NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विधानसभा चुनाव
भारत
राजनीति
यूपी चुनावः सुल्तानपुर चीनी मिल राज्य सरकार की अनदेखी से हुई जर्जर
"सुल्तानपुर चीनी मिल के सही ढ़ंग से न चलने की वजह से इस इलाके के गन्ने की उपज प्राइवेट क्रशर मशीन में किसान मजबूरन दे देते हैं जहां से उनको गन्ने की कीमत आधी या दो-तिहाई ही मिल पाती है।"
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
21 Feb 2022
sultanpur
फ़ोटो साभार: अमर उजाला

उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों के कायाकल्प करने को लेकर योगी सरकार में बड़े-बड़े वादे और घोषणाएं की गईं, लेकिन राज्य के अन्य चीनी मिलों की तरह सुल्तानपुर चीनी मिल की स्थिति में अब तक कोई सुधार नहीं हुआ। सुल्तानपुर में वर्ष 1984 में स्थापित किसान सहकारी चीनी मिल राज्य सरकार की अनदेखी के चलते आज जर्जर स्थिति में है। इसके चलते यहां के गन्ना किसानों की समस्या जस की तस बनी हुई है। इन किसानों को पिछले एक साल से भुगतान नहीं हो पाया है जिससे वे परेशान हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मिल का घाटा भी करीब दो अरब तक पहुंच गया है। चुनावों की तारीख की घोषणा से ठीक पहले बीते साल दिसंबर में राज्य सरकार द्वारा इस मिल के जीर्णोद्धार की घोषणा की गई थी।

गन्ने की कीमत आधी या दो-तिहाई ही मिल पाती है

सीपीआइएम सुल्तानपुर के जिला मंत्री नरोत्तम शुक्ला इस मिल को लेकर कहते हैं, "जनपद में इंडस्ट्री के नाम पर आज तक केवल एक ही किसान सहकारी चीनी मिल है और ये भी कभी-कभार चलती है। कहा जाए तो एक हफ्ते चलती है तो दो हफ्ते बंद रहती है। इसका कैंपस काफी बड़ा है लेकिन योगी सरकार ने इस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया। इसकी पेराई की काफी कम क्षमता है। इस मिल में गन्ना देने वाले किसानों का पिछले एक साल से भुगतान नहीं हुआ है जिसके चलते वे मिल की चक्कर काट रहे हैं। इस मिल के सही ढ़ंग से न चलने की वजह से इस इलाके के गन्ने की उपज प्राइवेट क्रशर मशीन में किसान मजबूरन दे देते हैं जहां से उनको गन्ने की कीमत आधी या दो-तिहाई ही मिल पाती है।"

उन्होंने आगे कहा कि, "सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसको लेकर कुछ घोषणाएं जरूर की हैं लेकिन अभी तक इस पर काम शुरू नहीं है। इसकी हालत पहले की तरह जर्जर बनी हुई है।"

जर्जर हालत के चलते गन्ना दूसरे मिल को स्थानांतरण

इस चीनी मिल की जर्जर हालत को लेकर गन्ना विभाग ने गत दिसंबर में विक्रय के लिए जिले के 14 केंद्रों का गन्ना हैदरगढ़ के बाराबंकी की चीनी मिल को स्थानांतरित कर दिया था। विभाग के मुताबिक वर्ष 2020 में भी इन केंद्रों का गन्ना हैदरगढ़ चीनी मिल को स्थानांतरित कर दिया गया था। स्थानांतरण के बावजूद किसान सहकारी चीनी मिल बचे हुए गन्ने की पेराई नहीं कर सकी थी।

बीते वर्ष नवंबर में विक्रय के लिए गन्ना बाराबंकी जिले के हैदर गढ़ की प्राइवेट चीनी मिल में स्थानांतरण को लेकर गन्ना किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया था। विरोध में किसानों ने अपने गन्ने को आग लगाकर नाराजगी जाहिर की थी। किसानों का आरोप था कि गन्ना अधिकारी सुल्तानपुर में गन्ना लेने के बजाय बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ की प्राइवेट चीनी मिल में गन्ना भेजने का दबाव बना रहे थे। गन्ना किसानों ने इसके विरोध में कई दिनों तक प्रदर्शन किया था। किसानों ने जिला गन्ना अधिकारी और हैदरगढ़ की प्राइवेट चीनी मिल प्रबंधन से मिलीभगत का आरोप लगाया था।

आला अधिकारियों से भी की शिकायत

किसानों की तरफ से इस मामले में आला अधिकारियों से भी कई बार शिकायत की गई लेकिन इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकल सका। जिसके बाद किसानों ने प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार किया था।

मिल की पेराई क्षमता 12 हजार 500 क्विंटल

मौजूदा समय में किसान सहकारी चीनी मिल की 24 घंटे की पेराई क्षमता करीब 12 हजार 500क्विंटल है। इतनी अधिक क्षमता होने के बावजूद मिल जर्जर होने के चलते पेराई नहीं कर पा रही है। मिल के आए दिन खराब होने से पेराई के दौरान किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह से किसानों का गन्ने की खेती से मोहभंग होता जा रहा है।

वेतन को लेकर मिल कर्मियों ने किया था प्रदर्शन

इस वर्ष जनवरी महीने की शुरूआत में किसान सहकारी चीनी मिल में गन्ने की पेराई उस समय ठप हो गई थी जब चीनी मिल कर्मियों ने 34 महीने के वेतन के भुगतान आदि को लेकर चक्का जाम करते हुए प्रदर्शन किया था। ज्ञात हो कि इस प्रदर्शन में तीन सौ से अधिक कर्माचारी शामिल हुए थें जिनमें मिल में काम कर रहे 85 स्थाई कर्मचारी, 145 सीजनल, 50 संविदा कर्मी, 30 दैनिक हिसाब से काम करने वाले कर्मी थें।

Uttar pradesh
UP Assembly Elections 2022
Sultanpur
Sultanpur Sugar Mill

Related Stories

‘’पोस्टल बैलेट में सपा को 304 सीटें’’। क्या रंग लाएगा अखिलेश का दावा?

विधानसभा चुनाव परिणाम: लोकतंत्र को गूंगा-बहरा बनाने की प्रक्रिया

पक्ष-प्रतिपक्ष: चुनाव नतीजे निराशाजनक ज़रूर हैं, पर निराशावाद का कोई कारण नहीं है

पांचों राज्य में मुंह के बल गिरी कांग्रेस अब कैसे उठेगी?

विचार: क्या हम 2 पार्टी सिस्टम के पैरोकार होते जा रहे हैं?

उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!

CSDS पोस्ट पोल सर्वे: भाजपा का जातिगत गठबंधन समाजवादी पार्टी से ज़्यादा कामयाब

यूपी: सत्ता के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने वाली महिलाओं का संघर्ष हार-जीत से कहीं आगे है

BJP से हार के बाद बढ़ी Akhilesh और Priyanka की चुनौती !

यूपी चुनाव: नतीजे जो भी आयें, चुनाव के दौरान उभरे मुद्दे अपने समाधान के लिए दस्तक देते रहेंगे


बाकी खबरें

  • उपेंद्र स्वामी
    दुनिया भर की: गर्मी व सूखे से मचेगा हाहाकार
    29 Apr 2022
    जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया के कई इलाके इस समय भीषण सूखे की चपेट में हैं। सूखे के कारण लोगों के पलायन में 200 फीसदी वृद्धि होने का अनुमान है।
  • भाषा
    दिल्ली दंगा : अदालत ने ख़ालिद की ज़मानत पर सुनवाई टाली, इमाम की याचिका पर पुलिस का रुख़ पूछा
    29 Apr 2022
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने देशद्रोह के कानून की संवैधानिक वैधता पर उच्चतम न्यायालय के समक्ष आगामी सुनवाई के मद्देनजर सुनवाई टाल दी और इसी मामले में शरजील इमाम की जमानत अर्जी पर दिल्ली पुलिस का रुख पूछा।
  • विजय विनीत
    इफ़्तार को मुद्दा बनाने वाले बीएचयू को क्यों बनाना चाहते हैं सांप्रदायिकता की फैक्ट्री?
    29 Apr 2022
    "बवाल उस समय नहीं मचा जब बीएचयू के कुलपति ने परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन और अनुष्ठान किया। उस समय उन पर हिन्दूवाद के आरोप चस्पा नहीं हुए। आज वो सामाजिक समरसता के लिए आयोजित इफ़्तार…
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    उत्तर प्रदेश: बुद्धिजीवियों का आरोप राज्य में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने का फ़ैसला मुसलमानों पर हमला है
    29 Apr 2022
    राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों द्वारा धार्मिक उत्सवों का राजनीतिकरण देश के सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर देगा।
  • कुमुदिनी पति
    नई शिक्षा नीति से सधेगा काॅरपोरेट हित
    29 Apr 2022
    दरअसल शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह से सरकार द्वारा बिना संसद में बहस कराए ताबड़तोड़ काॅरपोरेटाइज़ेशन और निजीकरण किया जा रहा है, उससे पूरे शैक्षणिक जगत में असंतोष व्याप्त है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License