NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
लेबनान के यूनियनों की सरकारी सब्सिडी में कटौती के ख़िलाफ़ बुधवार को हड़ताल
ये हड़ताल ऐसे समय में हो रही है जब अक्टूबर से देश में नई सरकार के गठन को लेकर राजनीतिक गतिरोध जारी है। इस महीने में पूर्व प्रधानमंत्री साद हरीरी को इस पद के लिए फिर से नियुक्त किया गया था।
पीपल्स डिस्पैच
16 Dec 2020
लेबनान

आवश्यक वस्तुओं जैसे कि ईंधन, आटा, गेहूं, दवाओं और अन्य गैर-आवश्यक वस्तुओं, कमर्शियल, कंज्यूमर गुड्स के प्रावधान के लिए दिए जा रहे सब्सिडी को समाप्त करने की सरकार की योजना के खिलाफ लेबनान के यूनियन्स बुधवार 16 दिसंबर को देशव्यापी व्यापक हड़ताल करने जा रहे हैं। इसे कई मीडिया संस्थानों ने प्रकाशित किया है।

इस हड़ताल में हजारों सरकारी और निजी क्षेत्र के श्रमिकों के शामिल होने की उम्मीद है जो सरकार को अपने निर्णय को पलटने के लिए मजबूर करने के लिए काम नहीं करेंगे। सरकार के ये निर्णय देश के अधिकांश गरीब लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने जा रहा है जो कि कुल आबादी के लगभग 55% हैं। यह वर्ष 2019 में 28% के आंकड़े से काफी अधिक है।

दिसंबर की शुरुआत में लेबनान के केंद्रीय बैंक बैंके डु लीबन (बीडीएल) के गवर्नर रियाद सालामेह ने कहा था कि ये बैंक केवल दो महीने तक सब्सिडी प्रदान करना जारी रख सकता है, हालांकि यह पहले से ही धीरे-धीरे कुछ उत्पादों पर सब्सिडी में कटौती करना शुरू कर दिया है। गवर्नर के अनुसार, बैंक के पास विदेशी मुद्रा भंडार इस साल अप्रैल के 20 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में लगभग 18 बिलियन अमरीकी डॉलर है और जब ये भंडार 17.5 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच जाएगा तो बैंकों को सब्सिडी सहायता बंद करना पड़ेगा।

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने भी चेतावनी जारी की है कि इस सब्सिडी पर पूरी तरह निर्भर खासकर गरीब और जो अत्यधिक गरीब हैं उन पर ध्यान दिए बिना सब्सिडी में इस कटौती से सरकार की वैकल्पिक योजना के अभाव में देश में तबाही मचेगी।

देश की सबसे बड़ी यूनियनों में से एक जनरल कॉन्फेडरेशन ऑफ लेबनानीज वर्कर्स (जीसीएलडब्ल्यू) जिसमें कुल 43 छोटे यूनियन और फेडरेशन शामिल हैं वह बुधवार को वॉकआउट प्रदर्शन का नेतृत्व करेगा। लैंड ट्रांसपोर्ट यूनियन के प्रमुख बासम टाईल्स ने कहा कि वे सरकार द्वारा सब्सिडी रोकने की किसी भी योजना को स्वीकार नहीं करेंगे।

लेबनान एक वर्ष से अधिक समय से तीव्र आर्थिक और वित्तीय संकट से जूझ रहा है। इसके कारण देश में गरीबी और बेरोजगारी का स्तर बढ़ गया है साथ ही इसके परिणाम स्वरूप राष्ट्रीय कर्ज में वृद्धि हुई है जो कि देश के जीडीपी से 194 से अधिक हो गया। ये ऋण पिछले वर्ष के अंत में 171% से ऊपर पहुंच गया है।

Lebanon
unions in lebanon
strike in lebanon
cut in government subsidies
govt of lebanon

Related Stories

इज़रायल ने दक्षिणी लेबनान में तीन अलग-अलग स्थानों पर हवाई हमले किए

लेबनान के मनोनीत पीएम नजीब मिकाती ने सरकार बनाने के लिए संसदीय बहुमत हासिल किया

लेबनान : सरकार द्वारा फ़्यूल सब्सिडी समाप्त करने की घोषणा के बाद विरोध प्रदर्शन

लेबनानी ट्रेड यूनियनों ने बिगड़ती जीवन स्थिति के ख़िलाफ़ एक दिवसीय आम हड़ताल की

लेबनान के नेताओं पर फ़्रांस का प्रतिबंध, सुधारों में बाधा डालने के लिए दोषी ठहराया

लेबनान : मुद्रा संकट के मुद्दे पर देशव्यापी प्रदर्शन का 7वां दिन

लेबनान : कोविड-19 से संबंधित सख्त लॉकडाउन के बीच हज़ारों लोगों ने आर्थिक सहायता की कमी को लेकर प्रदर्शन किया

लेबनान को नया प्रधानमंत्री मिलने की संभावना

लेबनान : व्यापक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री हसन दियाब का इस्तीफ़ा

लेबनान : बेरूत ब्लास्ट के बाद शुरू हुआ प्रदर्शन पूरे देश में फैला


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License