NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विधानसभा चुनाव
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
यूपी चुनाव : माताओं-बच्चों के स्वास्थ्य की हर तरह से अनदेखी
देश में डिलीवरी के दौरान मातृ मृत्यु दर 113 है। जबकि उत्तर प्रदेश में यही आंकड़ा देश की औसत दर से कहीं ज़्यादा 197 है। मातृ मृत्यु दर के मामले में उत्तर प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है।
राज कुमार
04 Mar 2022
health sector in up
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

चुनाव के माहौल में भारता माता के जयकारों से कान फोड़ देने वाली भाजपा उन वास्तविक माताओं के बारे में चुप है जो सचमुच जन्म देती हैं। वो माताएं जो गर्भवती होती हैं। जिन वास्तविक माताओं की कोख से ये समस्त उम्मीदवार और मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री भी पैदा हुए हैं। माताओं से पैदा होकर अब माताओं के स्वास्थ्य के मुद्दे पर सब ख़ामोश हैं। अच्छा हो अगर चुनावी रैली में भारत माता के जयकारे के साथ ही तमाम माननीय मंच से ये भी बताएं कि उत्तर प्रदेश में गर्भवती महिलाओं में कितना हिमोग्लोबिन होता है? कितनी महिलाएं बच्चे को जन्म देते हुए खुद अपनी जान खो बैठती हैं? कितनी गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं और उचित देखभाल मिल पाती हैं? लेकिन इस मुद्दे पर पूरे चुनाव में गजब का सन्नाटा है। जिस तरह से परिवारों में महिलाओं के स्वास्थ्य को अनदेखा कर दिया जाता है ठीक उसी तरह से देश-प्रदेश के स्तर पर हो रहा है। लगता है देश-प्रदेश पितृसत्तात्मक परिवार का ही विस्तार हो गया है।

यही स्थिति बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण के मुद्दे पर है। बुलडोज़र, माफिया, 80 बनाम 20 और गर्मी निकालने वाली चुनावी धक्कम-पेल ने उत्तर प्रदेश के बच्चों को हाशिये से भी दूर ठेल दिया है? पांच साल से कम उम्र के बच्चे अपनी बात रखने की स्थिति में नहीं होते हैं और राजनीति में ऐसे नेता भी नहीं हैं जो उनकी तरफ से सोच सकें। अगर ऐसा होता तो बुलडोज़र की बजाय रंगीन गुब्बारों की चर्चा होती। वैसे भी बच्चे शायद ही कभी किसी चुनावी चर्चा का हिस्सा बन पाते हैं। लेकिन फिर भी सवाल तो बनता है कि पांच साल से कम उम्र के जिन बच्चों को भगवान का रूप माना जाता है, उन बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में और उन्हें जन्म देने वाली माताओं के स्वास्थ्य के बारे में हमारी सरकारें इतनी उदासीन और ग़ैर-ज़िम्मेदार क्यों हैं? 

यह भी पढ़ें : फ़ैक्ट चेकः योगी आदित्यनाथ ने जर्जर स्कूल की तस्वीर ग़लत दावे के साथ साझा की

उत्तर प्रदेश मातृ मृत्यु दर में देश में दूसरे नंबर पर

नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे की वर्ष 2020-21 रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश की मात्र 22% महिलाओं को 100 दिन या इससे अधिक समय तक आयरन फॉलिक एसिड की टेबलेट मिल पाती है। 180 दिन या इससे अधिक समय तक मात्र 9.7% महिलाओं को ही आयरन फॉलिक एसिड की टेबलेट मिल पाती है। डिलीवरी के दौरान सरकारी अस्पताल में भी परिवार को औसतन 2300 रुपये खर्च करने पड़ते है। उत्तर प्रदेश की 15-49 आयु वर्ग की 45.9%गर्भवती महिलाएं ख़ून की कमी की शिकार हैं। देश में डिलीवरी के दौरान मातृ मृत्यु दर 113 है। जबकि उत्तर प्रदेश में यही आंकड़ा देश की औसत दर से कहीं ज्यादा 197 है। मातृ मृत्यु दर के मामले में उत्तर प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश में बच्चे को जन्म देते हुए जिन महिलाओं की मृत्यु हो जाती है उनमें से 65% महिलाओं की उम्र मात्र 20 से 29 वर्ष है। ये तमाम आंकड़े मातृ स्वास्थ्य की गंभीर हालत की तरफ इशारा कर रहे हैं। लेकिन बड़े दुख की बात है कि मातृ स्वास्थ्य कभी सरकारों की प्राथमिकता और चुनावी एजेंडा नहीं बन पाता।

बच्चों में कुपोषण को लेकर उत्तर प्रदेश देश में नंबर वन

उत्तर प्रदेश में नवजात शिशु मृत्यु दर 35.7 है। शिशु मृत्यु दर 50.4 और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 59.8 है। तीनों ही स्थितियों में उत्तर प्रदेश की मृत्यु दर देश की औसत मृत्यु दर से काफी ज्यादा है। उत्तर प्रदेश में 6-23 महीने के आयु वर्ग के मात्र 6.1% शिशुओं को ही पर्याप्त आहार मिल पाता है। पांच साल से कम उम्र के 39.7% बच्चों का कद उनकी उम्र के हिसाब से नहीं बढ़ता, शारीरिक विकास बाधित है। पांच साल से कम आयु वर्ग के 32.1% बच्चे कमवजनी (अंडरवेट) हैं। यानी उत्तर प्रदेश का लगभग हर तीसरा बच्चा कमवजनी है। ये आंकड़ें उत्तर प्रदेश के बच्चों के पोषण के हालात को साफ-साफ बयां कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें :  फ़ैक्ट चेकः योगी का दावा ग़लत, नहीं हुई किसानों की आय दोगुनी

17 दिसंबर 2021 को महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बच्चों में कुपोषण और आंगनवाड़ी के बारे में जानकारी दी थी। जिसके अनुसार देश में अति गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा है। स्मृति ईरानी के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार देश में कुल 8,99,831 अति गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे हैं। जिनमें से 3,55,314 बच्चे अकेले उत्तर प्रदेश में हैं। यानी बच्चों में कुपोषण के मामले में उत्तर प्रदेश देश में पहले नंबर है और देश के कुल कुपोषित बच्चों का लगभग 40% अकेले उत्तर प्रदेश की आंगनवाड़ियों में है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। वे सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

Uttar pradesh
UP Assembly Elections 2022
health care facilities
UP Health Sector
Health of Mothers and Children
National Family Health Survey
malnutrition in children
Malnutrition in UP

Related Stories

‘’पोस्टल बैलेट में सपा को 304 सीटें’’। क्या रंग लाएगा अखिलेश का दावा?

विधानसभा चुनाव परिणाम: लोकतंत्र को गूंगा-बहरा बनाने की प्रक्रिया

पक्ष-प्रतिपक्ष: चुनाव नतीजे निराशाजनक ज़रूर हैं, पर निराशावाद का कोई कारण नहीं है

पांचों राज्य में मुंह के बल गिरी कांग्रेस अब कैसे उठेगी?

विचार: क्या हम 2 पार्टी सिस्टम के पैरोकार होते जा रहे हैं?

उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!

CSDS पोस्ट पोल सर्वे: भाजपा का जातिगत गठबंधन समाजवादी पार्टी से ज़्यादा कामयाब

यूपी: सत्ता के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने वाली महिलाओं का संघर्ष हार-जीत से कहीं आगे है

BJP से हार के बाद बढ़ी Akhilesh और Priyanka की चुनौती !

यूपी चुनाव: नतीजे जो भी आयें, चुनाव के दौरान उभरे मुद्दे अपने समाधान के लिए दस्तक देते रहेंगे


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    बीमार लालू फिर निशाने पर क्यों, दो दलित प्रोफेसरों पर हिन्दुत्व का कोप
    21 May 2022
    पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के दर्जन भर से अधिक ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी का राजनीतिक निहितार्थ क्य है? दिल्ली के दो लोगों ने अपनी धार्मिक भावना को ठेस लगने की शिकायत की और दिल्ली…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी पर फेसबुक पर टिप्पणी के मामले में डीयू के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को ज़मानत मिली
    21 May 2022
    अदालत ने लाल को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि जमा करने पर राहत दी।
  • सोनिया यादव
    यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?
    21 May 2022
    प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक खुद औचक निरीक्षण कर राज्य की चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। हाल ही में मंत्री जी एक सरकारी दवा गोदाम पहुंचें, जहां उन्होंने 16.40 करोड़…
  • असद रिज़वी
    उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण
    21 May 2022
    भारत निर्वाचन आयोग राज्यसभा सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा  करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है। मतदान 10 जून को…
  • सुभाष गाताडे
    अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !
    21 May 2022
    ‘धार्मिक अंधविश्वास और कट्टरपन हमारी प्रगति में बहुत बड़े बाधक हैं। वे हमारे रास्ते के रोड़े साबित हुए हैं। और उनसे हमें हर हाल में छुटकारा पा लेना चाहिए। जो चीज़ आजाद विचारों को बर्दाश्त नहीं कर सकती,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License