NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
मोदी जी हैं कह रहे, सब के दाता राम!
जिन्होंने मोदी जी को, भाजपा को, वोट दिया था और उन्होंने भी जिन्होंने उन्हें वोट नहीं दिया था, निश्चय किया कि मोदी जी के जन्मदिन को "राष्ट्रीय बेरोज़गारी दिवस" के रूप में मनाया जाना चाहिए। वे भूल गए थे कि मोदी जी ने रोज़गार के जितने तरीके बताये हैं, और किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं बताए हैं।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
20 Sep 2020
satire
फोटो साभार : online bhaskar

अभी हाल ही में हमारे मोदी जी का जन्मदिन मनाया गया। अभी 17 सितंबर को ही। उस दिन हमारे मोदी जी 70 वर्ष के हो गए। लोगों ने अपने अपने तरीके से मनाया मोदी जी का जन्मदिन। हमने भी केक काटा और मोदी जी को खिलाया और खुद भी खाया।

नहीं, नहीं, मोदी जी हमारे घर नहीं आये थे और न ही हम उनके यहाँ, उनके निवास स्थान पर गये थे। वो तो हमने अपने यहाँ ही, अपने घर पर ही, अपने आप ही केक काटा था और अपने ही हाथों से उनकी फोटो को खिलाया था। वैसे पहले हम इन चक्करों में नहीं पड़ते थे पर जब से लोगों को ट्रम्प जी की फोटो को केक खिलाते देखा है तब से हमें भी बड़े लोगों का जन्मदिन मनाना आ गया है।

पता नहीं मोदी जी इस बार अपना जन्मदिन मना भी पाये या नहीं। पता नहीं वे अपनी मम्मी जी के पैर छूने, आशीर्वाद प्राप्त करने जा भी पाये थे या नहीं। वैसे जा ही नहीं पाये होंगे अन्यथा समाचार पत्रों में मोदी जी का अपनी माता जी के पैर छूने की फोटो ज़रूर ही छपती। मोदी जी अपनी माता जी को बहुत ही सम्मान देते हैं। जब भी अपनी माता जी से तो  मिलते हैं बहुत ही सम्मानपूर्वक फोटो खिंचवाते हैं। वह फोटो अखबारों में छपती भी अवश्य है।

tirchi nazar_10.png

मोदी जी महापुरुष हैं, युग पुरुष हैं, अवतार पुरुष हैं। सभी महापुरुषों का जन्मदिन किसी न किसी विशेष दिवस के रूप में मनाया जाता है। नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के रूप में, तो डॉ. राधाकृष्णन का शिक्षक दिवस के रूप में। राजीव गांधी का जन्मदिन सद्भावना दिवस, तो अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन सुशासन दिवस। चौधरी चरण सिंह जी का जन्मदिन भी किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन मोदी जी के जन्मदिन के अवसर पर कोई विशेष दिवस नहीं। अरे ओ भक्तो! बहुत ही नाइंसाफी है। इसलिए लोगों ने निश्चय किया कि मोदी जी का जन्मदिन भी किसी विशेष दिवस के रूप में अवश्य ही मनाया जाना चाहिए।

तो उन सब लोगों ने जिन्होंने मोदी जी को, भाजपा को, वोट दिया था और उन्होंने भी जिन्होंने उन्हें वोट नहीं दिया था, निश्चय किया कि मोदी जी के जन्मदिन को "राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस" के रूप में मनाया जाना चाहिए। वे भूल गए थे कि मोदी जी ने रोजगार के जितने तरीके बताये हैं, और किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं बताए हैं। भले ही वे चुनाव रैलियों में सालाना दो दो करोड़ नौकरियां देने की बात करते रहे हैं पर चुनाव समाप्त होने के बाद उन्होंने पकौड़े बनाने की ही सलाह दी। लोगों को समझ ही नहीं है कि जब एक व्यक्ति पकौड़े तलता है तो कितने लोगों को रोजगार मिलता है।

पकौड़े बनाना तो एक ऐसा रोजगार है जिसे आप कभी भी कहीं भी शुरू कर सकते हैं। चाहे जी टीवी के दफ्तर के सामने शुरू करें या फिर चाहे तो सुदर्शन टीवी के सामने। पकौड़े का ठेला चाहे तो सैमसंग की फैक्टरी के सामने लगा लें या फिर जिओ यूनिवर्सिटी के गेट पर। ओह! सॉरी, जियो यूनिवर्सिटी अभी बनी नहीं है। जब बन जायेगी तो उसके गेट पर भी पकौड़े का ठेला लगा सकते हैं। जब प्रधानमंत्री जी ने पकौड़े तलने को रोजगार बता दिया तो बाकी नेता भी कहाँ पीछे रहने वाले थे। उन्होंने भी पंचर लगाने को, पान का बीडा़ बनाने को, भैंस का दूध दोहने को, सबको रोजगार बता दिया। और चाय बनाना तो एक रोजगार है ही जिसमें असीम संभावनाएं भी हैं।

इन रोजगारों का सुझाव देने से पहले ही मोदी जी और उनकी टीम कुछ अन्य रोजगार भी पैदा कर चुकी है जैसे गौरक्षक, मॉब लिंचर, वाट्सएप ग्रुप मैनेजर, आदि आदि। अभी हाल ही में राम जन्मभूमि मंदिर की नींव रख प्रधानमंत्री जी ने रोजगार के बहुत सारे नवीन अवसर पैदा किए हैं।

अब आप स्वयं ही बताइए, राम जन्मभूमि मंदिर बनेगा तो वहाँ रोजगार के कितने अवसर पैदा होंगे। पहले तो तीन साल तक मंदिर बनेगा। न जाने कितने मजदूरों, राज-मिस्त्रियों, ठेकेदारों, इंजीनियरों आर्किटेक्टों को रोजगार उपलब्ध होगा। वह तो अच्छा हुआ जो चीन से मन मुटाव हो गया है। नहीं तो सरदार पटेल जी के स्टैचू की तरह मंदिर भी वहीं से बन कर आता और हमारे हाथ सिर्फ छोटी मोटी मजदूरी ही लगती।

खैर जब तीन साल बाद मंदिर बन जायेगा तो चुनाव तो जितवायेगा ही, रोजगार भी पैदा करेगा। सोचो जरा मंदिर के बाहर भिक्षाटन का रोजगार कितने पैर पसारेगा। और अन्दर प्रमुख पंडित के अतिरिक्त और कितने पंडित होंगे, आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। अयोध्या पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन जायेगा। वहाँ हवाई अड्डा बनेगा। पांच सितारा होटल बनेंगे। वहाँ भी तो नौकरियां उपजेंगी। वहाँ नौकरियों का इतना स्कोप है जितना स्टैचू आफ यूनिटी में भी नहीं बना। सारे देश की बेरोजगारी की समस्या का निदान है यह राम जन्मभूमि मंदिर। और सिर्फ बेरोजगारी ही नहीं, देश की अन्य सभी समस्याओं का निदान भी इसी मंदिर निर्माण में छुपा है। सबको नौकरी तो देंगे ही राम जी, सारी कठिनाइयां भी हल कर देंगे राम जी। सच है, सबके दाता राम। मलूका दास से माफ़ी के साथ कहें तो ये दोहा अब यूं दोहराया जाना चाहिए

अजगर करे ना चाकरी, पंछी करे ना काम,

मोदी जी हैं कह रहे, सब के दाता राम !

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Narendra modi
National Unemployment Day
Modi ji's Birthday
BJP
Indian Youth
UNEMPLOYMENT IN INDIA
Ram Mandir
Ram Janambhoomi

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

उर्दू पत्रकारिता : 200 सालों का सफ़र और चुनौतियां

तिरछी नज़र: सरकार-जी, बम केवल साइकिल में ही नहीं लगता

विज्ञापन की महिमा: अगर विज्ञापन न होते तो हमें विकास दिखाई ही न देता

तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की

…सब कुछ ठीक-ठाक है

तिरछी नज़र: ‘ज़िंदा लौट आए’ मतलब लौट के...

राय-शुमारी: आरएसएस के निशाने पर भारत की समूची गैर-वैदिक विरासत!, बौद्ध और सिख समुदाय पर भी हमला

बना रहे रस: वे बनारस से उसकी आत्मा छीनना चाहते हैं

तिरछी नज़र: ओमीक्रॉन आला रे...


बाकी खबरें

  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री इस महीने के अंत में भारत आ सकते हैं
    05 Apr 2022
    जॉनसन की भारत यात्रा 22 अप्रैल के आसपास हो सकती है। पिछले साल कोविड-19 महामारी के कारण दो बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को भारत का दौरा रद्द करना पड़ा था। 
  • भाषा
    आगे रास्ता और भी चुनौतीपूर्ण, कांग्रेस का फिर से मज़बूत होना लोकतंत्र के लिए ज़रूरी: सोनिया गांधी
    05 Apr 2022
    ‘‘हम भाजपा को, सदियों से हमारे विविधतापूर्ण समाज को एकजुट रखने और समृद्ध करने वाले सौहार्द व सद्भाव के रिश्ते को नुकसान नहीं पहुंचाने देंगे।’’
  • भाषा
    'साइबर दूल्हो' से रहें सावधान, साइबर अपराध का शिकार होने पर 1930 पर करें फोन
    05 Apr 2022
    अगर आप अपने परिवार के किसी सदस्य की शादी के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन विज्ञापन देख रहे हैं, तो थोड़ा होशियार हो जाएं। साइबर ठग अब शादी के नाम पर भी ठगी करने में जुट गए हैं। देश के महानगरों मे अब तक इस तरह…
  • मीनुका मैथ्यू
    श्रीलंकाई संकट : राजनीति, नीतियों और समस्याओं की अराजकता
    05 Apr 2022
    वित्तीय संस्थानों के कई हस्तक्षेपों के बावजूद श्रीलंकाई सरकार अर्थव्यवस्था की व्यवस्थित गिरावट को दूर करने में विफल रही है।
  • इंद्रजीत सिंह
    विभाजनकारी चंडीगढ़ मुद्दे का सच और केंद्र की विनाशकारी मंशा
    05 Apr 2022
    इस बात को समझ लेना ज़रूरी है कि चंडीगढ़ मुद्दे को उठाने में केंद्र के इस अंतर्निहित गेम प्लान का मक़सद पंजाब और हरियाणा के किसानों की अभूतपूर्व एकता को तोड़ना है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License