NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र: रिटायर्ड मून रिटर्न इंस्पेक्टर मातादीन हाथरस में
ये वही मातादीन हैं जिन्हें परसाई जी के समय में भारत सरकार ने चांद की पुलिस को पुलिसगिरी सिखाने चांद पर भेजा था। मून रिटर्न इंस्पेक्टर मातादीन ने सबसे खास पाठ जो हाथरस में पुलिस को समझाया वह यह है कि आरोपी को बचाने से अधिक महत्व है सरकार को बचाना।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
11 Oct 2020
hathras
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : अमर उजाला

रिटायर्ड मून रिटर्न इंस्पेक्टर मातादीन अपनी रिटायर्ड लाइफ मसूरी में आराम से गुजार रहे हैं। इंस्पेक्टर मातादीन जब से चांद से लौटे हैं, उन्होंने अपने नाम के आगे मून रिटर्न लगा लिया है। ऐसे जमाने में जब कोई विदेश से लौटा व्यक्ति अपने को फॉरेन रिटर्न कहलाना चाहता है और हज कर के आया हर मुसलमान अपने नाम के आगे हाजी लगाता है तो इंस्पेक्टर मातादीन द्वारा मून रिटर्न लगाया जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। वैसे भी इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर हो कर आये गिनती के चंद लोगों में शामिल हैं। जबकि फॉरेन रिटर्न और हाजी तो लाखों की संख्या में होते हैं। 

tirchi nazar_13.png

ये वही मातादीन हैं जिन्हें परसाई जी के समय में भारत सरकार ने चांद की पुलिस को पुलिसगिरी सिखाने चांद पर भेजा था। वही इंस्पेक्टर मातादीन जिनकी वजह से हमारी सरकार और चांद की सरकार के बीच के संबंध खराब होते होते रह गये थे। वही मातादीन अब उत्तर प्रदेश पुलिस को सिखा रहे हैं। 

आप सोचेंगे कि परसाई जी के जमाने का इंस्पेक्टर मातादीन तो अब तक सेवा निवृत्त हो गया होगा। लेकिन मातादीन जैसे काम के लोग कभी रिटायर नहीं होते हैं। जब मातादीन चांद की पुलिस को मर्डर केस की तहकीकात सिखा कर आये थे उसके बाद कुछ समय तक अवश्य उपेक्षित रहे थे लेकिन अब उत्तर प्रदेश की पुलिस को मर्डर के साथ साथ रेप के केसों की इनवेस्टिगेशन सिखा रहे हैं।

गाहे बगाहे, जब कभी जरूरत पड़ती है, सरकार मून रिटर्न इंस्पेक्टर मातादीन की सेवाएं प्राप्त कर लेती है और इंस्पेक्टर मातादीन भी अपनी सेवाएं निस्संकोच प्रदान कर देते हैं। इंस्पेक्टर मातादीन को गर्व है कि वे नेहरू काल की उन कुछ गिनी-चुनी चीजों में शामिल हैं जिन्हें वर्तमान सरकार भी कुछ सम्मान दे देती है अन्यथा वर्तमान सरकार तो नेहरू काल के भारत को भी सम्मान नहीं देती है। सरकार का बस चलता तो यह सरकार भारत की बजाय किसी ऐसे देश पर शासन करना चाहती जहाँ पूर्व में नेहरू का शासन नहीं रहा होता।

तो इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने मून रिटर्न इंस्पेक्टर मातादीन को हाथरस बुला लिया। उन्नाव और जम्मू कठुआ में सरकार की इतनी भद्द पिट गई थी कि सरकार अब कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। वैसे इससे पहले भी सरकार ने चिन्मयानन्द रेप केस में भी इंस्पेक्टर मातादीन की सेवाएं प्राप्त की थीं। यह इंस्पेक्टर मातादीन का ही प्रताप है कि आज चिन्मयानन्द दोषमुक्त हैं और पीड़िता पर कोर्ट केस चल रहा है।

अब मून रिटर्न इंस्पेक्टर मातादीन को हाथरस में बुलाया गया है। इंस्पेक्टर मातादीन देखते ही समझ गए कि केस मुश्किल है, हाई प्रोफाइल है। अभियुक्त मुख्यमंत्री की जाति के हैं और पीड़िता दलित। इंस्पेक्टर मातादीन ने लोकल पुलिस को रेप केस की जांच का पहला पाठ पढ़ाया कि पीड़िता की चिकित्सा जांच जितनी भी देरी से हो सके उतनी ही देरी से करनी चाहिये। रेप के केस में अगर मेडिकल जांच में रेप का सबूत ही न मिले तो काहे का रेप और काहे का केस। सब बस ढूंढते ही रह जायेंगे। 

जब पीड़िता बच न सकी तो मून रिटर्न इंस्पेक्टर मातादीन ने लोकल पुलिस को दूसरा पाठ सिखाया कि लाश को जल्दी से जल्दी ठिकाने लगा दो यानी कि जला दो। परिवार को सोचने समझने का मौका तक मत दो। परिवार न माने तो जोर जबरदस्ती करो। परिवार की अनुपस्थिति में ही संस्कार कर दो। एक बार लाश राख हो जायेगी तो दूसरा या तीसरा पोस्ट मार्टम होने से रहा। न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। 

पुलिसगिरी का तीसरा सबक, जो इंस्पेक्टर मातादीन ने हाथरस की पुलिस को समझाया वह यह है कि विरोध की चिंता मत करो। विरोध करने वाला कोई भी हो, उसे कुचल दो। पुलिस फोर्स का तो गठन ही विरोध कर रहे लोगों पर लाठी भांजने के लिए हुआ है। आज  सरकार इनकी है, तो इनके लिए लाठी भांजो। कल किसी दूसरे की सरकार हो जाएगी तो इन्हीं के ऊपर लाठियां भांजना। 

चौथा सबक, जो ज्ञान मून रिटर्न इंस्पेक्टर मातादीन ने हाथरस में पुलिस को दिया वह यह था कि जहाँ तक हो सके रसूखदार को बचाओ। इंस्पेक्टर मातादीन ने बताया कि पुलिस का असली काम तो रसूखवाले को पूरी तरह से बचाना है। रेप का इल्ज़ाम हटाने के पूरे प्रबंध करने की जरूरत है। अगर अभियुक्त और पीड़ित के बीच पुरानी दोस्ती साबित कर दी जाये, टेलीफोन पर ही बातचीत साबित कर दी जाये तो न्यायालय में रेप का आरोप वकील लोग बहस के दौरान कमजोर कर ही देंगे। पुलिस अपना काम करे, वकील अपना काम कर ही लेंगे।  

जब रेप से बचाने की कोशिश पूरी हो गई तो कत्ल करने के इल्ज़ाम से भी तो बचाना है। जब पीड़िता मर गई तो किसी न किसी पर तो कत्ल करने का इल्ज़ाम आयेगा ही। तो डाल दो कत्ल का इल्ज़ाम किसी और के सिर। मून रिटर्न इंस्पेक्टर मातादीन ने हाथरस पुलिस को अगला पाठ यही पढ़ाया। अब जब कत्ल करने का इल्ज़ाम किसी पर लगाना ही है तो लड़की के माँ बाप और भाई को ही कातिल क्यों न ठहरा दिया जाए। उन पर आनर किलिंग का आरोप लगा दो। परिवार उनके बचाव में लग जायेगा और असली गुनहगार बच जायेंगे। 

मून रिटर्न इंस्पेक्टर मातादीन ने सबसे खास पाठ जो हाथरस में पुलिस को समझाया वह यह है कि आरोपी को बचाने से अधिक महत्व है सरकार को बचाना। सरकार के बचाव के लिए सारी की सारी बात को षड्यंत्र घोषित कर दो। अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र। एक बार अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र घोषणा कर दी गई तो लड़की भी षडयंत्रकारी, परिवार भी षडयंत्रकारी। विरोधी भी षडयंत्रकारी और धरना प्रदर्शन करने वाले भी षडयंत्रकारी। जो भी सरकार की आलोचना करे वह षड्यंत्रकारी और जो इस्तीफा मांगे वह भी षडयंत्रकारी। 

तो पुलिसवालों, मून रिटर्न इंस्पेक्टर मातादीन ने समझाया, तुम तो मालिक हो, अपनी बीट के, अपनी चौकी के, अपने थाने के, अपने शहर के, अपने जिले के, अपने राज्य के। जिसका जितना इलाका है, वह उतने का ही मालिक है। 

तुमने सुना तो होगा ही। 

खलक खुदा का, मुलुक बाश्शा का हुकुम शहर कोतवाल का। 

हर खासो-आम को आगह किया जाता है कि खबरदार रहें। 

(इंस्पेक्टर मातादीन की मून विजिट के लिए हरिशंकर परसाई की व्यंग्य कथा: "इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर" पढ़ें) 

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Hathras
Hathras Rape case
UP police
yogi sarkar
Yogi Adityanath

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार-जी, बम केवल साइकिल में ही नहीं लगता

विज्ञापन की महिमा: अगर विज्ञापन न होते तो हमें विकास दिखाई ही न देता

तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की

…सब कुछ ठीक-ठाक है

तिरछी नज़र: ‘ज़िंदा लौट आए’ मतलब लौट के...

तिरछी नज़र: ओमीक्रॉन आला रे...

तिरछी नज़र: ...चुनाव आला रे

चुनावी चक्रम: लाइट-कैमरा-एक्शन और पूजा शुरू

कटाक्ष: इंडिया वालो शर्म करो, मोदी जी का सम्मान करो!

तिरछी नज़र: विश्व गुरु को हंसना-हंसाना नहीं चाहिए


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    वित्त मंत्री जी आप बिल्कुल गलत हैं! महंगाई की मार ग़रीबों पर पड़ती है, अमीरों पर नहीं
    17 May 2022
    निर्मला सीतारमण ने कहा कि महंगाई की मार उच्च आय वर्ग पर ज्यादा पड़ रही है और निम्न आय वर्ग पर कम। यानी महंगाई की मार अमीरों पर ज्यादा पड़ रही है और गरीबों पर कम। यह ऐसी बात है, जिसे सामान्य समझ से भी…
  • अब्दुल रहमान
    न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध
    17 May 2022
    फिलिस्तीनियों ने इजरायल द्वारा अपने ही देश से विस्थापित किए जाने, बेदखल किए जाने और भगा दिए जाने की उसकी लगातार कोशिशों का विरोध जारी रखा है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: चीन हां जी….चीन ना जी
    17 May 2022
    पूछने वाले पूछ रहे हैं कि जब मोदी जी ने अपने गृह राज्य गुजरात में ही देश के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति चीन की मदद से स्थापित कराई है। देश की शान मेट्रो…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजद्रोह मामला : शरजील इमाम की अंतरिम ज़मानत पर 26 मई को होगी सुनवाई
    17 May 2022
    शरजील ने सुप्रीम कोर्ट के राजद्रोह क़ानून पर आदेश के आधार पर ज़मानत याचिका दायर की थी जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 मई को 26 मई तक के लिए टाल दिया है।
  • राजेंद्र शर्मा
    ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!
    17 May 2022
    सत्तर साल हुआ सो हुआ, कम से कम आजादी के अमृतकाल में इसे मछली मिलने की उम्मीद में कांटा डालकर बैठने का मामला नहीं माना जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License