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बलिया: अपराध के बढ़ते ग्राफ के बीच शासन मस्त और जनता त्रस्त!
खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक वर्चुअल संवाद कार्यक्रम में कहा था कि “अब तो बलिया का नाम लेते ही डर लगता है”, बात हँसी में कही गई थी, लेकिन ये हँसी नहीं वास्तविकता है और ज़िले के रहने वालों को अपराधियों से डर लगता है। 
सोनिया यादव
08 Jun 2021
बलिया: अपराध के बढ़ते ग्राफ के बीच शासन मस्त और जनता त्रस्त!
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

“देश और प्रदेश का विकास हो रहा है। इसका सीधा लाभ आम आदमी तक पहुंच रहा है। आपराधिक प्रवृत्ति के लोग प्रदेश छोड़कर भाग रहे हैं।”

ये बयान योगी सरकार में खेल, युवा कल्याण और पंचायती राज मामलों के स्वतंत्र प्रभार मंत्री उपेंद्र तिवारी का है। उपेंद्र तिवारी बलिया के फेफना विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और आए दिन विवादों में रहते हैं। हालांकि उनका ये बयान कुछ महीनों जरूर पुराना है लेकिन बलिया के ताज़ा हाल से एकदम उलट है। मंत्री जी के गृह नगर में अपराधी बेलगाम है और लोग दहशत में हैं। ताज़ा मामला एक युवती से गैंगरेप कर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने का है। हालांकि ये अकेली घटना नहीं है, आए दिन जिले में ऐसी घटनाएं हो रही है, जो शायद राष्ट्रीय मीडिया में जगह नहीं बना पाती।

बीते महीने ही बलिया शहर से सटे बांसडीह रोड थाना क्षेत्र के टाउन पॉलिटेक्निक कॉलेज कैंपस में एक 35 वर्षीय महिला का शव अर्द्धनग्न अवस्था में मिला था। आशंका जताई जा रही थी कि महिला से दुष्कर्म के बाद हत्या की गई है। इससे ठीक पहले बलिया के गड़वार थाना क्षेत्र में 16 वर्षीय किशोरी के साथ बलात्कार का मामला सामने आया था। नाबालिग पीड़िता का कहना था कि वह शाम को जब खेत से लौट रही थी तभी उसके साथ बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया गया।

दिन दहाड़े हुई घटनाओं की बात करें तो बलिया का गोलीकांड कई वजहों से सुर्खियों में था। बड़े प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में हुए इस घटना के ठीक बाद ही एक नाबालिग बच्ची से छेड़छाड़ और फिर उसे घर में घुसकर जिंदा जलाने की कोशिश का मामला सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था।

इसे भी पढ़ें: बलिया कांड: क्या बीजेपी ख़ुद अपनी फ़ज़ीहत कराने में लगी है?

इससे पहले  मंत्री उपेंद्र तिवारी के विधानसभा क्षेत्र फेफना से ही एक नाबालिग़ के साथ गैंगरेप और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करने की भयावह मामला सामने आया था। वीडियो में पीड़िता बदमाशों से भईया-भईया..कहकर उसे छोड़ने की मिन्नतें करती नज़र आ रही थी। बावजूद इसके आरोपी लगातार उसका शोषण उत्पीड़न कर रहे थे।

आपको बता दें कि स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दिन दहाड़े अपराधों को रोकने में नाकाम बलिया पुलिस साइबर अपराधों को पर भी लगाम नहीं लगा पा रही है। जिले के साइबर सेल में इस साल कुल 138 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से महज़ 31 को ही पुलिस सुलझा पाई है।

गौरतलब है कि मीडिया ने जब महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं पर मंत्री जी से सवाल किया तो जवाब में उन्होंने एक विवादित बयान दे दिया। मंत्री उपेंद्र तिवारी जी ने कहा था, “रेप का अलग-अलग नेचर (प्रकार) होता है। अब जैसे कोई नाबालिग लड़की है, उसके साथ रेप हुआ है, तो उसको तो हम रेप मानेंगे, लेकिन कहीं-कहीं यह भी सुनने में आता है कि विवाहित महिला है, उम्र 30-35 साल है। कई बार 7-8 साल से प्रेम संबंध चल रहा है, मगर आरोप लगाते हैं कि मेरे साथ रेप हुआ है, तो यह आम सवाल होता है कि 7 साल पहले इस बारे में सोचना चाहिए था, तो अलग-अलग नेचर होता है रेप का।”

इस बयान का काफी विरोध भी देखने को मिला था। हालांकि बीजेपी के मंत्री, सांसद और विधायक अक्सर ही महिला विरोधी बयानों को लेकर विवादों में रहते हैं। बलिया के ही बैरिया से विधायक सुरेंद्र सिंह ने तो बलात्कार को लड़की के संस्कारों से ही जोड़ दिया था। उन्होंने हाथरस कांड पर दिए अपने एक विवादित बयान में कहा था कि यदि परिवार वाले लड़कियों को अच्छे संस्कार दें, तब ही रेप की घटनाएं रुकेंगी।

मुख्यमंत्री को बलिया के नाम से डर लगता है!

गौरतलब है कि बीते साल जिले में पत्रकार रतन सिंह की हत्या, पूर्व सांसद भारत सिंह के पौत्र को गोली मारने का मामला और हल्दी थाना क्षेत्र के जवरी दियारा गांव में बदमाशों का पत्नी के सामने ही पति की गोली मारने के मामले पर भी खूब बवाल देखने को मिला था।

खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक वर्चुअल संवाद कार्यक्रम में कहा था कि “अब तो बलिया का नाम लेते ही डर लगता है”, बात हँसी में कही गई थी, लेकिन ये हँसी नहीं वास्तविकता है और ज़िले के रहने वालों को अपराधियों से डर लगता है। 

इसे भी पढ़ें: बलिया: मुख्यमंत्री को नाम से डर लगता है और ज़िले वालों को अपराधियों से!

वैसे सिर्फ बलिया का ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश का यही हाल है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महिला सुरक्षा को लेकर बीते दिनों मिशन शक्ति अभियान लॉन्च किया था। जिसे लेकर दावा किया गया था कि आने वाले दिनों में मिशन शक्ति मिशन सख्‍ती में बदल जाएगा, महिलाओं के खिलाफ हिंसा में कमी आएगी लेकिन राज्य सरकार की ये पहल भी कुछ काम करती नहीं नज़र आ रही है। प्रदेश में नाबालिग बच्चियों और महिलाओं के साथ लगातार आपराधिक मामलों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। कानून व्यवस्था के नाम पर यूपी पुलिस के साथ-साथ योगी सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ 2018 में कुल 378,277 मामले हुए और अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गए। यानी देश के कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8%।

इसके अलावा प्रदेश में कुल रेप  के 4,322 केस हुए। यानी हर दिन 11 से 12 रेप केस दर्ज हुए। ध्यान देने वाली बात ये है कि ये उन अपराधों पर तैयार की गई रिपोर्ट है जो थानों में दर्ज होते हैं। इन रिपोर्ट से कई ऐसे केस रह जाते हैं जिनकी थाने में कभी शिकायत ही दर्ज नहीं हो सकी। एनसीआरबी देश के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

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