NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
सीतापुर महापंचायत: अवध में दस्तक के बाद पूर्वांचल की राह पकड़ेगा किसान आंदोलन
पूर्वांचल के जिलों के लिए यह आंदोलन ख़ास मायने रखता है क्योंंकि पश्चिमी यूपी की तरह न तो यहां कोई सशक्त किसान संगठन है जो किसानों के सवालों के लिए लड़ता रहे और न ही यहां पश्चिमी यूपी की तरह अनाज मंडियां है और न ही यहां किसान को अपनी फसल का उचित दाम मिल पाता है।
सरोजिनी बिष्ट
21 Sep 2021
kisan andolan

"हम अच्छे से जानते हैं हम यहां क्यूं आए हैं... हमें न तो फुसलाकर लाया गया है और न ही लालच देकर हम अपने सवालों के साथ मोदी योगी से जवाब लेने आए हैं...." किसान महापंचायत में पहुंची इन महिलाओं की करारी बातों को गोदी मीडिया, सरकार और अन्य सरकार समर्थकों को ध्यान से सुनना चाहिए बिना कोई रुकावट पेश करते हुए।

तो आपको हम बता दें ये महिलाएं कौन हैं और कहां पहुंची थीं। लखनऊ से सटे सीतापुर में 20 सितम्बर को संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आर एम पी इंटर कॉलेज के मैदान में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया जिसमें सीतापुर, बहराइच, लखीमपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, हरदोई समेत उत्तराखंड के रुद्रपुर जिले से आए हजारों किसानों ने शिरकत की जिसमें महिला पुरुष दोनों शामिल थे।

महापंचायत में राकेश टिकैत, मेधा पाटकर, डॉ. सुनीलम, संदीप पाण्डेय समेत कई किसान संगठनों के नेता पहुंचे थे।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से होता हुआ यह किसान आंदोलन अब अवध पहुंच चुका है इसके बाद पूर्वांचल तक जाएगा। तो कुल मिलाकर योगी सरकार के लिए यह किसान आंदोलन एक बड़ी चुनौती बन चुका है। पूर्वांचल के जिलों के लिए यह आंदोलन खास मायने रखता है क्योंंकि पश्चिमी यूपी की तरह न तो यहां कोई सशक्त किसान संगठन है जो किसानों के सवालों के लिए लड़ता रहे और न ही यहां पश्चिमी यूपी की तरह अनाज मंडियां है और न ही यहां किसान को अपनी फसल का उचित दाम मिल पाता है।

सीतापुर जिले के पिसावा ब्लॉक से किसान महापंचायत में आई बटोली कहती हैं हम छोटे जोत वाले किसान हैं बड़ी मेहनत से खाने भर तक का अनाज पैदा कर पाते हैं उस पर भी रात दिन आवारा मवेशियों का डर बना रहता है वह आकर हमारी फसलें नष्ट कर रहे हैं लेकिन जब हम उन्हें मारते हैं तो हम पर मुकदमे दर्ज हो जाते हैं और जब आवारा मवेशी जब हम पर हमला करते हैं तो उनका कुछ नहीं बिगड़ता ऐसे नाइंसाफी योगी काल में ही देखी जा रही है। बटोली कहती हैं चाहे कोई छोटा किसान हो या बड़ी जोत वाला किसान सबकी एक ही लड़ाई बन चुकी है। तो वही लखीमपुर खीरी से आए किसान बलजिंदर सिंह कहते हैं शुरू में सरकार ने कहा था कि हम किसानों की आय दोगुनी कर देंगे किसान बहुत खुश हुआ उसने सोचा गेहूं 2000 की 4000 में हो जाएगी गन्ना 325 से बढ़कर साढ़े सात सौ में पहुंच जाएगा और अन्य फसलों के दाम भी दुगनी हो जाएंगे लेकिन हो रहा है ठीक इसके विपरीत। सरकार ने खाद के दाम बढ़ा दिए यूरिया भी कम कर दिया और गन्ने का दाम तो साढ़े 3 सालों से बढ़ा ही नहीं उस पर भी पेमेंट सालों साल लटक जाता है।

बलजिंदर कहते हैं इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है आज देश भर में जो भी किसान आंदोलनरत हैं सरकार उसे किसान मान ही नहीं रहे कभी पाकिस्तानी कभी खालिस्तानी कहकर किसानों का अपमान किया गया। यहां तक कहा गया कि ये किसान नहीं आतंकवादी हैं जो एके-47 लेकर आंदोलन में बैठे हैं। वे कहते हैं मैं सरकार से यह कहना चाहता हूं और उन्हें दिखाना चाहता हूं कि मेरे पास इसी देश का वोटर आई कार्ड है मेरे पास इसी देश का आधार कार्ड है और वह तमाम सबूत हैं जो यह बताने के लिए काफी हैं कि मैं इस देश का नागरिक हूं अब सरकार यह बताए कि हम किसान कहां से दूसरे मुल्क के हुए।

शाहजहांपुर जिले से आए किसान सुखविंदर सिंह कहते हैं मेरा एक बड़ा सवाल इस योगी सरकार से यह है कि राज्य भर में जितने भी गौशाला बनाई गई है जरा सरकार स्वयं उन गौशालाओं का निरीक्षण कर ले और यह जानकारी ले लें कि उन गौशालाओं में कितने आवारा मवेशी रखे गए हैं और कितने बाहर खुले घूम रहे हैं वे कहते हैं वैसे ही खेती किसानी इतनी महंगी हो गई है उसपर खुले घूम रहे ये आवारा पशु हमारी फसलों को नष्ट कर रहे हैं लेकिन यहां की सरकार को तो लगता है की आवारा पशुओं से किसान को कोई खतरा नहीं क्योंकि सब आवारा पशु गौशालाओं में कैद हैं।

सुखविंदर कहते हैं पता नहीं सरकार को जानकारी नहीं कि वह जानकर अनजान बन रही है शुरू में भले ही आवारा पशुओं को गोशाला में रखा गया लेकिन अब तो हालात ही हो गए आज सड़कों पर लोग कम और यह आवारा पशु ज्यादा नजर आ रहे हैं। अब तो योगी जी ने भी आवारा पशुओं को बेसहारा ही छोड़ दिया है। वे कहते हैं जब प्राकृतिक आपदा हमारे फसलों को चौपट कर देती है तो सरकार की ओर से हम किसानों को मात्र 2000 रूप का भुगतान किया जाता है, तो यह कहां का न्याय है। वे कहते हैं हमारे यहां शाहजहांपुर जिले में तो जिला प्रशासन द्वारा यह फरमान जारी कर दिया गया है कि जो भी किसान आवारा पशुओं से अपनी फसल बचाने के नाम पर खेतों के इर्द-गिर्द कंटीली तारे लगाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी क्योंकि ऐसा करना पशु क्रूरता के अंतर्गत आता है, इसका मतलब यह हुआ कि किसान बे मौत मरता रहे और उल्टा दंड भी भुगते ।

इस किसान महापंचायत में कई मनरेगा मजदूर भी पहुंचे तो तो सरकार से मनरेगा की मजदूरी में वृद्धि करने की मांग कर रहे थे। किसान महापंचायत, मजदूर किसान एकता जिंदाबाद , जय जवान जय किसान के नारों से गूंजता रहा।

मीडिया से बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा कि किसान महापंचायत के जरिए ही बीजेपी सरकार के कारनामों को उजागर किया जाएगा। देश में मोदी सरकार का राज चल रहा है बीजेपी का राज नहीं चल रहा है क्योंकि बीजेपी के बड़े नेता इनके कब्जे में है, बीजेपी की सरकार होती तो वह किसानों से बातचीत करती लेकिन बड़े नेता इनकी कैद में है इसलिए किसान आंदोलन कर रहा है। अगर जरूरत पड़ी तो किसान महापंचायत के बाद नेता छुड़ाओ अभियान भी चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि, मोदी सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में कहीं भी यह बात साफ नहीं की थी कि वह किन चीजों को बेचकर प्राइवेट कर देंगे। बीजेपी सरकार किसानों पर लाठी चलाएं पर वह पीछे हटने वाले नहीं हैं।

उन्होंने किसान आंदोलन को फसल और नस्ल से जोड़ते हुए अगले 33 महीने तक लगातार आंदोलन जारी रखने की बात कही साथ ही कहा कि यह आंदोलन अब लखनऊ तक पहुंचेगा और उसके बाद अलग-अलग जगहों पर यह महापंचायत आयोजित की जाएगी।

योगी सरकार पर निशाते साधते हुए उन्होंने कहा यूपी का गुंडा ही गुंडों का बादशाह बनकर यूपी से गुंडागर्दी समाप्त करने की बात कह रहा है। यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। प्रदेश सरकार की चार साल की उपलब्धियों पर बोलते हुए कहा चार साल में गन्ने का एक भी रूपया नहीं बढ़ाया गया। इस दौरान महंगाई चरम पर पहुंच गई। अब झूठ बोलकर उपलब्धियां गिनाई जा रही है। प्रदेश सरकार को हम झूठ का स्वर्ण पदक दिलाएंगे।

उनके मुताबिक जब तक तीनों काले कानून वापस नहीं लिए जाते हैं, यह आंदोलन लगातार चलेगा। उन्होंने किसानों से कहा कि किसी भी दिन आंदोलन की धमाकेदार शुरूआत हो सकती है। इसलिए इसके लिए हम सब तैयार रहें और अपने टैक्ट्रर को तैयार रखें।

महापंचायत के मंच से यह आह्वान भी किया गया कि अब हर किसान अपने घर में किसान का झंडा लगाए। इस मंच पर किसी ने गाना गाकर अपना दर्द व्यक्त करते हुए कहा कि" बस एक तमन्ना है अगले जन्म में सरकार बनूं और तुम किसान बनो" किसान महापंचायत में आए एक छात्र ने अपनी कविता के माध्यम से सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि "जब लड़कियां जलाई जाती हैं तो सरकार को नजर नहीं आता है लेकिन जब पराली जलाई जाती है तो वो नजर आता है। किसानों के मुताबिक एक तरफ तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं पराली के जितने भी मुकदमे हैं सब खत्म किए जाएंगे लेकिन वहीं जिलाधिकारी कहते हैं हम पराली हरगिज़ जलाने नहीं देंगे, तो यह सरकार केवल और केवल किसानों को मूर्ख बनाने का काम कर रही है।

टिकैत ने उत्तर प्रदेश के हर जनपद में किसान महापंचायत करने तथा 250 रूपये प्रति क्विंटल की दर से पराली को लेकर दाम दिलाने के लिए 2 सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश में आंदोलन शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जिस तरह संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन दिल्ली में चल रहा है, उसी तरह का आंदोलन लखनऊ के आसपास के जिलों में चलाया जाएगा।

किसान पंचायत को संबोधित करते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि अडानी और अंबानी किसानों को लूट रहे हैं। सरकार किसान और किसानी को खत्म करने और गुलाम बनाने की साजिश कर रही है।

उत्तराखंड तराई संगठन के नेता तेजिंदर सिंह विर्क ने कहा कि किसानों से धान का 1940 रूपये प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य मिलना चाहिए था लेकिन उसे 1000 रुपये में धान बेचना पड़ रहा है। 5 एकड़ जमीन वाले किसान को 60,000 रूपये का नुकसान हुआ, उसके बदले में गिने-चुने किसानों को 6000 रूपये सम्मान निधि देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों को खुश करना चाहते हैं। डॉ सुनीलम ने कहा कि यदि किसानों की आत्महत्या को रोकना है, किसानों की जमीन अडानी-अंबानी की लूट से बचाना है और गन्ने का 450 रूपये प्रति क्विंटल दाम पाना है तो, संयुक्त किसान मोर्चा के साथ हर किसान को जुड़ना होगा। उन्होंने संगतिन संगठन को बधाई देते हुए कहा कि सीतापुर में मनरेगा की मजदूरी करने वाली महिलाओं ने हजारों की संख्या में भाग लेकर किसान महापंचायत को ऐतिहासिक बना दिया है।

डॉ. संदीप पांडेय ने खुले पशुओं से फसलों के नुकसान के सवाल को लेकर उत्तर प्रदेश में जारी आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि योगी सरकार गायों का इंतजाम करने को तैयार नहीं है। लेकिन इसे लेकर किसानों को प्रताड़ित करने पर आमादा कई किसान नेताओं ने कहा कि आवारा पशुओं से छुटकारा पाने के लिए किसान आवारा सरकार हटाएंगे जिसके बाद आवारा पशु अपने आप हट जाएंगे। पंजाब से आई नेत्री सोनिया मान ने कहा कि पंजाब जिस तरह से हरियाणा के साथ खड़ा है उसी तरह उत्तर प्रदेश के साथ खड़ा होगा।

इसमें दो मत नहीं कि जिस तेजी से यहां किसान आंदोलन पूरे यूपी को अपनी जद में ले रहा है उसने योगी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती तो पैदा कर ही दी है। अब जबकि कुछ महीने बाद ही राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे तो ऐसे में किसानों का आंदोलन उनके लिए खासी मुसीबतें खड़ी कर सकता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाद अवध से होते हुए पूर्वांचल जिलों में कुछ दिनों के अंदर बड़े-बड़े किसान आंदोलन होने के संकेत संयुक्त किसान मोर्चा ने दे दिए हैं अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री अपने सामने खड़ी इस चुनौती से कैसे निपटते हैं।

(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

kisan andolan
Kisan Mahapanchayat
Sitapur Mahapanchayat
Sitapur
UttarPradesh
UP election 2022
MSP
Purvanchal
rakesh tikait
Samyukt Kisan Morcha

Related Stories

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?

बलिया: पत्रकारों की रिहाई के लिए आंदोलन तेज़, कलेक्ट्रेट घेरने आज़मगढ़-बनारस तक से पहुंचे पत्रकार व समाजसेवी

पत्रकारों के समर्थन में बलिया में ऐतिहासिक बंद, पूरे ज़िले में जुलूस-प्रदर्शन

यूपी: खुलेआम बलात्कार की धमकी देने वाला महंत, आख़िर अब तक गिरफ़्तार क्यों नहीं

पेपर लीक प्रकरणः ख़बर लिखने पर जेल भेजे गए पत्रकारों की रिहाई के लिए बलिया में जुलूस-प्रदर्शन, कलेक्ट्रेट का घेराव

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सड़कों पर उतरे मज़दूर

क्यों है 28-29 मार्च को पूरे देश में हड़ताल?

28-29 मार्च को आम हड़ताल क्यों करने जा रहा है पूरा भारत ?


बाकी खबरें

  • भाषा
    कांग्रेस की ‘‘महंगाई मैराथन’’ : विजेताओं को पेट्रोल, सोयाबीन तेल और नींबू दिए गए
    30 Apr 2022
    “दौड़ के विजेताओं को ये अनूठे पुरस्कार इसलिए दिए गए ताकि कमरतोड़ महंगाई को लेकर जनता की पीड़ा सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं तक पहुंच सके”।
  • भाषा
    मप्र : बोर्ड परीक्षा में असफल होने के बाद दो छात्राओं ने ख़ुदकुशी की
    30 Apr 2022
    मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा का परिणाम शुक्रवार को घोषित किया गया था।
  • भाषा
    पटियाला में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहीं, तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का तबादला
    30 Apr 2022
    पटियाला में काली माता मंदिर के बाहर शुक्रवार को दो समूहों के बीच झड़प के दौरान एक-दूसरे पर पथराव किया गया और स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को हवा में गोलियां चलानी पड़ी।
  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    बर्बादी बेहाली मे भी दंगा दमन का हथकंडा!
    30 Apr 2022
    महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक विभाजन जैसे मसले अपने मुल्क की स्थायी समस्या हो गये हैं. ऐसे गहन संकट में अयोध्या जैसी नगरी को दंगा-फसाद में झोकने की साजिश खतरे का बड़ा संकेत है. बहुसंख्यक समुदाय के ऐसे…
  • राजा मुज़फ़्फ़र भट
    जम्मू-कश्मीर: बढ़ रहे हैं जबरन भूमि अधिग्रहण के मामले, नहीं मिल रहा उचित मुआवज़ा
    30 Apr 2022
    जम्मू कश्मीर में आम लोग नौकरशाहों के रहमोकरम पर जी रहे हैं। ग्राम स्तर तक के पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर जिला विकास परिषद सदस्य अपने अधिकारों का निर्वहन कर पाने में असमर्थ हैं क्योंकि उन्हें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License