NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
नहीं रहे अली जावेद: तरक़्क़ीपसंद-जम्हूरियतपसंद तहरीक के लिए बड़ा सदमा
प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष और उर्दू के प्रसिद्ध लेखक अली जावेद के आकस्मिक निधन से साहित्यिक-सांस्कृतिक जगत में शोक व्याप्त हो गया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
01 Sep 2021
ali javed

प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष और उर्दू के प्रसिद्ध लेखक अली जावेद का मंगलवार आधी रात को दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में निधन हो गया। वह 68 वर्ष के थे।

उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे और दो बेटियां हैं।

उनके निधन पर हिंदी उर्दू के लेखकों, संस्कृतिकर्मियों तथा लेखक संगठनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है और सांप्रदायिकता तथा फ़ासीवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में उनके योगदान को याद किया है।

जनवादी लेखक संघ (जलेस) की ओर से जारी संदेश में कहा गया है कि इस कठिन समय में साथी अली जावेद का जाना तरक़्क़ीपसंद-जम्हूरियतपसंद तहरीक के लिए एक सदमा है। वे अभी सत्तर के भी नहीं हुए थे। 13 अगस्त को उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ। तत्काल वे एक निजी अस्पताल में भरती कराए गए जहाँ उनका ऑपेरेशन हुआ। उसके बाद से वे लगातार गहन चिकित्सा कक्ष में रहे। हालत बिगड़ने पर उन्हें दिल्ली के पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, पर स्थिति में कोई सुधार न हुआ और कल (मंगलवार) रात उन्होंने आख़िरी साँसें लीं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग से सेवानिवृत्त प्रो. अली जावेद ने जनेवि (जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय) से एमए और पीएचडी की उपाधि ली थी। उनकी किताबों में ‘बरतानवी मुस्तश्रिक़ीन और तारीख़-ए अदब-ए उर्दू’, ‘क्लासिकीयत और रूमानवीयत’, ‘जाफ़र जटल्ली की एहतेजाजी शाइरी’ इत्यादि प्रसिद्ध हैं। इन दिनों वे प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष थे और इससे पहले उसके महासचिव रहे। 2012 से 2016 तक वे अफ्रीकन एण्ड एशियन राइटर्स यूनियन के भी अध्यक्ष रहे।

यह सांप्रदायिक फ़ासीवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ संघर्ष में उनकी अथक सक्रियता का दौर था जिसके बीच में ही वे हमें छोड़ गए। जनवादी लेखक संघ भारी मन से उन्हें खिराजे-अक़ीदत पेश करता है। हम इस कठिन घड़ी में उनकी जीवन-साथी परवीन और उनके बच्चों के दुख में शामिल हैं।

जन संस्कृति मंच (जसम) ने भी अली जावेद को अपनी श्रद्धांजलि पेश करते हुए उनके निधन को एक बड़ी क्षति बताया है।

जसम के वरिष्ठ सदस्य और हिंदी के आलोचक आशुतोष कुमार की ओर से जारी शोक संदेश में कहा गया है कि अली जावेद प्रगतिशील आंदोलन के बहुत सक्रिय और मज़बूत स्तंभ थे। अभी उनकी उम्र भी कुछ खास नहीं थी और इस समय वे तमाम मोर्चों पर पूरी मज़बूती से शामिल हो रहे थे। दिल्ली में हम लोगों ने आठ-दस संगठनों के साथ एक साझा मंच बनाया था। जिसमें संयुक्त रूप से अनेक सांस्कृतिक कर्मी भी थे। उसमें अली जावेद सहाब का साथ था, उनका नेतृत्व हमेशा हमारे लिए हमेशा बहुत मूल्यवान रहा।

अली जावेद एक ऐसी शख़्सियत थे जिनका देश भर में, हालांकि हिन्दी और उर्दू से उनका ख़ास जुड़ाव था। वे उर्दू के आलोचक थे, लेकिन मराठी, कन्नड़, मलयालम, तमिल, बंगाली सभी इलाकों में उनका असर था। प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से पाकिस्तान, बांग्लादेश तक के साहित्याकारों, संस्कृतिकर्मियों से उनका संवाद था, उनकी बातचीत थी। इस दौर में वे फ़ासीवाद के ख़िलाफ़ हर मोर्चे पर लड़ने की ज़रूरत पर ज़ोर दे रहे थे। किसानों, मज़दूरों के आंदोलनों में लेखकों के शामिल होने पर ज़ोर दे रहे थे। दूसरे, अपने भीतर भी, अपने आंदोलन के भीतर भी अगर उन्हें कहीं कोई कमज़ोरी दिखती थी, कोई विचलन दिखता था, तो वे उसको भी मज़बूती से उठाते थे। इस दौर में उनका जाना हमारे लिए बहुत बड़ा आघात है, लेकिन हम उनकी विरासत को साथ लेकर आगे चलेंगे, संघर्ष करेंगे।

तमाम कवि, लेखकों, संस्कृतिकर्मियों ने व्यक्तिगत तौर पर भी उनके निधन पर गहरा दुख प्रकट करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की ओर से भी उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा गया कि अली जावेद ने सिर्फ़ एक प्रसिद्ध उर्दू लेखक थे, बल्कि वे एक एक्टिविस्ट के तौर पर तमाम आंदोलनों में भी सक्रिय थे।

उनके पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, फ़िलीस्तीन समेत तमाम देशों के प्रगतिशील लेखकों से संबंध थे। वे अफ्रीकी-एशियाई प्रगतिशील लेखक आंदोलन से भी जुड़े रहे।

प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलनों में उनका बहुत योगदान था।

किसान आंदोलन में शिरकत करते अली जावेद। (फाइल फोटो)

वरिष्ठ पत्रकार और कवि कुलदीप कुमार अपनी फेसबुक वॉल पर लिखते हैं-

अली जावेद का जाना बहुत अंदर तक आहत कर गया। JNU में हम राजनीतिक विरोधी थे। वह AISF में और मैं SFI में। लेकिन सम्बंध शुरू से ही बेहद दोस्ताना और गर्मजोशी से भरे। JNU की यही विशेषता थी उन दिनों। ये दोस्ताना और गर्मजोशी से भरे सम्बंध हमेशा बने रहे। अली जावेद जब भी मिला, मुस्कुराता हुआ ही मिला। उसका sense of humour भी अच्छा था। तो हंसी-मज़ाक़ भी खूब होता था। दुनिया लगातार अपरिचित होती जा रही है। जब दोस्त-अहबाब ही नहीं रहेंगे, तो अपरिचित चेहरों से भरी यह दुनिया परिचित कैसे लग सकती है? अली जावेद याद हमेशा आएगा।

शायर और विज्ञानी गौहर रज़ा ने कहा कि अली जावेद के जाने की ख़बर ने सुबह सुबह हिला कर रख दिया। हमारी दोस्ती सालों पुरानी थी। PWA के और हिंद-पाक दोस्ती के लिए भी ये एक बड़ा नुक़सान है।

संस्कृतिकर्मी और आलोचक संजीव कुमार लिखते हैं-

अलविदा, साथी अली जावेद!

आपने जाने के लिए कैसा समय चुना, इस पर भी आपसे एक बहस बनती है।

साथ साथ लड़ी गई, जीती गई और हारी गई तमाम लड़ाइयों के साथ आप याद रहेंगे।

प्रगतिशील लेखक संघ, दिल्ली की महासचिव और पत्रकार और फ़रहत रिज़वी ने दुख प्रकट करते हुए लिखा-

आज रात हमारे दोस्त PWA के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने दिल्ली के जीबी पंत हॉस्पिटल में आख़िरी सांस ली। अलविदा और क्रांतिकारी लाल सलाम

कवि-पत्रकार विमल कुमार लिखते हैं-

साम्प्रदायिकता और फासिज्म के खिलाफ लड़नेवाले अली जावेद नहीं रहे।

उनके इंतक़ाल पर हिंदी उर्दू के लेखकों तथा लेखक संगठनों  ने गहरा शोक व्यक्त किया है और फ़िरक़ापरस्ती तथा फासीवाद के खिलाफ लड़ाई में उनके योगदान को याद किया है। प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव के रूप में उन्होंने साम्प्रदायिकता और फासीवाद के खिलाफ संघर्ष मे बड़ी भूमिका निभाई।

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 31 दिसम्बर 1954 में जन्मे श्री जावेद ने इलाहाबाद  विश्विद्यालय से उर्दू में बीए करने के बाद जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय से उर्दू में एमए, एमफिल और पीएचडी की। वह दिल्ली विश्विद्यालय के ज़ाकिर हुसैन कालेज में पढ़ाने लगे।

श्री जावेद नेशनल कौंसिल फ़ॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू  के निदेशक भी थे।

दलित लेखक संघ (दलेस) की ओर से हीरालाल राजस्थानी लिखते हैं-

प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अली जावेद भाई को अंतिम सलाम।

आपकी कमी साहित्य और आंदोलन दोनों में खलेगी। आप हमेशा दोस्ताना तरह से चेहरे पर पैनी सी मुस्कान रखे बातें किया करते थे। वो चेहरा कैसे कोई भूल सकता है। आपकी इस क्षति से मुझे निजी तौर पर गहरा सदमा लगा है।

दलित लेखक संघ परिवार आपको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

इसके अलावा भी अली जावेद के निधन पर दुख जताते हुए तमाम लेखक-संस्कृतिकर्मी अपनी यादें साझा कर रहे हैं।

ali javed
pwa
writer
Progressive Urdu writer
hindi urdu

Related Stories

मंगलेश डबराल नहीं रहे

फिल्मकारों के बाद लेखकों की अपील : नफ़रत की राजनीति के ख़िलाफ़ वोट करें

हिंदी में ‘पब्लिक स्फीयर’, संगठन व पत्रिकाएं


बाकी खबरें

  • Nisha Yadav
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    चंदौली: निशा यादव हत्या मामले में सड़क पर उतरे किसान-मज़दूर, आरोपियों की गिरफ़्तारी की माँग उठी
    14 May 2022
    प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा- निशा यादव का कत्ल करने के आरोपियों के खिलाफ दफ़ा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
  • Delimitation
    रश्मि सहगल
    कैसे जम्मू-कश्मीर का परिसीमन जम्मू क्षेत्र के लिए फ़ायदे का सौदा है
    14 May 2022
    दोबारा तैयार किये गये राजनीतिक निर्वाचन क्षेत्रों ने विवाद के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं, जो इस बात का संकेत देते हैं कि विधानसभा चुनाव इस पूर्ववर्ती राज्य में अपेक्षित समय से देर में हो सकते हैं।
  • mnrega workers
    सरोजिनी बिष्ट
    मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?
    14 May 2022
    "किसी मज़दूर ने 40 दिन, तो किसी ने 35, तो किसी ने 45 दिन काम किया। इसमें से बस सब के खाते में 6 दिन का पैसा आया और बाकी भुगतान का फ़र्ज़ीवाड़ा कर दिया गया। स्थानीय प्रशासन द्वारा जो सूची उन्हें दी गई है…
  • 5 वर्ष से कम उम्र के एनीमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि, 67 फीसदी बच्चे प्रभावित: एनएफएचएस-5
    एम.ओबैद
    5 वर्ष से कम उम्र के एनीमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि, 67 फीसदी बच्चे प्रभावित: एनएफएचएस-5
    14 May 2022
    सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में किए गए सर्वेक्षण में 5 वर्ष से कम उम्र (6-59 महीने) के 58.6 प्रतिशत बच्चे इससे ग्रसित थे जबकि एनएफएचएस-5 के 2019-21 के सर्वे में इस बीमारी से ग्रसित बच्चों की…
  • masjid
    विजय विनीत
    ज्ञानवापी मस्जिद: कड़ी सुरक्षा के बीच चार तहखानों की वीडियोग्राफी, 50 फीसदी सर्वे पूरा
    14 May 2022
    शनिवार को सर्वे का काम दोपहर 12 बजे तक चला। इस दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के करीब आधे हिस्से का सर्वे हुआ। सबसे पहले उन तहखानों की वीडियोग्राफी कराई गई, जहां हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License