NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
रोजगार के अभाव में दो तिहाई मज़दूर वापस शहर लौटना चाहते हैं: सर्वे
कई प्रतिष्ठित सामाजिक संस्थाओं द्वारा सोमवार को जारी एक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि 29 फ़ीसदी प्रवासी मज़दूर अब तक शहर वापस आ चुके हैं जबकि 45 फ़ीसदी आने की तैयारी में हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
04 Aug 2020
 मज़दूर वापस
image courtesy : Maharashtra Today

दिल्ली: केंद्र और राज्य सरकारों के रोजगार मुहैया कराने संबंधी तमाम दावों के बीच हकीकत यह है कि कोरोना महामारी की मार से शहर छोड़ अपने गांव लौटे प्रवासी मजदूर अब दोबारा वापस शहर लौटना चाह रहे हैं। एक सर्वे रिपोर्ट के मुतबिक वापस चले गए प्रवासी कामगारों में से करीब दो-तिहाई गांवों में कौशल आधारित रोजगार के अभाव में या तो शहरों को लौट चुके हैं अथवा लौटना चाहते हैं। सोमवार को जारी इस रिपोर्ट के अनुसार 29 फीसदी प्रवासी मजदूर अब तक शहर वापस आ चुके हैं जबकि 45 फीसदी आने की तैयारी में हैं।

कैसे हुआ सर्वे

यह अध्ययन आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम (भारत), ऐक्शन फॉर सोशल एडवांसमेंट, ग्रामीण सहारा, आई-सक्षम, प्रदान, साथी-यूपी, सेस्टा, सेवा मंदिर और ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन ने मिलकर किया है। इसका शीर्षक है ‘अंदरूनी क्षेत्रों में स्थिति अपनी पुरानी दशा में कैसे लौट रही है’। इस अध्ययन को सोमवार 3 अगस्त को ऑनलाइन वेबीनार के माध्यम से सार्वजनिक किया गया।

यह अध्ययन 24 जून से 8 जुलाई के बीच यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश जैसे 11 राज्यों के 48 जिलों में 4,835 परिवारों के त्वरित आकलन पर आधारित है। इसमें पता चला कि 29 फीसदी प्रवासी शहरों में लौट चुके हैं और 45 फीसदी शहरों में वापस आना चाहते हैं। इस अध्ययन ने कई गंभीर खुलासे किए और मज़दूरों की बदहाली को बताया और कहा लोगों को अब भोजन तो मिल रहा है परन्तु अभी वो गंभीर आर्थिक तंगी से गुजर रहे है।

सर्वे की मुख्य बातें

अध्ययन में कहा गया, ‘गांवों में कौशल आधारित रोजगार के अभाव की बात सामने आई है, जिसके चलते अपने घरों को लौटे करीब दो-तिहाई प्रवासी या तो शहरों में वापस आ गये हैं या आना चाहते हैं।’

रिपोर्ट में यह भी पता चला कि जो प्रवासी शहर लौटे हैं उनमें से 80 फीसदी से अधिक को गांवों में मजदूरी का काम मिला, जो दिखाता है कि ग्रामीण इलाकों में कौशल आधारित रोजगार की कमी है। एक चौथाई से अधिक प्रवासी श्रमिक अब भी गांवों में रोजगार की तलाश में हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ‘एक चौथाई से अधिक प्रवासी श्रमिक अब भी गांवों में काम ढूंढ रहे हैं।’

झारखंड, मध्य प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान और त्रिपुरा के 48 जिलों में सर्वे के दौरान पता चला कि प्रवासियों के लौटने से महिलाओं का काम बढ़ गया है। अब उन्हें पानी और लकड़ी के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं क्योंकि प्रवासियों के लौटने से परिवार बढ़ गया है।

अध्ययन के मुताबिक, प्रत्येक चार परिवारों में से एक (24 फीसदी) अपने बच्चों को स्कूल से निकालने के बारे में सोच रहा है।

इसमें कहा गया है कि, ‘कठिनाइयां अभी बहुत हैं, ढांचागत बदलाव अब भी नजर नहीं आ रहा बल्कि ग्रामीण भारत में कोविड-19 का स्वास्थ्य जोखिम बढ़ रहा है।’

अध्ययन में पता चला कि 43 फीसदी परिवारों ने भोजन में कटौती की है और 55 फीसदी ने कहा कि उन्होंने खाने की वस्तुएं घटाई हैं। उसमें कहा गया है कि हालांकि लॉकडाउन की तुलना में बाद के समय में भोजन में सुधार आया है।

अध्ययन में सामने आया कि लॉकडाउन के दौरान आर्थिक कठिनाइयों के चलते करीब छह फीसदी परिवारों ने घरों का सामान गिरवी रखा और 15 फीसदी को अपने मवेशी बेचने पड़े। करीब दो फीसद परिवारों ने दुधारू और गैर दुधारू मवेशी बेच दिये। करीब दो फीसदी परिवारों ने अपनी जमीन गिरवी रख दी। करीब दस फीसदी परिवारों ने अपने नाते-रिश्तेदारों से कर्जा लिया जबकि सात फीसदी लोग इसके लिए साहूकारों की शरण में गये।

इस पूरी रिपोर्ट और उस पर चर्चा नीचे देख सकते हैं

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

Migrant workers
migrants
unemployment
Survey
poverty
UNEMPLOYMENT IN INDIA

Related Stories

कश्मीर: कम मांग और युवा पीढ़ी में कम रूचि के चलते लकड़ी पर नक्काशी के काम में गिरावट

ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना

मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश

मनरेगा: ग्रामीण विकास मंत्रालय की उदासीनता का दंश झेलते मज़दूर, रुकी 4060 करोड़ की मज़दूरी

कर्नाटक: मलूर में दो-तरफा पलायन बन रही है मज़दूरों की बेबसी की वजह

हैदराबाद: कबाड़ गोदाम में आग लगने से बिहार के 11 प्रवासी मज़दूरों की दर्दनाक मौत

बनारस की जंग—चिरईगांव का रंज : चुनाव में कहां गुम हो गया किसानों-बाग़बानों की आय दोगुना करने का भाजपाई एजेंडा!

राजस्थान ने किया शहरी रोज़गार गारंटी योजना का ऐलान- क्या केंद्र सुन रहा है?

विशेषज्ञों के हिसाब से मनरेगा के लिए बजट का आवंटन पर्याप्त नहीं

बजट के नाम पर पेश किए गए सरकारी भंवर जाल में किसानों और बेरोज़गारों के लिए कुछ भी नहीं!


बाकी खबरें

  • सत्यम कुमार
    उत्तराखंड : ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में बंद होते सरकारी स्कूल, RTE क़ानून की आड़ में निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार 
    28 Apr 2022
    उत्तराखंड राज्य में विद्यालयों की स्थिति के आंकड़े दिखाते हैं कि सरकारी स्कूलों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसके चलते विद्यार्थियों का नामांकन कम हो रहा है, और अंत में कम नामांकन के चलते स्कूल बंद…
  • प्रेम कुमार
    ‘जनता की भलाई’ के लिए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के अंतर्गत क्यों नहीं लाते मोदीजी!
    28 Apr 2022
    अगर पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में लाए जाते हैं तो कीमत में 30 से 40 रुपये प्रति लीटर तक की कमी हो जाएगी। जनता केंद्र और राज्यों के दोहरे कराधान से भी बच जाएगी। जनता की भलाई के लिए बीजेपी की सरकार…
  • वी. श्रीधर
    एलआईसी की आईपीओ: बड़े पैमाने का घोटाला
    28 Apr 2022
    एलआईसी को लिस्टेड करने की इस बेबुनियाद हड़बड़ी में दिग्गज "निवेशकों" के पैसे बनाने की सनक को बढ़ावा देते हुए लोगों के हितों की भयानक अनदेखी नज़र आती है। आईपीओ की क़ीमत से यह संकेत मिलता है कि यह शायद…
  • सुभाष गाताडे
    दलित जननेता जिग्नेश को क्यों प्रताड़ित कर रही है भाजपा? 
    28 Apr 2022
    ‘क्या अपने राजनीतिक आकाओं के फायदे के लिए एक जननेता को प्रताड़ित और आतंकित किया जा रहा है’?
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर में एक आर्मी-संचालित स्कूल की ओर से कर्मचारियों को हिजाब न पहनने के निर्देश
    28 Apr 2022
    पूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ़्ती ने भाजपा पर महिलाओं की आजादी पर अंकुश लगाने का आरोप लगाया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License