NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
उत्तराखंड में बेरोज़गारी मात्र एक चुनावी मुद्दा है
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने ग्रेजुएशन पास युवाओं के लिए 854 पदों पर भर्तियों का नोटिफिकेशन नवंबर 2020 में जारी किया था। इस भर्ती के लिए 2 लाख 19 हजार आवेदन आ गए।
सत्यम कुमार
31 Mar 2021
unemployment

उत्तराखंड राज्य में बढ़ती बेरोजगारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक पद के लिये  256 दावेदारों ने आवेदन  किया है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने ग्रेजुएशन पास युवाओं के लिए 854 पदों पर भर्तियों का नोटिफिकेशन नवंबर 2020  में जारी किया था। इसके लिए 10 नवंबर से 08 जनवरी 2021 तक ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। आयोग ने इस भर्ती के लिए मई में परीक्षा प्रस्तावित की थी। जब आवेदनों की संख्या देखी तो होश उड़ गए। इस भर्ती के लिए 2 लाख 19 हजार आवेदन आ गए। यह अब तक का सबसे उच्चतम आंकड़ा है। बल्कि आलम तो यह है कि अब आयोग के लिए मई में इसकी परीक्षा करानी मुश्किल हो गई है क्योंकि इतने परीक्षा केंद्र उपलब्ध ही नहीं हो पा रहे हैं।

हाल ही में जारी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर 9.58% पहुंच चुकी हैं। प्रदेश में पुरुषों में 8.93% तथा महिलाओं में 23.85% बेरोजगार हैं। यदि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रवार बेरोजगारी आंकड़ों को देखे तो ज्ञात होता है कि ग्रामीण क्षेत्र में 10.8% तथाशहरी क्षेत्र में 7.1% बेरोजगारी दर है। बेरोजगारी का ये आंकड़ा साफ दर्शाता है कि बेरोजगारी शहर की अपेक्षा गांव में ज्यादा है। बेरोजगारी की दर ग्रामीण क्षेत्र में अधिक होने के कारण शहर की ओर पलायन बढ़ता जा रहा है जो कि उत्तराखंड राज्य के लिए चिंता का विषय है। CMIE की इसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए  उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा की यह रिपोर्ट भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के द्वारा किए दावों की पोल खोलती हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान रिक्त पदों को भरने के लिए किसी भी विभाग में भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा सरकार द्वारा पुलिस, स्वास्थ्य, वन, पीडब्ल्यूडी, जल निगम या किसी भी विभाग में कोई भर्ती नहीं की गई है।

साथ ही आपको बताते चलें कि 2021-22 के बजट में पेश हुए दस्तावेजों में राजपत्रित और अराजपत्रित पदों का विवरण देते हुए बताया गया है कि प्रदेशभर में विभिन्न विभागों में करीब 57 हजार पद रिक्त हैं, जो कि कुल स्वीकृत पदों का 23 % है।

भारत की जनवादी नौजवान सभा (DYFI) के राज्य सचिव राजेश्वर का कहना है कि उत्तराखंड राज्य की सबसे बड़ी समस्या आज बेरोजगारी ही है। राज्य में  बेरोजगारी की यह स्थिति बताती है कि प्रदेश में रोजगार देने में डबल इंजन की सरकार पूर्णत: फेल रही है, न तो भाजपा के पुराने चेहरे त्रिवेंद्र सिंह रावत रोजगार मुहैया  करा पाए हैं और अब नए मुख्यमंत्री रोजगार की कोई बात कर रहे हैं। वो तो अनाप-सनाप वक्तव्य देने में व्यस्त हैं। बल्कि वो इस तरह फालतू की बहस में उलझाकर मुख्य मुद्दों से जनता को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि कोरोना के कारण ही बेरोजगारी बढ़ी है बल्कि कोरोना काल से पहले भी बेरोजगारी चरम पर थीं। आज नौकरी न मिल पाने के कारण युवा हताश है। अत: सरकार को चाहिए कि कोरोना का बहाना छोड़ राज्य में नये रोज़गार सृजन करे। भारत की जनवादी नौजवान सभा के राज्य कमेटी सदस्य देविंदर सिंह रावल का कहना है कि सरकार स्वरोजगार की अलाप जपना बंद करे और खाली पड़े सरकारी पदों पर जल्द से जल्द स्थाई नियुक्ति करे और अपने द्वारा किये रोजगार देने के वादों को पूरा करे। साथ ही उन्होंने कहा कि मैदानी जिलों में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा हैं। पर्वतीय क्षेत्रो में रोजगार के आभाव के कारण लोग मैदानी शहरों की ओर रुख करते हैं, जो कि पलायन को बढ़ावा देता है। यह भी मैदानी जिलों में बेरोजगारी दर ज्यादा होने का एक कारण है।

उत्तराखंड बेरोजगार संघ अध्यक्ष बॉबी पंवार का कहना है कि हमारे राज्य में संविदा और ठेकेदारी प्रथा युवाओं के लिये अभिशाप है। क्योंकि सरकारी नौकरी की बात करे तो खाली पदों को संविदा के द्वारा भरा जाता है जिसमें वेतन भी कम दिया जाता है वही दूसरी ओर निजी क्षेत्र की बात करें तो राज्य में सभी सिडकुल मैदानी क्षेत्रों में बने हैं। जिस कारण न चाहते हुए भी युवाओं को पहाड़ से पलायन कर नीचे आना ही पड़ता है। और यहाँ भी ठेकेदारों के कारण 12-12 घंटो काम के बदले में मात्र दस हजार मिलते हैं जो कि आज के समय में बढ़ती महंगाई को देखते हुए बहुत ही कम है। वही स्वरोजगार के नाम पर जो लोन दिया जा रहा है वह भी केवल सत्ताधारियों के रिश्तेदारों को ही मिलता है। आम युवा इस सुविधा से भी अछूता ही है। क्योंकि जो मानक इस लोन के लिये दिये गये हैं उनको ज्यादातर युवा पूर्ण करने में समर्थ नहीं हैं, अतः सरकार यदि स्वरोजग़ार देना चाहती है तो पहले इन मानकों में बदलाव करने की आवयश्कता है।

नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के प्रदेश अध्यक्ष मोहन सिंह भंडारी बेरोजगारी पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहते हैं कि वर्तमान सरकार ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद छ महीनों से रिक्त पड़े पदों को भर दिया जाएगा। लेकिन अब पढ़े लिखे युवाओं को नौकरी न देकर, आत्मनिर्भर के नाम पर कर्ज लेने को कहा जा रहा है और ये भी एक तरह का धोखा है क्योंकि जो शर्तें कर्ज लेने के लिए रखी गयी हैं उनको केवल कुछ लोग ही पूर्ण कर पाते हैं।

सीपीएम के राज्य सचिव राजेंद्र सिंह नेगी कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के गठन के पीछे बेरोजगारी और विकास बड़ा मुददा थे किन्तु राज्य बनने के बीस साल बाद भी ये दोनों समस्या जस की तस बनी हुई है, राज्य में शासन करने वाली दोनों पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने इन मुद्दों की ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जिस कारण भयंकर बेरोजगारी आज हमारे सामने हैं। आज पर्वतीय जिलों से लगभग 1700 गाँव खाली हो चुके हैं। प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में लोग प्रतिदिन रोजगार की तलाश में राज्य के शहरी केंद्रों और दूसरे राज्यों की और रुख करते हैं जिसका मुख्य कारण रोजगार पाना ही है। प्रदेश में लगभग 45 हजार से भी ज्यादा बैकलॉग और अनुसूचित, अनुसूचितजनजाति एवं पिछड़ी जातियों के पद खाली पड़े हैं। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि प्रदेश में औधौगिक क्षेत्र में 70% आरक्षण प्रदेश के यूवाओं को मिले। स्वरोजगार के लिए बैंक ऋण, जमीन, बिजली आदि फ्री में दी जाय साथ ही इन के द्वारा उद्पादित वस्तु को खरीद की गारंटी सरकार दे। प्रदेश के 10 पर्वती जिलों में स्थायी रोजगार की व्यस्था सरकार करे।

कुल मिलाकर उत्तराखंड में युवा रोजगार को लेकर हताश है, चुनाव पर जरूर बेरोजगारी को लेकर थोड़ी बातचीत होती है फिर उसके बाद पांच साल कुछ नहीं होती है। क्या युवाओं के लिए रोजगार सियासत का मुख्य बिंदु बनकर ही जाएगा?

क्या पहाड़ का पानी और जवानी उत्तराखंड के काम आएगी या नहीं? ऐसे कई सवालों के जवाब आज नहीं मिलते हैं, शायद भविष्य में जल्द मिल पाएं।

लेखक देहरादून स्थित एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और युवा मामलों के जानकार हैं।

unemployment
UTTARAKHAND

Related Stories

जनादेश-2022: रोटी बनाम स्वाधीनता या रोटी और स्वाधीनता

त्वरित टिप्पणी: जनता के मुद्दों पर राजनीति करना और जीतना होता जा रहा है मुश्किल

हम भारत के लोगों की असली चुनौती आज़ादी के आंदोलन के सपने को बचाने की है

हम भारत के लोग : इंडिया@75 और देश का बदलता माहौल

उत्तराखंड चुनाव: पहाड़ के अस्तित्व से जुड़े सवालों का नेपथ्य में चले जाना

हम भारत के लोग : हम कहां-से-कहां पहुंच गये हैं

संविधान पर संकट: भारतीयकरण या ब्राह्मणीकरण

हम भारत के लोग:  एक नई विचार श्रृंखला

कैसे भाजपा की डबल इंजन सरकार में बार-बार छले गए नौजवान!

बेरोज़गारी से जूझ रहे भारत को गांधी के रोज़गार से जुड़े विचार पढ़ने चाहिए!


बाकी खबरें

  • बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    18 May 2022
    ज़िला अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए स्वीकृत पद 1872 हैं, जिनमें 1204 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं, जबकि 668 पद खाली हैं। अनुमंडल अस्पतालों में 1595 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 547 ही पदस्थापित हैं, जबकि 1048…
  • heat
    मोहम्मद इमरान खान
    लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार
    18 May 2022
    उत्तर भारत के कई-कई शहरों में 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पारा चढ़ने के दो दिन बाद, विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के चलते पड़ रही प्रचंड गर्मी की मार से आम लोगों के बचाव के लिए सरकार पर जोर दे रहे हैं।
  • hardik
    रवि शंकर दुबे
    हार्दिक पटेल का अगला राजनीतिक ठिकाना... भाजपा या AAP?
    18 May 2022
    गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। हार्दिक पटेल ने पार्टी पर तमाम आरोप मढ़ते हुए इस्तीफा दे दिया है।
  • masjid
    अजय कुमार
    समझिये पूजा स्थल अधिनियम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां
    18 May 2022
    पूजा स्थल अधिनयम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां तब खुलकर सामने आती हैं जब इसके ख़िलाफ़ दायर की गयी याचिका से जुड़े सवालों का भी इस क़ानून के आधार पर जवाब दिया जाता है।  
  • PROTEST
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पंजाब: आप सरकार के ख़िलाफ़ किसानों ने खोला बड़ा मोर्चा, चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर डाला डेरा
    18 May 2022
    पंजाब के किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन राज्य की राजधानी जाने से रोके जाने के बाद वे मंगलवार से ही चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास धरने पर बैठ गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License