NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
यूपीः एनिमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि, बाल मृत्यु दर चिंताजनक
प्रदेश में 6 माह से 59 माह तक के 66.4 फीसदी बच्चे एनीमिया से ग्रसित पाए गए हैं। एनएफएचएस के इससे पहले वाले सर्वे अर्थात चौथे सर्वे में प्रदेश में एनिमिया से ग्रसित बच्चों का आंकड़ा 63.2 फीसदी था।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
20 Jan 2022
birth rate
'प्रतीकात्मक फ़ोटो' साभार

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 में चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश में बच्चों में एनीमिया अर्थात खून की कमी के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यहां ग्रामीण तथा शहरी दोनों जगहों पर एनिमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या अधिक पाई गई है। इस सर्वे के मुताबिक प्रदेश में 6 माह से 59 माह तक के 66.4 फीसदी बच्चे एनीमिया से ग्रसित पाए गए हैं। इसमें सर्वाधिक 66.7 फीसदी मामले ग्रामीण क्षेत्र में पाए गए जबकि 65.3 फीसदी मामले शहरी क्षेत्र में पाए गए हैं। एनएफएचएस के इससे पहले वाले सर्वे अर्थात चौथे सर्वे में प्रदेश में एनिमिया से ग्रसित बच्चों का आंकड़ा 63.2 फीसदी था।

एनिमिया से ग्रसित महिलाओं की बात करें तो इसमें योगी सरकार के बड़े बड़े दावों के बावजूद पिछले पांच वर्षों में कोई ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 15-49 वर्ष तक की गैर-गर्भवती महिलाओं में एनिमिया का प्रतिशत 50.6 है जबकि एनएफएचएस-4 रिपोर्ट में ये 52.5 फीसदी था। वहीं इसी उम्र की गर्भवती महिलाओं में एनिमिया का प्रतिशत 45.9 है जबकि पिछले सर्वे में ये आंकड़ा 51 प्रतिशत था।

बाल मृत्यु दर चिंताजनक

उत्तर प्रदेश में बाल मृत्यु दर की स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। यहां प्रत्येक 1 हजार बच्चों में करीब 60 बच्चे की मृत्यु पांच वर्ष की उम्र पूरी होने से पहले ही हो जाती है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक ये मृत्यु दर प्रदेश के शहरी क्षेत्र में सबसे अधिक है अर्थात 62.5 है जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 49.7 है। एनएफएचएस के आंकड़ों के मुताबिक सबसे बेहतर स्थिति केरल की है जहां इस उम्र के बच्चों की मृत्यु दर प्रति एक हजार पर छह है।

ज्ञात हो कि राष्ट्रीय स्तर पर बाल मृत्यु दर प्रति एक हजार बच्चे में करीब 42 है वहीं शहरी क्षेत्र में ये आंकड़ा करीब 46 है वहीं ग्रामीण क्षेत्र में ये दर प्रति हजार बच्चे में 31.5 है।

सबसे अधिक बच्चे कुपोषित

पिछले साल न्यूज एजेंसी पीटीआई की आरटीआई के जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बताया था कि नवंबर 2020 तक देश भर में 9,27,606 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित थें जिनमें से 3,98,359 लाख बच्चे यूपी में हैं। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है यूपी बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति क्या है।

पिछले साल जारी मल्टीडायमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स में गरीबी के पैमाने पर उत्तर प्रदेश देश का तीसरा सबसे गरीब राज्य रहा है। राज्य की 38 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। वहीं कुपोषण के मामले में यूपी चौथे नंबर पर है जहां की 44 फीसदी आबादी कुपोषण का शिकार है।

डॉक्टरों की कमी

विशेषज्ञों का मानना है कि कुपोषण व अन्य बीमारियों के साथ साथ समय पर बच्चों का इलाज न होना भी असमय मौत की वजह रही है। इनमें डॉक्टरों की कमी एक बड़ी समस्या है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मानक के अनुसार हर 1,000 लोगों पर एक डॉक्टर का अनुपात होना चाहिए। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 20 करोड़ थी। इस तरह राज्य में कम से कम 20 लाख डॉक्टर होने चाहिए लेकिन इंडिया स्पेंड ने लोकसभा में 7 फरवरी 2020 को पेश किए गए आंकड़ों के हवाले से लिखा कि उत्तर प्रदेश में 30 सितंबर 2019 तक 81,348 एलोपेथिक डॉक्टर ही रजिस्टर्ड थे। यानी राज्य में ज़रूरत के हिसाब से लगभग 60% डॉक्टरों की कमी थी। राज्य की 75% से ज़्यादा आबादी गांवों में रहती है। जहां लोग स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्राथमिक स्वास्थ केंद्र (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ केंद्र (सीएचसी) पर निर्भर करते हैं। ग्रामीण इलाक़ों में पीएचसी और सीएचसी दोनों को मिलाकर कुल 3,664 डॉक्टर ही उपलब्ध हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों की जनसंख्या 15.5 करोड़ है। वहीं स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति विशेषज्ञ की बात करें तो राज्य में वर्ष 2019 में कुल 2716 पदों की जरूरत थी जिनमें सिर्फ 484 पद कार्यरत हैं और 2232 पद खाली हैं।

Uttar pradesh
National Family Health Survey-5
UP Assembly Elections 2022
Yogi Adityanath
BJP
yogi government
Anemia

Related Stories

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?

ग्राउंड रिपोर्ट: स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रचार में मस्त यूपी सरकार, वेंटिलेटर पर लेटे सरकारी अस्पताल

लड़कियां कोई बीमारी नहीं होतीं, जिनसे निजात के लिए दवाएं बनायी और खायी जाएं

मेरठ: वेटरनरी छात्रों को इंटर्नशिप के मिलते हैं मात्र 1000 रुपए, बढ़ाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे

यूपी चुनाव : माताओं-बच्चों के स्वास्थ्य की हर तरह से अनदेखी

यूपी: बीएचयू अस्पताल में फिर महंगा हुआ इलाज, स्वास्थ्य सुविधाओं से और दूर हुए ग्रामीण मरीज़

यूपी चुनाव : योगी काल में नहीं थमा 'इलाज के अभाव में मौत' का सिलसिला

यूपी चुनाव: बीमार पड़ा है जालौन ज़िले का स्वास्थ्य विभाग

यूपी चुनाव: बग़ैर किसी सरकारी मदद के अपने वजूद के लिए लड़तीं कोविड विधवाएं


बाकी खबरें

  • sever
    रवि शंकर दुबे
    यूपी: सफ़ाईकर्मियों की मौत का ज़िम्मेदार कौन? पिछले तीन साल में 54 मौतें
    06 Apr 2022
    आधुनिकता के इस दौर में, सख़्त क़ानून के बावजूद आज भी सीवर सफ़ाई के लिए एक मज़दूर ही सीवर में उतरता है। कई बार इसका ख़ामियाज़ा उसे अपनी मौत से चुकाना पड़ता है।
  • सोनिया यादव
    इतनी औरतों की जान लेने वाला दहेज, नर्सिंग की किताब में फायदेमंद कैसे हो सकता है?
    06 Apr 2022
    हमारे देश में दहेज लेना या देना कानूनन अपराध है, बावजूद इसके दहेज के लिए हिंसा के मामले हमारे देश में कम नहीं हैं। लालच में अंधे लोग कई बार शोषण-उत्पीड़न से आगे बढ़कर लड़की की जान तक ले लेते हैं।
  • पटनाः डीजल-पेट्रोल से चलने वाले ऑटो पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ ऑटो चालकों की हड़ताल
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पटनाः डीजल-पेट्रोल से चलने वाले ऑटो पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ ऑटो चालकों की हड़ताल
    06 Apr 2022
    डीजल और पेट्रोल से चलने वाले ऑटो पर प्रतिबंध के बाद ऑटो चालकों ने दो दिनों की हड़ताल शुरु कर दी है। वे बिहार सरकार से फिलहाल प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहे हैं।
  • medicine
    ऋचा चिंतन
    दवा के दामों में वृद्धि लोगों को बुरी तरह आहत करेगी – दवा मूल्य निर्धारण एवं उत्पादन नीति को पुनर्निर्देशित करने की आवश्यता है
    06 Apr 2022
    आवश्यक दवाओं के अधिकतम मूल्य में 10.8% की वृद्धि आम लोगों पर प्रतिकूल असर डालेगी। कार्यकर्ताओं ने इन बढ़ी हुई कीमतों को वापस लेने और सार्वजनिक क्षेत्र के दवा उद्योग को सुदृढ़ बनाने और एक तर्कसंगत मूल्य…
  • wildfire
    स्टुअर्ट ब्राउन
    आईपीसीसी: 2030 तक दुनिया को उत्सर्जन को कम करना होगा
    06 Apr 2022
    संयुक्त राष्ट्र की नवीनतम जलवायु रिपोर्ट कहती है कि यदि​ ​हम​​ विनाशकारी ग्लोबल वार्मिंग को टालना चाहते हैं, तो हमें स्थायी रूप से कम कार्बन का उत्सर्जन करने वाले ऊर्जा-विकल्पों की तरफ तेजी से बढ़ना…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License