NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका
अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ से आंशिक रूप से सेना की वापसी की घोषणा की
डोनाल्ड ट्रम्प ने 25 दिसंबर तक अफ़ग़ानिस्तान से सभी सैनिकों की वापसी की अपनी पूर्व घोषणा के लिए अपने प्रशासन के भीतर विरोध का सामना किया।
पीपल्स डिस्पैच
18 Nov 2020
America

पेंटागन ने मंगलवार 17 नवंबर को अफगानिस्तान और इराक से सैनिकों की संख्या में कटौती की घोषणा की। कार्यवाहक रक्षा सचिव क्रिस मिलर ने इसकी घोषणा की जिसके अनुसार अगले साल 15 जनवरी तक अफगानिस्तान से लगभग 2000 और इराक से लगभग 500 सैनिकों को वापस बुलाया जाएगा।

मिलर के अनुसार सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान और इराक में अमेरिकी सैनिकों की संख्या प्रत्येक देश में 2,500 हो जाएगी। वर्तमान में अफगानिस्तान में अमेरिका के लगभग 4,500 सैनिक हैं। इराक में अमेरिकी सैनिकों की संख्या लगभग 3,000 है। मिलर के अनुसार इन सैनिकों को वापस लाने का फैसला राष्ट्रपति ट्रम्प के अफगानिस्तान और इराक में "निरंतर युद्ध"को समाप्त करने के वादे के अनुसार है।

ट्रम्प प्रशासन ने इस साल फरवरी में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था जिसके अनुसार वह 14महीनों के भीतर इस देश से अपने सभी सैनिकों को वापस लेने पर सहमत हो गया था। यूएस ज्वाइंट चीफ स्टाफ चेयरमैन जनरल मार्क मिले ने पिछले महीने ट्रम्प के ट्वीट को सार्वजनिक रूप से काउंटर किया था जिसमें ट्रम्प ने घोषणा की थी कि अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिक क्रिसमस के लिए घर पर होंगे। मिले ने कहा था कि अफगानिस्तान से सेना की वापसी इंट्रा-अफगान वार्ता की सफलता के शर्त पर और धीरे धीरे होगी।

इराक युद्ध के दिग्गज मिलर को पिछले हफ्ते पेंटागन के प्रमुख के रूप में उस समय नियुक्त किया गया था जब ट्रम्प ने रक्षा सचिव मार्क एस्पर को निकाल दिया था जिन्होंने अफगानिस्तान से पूरी तरह से वापसी का विरोध किया था। 9 नवंबर को अपनी नियुक्ति के तुरंत बाद मिलर ने घोषणा की थी कि "अब [अमेरिकी सैनिकों के लिए] घर आने का [अफगानिस्तान से] समय आ गया है।"

इराक में अमेरिका को दबाव बढ़ने के कारण अपने सैनिकों की संख्या कम करने के लिए मजबूर किया गया है। प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी के नेतृत्व वाली नई सरकार जनवरी में इराकी संसद द्वारा पारित एक प्रस्ताव का पालन करने के लिए बाध्य है जिसमें देश से सभी विदेशी सैनिकों को वापस हटाने की मांग की गई है। 3 जनवरी को बगदाद हवाई अड्डे के पास अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी और इराकी मिलिशिया समूह के नेता अबू महदी अल मुहंदिस की हत्या के बाद ये प्रस्ताव लाया गया था। तब से इराक के विभिन्न ठिकानों पर तैनात यूएस सैनिक पर इराकी मिलिशिया द्वारा निशाना बनाया गया। अमेरिका अपने सैनिकों को दूरदराज के ठिकानों से बगदाद फिर से भेजती रही और सितंबर तक इनकी संख्या 5,200से घटाकर 3000 कर दी।

United States of America
american forces in afghanistan
american forces in iraq
Iraq
Afghanistan

Related Stories

विरोध करने के लोकतांत्रिक अधिकार में अड़चन डालती लॉस एंजेलिस पुलिस

जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?

भोजन की भारी क़िल्लत का सामना कर रहे दो करोड़ अफ़ग़ानी : आईपीसी

तालिबान को सत्ता संभाले 200 से ज़्यादा दिन लेकिन लड़कियों को नहीं मिल पा रही शिक्षा

रूस पर बाइडेन के युद्ध की एशियाई दोष रेखाएं

काबुल में आगे बढ़ने को लेकर चीन की कूटनीति

अमेरिका में रूस विरोधी उन्माद: किसका हित सध रहा है?

तालिबान के आने के बाद अफ़ग़ान सिनेमा का भविष्य क्या है?

अफ़ग़ानिस्तान हो या यूक्रेन, युद्ध से क्या हासिल है अमेरिका को

बाइडेन का पहला साल : क्या कुछ बुनियादी अंतर आया?


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License