NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विधानसभा चुनाव
भारत
राजनीति
यूपी चुनाव: कथित तौर पर चीनी मिल के दूषित पानी की वजह से लखीमपुर खीरी के एक गांव में पैदा हो रही स्वास्थ्य से जुड़ी समस्यायें
लखीमपुर खीरी ज़िले के धरोरा गांव में कथित तौर पर एक चीनी मिल के कारण दूषित होते पानी के चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। गांव के लोग न सिर्फ़ स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं, बल्कि इस कारण से कोई भी इस गांव में शादी करने को भी तैयार नहीं है।
सौरभ शर्मा
18 Feb 2022
conteniment water
प्रतीकात्मक फ़ोटो

लखीमपुर खीरी : लखीमपुर खीरी के धरोरा गांव के रहने वाले राधेश्याम यादव की उम्र 40 की हो चुकी है और वह पिछले चार सालों से बिस्तर पर पड़े हुए हैं। वह अक्सर बेहोश हो जाते है और उन्हें गैस्ट्रिक की गंभीर समस्या है। हालांकि,उन्हें कोई ख़ास रोग तो नहीं है, लेकिन उन्हें इस बात का संदेह है कि उनके इस ख़राब स्वास्थ्य के पीछे की वजह यहां का दूषित पानी है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के ज़िला मुख्यालय से तक़रीबन 10 किलोमीटर दूर इस धरोरा गांव में रहने वाले एक छोटे किसान राधे श्याम यादव पिछले तीन सालों से डॉक्टरों के पास जाते रहे हैं और उनकी इस हालत में थोड़ा भी सुधार होता नहीं दिख रहा है।

राधे श्याम यादव कहते हैं,"यह सब पानी के कारण है। मेरे पेट में गैस हो जाता है, और मेरा इलाज करने वाले डॉक्टर मुझे यह नहीं बताते कि आख़िर बीमारी क्या है। दो साल पहले स्थानीय डॉक्टर (झोलछाप डॉक्टर) ने कहा था कि मैं लीवर के संक्रमण से पीड़ित हूं। इसके बाद मैंने लखीमपुर खीरी ज़िला अस्पताल के दूसरे डॉक्टर से परामर्श किया और वहां भी इस रोग का पता नहीं चल पाया। मुझे पता है कि इसके पीछे का कारण पानी है।"

तक़रीबन 800 की आबादी वाला यह गांव एक प्राइवेट चीनी मिल के ठीक बगल में स्थित है और गांववाले यहां के पानी के दूषित होने को लेकर इसी मिल को दोषी ठहराते हैं।

राधे श्याम यादव कहते हैं, "2006 में यहां यह मिल स्थापित की गयी थी। हमने चार साल बाद ही इस चीनी मिल से निकलने वाले बिना शोधित पानी का यहां के भूजल पर पड़ने वाले असर को महसूस करना शुरू कर दिया था।"

न्यूज़क्लिक टीम स्वतंत्र रूप से ग्रामीणों की ओर से किये जा रहे इन दावों को सत्यापित कर पाने में असमर्थ थी, और उस प्राइवेट मिल की वेबसाइट पर दिये गये  टेलीफ़ोन नंबर पर फ़ोन करने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। हालांकि, इस रिपोर्टर ने बोरवेल से गहरा पीला और लाल रंग का पानी निकलते ज़रूर देखा। इस गांव के लोग पानी पीने से पहले उसे उबालने को मजबूर हैं।

इसी गांव के एक दूसरे किसान शिव हरे यादव पिछले दो सालों से लीवर के संक्रमण से पीड़ित हैं। स्थानीय डॉक्टरों के मुताबिक़, उनकी इस हालत के पीछे का कारण यही दूषित पानी है, जिसमें आयरन, आर्सेनिक और अन्य चीज़ों की मात्रा स्वीकार्य सीमा से ज़्यादा है। पिछले दो सालों में उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ और समस्यायें होने लगी हैं।

शिव हरे यादव कहते हैं, "मैं जब भी खेत में काम करने जाता हूं, तो बमुश्किल काम कर पाता हूं। मुझे लगातार गैस्ट्राइटिस की समस्या रही है। हालत इतनी ख़राब हो चुकी है कि अब तो मैं खा भी नहीं सकता।"

ग़ौरतलब है कि यूपी के बदायूं ज़िले के शेख़ूपुर विधानसभा क्षेत्र के दो गांवों-नारौ और मिलाल नांगला के लोगों ने विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में दूषित पानी की आपूर्ति को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था।

इंडिया साइंस वायर की ओर से मई 2019 में किये गये एक अध्ययन में कहा गया है कि यूपी में 2.34 करोड़ से ज़्यादा लोग 40 ज़िलों में फैले भूजल में आर्सेनिक के उच्च स्तर के संपर्क में हैं।ऐसे ही ज़िलों में से एक लखीमपुर खीरी भी है।

प्रभावित आबादी का एक बड़ा हिस्सा राज्य के उन ग्रामीण इलाक़ों में रहता है, जहां स्वीकार्य सीमा से कहीं ज़्यादा आर्सेनिक के स्तर वाले पानी के संशोधित किये जाने की कोई सुविधा नहीं है। इन इलाक़ों में कुछ ग़ैर-सरकारी संगठन काम ज़रूर करते हैं, लेकिन यहां फ़ौरी तौर पर काम करने की इसलिए ज़रूरत है, क्योंकि यह मानव जीवन के लिए बेहद ख़तरनाक़ है।

वाराणसी में रहने वाले और लखीमपुर खीरी इलाक़े में काम कर चुके जल विशेषज्ञ सौरभ सिंह का कहना है कि अलग-अलग कारणों से यहां का जल स्तर पहले ही प्रदूषित हो चुका है।

उनका कहना है कि चीनी मिलें और शराब बनाने वाले कारखाने बिना संशोधित किये हुए पानी को डंप कर देते हैं और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हैं।

वह कहते हैं, "सरकार के तयशुदा मानकों के मुताबिक़, चीनी मिलों या शराब बनाने वाले कारखानों या किसी भी तरह की औद्योगिक इकाई में जल शोधन संयंत्र होने चाहिए, लेकिन ये उद्योग इन संयंत्रों को संचालित इसलिए नहीं करते हैं, क्योंकि वे बिजली बिल से बचना चाहते हैं। ये समस्यायें दरअस्ल औद्योगिक आपदायें हैं। ये उद्योग पहले धरती से रोज़ाना बड़ी मात्रा में पानी निकालते हैं और फिर पानी को बिना शोधित किये कहीं भी फेंक देते हैं, जिससे जमीन में यह दूषित पानी रिसता रहता है।'

वह आगे कहते हैं कि इस पर तुरंत रोक लगाने की ज़रूरत है, क्योंकि आर्सेनिक की समस्या राज्य भर की आबादी के एक बड़े हिस्से को प्रभावित कर रही है।

सिंह कहते हैं, "लोगों में लीवर की बीमारी, गैस्ट्रो से जुड़ी समस्याओं आदि जैसे स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां पैदा हो रही हैं। इस संदूषण का नतीजा मां के पेट में बच्चों के मर जाने और अनियमित मासिक चक्र के रूप में भी सामने आता है।"

इन सभी समस्याओं की जड़ इन कार्यों में ठेका प्रणाली का होना है, क्योकि ऐसे में इन कार्यों को विशेषज्ञों की ओर से अंजाम नहीं दिया जाता है।

वह कहते हैं, ''सरकार को विशेषज्ञ समितियां गठित करने और उस पर काम करने की ज़रूरत है, क्योंकि अनुबंध प्रक्रिया में केवल उन एआरयू संयंत्रों का इस्तेमाल होता है, जो कि एक साल के भीतर ख़राब हो जाते हैं।''

इस गांव वालों के लिए कोई दुल्हन नहीं

इस समस्या के बीच धरोरा गांव में रहने वालों को एक और समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या को देखते हुए दूसरे गांवों के लोग इस गांव में शादी करने से इन्कार कर रहे हैं।

गांव के एक दूसरे किसान छोटे लाल यादव का कहना है कि इस गांव में ऐसे 20 से ज़्यादा पुरुष हैं, जिनकी शादी पानी की इस समस्या की वजह से नहीं हो पायी।

"लोग पानी की समस्या के चलते इस गांव में अपनी बेटियों की शादी नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि वे दूषित पानी के लम्बे समय तक पड़ने वाले प्रभावों को जानते हैं।"

उन्होंने कहा, 'हमने इस समस्या की शिकायत ग्राम प्रधान और चीनी मिल से की है, लेकिन हमारी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।

इस बारे में जानने के लिए ग्राम प्रधान को पांच बार फ़ोन किया गया,लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

इस ज़िले में राज्य में चल रहे चुनावों के चौथे चरण का चुनाव 23 फ़रवरी को होना है। पिछले कुछ सालों से यह समस्या यहां बनी हुई है,लेकिन यह अभी तक एक चुनावी मुद्दा नहीं बन पाया है। ऐसा लगता है कि किसी भी पार्टी ने इसे अपने एजेंडे का हिस्सा नहीं बनाया है, जिससे ग्रामीणों को स्वास्थ्य से जुड़े ख़तरे का सामना करना पड़ रहा है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

UP Elections: Contaminated Water, Allegedly Due to a Sugar Mill, Causing Health Issues in a Lakhimpur Kheri Village

Lakhimpur Kheri
Contaminated Water
Sugar mills
Bad Water
UP elections
Marriage
Health Hazard
Health Issues

Related Stories

पक्ष-प्रतिपक्ष: चुनाव नतीजे निराशाजनक ज़रूर हैं, पर निराशावाद का कोई कारण नहीं है

क्या BJP के अलावा कोई विकल्प नहीं ?

विधानसभा चुनाव: एक ख़ास विचारधारा के ‘मानसिक कब्ज़े’ की पुष्टि करते परिणाम 

यूपी चुनाव: सोनभद्र और चंदौली जिलों में कोविड-19 की अनसुनी कहानियां हुईं उजागर 

यूपी: चुनावी एजेंडे से क्यों गायब हैं मिर्ज़ापुर के पारंपरिक बांस उत्पाद निर्माता

यूपी चुनाव : मिर्ज़ापुर के ग़रीबों में है किडनी स्टोन की बड़ी समस्या

यूपी का रणः उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबलियों का वर्चस्व, बढ़ गए दागी उम्मीदवार

यूपी चुनाव, पांचवां चरण: अयोध्या से लेकर अमेठी तक, राम मंदिर पर हावी होगा बेरोज़गारी का मुद्दा?

यूपी चुनाव : अयोध्या के प्रस्तावित  सौंदर्यीकरण में छोटे व्यापारियों की नहीं है कोई जगह

यूपी चुनाव 2022 : आवारा पशु हैं एक बड़ा मुद्दा


बाकी खबरें

  • left
    अनिल अंशुमन
    झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान
    01 Jun 2022
    बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दोनों राज्यों में अपना विरोध सप्ताह अभियान शुरू कर दिया है।
  • Changes
    रवि शंकर दुबे
    ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च
    01 Jun 2022
    वाहनों के बीमा समेत कई चीज़ों में बदलाव से एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। इसके अलावा ग़रीबों के राशन समेत कई चीज़ों में बड़ा बदलाव किया गया है।
  • Denmark
    पीपल्स डिस्पैच
    डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान
    01 Jun 2022
    वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, यूरोपीय संघ के समर्थक वर्गों के द्वारा डेनमार्क का सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने की नीति को समाप्त करने और देश को ईयू की रक्षा संरचनाओं और सैन्य…
  • सत्यम् तिवारी
    अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"
    01 Jun 2022
    अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज के एस आर ख़ालिद का कॉलेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एबीवीपी ने उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी। कॉलेज की जांच कमेटी गुरुवार तक अपनी…
  • भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    मुंह का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम ग़ैर-संचारी रोगों में से एक है। भारत में पुरूषों में सबसे ज़्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रूप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License