NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
चुनाव 2022
विधानसभा चुनाव
भारत
राजनीति
यूपी चुनाव: जिसके सर होगा पूर्वांचल का हाथ, वही करेगा यूपी में राज!
देश का सबसे बड़ा सियासी सूबा उत्तर प्रदेश हर बार यही सोचता है कि इस बार तो विकास पर चुनाव होंगे, लेकिन गाड़ी आकर आखिरकार जातिवाद पर ही अटक जाती है, ऐसे में पूर्वांचल का जातीय समीकरण हर बार राजनीतिक दलों को परेशान करता है, इस बार भी सभी दल जातियों के हिसाब से टिकट बांटने में जुटे हुए हैं..
रवि शंकर दुबे
29 Jan 2022
uttarpradesh

देश हो या फिर प्रदेश, जब सियासत के पन्ने पलटे जाते हैं तो, जो नाम सबसे मोटे अक्षरों में दिखाई पड़ता है, वो हैं उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल। क्योंकि इतिहास गवाह है कि लाल किले से भाषण देना हो, या फिर लखनऊ की कुर्सी संभालनी हो, पूर्वांचल का सहारा लेना ही पड़ेगा।

इन दिनों भी सभी राजनीतिक पार्टियां पूर्वांचल के गणित को अपने-अपने हिसाब से हल करने में लगी हुई हैं, अब किसके नंबर ज्यादा आते हैं, ये 10 मार्च को पता चलेगा।

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे बनेगा लखनऊ का रास्ता?

आपको तो याद ही होगा कि कैसे कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर एक ग्रैंड एंट्री के साथ करीब 45 मिनट का भाषण दिया था, और पूर्वांचल एक्सप्रेस को लखनऊ का रास्ता बताया था। क्योंकि लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, अयोध्या, अंबेडकरनगर, सुल्तानपुर, मऊ, आजमगढ़ और गाजीपुर से गुज़रने वाला 341 किलोमीटर लंबा ये एक्सप्रेस-वे सीधे-सीधे 68 विधानसभा सीटों को कवर करता है। लेकिन इसका असर पूर्वांचल की सभी सीटों पर देखा जा सकता है। ऐसे में इसे मुद्दा बनाना लाज़मी था। लेकिन जैसे ही यूपी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य इस्तीफा देकर अखिलेश की साइकिल पर बैठते हैं, बीजेपी का ये मुद्दा धराशाई हो जाता है।

पहले पिछले विधानसभा चुनाव परिणाम पर एक नज़र डालते हैं फिर समझते हैं ज़ातियों का समीकरण

पूर्वांचल का चुनावी गणित

पूर्वांचल के कुल 26 जिलों में 156 विधानसभा सीटें हैं। साल 2017 में भाजपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य और ओमप्रकाश राजभर का साथ लेकर पूर्वांचल की 106 सीटों पर कब्ज़ा कर लिया था। जबकि समाजवादी पार्टी को 18, बहुजन समाजवादी पार्टी को महज 12,  कांग्रेस पार्टी को 4 और अपना दल को 8 सीटें मिली थीं।

शाह के फॉर्मूले से ही अखिलेश का वार

जिस तरह साल 2017 में अमित शाह ने पिछड़ों और अति पिछड़ों को अपने पाले में खड़ा कर एक नया राजनीतिक फार्मूला इजाद किया था, पटेल, मौर्य, चौहान, राजभर और निषाद जैसी जातियों के प्रमुख राजनीतिक चेहरों को अपने साथ लिया था। उसी फॉर्मूलों को अब अखिलेश ने लागू कर दिया है।

इसे दो बिंदुओं में समझिए:

* सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अपने समाज के बड़े नेताओं में से एक हैं, वाराणसी, आजमगढ़, गोरखपुर और देवीपाटन मंडल की विधानसभा सीटों में राजभर समाज का जोर है। दावे हैं कि पूर्वांचल की 20 से ज्यादा जिलों में किसी भी पार्टी का माहौल बना और बिगाड़ सकते हैं।

* कुशीनगर की पडरौना विधानसभा से विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक दखल रायबरेली और शाहजहांपुर होते हुए बदायूं तक माना जाता है, मौर्य बिरादरी के मतदाता यूपी में 6 से 8 प्रतिशत बताए जाते हैं। इसमें कुशवाहा, काछी, सैनी और शाक्य आदि भी शामिल हैं।

‘दारा सिंह’ भी पलट सकते हैं बाजी

स्वामी प्रसाद मौर्य और ओमप्रकाश राजभर के अलावा भाजपा से सपा में आए दारा सिंह चौहान भी बड़ा फैक्टर साबित हो सकते हैं, दारा सिंह चौहान मऊ, बलिया और आजमगढ़ के अलावा इसके आसपास के अन्य जिलों में असर रखते हैं। इन्होंने साल 2017 में भाजपा के टिकट पर खुद तो मऊ से चुनाव जीता ही, बल्कि अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशियों के भी माहौल बनाया। इनके अलावा अपना दल के संस्थापक डॉ सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। क्योंकि कमेरा समाज के ज्यादातर लोग कहते हैं कि वो डॉ सोनेलाल की पत्नी के साथ सहानुभूति रखते हैं ऐसे में उन्हे एकतरफा वोट मिल सकता है।

कांग्रेस को झटका, सपा को जवाब

समाजवादी पार्टी के मास्टर स्ट्रोक का जवाब भाजपा ने कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा आरपीएन सिंह को अपने खेमे में शामिल करके दिया। आरपीएन सिंह कुशीनगर से आते हैं, इस जिले में विधानसभा की सात सीटें-खड्डा, पडरौना, रामकोला, कुशीनगर, हाटा, फाजिलनगर और तमकुहीराज हैं। इन सभी सीटों पर बड़ी तादाद में सैंथवार मतदाता हैं, हाटा विधानसभा क्षेत्र में करीब एक लाख 25 हजार, कुशीनगर में 65 हजार, पडरौना में 52 हजार, रामकोला में 55 हजार, सेवरही में 32 और खड्डा में करीब 33 हजार मतदाता कुर्मी-सैंथवार बिरादरी के हैं। इन सीटों पर सैंथवार समाज का झुकाव जिस पार्टी की तरफ होता है, उसकी जीत की राह आसान हो जाती है। वहीं दूसरी ओर अब आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद पडरौना का चुनावी मुकाबला दिलचस्प भी दिलचस्प हो गया है। कहते हैं कि पडरौना आरपीएन सिंह का गढ़ है, लेकिन मौर्य इस सीट पर मौजूदा विधायक हैं। तो वहीं आरपीएन सिंह भी पडरौना से विधायक रह चुके हैं।

खेल कर सकते हैं निषाद

कभी डिप्टी सीएम पद के लिए अड़े निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी पूर्वांचल में अच्छा प्रभाव रखते हैं, गंगा किनारे वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाके में निषाद समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। साल 2016 में गठित निषाद पार्टी का खासकर निषाद, केवट, मल्लाह, बेलदार और बिंद बिरादरियों में अच्छा असर माना जाता है। गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, जौनपुर, संत कबीरनगर, बलिया, भदोही और वाराणसी समेत 16 जिलों में निषाद समुदाय के वोट जीत-हार में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं।

बीजेपी का तोहफे वाला प्लान

जातियों में उलझा पूर्वांचल हर सियासी दल के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं, इसे भाजपा बखूबी समझती है, यही कारण है सत्ता में फिर वापसी के लिए प्रधानमंत्री भी पिछले लंबे वक्त से उत्तर प्रदेश में ही घूम रहे हैं और एक के बाद एक तोहफे दिए जा रहे हैं। जिसमें काशी को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, कुशीनगर में एयरपोर्ट की सौगात, सिद्धार्थनगर में मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण, मां अन्नपूर्णा की मूर्ति वापसी मुख्य रूप से शामिल हैं।

हालांकि मुद्दों पर चुनाव न लड़कर मंदिर-मस्जिद के सहारे सत्ता पाना भी भाजपा का अपना तरीका है, इसी वजह से एक बार फिर राम मंदिर को ज़ोरों-शोरों से इस्तेमाल किया जा रहा है।

पूर्वांचल के मुख्य मुद्दे

अब नेताओं से थोड़ा दूर अगर यहां मुख्य मुद्दों पर नज़र डालें तो, पिछड़ापन, बेराजगारी और विकास सबसे बड़ा मुद्दा है। रोजगार के लिए पलायन, आवारा पशु, किसानों की बदहाली और अपराध भी मुद्दा है। हैरानी की बात ये है कि यही मुद्दे पिछले चुनावों में भी थे, और इस बार भी यही मुद्दे हैं, यानी पांच साल बीत गए और पूर्वांचल को मिला है तो सिर्फ झांसा।

सभी को पता है कि पूर्वांचल जातियों का मकड़जाल है, और इस मकड़जाल में खुद को स्थापित करना भी बेहद ज़रूरी है, यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी ने जब 2014 में देश की सत्ता संभाली तो प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वांचल की वाराणसी सीट को चुना। इसके बाद जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हुए बिना चेहरे के लड़कर जीती भाजपा ने मुख्यमंत्री भी पूर्वांचल का ही निकाला। जो महज़ एक संयोग नहीं बल्कि सधा हुआ प्रयोग है।

भाजपा का ये सधा हुआ प्रयोग उत्तर प्रदेश में कितना उपयोगी होगा, वक्त तय कर देगा, लेकिन इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि जो बड़े नाम भाजपा से अलग हुए हैं, वो थोड़ा बहुत ही सही लेकिन अपना असर ज़रूर छोड़ेंगे। 

UttarPradesh
UP Assembly Elections 2022
Purvanchal
BJP
Congress
SP
BSP

Related Stories

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

हार के बाद सपा-बसपा में दिशाहीनता और कांग्रेस खोजे सहारा

यूपीः किसान आंदोलन और गठबंधन के गढ़ में भी भाजपा को महज़ 18 सीटों का हुआ नुक़सान

BJP से हार के बाद बढ़ी Akhilesh और Priyanka की चुनौती !

यूपी के नए राजनीतिक परिदृश्य में बसपा की बहुजन राजनीति का हाशिये पर चले जाना

जनादेश-2022: रोटी बनाम स्वाधीनता या रोटी और स्वाधीनता

पंजाब : कांग्रेस की हार और ‘आप’ की जीत के मायने

यूपी चुनाव : पूर्वांचल में हर दांव रहा नाकाम, न गठबंधन-न गोलबंदी आया काम !

उत्तराखंड में भाजपा को पूर्ण बहुमत के बीच कुछ ज़रूरी सवाल


बाकी खबरें

  • लाल बहादुर सिंह
    सावधान: यूं ही नहीं जारी की है अनिल घनवट ने 'कृषि सुधार' के लिए 'सुप्रीम कमेटी' की रिपोर्ट 
    26 Mar 2022
    कारपोरेटपरस्त कृषि-सुधार की जारी सरकारी मुहिम का आईना है उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट। इसे सर्वोच्च न्यायालय ने तो सार्वजनिक नहीं किया, लेकिन इसके सदस्य घनवट ने स्वयं ही रिपोर्ट को…
  • भरत डोगरा
    जब तक भारत समावेशी रास्ता नहीं अपनाएगा तब तक आर्थिक रिकवरी एक मिथक बनी रहेगी
    26 Mar 2022
    यदि सरकार गरीब समर्थक आर्थिक एजेंड़े को लागू करने में विफल रहती है, तो विपक्ष को गरीब समर्थक एजेंडे के प्रस्ताव को तैयार करने में एकजुट हो जाना चाहिए। क्योंकि असमानता भारत की अर्थव्यवस्था की तरक्की…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 1,660 नए मामले, संशोधित आंकड़ों के अनुसार 4,100 मरीज़ों की मौत
    26 Mar 2022
    बीते दिन कोरोना से 4,100 मरीज़ों की मौत के मामले सामने आए हैं | जिनमें से महाराष्ट्र में 4,005 मरीज़ों की मौत के संशोधित आंकड़ों को जोड़ा गया है, और केरल में 79 मरीज़ों की मौत के संशोधित आंकड़ों को जोड़ा…
  • अफ़ज़ल इमाम
    सामाजिक न्याय का नारा तैयार करेगा नया विकल्प !
    26 Mar 2022
    सामाजिक न्याय के मुद्दे को नए सिरे से और पूरी शिद्दत के साथ राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में लाने के लिए विपक्षी पार्टियों के भीतर चिंतन भी शुरू हो गया है।
  • सबरंग इंडिया
    कश्मीर फाइल्स हेट प्रोजेक्ट: लोगों को कट्टरपंथी बनाने वाला शो?
    26 Mar 2022
    फिल्म द कश्मीर फाइल्स की स्क्रीनिंग से पहले और बाद में मुस्लिम विरोधी नफरत पूरे देश में स्पष्ट रूप से प्रकट हुई है और उनके बहिष्कार, हेट स्पीच, नारे के रूप में सबसे अधिक दिखाई देती है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License