई ही है।

यह महंगाई को बढ़ाना सरकार द्वारा हमारी उन्नति के लिए ही किया जा रहा है। आध्यात्मिक उन्नति के लिए। हमें पता ही है कि धन के साथ, अमीरी के साथ, माया के साथ, लोभ, मोह, लालच जैसे दुर्गुण भी आते हैं। जैसे जैसे पैसा बढ़ता है, पैसे की हवस भी बढ़ती जाती है। पैसा तो सभी दुर्गुणों की खान है। इसीलिये सरकार चाहती है कि आम जनता के पास पैसा न रहे। वह दुर्गुणों से दूर रह सदाचारी बनी रहे। ये अंबानी अडानी जैसे भले ही जहन्नुम में जायें, पर सरकार को तो आम जनता की चिंता है। आम जनता को तो बस जन्नत ही नसीब होना चाहिए।

यह तो हम जानते ही हैं कि ग़रीब के यहाँ ईश्वर का वास होता है। ईश्वर अमीरों के महलों में नहीं, गरीबों की झोंपड़ी में रहता है। भगवान अंबानी की अट्टालिका में नहीं, गंगू तेली के तीन बाई छह के कमरे में रहता है। जिस कमरे में गंगू तेली को अपनी कमर सीधी करने की जगह भी नसीब नहीं होती है, ईश्वर भी वहीं पसरा रहता है, डेरा जमाये रहता है। 

यह भी प्रचलित है कि निर्धन के रखवाले राम। अमीरों की, बड़े बड़े नेताओं की, ट्विटर पर एक्टिंग करने वाले अभिनेता-अभिनेत्रियों की रक्षा तो वाई प्लस, जेड प्लस सीक्योरिटी वाली संस्थायें करती ही हैं पर ग़रीब की रक्षा तो स्वयं भगवान राम करते हैं। अब आप स्वयं बताओ, आप क्या चाहते हो? आपकी रक्षा देश की पुलिस करे, ब्लैक कमांडो करें या फिर स्वंय भगवान करें। इसीलिए सरकार महंगाई बढ़ा प्रयास कर रही है कि देश की अधिकांश जनता ग़रीब बनी रह ईश्वर के नज़दीक रहे। जिससे उसकी रक्षा सरकार की नहीं, स्वंय भगवान राम करें। 

सरकार जानती है कि सिर्फ महंगाई बढ़ाने मात्र से गरीबी नहीं बढ़ेगी। महंगाई बढ़ने के साथ साथ कमाई भी बढ़ती रहे तो गरीबी बढ़ेगी कैसे। ऐसे में लोगों को राम मिलेंगे तो मिलेंगे कैसे। तो उसके लिए जरूरी है कि लोगों की कमाई पर भी डाका डाला जाये। लोगों को रोज़गार मत दो, बेरोज़गारी बढ़ाओ। जिनके पास रोज़गार है, उनसे रोज़गार छीन लो। जो अपने छोटे मोटे रोज़गार में लगे हैं, उनकी भी कमाई बंद कर दो या कम करवा दो। जब गरीबी बढ़ेगी तभी तो अधिक से अधिक लोग ईश्वर के नज़दीक आयेंगे। और ईश्वर के नज़दीक बने रहने के लिए जरूरी है कि ग़रीब बने रहें। 

सरकार को हमारी, आम जनता की बहुत ही चिंता है। वह रेल के टिकट की कीमत बढ़ाती है तो बताती है कि लोग अनावश्यक यात्रा न करें इसीलिए टिकट की कीमत बढ़ाई गई है। वैसे भी यात्रा नहीं करेंगे तो सुरक्षित रहेंगे, दुर्घटना नहीं घटेगी। अभी कल ही समाचार था कि रेलवे के प्लेटफॉर्म टिकट के दाम भी इसीलिये बढ़ाये गये हैं जिससे कि प्लेटफॉर्म पर भीड़ कम रहे। हो सकता है कि पेट्रोल, डीजल के दाम भी इसीलिए बढा़ये गये हों कि लोग पैदल अधिक चलें और स्वस्थ्य रहें। और खाने पीने की चीजों के दाम इसलिए कि लोग अनाप-शनाप खा पी कर बीमार न पड़ें। पर ये सब तो बहाने हैं। असलियत में तो सरकार कीमतें इसीलिए बढ़ाती है जिससे कि भारत में गरीबी बढ़ी रहे और लोग भगवान के करीब रहें। 

ये पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के बढ़ते दाम, ये खाने पीने की चीजों के बढ़ते दाम, बढ़ता हुआ रेल भाड़ा, ये सब देश की जनता को आध्यात्मिक ऊंचाई पर पहुंचाने का, ईश्वर के नज़दीक ले जाने का सरकारी प्रयास है। देख लीजियेगा ग़रीब भाइयों, आप भले ही यहाँ नर्क झेलें, वहाँ आपको स्वर्ग ही मिलेगा। स्वर्ग में हिन्दूओं को अप्सराएँ मिलेंगी और मुसलमानों को हूरें। और ये जो अमीर हैं न, अम्बानी अडानी और बाकी के अमीर, यहाँ भले ही स्वर्ग भोग लें, वहाँ तो नर्क में ही सड़ेंगे। 

(‘तिरछी नज़र’ एक व्यंग्य स्तंभ है। लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

Satire
Political satire
tirchi nazar
poverty
Hunger Crisis
Modi government
BJP

Related Stories

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

हिजाब बनाम परचम: मजाज़ साहब के नाम खुली चिट्ठी

उर्दू पत्रकारिता : 200 सालों का सफ़र और चुनौतियां

तिरछी नज़र: सरकार-जी, बम केवल साइकिल में ही नहीं लगता

विज्ञापन की महिमा: अगर विज्ञापन न होते तो हमें विकास दिखाई ही न देता

तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की

…सब कुछ ठीक-ठाक है

तिरछी नज़र: ‘ज़िंदा लौट आए’ मतलब लौट के...

राय-शुमारी: आरएसएस के निशाने पर भारत की समूची गैर-वैदिक विरासत!, बौद्ध और सिख समुदाय पर भी हमला


बाकी खबरें

  • सत्यम् तिवारी
    वाद-विवाद; विनोद कुमार शुक्ल : "मुझे अब तक मालूम नहीं हुआ था, कि मैं ठगा जा रहा हूँ"
    16 Mar 2022
    लेखक-प्रकाशक की अनबन, किताबों में प्रूफ़ की ग़लतियाँ, प्रकाशकों की मनमानी; ये बातें हिंदी साहित्य के लिए नई नहीं हैं। मगर पिछले 10 दिनों में जो घटनाएं सामने आई हैं
  • pramod samvant
    राज कुमार
    फ़ैक्ट चेकः प्रमोद सावंत के बयान की पड़ताल,क्या कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार कांग्रेस ने किये?
    16 Mar 2022
    भाजपा के नेता महत्वपूर्ण तथ्यों को इधर-उधर कर दे रहे हैं। इंटरनेट पर इस समय इस बारे में काफी ग़लत प्रचार मौजूद है। एक तथ्य को लेकर काफी विवाद है कि उस समय यानी 1990 केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी।…
  • election result
    नीलू व्यास
    विधानसभा चुनाव परिणाम: लोकतंत्र को गूंगा-बहरा बनाने की प्रक्रिया
    16 Mar 2022
    जब कोई मतदाता सरकार से प्राप्त होने लाभों के लिए खुद को ‘ऋणी’ महसूस करता है और बेरोजगारी, स्वास्थ्य कुप्रबंधन इत्यादि को लेकर जवाबदेही की मांग करने में विफल रहता है, तो इसे कहीं से भी लोकतंत्र के लिए…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    फ़ेसबुक पर 23 अज्ञात विज्ञापनदाताओं ने बीजेपी को प्रोत्साहित करने के लिए जमा किये 5 करोड़ रुपये
    16 Mar 2022
    किसी भी राजनीतिक पार्टी को प्रश्रय ना देने और उससे जुड़ी पोस्ट को खुद से प्रोत्सान न देने के अपने नियम का फ़ेसबुक ने धड़ल्ले से उल्लंघन किया है। फ़ेसबुक ने कुछ अज्ञात और अप्रत्यक्ष ढंग
  • Delimitation
    अनीस ज़रगर
    जम्मू-कश्मीर: परिसीमन आयोग ने प्रस्तावों को तैयार किया, 21 मार्च तक ऐतराज़ दर्ज करने का समय
    16 Mar 2022
    आयोग लोगों के साथ बैठकें करने के लिए ​28​​ और ​29​​ मार्च को केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करेगा।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License