NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपी: युवाओं को रोजगार मुहैय्या कराने के राज्य सरकार के दावे जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाते हैं!
लगभग 43 उम्मीदवारो को उत्तर प्रदेश में पिछले साल विभिन्न चिकित्सा विभागों द्वारा विभिन्न कोरोना लहरों के दौरान में रोजगार पर रखा गया था। बाद में इन्हें काम से मुक्त कर दिया गया। उन्होंने इस कदम के खिलाफ कई बार विरोध प्रदर्शन किए। राज्य के विभिन्न अधिकारियों को दर्जनों पत्र लिखकर उनकी सेवाएं एक बार फिर से बहाल करने का अनुरोध किया।
सौरभ शर्मा
06 Jan 2022
election

लखनऊ: पिछले एक महीने से शिवांगी शर्मा अपने मोबाइल फोन का (इंटरनेट) डेटा पैक भरा पाने में असमर्थ हैं क्योंकि उनका परिवार मौजूदा दौर में गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। ऐसा तब है, जब भारत के पास इस समय दुनिया की सबसे किफायती मोबाइल इंटरनेट योजनायें चल रही हैं। उत्तर प्रदेश (यूपी) में जौनपुर जिले की रहने वाली यह 21 वर्षीया निवासी तदर्थ आधार पर सफाई कर्मी के बतौर नौकरी कर रही थी, लेकिन पिछले साल जून में उन्हें अपने काम से हाथ धोना पड़ा।  दो महीने का पारिश्रमिक भी अभी तक बकाया है।शर्मा एक आर्थिक रूप से तंगहाल परिवार से आती हैं। तदर्थ रोजगार के छिन जाने से उनका अध्यापिका बनने का सपना चकनाचूर हो गया है।

“जब सरकार ने हमें दिसंबर 2020 में नियुक्त किया था तो मैं खुश थी। कोरोना की पहली लहर के दौरान विभिन्न पदों के लिए 43 पदों की रिक्तियां थीं। हमें कोरोना योद्धाओं के तौर पर सम्मानित किया गया था, लेकिन अब हमारे पास कोई नौकरी नहीं है।”

न्यूज़क्लिक से अपनी बातचीत में वे बताती हैं, “दिसंबर 2020 को अधिसूचना जारी की गई थी, और तब हमारी सेवाओं को तीन महीनों के लिए लिया गया था। हमसे कह दिया गया था कि अप्रैल में हमारी सेवाओं की जरूरत नहीं है, लेकिन फिर 3 मई को हमें फिर से बुला लिया गया। हमें जरा भी अहसास नहीं था कि यह नौकरी सिर्फ 12 दिनों के लिए थी, क्योंकि 30 मई को विभिन्न ग्रेडस के लिए तदर्थ नौकरियों के लिए चयनित सभी 43 लोगों की काम से छुट्टी कर दी गई थी।”

घर चलाने में अपने नाई का काम करने वाले पिता का हाथ बंटाने की कोशिश करने वाली शिक्षिका बनने की चाह रखने वाली इस युवती पर 21,000 रूपये का कर्ज है जिसे उन्होंने शिक्षा में स्नातक (बी.एड) कोर्स में प्रवेश पाने के लिए लिया था। शर्मा का कहना है कि उन्होंने नौकरी पाने के बाद ही इस कर्ज को लिया था और उन्हें यकीन था कि नौकरी से मिलने वाले वेतन से वे जल्द ही इस कर्ज को चुकता कर देंगी, लेकिन अब उनके सारे सपने बिखरकर चकनाचूर हो चुके हैं। 

32 वर्षीय सुजीत कुमार सरोज को भी इसी अधिसूचना के आधार पर जौनपुर चिकित्सा विभाग में एक्स-रे टेक्नीशियन के पद पर नियुक्त किया गया था और फिर उसी तरीके से उनकी भी छुट्टी कर दी गई थी।

इन सभी 43 उम्मीदवारों ने इस कदम का विरोध किया है और राज्य के विभिन्न अधिकारीयों को दर्जनों पत्र लिखकर उन्हें नौकरियों पर बहाल करने और उनकी सेवाओं को दोबारा से लेने का अनुरोध किया जा चुका है। 

वे कहते हैं, “मैंने अपने पिता की गाढ़ी कमाई का ढेर सारा पैसा खर्चकर पैरामेडिकल की पढ़ाई पूरी की है। यह बेहद शर्मनाक है कि हमारे पास नौकरियां नहीं हैं। मेरे पिता एक किसान हैं, और हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए उन्होंने कितना संघर्ष किया है, इस बात से हम बखूबी परिचित हैं। मैं एक शिक्षित व्यक्ति हूँ, और मैं जाकर मनरेगा में काम नहीं कर सकता हूँ। फिर भी, जो लोग दिहाड़ी मजदूरी पा रहे हैं वे हमसे बेहतर स्थिति में हैं क्योंकि उनके पास कम से कम आय का एक निश्चित स्रोत तो है। उन्हें हर हर दो महीने बाद नौकरी से निकाल दिए जाने का भय तो नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “जिला मुख्य चिकित्साधिकारी ने हमें आश्वस्त किया था कि जल्द ही हमें वापस काम पर रख लिया जायेगा, लेकिन इस संबंध में अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है।”

एक्स-रे ऑपरेटर का कहना था, “मैं एक कच्चे घर में रहता हूँ। घर में मेरी पत्नी है, बूढ़े माँ-बाप हैं जिनकी देखभाल और एक बहन है जो अब शादी की उम्र में पहुँच गई है, इन सभी की देखभाल का दायित्व मेरे कंधों पर है। लेकिन मेरे पास कोई नौकरी नहीं है। मैं मुख्यमंत्री (सीएम) से अनुरोध करता हूँ कि हमें स्थायी नौकरी प्रदान करें जिससे एक स्थायी आय के प्रति हम आश्वस्त हो सकें। मुझे 16,000 रूपये प्रति माह का भुगतान किया जा रहा था, और आज मैं 14,000 रूपये प्रति माह पर भी काम करने के लिए तैयार हूँ, लेकिन यह काम स्थायी होना चाहिए और हमें नौकरी की सुरक्षा मिलनी चाहिए।”

गौरतलब है कि यूपी सरकार ने पिछले पांच वर्षों के दौरान 4.5 लाख युवाओं को रोजगार देने का दावा किया है। नवंबर 2021 में एक सार्वजनिक संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकार ने पारदर्शी चयन प्रक्रिया के माध्यम से उत्तर प्रदेश में 4.5 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार मुहैय्या कराने का काम किया है। 

लेकिन यूपी सरकार के दावों के बावजूद, बेरोजगार युवाओं ने विभिन्न राजकीय विभागों में भर्ती की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किये हैं। इस प्रकार के विरोध प्रदर्शनों के दौरान उन्हें कड़कड़ाती ठंड में पुलिस की लाठियों का सामना करना पड़ा है। पूर्वी उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में, भर्ती अधिसूचना प्रकिया में हो रही देरी से बेरोजगार युवाओं में बेहद आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने सरकार के खिलाफ विरोधस्वरूप बेरोजगार रैली निकाली।

न्यूज़क्लिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन साढ़े चार वर्षों के दौरान सुप्रसिद्ध डबल-इंजन की सरकार के कार्यकाल के दौरान 25 से 29 वर्ष की आयु वर्ग के युवा पुरुषों और महिलाओं के मामले में बेरोजगारी की दर 8.8% से 15.9% अर्थात लगभग दोगुनी हो चुकी है। 20-24 वर्ष के अन्य आयु वर्ग में जो बेरोजगारी की दर पहले से ही अकल्पनीय 23.1% पर बनी हुई थी, इसी अवधि में हैरान कर देने वाली दर से बढ़कर 31.5% हो चुकी है।

ऐसा जान पड़ता है कि इस डबल इंजन सरकार की पथभ्रष्ट आर्थिक नीतियों का सबसे बड़ा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईइ) के आंकड़ों के मुताबिक, उन महिलाओं के बीच में बेरोजगारी की दर जिनके पास काम नहीं हैं और काम पाने की इच्छुक हैं,  के बीच में बेरोजगारी की दर जो 2018 के मध्य में (32%) थी उसमें लगातार बढ़ोत्तरी ही हुई है, जो 2020 के आखिरी महीनों में छलांग लगाकर 71% तक पहुँच चुकी थी, जब राज्य महामारी की दूसरी विनाशकारी लहर से जूझ रहा था और अंततः मई-अगस्त 2021 में 48% तक पहुंचा था। 

राज्य की राजधानी लखनऊ में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार, रतन मणि लाल का कहना है कि यूपी में राजनीतिक दलों के बीच में अपने-अपने चुनाव अभियानों में बेरोजगारी का मसला सबसे कम चर्चा वाला मुद्दा है।

उन्होंने कहा, “बेरोजगारी का मुद्दा बहुत बड़ा है, और यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को महंगा पड़ सकता है या मुख्य विपक्षी पार्टी को मदद पहुंचा सकता है। सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि इनमें से कोई भी राजनीतिक दल इस पर गंभीरता से काम नहीं कर रहा है। राज्य के नौजवान मौजूदा बेरोजगारी की स्थिति, पेपर लीक और नौकरियों की अधिसूचना में हो रही देरी से बुरी तरह से खफा हैं।”

सीएमआईई के अनुसार, दिसंबर में बेरोजगारी की दर नवंबर माह के 7% की तुलना में बढ़कर 7.9% हो गई है। इस थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि दिसंबर में शहरी बेरोजगारी दर बढ़कर 9.3% हो चुकी है, जो नवंबर में 8.2% थी, जबकि ग्रामीण बेरोजगारी दर 6.4% से बढ़कर 7.3% हो चुकी है। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

UP: Ground Reality Doesn't Match State Govt's Claims on Providing Employment to Youth

Uttar pradesh
Yogi Adityanath
BJP
unemployment
unemployment rate
CMIE

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • ram_navmi
    अफ़ज़ल इमाम
    बढ़ती हिंसा व घृणा के ख़िलाफ़ क्यों गायब है विपक्ष की आवाज़?
    13 Apr 2022
    हिंसा की इन घटनाओं ने संविधान, लोकतंत्र और बहुलतावाद में विश्वास रखने वाले शांतिप्रिय भारतवासियों की चिंता बढ़ा दी है। लोग अपने जान-माल और बच्चों के भविष्य को लेकर सहम गए हैं।
  • varvara rao
    भाषा
    अदालत ने वरवर राव की स्थायी जमानत दिए जाने संबंधी याचिका ख़ारिज की
    13 Apr 2022
    बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में कवि-कार्यकर्ता वरवर राव की वह याचिका बुधवार को खारिज कर दी जिसमें उन्होंने चिकित्सा आधार पर स्थायी जमानत दिए जाने का अनुरोध किया था।
  • CORONA
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 1,088 नए मामले, 26 मरीज़ों की मौत
    13 Apr 2022
    देश में अब तक कोरोना से पीड़ित 5 लाख 21 हज़ार 736 लोग अपनी जान गँवा चुके है।
  • CITU
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: बर्ख़ास्त किए गए आंगनवाड़ी कर्मियों की बहाली के लिए सीटू की यूनियन ने किया प्रदर्शन
    13 Apr 2022
    ये सभी पिछले माह 39 दिन लंबे चली हड़ताल के दौरान की गई कार्रवाई और बड़ी संख्या आंगनवाड़ी कर्मियों को बर्खास्त किए जाने से नाराज़ थे। इसी के खिलाफ WCD के हेडक्वार्टस आई.एस.बी.टी कश्मीरी गेट पर प्रदर्शन…
  • jallianwala bagh
    अनिल सिन्हा
    जलियांवाला बाग: क्यों बदली जा रही है ‘शहीद-स्थल’ की पहचान
    13 Apr 2022
    जलियांवाला बाग के नवीकरण के आलोचकों ने सबसे महत्वपूर्ण बात को नज़रअंदाज कर दिया है कि नरसंहार की कहानी को संघ परिवार ने किस सफाई से हिंदुत्व का जामा पहनाया है। साथ ही, उन्होंने संबंधित इतिहास को अपनी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License