NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
चुनाव 2022
विधानसभा चुनाव
भारत
यूपीः किसान आंदोलन और गठबंधन के गढ़ में भी भाजपा को महज़ 18 सीटों का हुआ नुक़सान
वर्ष 2017 के चुनाव नतीजों की तुलना में इस बार भाजपा को पहले दो चरणों में 18 सीटों का नुकसान हुआ है। पिछली बार उसने 91 सीट हासिल की थीं जबकि इस बार उसे 73 सीटें ही मिल पाई हैं।
एम.ओबैद
11 Mar 2022
यूपीः किसान आंदोलन और गठबंधन के गढ़ में भी भाजपा को महज़ 18 सीटों का हुआ नुक़सान

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों की वापसी को लेकर करीब साल भर जिस तरह किसानों का आंदोलन देशभर में खासकर दिल्ली बॉर्डर के आस पास चला और 700 से ज्यादा किसानों की शहादत हुई वैसे में माना जा रहा था कि यूपी की सत्ता में बीजेपी की वापसी नहीं होगी लेकिन 10 मार्च को आए चुनावों के परिणाम ने इन अटकलों को विराम दे दिया। 

दिल्ली बॉर्डर ख़ासकर गाज़ीपुर बॉर्डर के पास हुए आंदोलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान भारी संख्या में शामिल हुए थे। ऐसे में यह कहा जा रहा था इस क्षेत्र के किसान इस बार के चुनावों में यूपी में बीजेपी को नकार देंगे लेकिन मामला इसके उलट रहा है। प्रदेश में भाजपा नेताओं के विरोध की भी खबरें भी सामने आई थी लेकिन चुनाव नतीजों की तस्वीर कुछ अलग नजर आई।

उधर इस चुनाव में समाजवादी पार्टी और आरएलडी का गठबंधन भी हुआ था लेकिन उम्मीद के मुताबिक इस गठबंधन पश्चिमी यूपी में सीटें नहीं मिल पाईं। इस क्षेत्र में न तो किसान आंदोलन का प्रभाव दिखा और न ही सपा-आरएलडी गठबंधन का असर।

राज्य में सत्ता परिवर्तन की बात करें तो इसके संकेत पश्चिमी यूपी से मिलते हैं और राज्य की दशा और दिशा को निर्धारित करते हैं। पश्चिमी यूपी के पहले दो चरणों की बात करें तो इन दो चरण की 113 सीटों में से 73 सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई है। जबकि पिछले बार उसे 91 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इन दो चरणों में भाजपा को 18 सीटों का नुकसान हुआ।

भाजपा ने वर्ष 2017 में पहले चरण की 58 सीटों में से 53 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि दूसरे चरण में 55 सीटों में से 38 सीटों पर जीत हासिल की था। इस तरह पिछले चुनाव में कुल 113 सीटों में से भाजपा को 91 सीटें मिली थी। इस बार भाजपा गठबंधन को पहले चरण के 58 सीटों में से 46 सीटें मिल पाई और दूसरे चरण की 55 में से 27 सीटें मिली। इस तरह उसे इस बार 73 सीटें मिल पाईं।

इस बार दूसरे चरण में भाजपा को वर्ष 2017 के चुनाव के मुकाबले 11 सीटों का नुकसान हुआ। वहीं पहले चरण में 7 सीटों का नुकसान हो गया। दूसरे चरण में जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने 7 सीटें जीती है जबकि समाजवादी पार्टी (एसपी) को 21 सीटें मिली हैं।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और महान दल के केशव प्रसाद मौर्य ने मुस्लिम, जाट, दलित और ओबीसी दल के मतादातओं को साधने के लिए मिलकर चुनाव लड़ा था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 17 फीसदी जाट मतदाता, 25 फीसदी मुस्लिम और 21 फीसदी दलित मतदाता है। उन्हें उम्मीद थी कि इस जातिगत समीकरण से भाजपा को हराया जा सकता है लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस तरह सारे समीकरण अपने पक्ष में होने के बावजूद वे यहां पर कुछ खास नहीं कर पाए।

दूसरे चरण में बिजनौर जिले के सीटों पर वोट पड़े थे। जिले में आठ सीटों में से चार नजीबाबाद, नगीना, नूरपुर और चांदपुर गठबंधन ने जीतीं, जबकि शहर, नहटौर, धामपुर और बढ़ापुर भाजपा ने जीत ली। पिछले चुनाव में छह सीटें भाजपा ने जीती थीं।

सहारनपुर में सात सीटों में से पांच सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल कर ली है। चुनाव से ठीक पहले पार्टी बदलकर समाजवादी पार्टी के टिकट पर नकुड़ सीट से चुनाव लड़े डॉक्टर धर्म सिंह सैनी चुनाव हार गए हैं। उन्हें भाजपा के मुकेश चौधरी ने हराया है। इसके अलावा देवबंद, गंगोह, रामपुर मनिहारान पर भाजपा ने अपना कब्जा बनाए रखा है। सहारनपुर शहर सीट भाजपा ने सपा से छीन ली है। बेहट और सहारनपुर देहात पर गठबंधन ने जीत हासिल की है।

उधर मुजफ्फरनगर में छह सीटों में दो भाजपा और चार गठबंधन ने जीती ली है। भाजपा यहां शहर और खतौली पर ही कब्जा बरकरार रख पाई। बुढ़ाना, मीरापुर, पुरकाजी और चरथावल उसने गंवा दी है।


वहीं सरधना विधानसभा सीट से सपा-रालोद गठबंधन के अतुल प्रधान ने भाजपा के संगीत सोम को हरा दिया है। संगीत सोम इससे पहले दो बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं जबकि अतुल प्रधान दो बार चुनाव हार गए थे। सरधना सीट पर ऐसा पहली बार हुआ है जब समाजवादी पार्टी का कोई प्रत्याशी जीत दर्ज कर पाया है।

सुरेश राणा योगी सरकार में कैबिनेट गन्ना मंत्री थे लेकिन उनको इस बार हार का सामना करना पड़ा। वह शामली के थाना भवन सीट से भाजपा से चुनाव लड़ रहे थे। राणा को 93945 वोट पड़े। उनको आरएलडी के अशरफ अली खान ने हराया। अशरफ अली खान को 103751 वोट मिले।

UP
Assembly Election 2022
BJP
SP
RLD
Western UP
farmers

Related Stories

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

विधानसभा चुनाव परिणाम: लोकतंत्र को गूंगा-बहरा बनाने की प्रक्रिया

जनादेश-2022: रोटी बनाम स्वाधीनता या रोटी और स्वाधीनता

पंजाब : कांग्रेस की हार और ‘आप’ की जीत के मायने

यूपी चुनाव : पूर्वांचल में हर दांव रहा नाकाम, न गठबंधन-न गोलबंदी आया काम !

उत्तराखंड में भाजपा को पूर्ण बहुमत के बीच कुछ ज़रूरी सवाल

गोवा में फिर से भाजपा सरकार

त्वरित टिप्पणी: जनता के मुद्दों पर राजनीति करना और जीतना होता जा रहा है मुश्किल

जनादेश-2022: यूपी समेत चार राज्यों में बीजेपी की वापसी और पंजाब में आप की जीत के मायने


बाकी खबरें

  • मुकुल सरल
    ज्ञानवापी प्रकरण: एक भारतीय नागरिक के सवाल
    17 May 2022
    भारतीय नागरिक के तौर पर मेरे कुछ सवाल हैं जो मैं अपने ही देश के अन्य नागरिकों के साथ साझा करना चाहता हूं। इन सवालों को हमें अपने हुक्मरानों से भी पूछना चाहिए।
  • ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
    कोविड-19 महामारी स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में दुनिया का नज़रिया नहीं बदल पाई
    17 May 2022
    कोविड-19 महामारी लोगों को एक साथ ला सकती थी। यह महामारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) जैसे वैश्विक संस्थानों को मज़बूत कर सकती थी और सार्वजनिक कार्रवाई (पब्लिक ऐक्शन) में नया विश्वास जगा सकती थी…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    धनकुबेरों के हाथों में अख़बार और टीवी चैनल, वैकल्पिक मीडिया का गला घोंटती सरकार! 
    17 May 2022
    “सत्ता से सहमत होने के लिए बहुत से लोग हैं यदि पत्रकार भी ऐसा करने लगें तो जनता की समस्याओं और पीड़ा को स्वर कौन देगा?“
  • ukraine
    सी. सरतचंद
    यूक्रेन में संघर्ष के चलते यूरोप में राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 
    16 May 2022
    यूरोपीय संघ के भीतर रुसी तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने के हालिया प्रयास का कई सदस्य देशों के द्वारा कड़ा विरोध किया गया, जिसमें हंगरी प्रमुख था। इसी प्रकार, ग्रीस में स्थित शिपिंग कंपनियों ने यूरोपीय…
  • khoj khabar
    न्यूज़क्लिक टीम
    नफ़रती Tool-Kit : ज्ञानवापी विवाद से लेकर कर्नाटक में बजरंगी हथियार ट्रेनिंग तक
    16 May 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बताया कि किस तरह से नफ़रती Tool-Kit काम कर रही है। उन्होंने ज्ञानवापी विवाद से लेकर कर्नाटक में बजरंगी शौर्य ट्रेनिंग में हथियारों से लैस उन्माद पर सवाल उठाए…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License