NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मोदी राज में दोगुनी हुई अंबानी-अडानी की संपत्ति
इस बीच उद्योगजगत के कुछ दिग्गज नागपुर के आरएसएस हेडक्वार्टर में उपस्थिति दर्ज कराकर सरकार की नजरों में अच्छा बने रहने की कोशिश कर रहे हैं
सुबोध वर्मा
14 Oct 2019
Ambani, Adani Have Doubled Their Wealth

अमीरों की लिस्ट की घोषणा औद्योगिक जगत और मीडिया में इनके पिट्ठुओं को पीठ थपथपाने और जीत के खुल्लम-खुल्ला प्रदर्शन का इशारा होता है। इसे ऐसे देखा जाता है जैसे भारत शानदार प्रदर्शन कर रहा है और अच्छे दिन आ चुके हैं, हालांकि ऐसी लिस्ट में देश के 130 करोड़ लोगो में से महज 100 (जैसा फोर्ब्स इंडिया की लिस्ट में) लोग या थोड़े ज्यादा (IIFL ह्यूरन लिस्ट में) ही होते है।

व्यक्तिगत बात करने से पहले बता दें कि 2014 से 2019 के बीच 100 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 25 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 32 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुकी है। यह 31 फीसदी का उछाल है। इन 100 लोगों के पास जीडीपी के 6 फीसदी के बराबर संपत्ति है। यह भारत की विषमता है कि 100 लोगों के पास इतना ज्यादा और एक बड़ी आबादी के हिस्से में बहुत ही कम पैसा है।

मोदी राज में किसकी किस्मत चमकी?

अब हम उद्योगजगत के लोगों की व्यक्तिगत बात करते हैं। भारत के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी ने इन पांच सालों में अपनी संपत्ति दोगुनी से भी ज्यादा कर ली। उनकी संपत्ति 118 फीसदी उछाल के साथ 1.68 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3.65 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुकी है। (नीचे फोर्ब्स इंडिया लिस्ट के हवाले से बनाए गए चार्ट को देखें)गौतम अडानी के मामले में तो उछाल और भी ज्यादा है। उनकी संपत्ति में 121 फीसदी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। अडानी की संपत्ति पिछले 5 सालों में 50.4 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 1.1 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुकी है। 2014 में वे 11वें सबसे अमीर भारतीय थे। अब 2019 में अडानी दूसरे नंबर पर पहुंच चुके हैं।

यह दोनों महान आदमी प्रधानमंत्री मोदी और सत्ता से निकटता के लिए जाने जाते हैं। निकटता इतनी कि रिलायंस टेलीकॉम सर्विस की जियो के लॉन्च इवेंट के लिए प्रधानमंत्री मोदी का पूरे पेज का विज्ञापन आया था। जियो ने केवल तीन साल में ग्राहकों का सबसे बड़ा आधार बना लिया है।अडानी के मोदी से तबसे संबंध हैं, जब वे मुख्यमंत्री हुआ करते थे। लेकिन मोदी के नई दिल्ली आते ही अडानी की किस्मत ने भी खूब उछाल मारी।
table_1.PNG
चार्ट देखने से पता चलता है कि केवल दो दूसरे लोग, कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक और एवेन्यू सुपरमार्केट द्वारा प्रायोजित डी मार्ट हायपरमार्केट चैन के मालिक राधाकिशन दमानी ने ही बड़ी छलांग लगाई है। एवेन्यू सुपरमार्केट का 2018-19 में कुल राजस्व 2.7 बिलियन डॉलर रहा। दमानी का उछाल भी बेहद ऊंचा है। लेकिन 2014 में उनके पास केवल 7,100 करोड़ रुपये की संपत्ति थी। इसलिए जितने फीसदी उछाल आया है, उसकी गणना बेहद कम आधार पर की गई है। 2014 में वे 100 वें नंबर पर थे और आज दमानी 7 वें पायदान पर पहुंच चुके हैं।

उदय कोटक को भी सरकार की पसंद माना जाता है। उन्हें पिछले साल सरकार नियंत्रित “बोर्ड ऑफ कोलेप्सड इंफ्रास्ट्रक्चर फायनेंसिंग ग्रुप, IL&FS” का चेयरमैन बनाया गया था। पालोनजी मिस्त्री को छोड़कर शुरूआती दस में शामिल सभी अमीर लोग अच्छा कर रहे हैं। मशहूर कंस्ट्रक्शन कंपनी शापूरजी पालोनजी के मालिक पालोनजी मिस्त्री की संपत्ति में 6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। यूके में आधारित लक्ष्मी मित्तल, जो स्टील कंपनी आर्सेलर मित्तल के मालिक हैं, उनकी संपत्ति में भी 34 फीसदी गिरावट आई है।

अमीरों की लिस्ट में लंबे समय से शामिल कुमारमंगलम बिड़ला की संपत्ति में महज चार फीसदी का इजाफा हुआ। वहीं गोदरेज परिवार की संपत्ति में तीन और एचसीएल टेक्नोलॉजी के शिव नादर की संपत्ति में 15 फीसदी का उछाल आया।

इस लिस्ट में कई अमीर परिवार शामिल नहीं हो पाए हैं। क्योंकि यह महज अमीर लोगों या भाइयों(ज्यादातर) की लिस्ट है। जैसे टाटा सन्स समूह की संपत्ति अलग-अलग लोगों में बंटी हुई है, हालांकि इनके पास भी बहुत बड़ी संपत्ति है। फिर भी वे 10 सबसे अमीर लोगों में नहीं आ पाए। दूसरे, जैसे विप्रो चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने अपनी संपत्ति का बहुत बड़ा हिस्सा चैरिटी और शैक्षणिक न्यासों को चलाने के लिए दान कर दिया है, इसलिए वे इस लिस्ट से बाहर हैं, हालांकि अभी भी वे बहुत अमीर हैं।

उद्योगजगत और आरएसएस की दोस्ती

हाल के सालों में एक नया चलन देखने को मिला है, इसका पैसा बनाने से संबंध हो सकता है। आजकल आरएसएस (जो बीजेपी का मार्गदर्शक है) और उद्योग जगत के बड़े लोगों की आपस में खूब पट रही है। कुछ दिन पहले ही एचसीएल के शिव नादर नागपुर में आरएसएस की स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि थे। 

इससे कुछ दिन पहले अजीम प्रेमजी ने नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय पहुंचकर मोहन भागवत से मुलाकात की थी। पिछले साल टाटा ट्रस्ट ने नागपुर के एक कैंसर संस्थान को 100 करोड़ रुपये दान में दिए थे। डॉ आबाजी थट्टे नाम का यह ट्रस्ट आरएसएस से संबंधित है। आबाजी थट्टे आरएसएस के दूसरे प्रमुख एम एस गोलवलकर के निजी सचिव थे।
 
2017 में सार्वजनिक उपक्रम की मशहूर कंपनी ओएनजीसी ने भी अस्पताल को 100 करोड़ रुपये दान में दिए थे। पिछले महीने राहुल बजाज ने नागपुर में आरएसएस संस्थापक हेडगेवार के मेमोरियल स्मृति मंदिर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।अगर किसी से फायदा न हो तो भारत का उद्योगजगत उन्हें नहीं पहचानता। उद्योगजगत के दिग्गजों की आरएसएस से बढ़ती नजदीकी, जिनमें दिग्गज उद्योगपतियों का नागपुर पहुंचकर संस्थापक को याद करना और भागवत से मुलाकात जैसी चीजें हैं, यह मोदी सरकार को समर्थन देने और उनकी नजर में अच्छे बने रहने का एक तरीका है।
RSS.PNG
इस सांठ-गांठ, जिसे कई लोग हिंदुत्व-औद्योगिक गठबंधन भी कहते हैं, इससे आरएसएस प्रमुख द्वारा मोदी सरकार की खुल्लम-खुल्ला कॉरपोरेट समर्थक नीतियों की तारीफ के पीछे की वजह भी समझ में आ जाती है। विजय दिवस पर अपने भाषण में भागवत ने सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश की तारीफ की थी। साथ ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को सही ठहराया था। उन्होंने आर्थिक मंदी पर चल रही बात को भी ‘बेफिजूल का विमर्श’ करार दिया था।

ध्यान रहे हाल ही में मोदी सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया है। यह औद्योगिक घरानों के लिए बड़ी सौगात है। इससे सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये का घाटा होगा। अब इस बात पर ज्यादा ताज्जुब नहीं होता कि अमीर क्यों खुश हैं और उनकी लिस्ट कई गुना तेजी से बढ़ रही है।

Corporate-Hindutva Alliance
Modi government
Rich List Under Modi
Mohan Bhagwat
RSS Headquarters
Azim Premji
Ratan Tata
Growth Inequalities
corporate tax

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है


बाकी खबरें

  • शलका चौहान
    कैसे जहांगीरपुरी हिंसा ने मुस्लिम रेहड़ी वालों को प्रभावित किया
    04 May 2022
    महामारी और उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन ने मुस्लिम रेहड़ी वालों की आर्थिक गतिविधियों का काफ़ी कम कर दिया है, अब सांप्रदायिक नफ़रत ने उनके ख़िलाफ़ हमले और भेदभाव की घटनाओं में भी इज़ाफ़ा किया है।
  • loudspeaker
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े
    04 May 2022
    हिजाब, बुलडोज़र की राजनीति के बाद एक बार फिर देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने के लिए लाउडस्पीकर का हथकंडा अपनाया जा रहा है। जिन राज्यों में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उन्हें…
  • NEP
    न्यूज़क्लिक टीम
    स्कूलों की तरह ही न हो जाए सरकारी विश्वविद्यालयों का हश्र, यही डर है !- सतीश देशपांडे
    04 May 2022
    नई शिक्षा नीति देश में हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय जैसे संस्थान स्थापित करने की वकालत करती है लेकिन शिक्षाविद ऐसे प्रस्तावों को लेकर आश्वस्त नहीं है. दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर सतीश देशपांडे मानते…
  • unemployment
    मुरली कृष्णन
    क्या भारत महामारी के बाद के रोज़गार संकट का सामना कर रहा है?
    04 May 2022
    भारत का रोजगार बाजार लगातार संकुचित होता जा रहा है, और कुशल कामगारों के लिए कार्यबल में प्रवेश कर पाना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। सरकार की ओर से की जाने वाली नौकरी की मुहिम और अनौपचारिक…
  • Cuba
    पीपल्स डिस्पैच
    क्यूबा में नाकाबंदी ख़त्म करने की मांग को लेकर उत्तरी अमेरिका के 100 युवाओं का मार्च
    04 May 2022
    "भविष्य निर्माण करो, नाकाबंदी खत्म करो!"
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License