NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपी : बीजेपी की नाम बदलने की राजनीति अब विश्वविद्यालयों तक पहुँच रही है
योगी सरकार ने लखनऊ में उर्दू, अरबी-फ़ारसी विश्वविद्यालय का नाम बदलने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। फ़िलहाल यूनिवर्सिटी का पूरा नाम ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू-अरबी-फ़ारसी यूनिवर्सिटी है। लेकिन अब यूनिवर्सिटी के नाम में “उर्दू,अरबी-फ़ारसी” यूनिवर्सिटी की जगह “भाषा” विश्वविद्यालय लिखा जाएगा।
असद रिज़वी
29 Feb 2020
Lucknow University

बीजेपी की शहरों और सड़क के बाद नाम बदलने की राजनीति अब विश्वविद्यालयों तक आ गई है। उत्तर प्रदेश सरकार राजधानी लखनऊ की ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती यूनिवर्सिटी के नाम में बदलाव करने जा रही है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने नाम बदलने का फ़ैसला राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के सुझाव पर लिया है।

योगी सरकार की कैबिनेट ने नाम में बदलाव के प्रस्ताव को मंज़ूरी भी दे दी है। फ़िलहाल यूनिवर्सिटी का पूरा नाम ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू-अरबी-फ़ारसी यूनिवर्सिटी है। लेकिन अब यूनिवर्सिटी के नाम में “उर्दू,अरबी-फ़ारसी” यूनिवर्सिटी की जगह “भाषा” विश्वविद्यालय लिखा जाएगा।

शिक्षाविद इसको संघ की उर्दू विरोधी नीति का हिस्सा मानते हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी की पूर्व-कुलपति प्रो. रूप रेखा वर्मा कहती हैं कि यह उर्दू-अरबी-फ़ारसी जैसी भाषाओं को ख़त्म करने की एक साज़िश है। हालाँकि वह मानती हैं यूनिवर्सिटी का नाम बदलने से छात्रों में इस भाषाओं के प्रति रुचि ख़त्म नहीं होगी। उनके अनुसार, "यह संघ की पूर्वनियोजित नीति का हिस्सा है, भविष्य में वहाँ सिर्फ़ संस्कृत पढ़ाई जाएगी और हिन्दू धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।"

शिक्षा जगत से जुड़े लोग यह भी मानते हैं कि नाम बदलना संघ के एक बड़ा एजेंडा है। लखनऊ यूनिवर्सिटी के पूर्व अध्यापक और मानव विज्ञानी डॉ नदीम हसनैन कहते हैं, "भाजपा सरकार सिर्फ़ यूनिवर्सिटी नहीं बल्कि शहरों और सड़कों के नाम भी बदल रही है। सरकार भारत में इस्लाम और मुसलमानों से जुड़ी सभी चीज़ों को ख़त्म कर देना चाहती है। पहले फ़ैज़ाबाद और मुग़लसराय का नाम बदलना हो या अब ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती यूनिवर्सिटी के नाम से उर्दू-अरबी-फ़ारसी हटाना हो, सब एक 'सांस्कृतिक साम्राज्यवाद' का हिस्सा है।"

उर्दू भाषा के जानकर मानते हैं कि सरकार भाषाओं को धर्म से जोड़ कर देख रही है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके डॉ फ़ज़ल इमाम कहते हैं, "ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती यूनिवर्सिटी के नाम से उर्दू, अरबी-फ़ारसी हटना निंदनीय है। योगी सरकार भाषाओं को भी धर्म के चश्मे से देख रही है। विश्व में किसी भी भाषा को किसी धर्म ने जन्म नहीं दिया है। सरकार को असल परेशानी उर्दू, अरबी-फ़ारसी से नहीं बल्कि इसका ज़्यादा इस्तेमाल करने वाले मुसलमानों से है। जबकि यह सरकार की ग़लतफ़हमी है कि उर्दू या फ़ारसी मुसलमानों की भाषा है। उर्दू-फ़ारसी साहित्य में हिंदू शायर और लेखकों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है।"

इस मामले पर प्रदेश सरकार का कहना है कि राज्य में एक भाषा विश्विद्यालय की ज़रूरत थी। इसलिए नाम में मामूली बदलाव किया गया है। इस से यूनिवर्सिटी की पहचान अंतरराष्ट्रीय हो जाएगी और इसमें कई और भाषाओं की शिक्षा भी दी जाएगी।

जब नाम बदलने के मामले पर न्यूज़क्लिक ने ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय के उप-कुलपति प्रो. माहरुख़ मिर्ज़ा से संपर्क किया तो उन्होंने प्रश्नों का जवाब नहीं दिया। बाद में उनके कार्यालय द्वारा एक प्रेस नोट भेजा गया। जिसमें  प्रो. माहरुख़ मिर्ज़ा ने यूनिवर्सिटी के नाम में से 'उर्दू, अरबी-फ़ारसी' को हटा कर 'भाषा' किये जाने के फ़ैसले का स्वागत किया है।"

बता दें कि ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फ़ारसी विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह में 21 नवंबर  2019 को हुआ था। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने भाषण में विश्वविद्यालय के नाम से 'उर्दू अरबी-फ़ारसी' शब्द हटाने की बात कही थी। कार्यक्रम में आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार को ख़्वाजा मोइनूद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी-फ़ारसी विश्वविद्यालय की ओर से डी.लिट की उपाधि दिए जाने पर नागरिक समाज ने सवाल भी खड़े किए थे।

UttarPradesh
Lucknow
BJP
Name Change Politics
hindu-muslim
Urdu-Arabic-Persian University
Politics in University
BJP politics
Name Politics

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • एम. के. भद्रकुमार
    पुतिन की अमेरिका को यूक्रेन से पीछे हटने की चेतावनी
    29 Apr 2022
    बाइडेन प्रशासन का भू-राजनीतिक एजेंडा सैन्य संघर्ष को लम्बा खींचना, रूस को सैन्य और कूटनीतिक लिहाज़ से कमज़ोर करना और यूरोप को अमेरिकी नेतृत्व पर बहुत ज़्यादा निर्भर बना देना है।
  • अजय गुदावर्ती
    भारत में धर्म और नवउदारवादी व्यक्तिवाद का संयुक्त प्रभाव
    28 Apr 2022
    नवउदारवादी हिंदुत्व धर्म और बाजार के प्रति उन्मुख है, जो व्यक्तिवादी आत्मानुभूति पर जोर दे रहा है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन
    28 Apr 2022
    वाम दलों ने धरने में सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ व जनता की एकता, जीवन और जीविका की रक्षा में संघर्ष को तेज़ करने के संकल्प को भी दोहराया।
  • protest
    न्यूज़क्लिक टीम
    दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन
    28 Apr 2022
    वाम दलों ने आरएसएस-भाजपा पर लगातार विभाजनकारी सांप्रदायिक राजनीति का आरोप लगाया है और इसके खिलाफ़ आज(गुरुवार) जंतर मंतर पर संयुक्त रूप से धरना- प्रदर्शन किया। जिसमे मे दिल्ली भर से सैकड़ों…
  • ज़ाकिर अली त्यागी
    मेरठ : जागरण की अनुमति ना मिलने पर BJP नेताओं ने इंस्पेक्टर को दी चुनौती, कहा बिना अनुमति करेंगे जागरण
    28 Apr 2022
    1987 में नरसंहार का दंश झेल चुके हाशिमपुरा का  माहौल ख़राब करने की कोशिश कर रहे बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं के सामने प्रशासन सख़्त नज़र आया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License