NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
उत्पीड़न
कानून
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
एक बड़े आंदोलन की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशा बहनें, लखनऊ में हुआ हजारों का जुटान
13 दिसंबर को "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन" (सम्बद्ध एक्टू) के बैनर तले विभिन्न जिलों से आईं हजारों आशा बहनों ने लखनऊ के इको गार्डेन में हुंकार भरी।
सरोजिनी बिष्ट
15 Dec 2021
Asha
आशा बहनों ने दी काम बंद करने की चेतावनी

उत्तर प्रदेश में आशाएं अपने को राज्य स्वास्थ्य कर्मचारी घोषित करने, न्यूनतम वेतन लागू करने के अलावा अन्य मांगों के साथ लगातार आंदोलनरत हैं। इसी कड़ी में 13 दिसंबर को "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन" (सम्बद्ध एक्टू) के बैनर तले विभिन्न जिलों से आईं हजारों आशा बहनों ने लखनऊ के इको गार्डेन में हुंकार भरी। “आज करो अर्जेंट करो.... हमको परमानेंट करो” ....”दो हजार में दम नहीं... 21 हजार से कम नहीं”, “अब हमने ये ठाना है.... वेतनमान बढ़ाना है” जैसे नारों के साथ पूरा इको गार्डन गूंज उठा।

12 तारीख़ की रात से ही आशाओं का जुटान होने लगा था। अपनी मांगों के साथ लखनऊ पहुँची सैकड़ों आशाओं ने चारबाग रेलवे स्टेशन में रात गुजारी और सुबह होते ही भूखे पेट अपने कारवां के साथ धरना स्थल की ओर बढ़ने लगीं। दोपहर 12 बजे तक विभिन्न जिलों, इलाहाबाद, चन्दौली, राय बरेली, कानपुर, जौनपुर, लखीमपुर, लखनऊ, मुरादाबाद, सीतापुर, बनारस, शाहजहांपुर, बाराबंकी, बस्ती, फैजाबाद, उन्नाव, बरेली, गोरखपुर, देवरिया आदि जिलों से आशाएं पहुँचीं। तो वहीं पुलिस बंदोबस्ती में भी प्रशासन ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी।

धरने में शाहजहांपुर की वे आशाएं भी पहुँचीं थीं जिन्हें बीते 9 नवंबर को पुलिसिया बर्बरता का शिकार होना पड़ा था और इतना ही नहीं आशा पूनम पांडे को पुलिस द्वारा किए गए जानलेवा हमला भी झेलना पड़ा था। तो वहीं ग्यारह दिन तक धरने और क्रमिक अनशन पर बैठी लखीमपुर की आशाएं भी उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर इको गार्डन पहुँचीं थीं। लखीमपुर खीरी शहर के विलोबी मेमोरियल मैदान में आशाओं का धरना एक दिसंबर से ग्यारह दिसंबर तक चला। इसी बीच 9 दिसंबर से आशाओं ने क्रमिक अनशन से आगे बढ़ते हुए पूर्णकालिक अनशन शुरू कर दिया। लगातार धरने और क्रमिक अनशन के बाद पूर्णकालिक अनशन के कारण कुछ आशाओं का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। इन आशाओं के समर्थन में वहां संघर्षरत महिला संगठन AIPWA नेताओं, कृष्णा अधिकारी, आरती राय और माला सिंह ने उनके आंदोलन के साथ अपनी एकजुटता दिखाई। आशाओं की बिगड़ती हालात को देखते हुए उनसे अनशन ख़त्म करने की अपील की गई। हालांकि स्थानीय तौर पर तो उनकी मांगे मान ली गईं हैं।

लखीमपुर से आईं आशा सुनीता कहती हैं अभी तो बहुत छोटी लड़ाई जीती है हमें राज्य कर्मचारी का दर्जा चाहिए और उसके लिए लखनऊ आना जरूरी था। चन्दौली से आईं आशा सुमन सिंह ने कहा कि अभी हमें हमारे काम के लिए कमीशन मिलता है जबकि हमें अपने काम के लिए एक निर्धारित वेतन चाहिए और काम के घंटे तय होने चाहिए। सुनीता कहती हैं अब अपना शोषण बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा है। रायबरेली से आईं संगठन की जिलाध्यक्ष और आशा कार्यकर्ता गीता मिश्रा योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहती हैं बस अब बहुत हो चुका यह सुनते सुनते कि आशाएं करोना योद्धा हैं, हम स्वास्थ्य क्षेत्र की रीढ़ की हड्डी हैं आदि आदि.. वे कहती हैं यदि हमारे प्रति सरकार का इतना ही आभार है तो हमारी दिन रात की मेहनत देखकर हमें राज्य कर्मचारी घोषित कर दे। हमारे लिए न्यूनतम वेतन लागू कर दे सरकार।


मोदी सरकार से नाराज़ हैं आशा वर्कर्स

शाहजहांपुर से धरने में शामिल होने आईं आशा संगठन की जिलाध्यक्ष संगिनी कार्यकर्ता कमलजीत कौर कहती हैं हम आशा बहनों का मुख्यमंत्री जी से एक सवाल है कि जब आशाएं अपनी मांगों के साथ अपने मुख्यमंत्री जी से मिलने आती हैं तो उन पर पुलिसिया दमन क्यूं होता है, फर्जी मुकदमें क्यूं लादे जाते हैं। उन्होंने शाहजहांपुर की घटना का जिक्र किया। कमलजीत जी ने सभी आशा बहनों से एकजुट होकर चरणबद्ध तरीके से अपने आंदोलन को आगे बढ़ाने की अपील भी की। वे कहती हैं पूरे प्रदेश में आशा और संगिनी बहनों के काम का पैसा अधिकारी खाए जा रहे हैं लेकिन हम दमन का डट कर मुक़ाबला करेंगे। लंबे समय से आशाओं की लड़ाई लड़ रहीं और स्वयं भी आशा का काम करने वाली इलाहाबाद की मंजू देवी कहती हैं कहने को हम कामकाजी महिलाएं हैं लेकिन हम ऐसी कामकाजी महिलाएं हैं जो अपने बच्चों की स्कूल फीस तक भरने के काबिल नहीं।

वे कहती हैं दिन रात खटने वाली हम आशाओं ने कोविड काल में अपनी जान की बाजी लगा दी, जब क्वॉरंटीन हुए लोगों के पास कोई नहीं जाता था तो हम आशाएं ही उनके पास जाती थीं, बेहद विषम परिस्थितियों में काम करने के  बावजूद हमारा कोई सम्मान नहीं।

मुरादाबाद से आईं आशा इंदु शर्मा ने बताया कि मामूली से कमीशन में हम लोग काम करने को विवश हैं न तो कभी पैसा पूरा मिलता है और न ही कभी समय से भुगतान होता है। डेढ़, दो हजार में हम पूरे महीने खटते हैं उस पर भी पैसा कभी किसी बहाने कभी किसी बहाने काट लिया जाता है। इंदु कहती हैं फैजाबाद में हमारी आशा बहन काम करने के दौरान ही हार्ट अटैक से मर गई तो आज आशाओं की हालत यही हो चुकी है सरकार केवल काम पर काम लेना जानती हैं पर पैसा देना नहीं चाहती। बरेली से आईं राम श्री गंगवार ने कहा कि हम राज्य सरकार को चेतावनी देते हैं कि यदि आशाओं की मांगे नहीं मानी गईं तो चरणबद्ध तरीके से आंदोलन चलाया जाएगा। रायबरेली से आईं आशा सरला श्रीवास्तव ने कहा कि यदि हमारी मांगे नहीं मानी जाएंगी तो हम पूर्ण रूप से कार्य बहिष्कार में जा सकते हैं।

धरने को समर्थन देने पटना से आईं ऑल इंडिया स्कीम फैडरेशन की राष्ट्रीय संयोजक शशि यादव ने कहा कि सरकार को चाहिए कि शाहजहांपुर में जिन आशाओं पर फर्जी मुकदमें लादे गए हैं उन्हें अविलंब वापस ले और पूनम पांडे पर जान लेवा हमला करने वाले पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की जाए। वे कहती हैं सभी आशाओं का ई पोर्टल में रजिस्ट्रेशन हो और उनके पेमेंट की गारंटी की जाए क्योंकि समय से भुगतान न होने के चलते आशाएं बेहद आर्थिक संकट से जूझ रही हैं। वे कहती हैं मुरादाबाद की आशा बहन को इसी आर्थिक संकट के कारण आत्महत्या पर विवश होना पड़ा। 

उनके मुताबिक जब तक आशाओं को राज्य कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलेगा तब तक उनकी आर्थिक दशा सुधर पाना असम्भव है। धरने को समर्थन देने ट्रेड यूनियन एक्टू के महासचिव राजीव डिमरी जी भी लखनऊ पहुंचे और सभी आशाओं से अपील करते हुए कहा कि वे अपनी मांगों साथ ही आगामी 23,-24 फरवरी को होने वाली राष्ट्रीय हड़ताल में शामिल होकर अपनी मजबूत दावेदारी पेश करें। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार स्कीम वर्कर्स को बिना न्यूनतम वेतन दिए बंधुवा मजदूरों की तरह काम करवा रही है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

धरने को संबोधित करते हुए हुए एक्टू के प्रदेश अध्यक्ष विजय विद्रोही और प्रदेश सचिव ने कहा कि हमारा ट्रेड यूनियन स्कीम वर्कर्स की लड़ाई विभिन्न राज्यों में लंबे समय से लड़ रहा है कुछ राज्यों में हमने सफलता भी हासिल की है, उत्तर प्रदेश में भी हम स्कीम वर्कर्स की लड़ाई लड़ रहे हैं इसमें दो मत नहीं कि हैं जब तक आशा बहनों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं हमारा संगठन एक्टू और उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन मिलकर पूरी ताकत से लड़ता रहेंगे।


जीवन बीमा और हेल्थ कवर की भी माँग

वहीं धरने को समर्थन देने इंडियंस रेलवे एम्प्लॉयज फैडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. कमल उसरी भी इलाहाबाद से आए थे उन्होंने कहा कि उनका फैडरेशन भी आशा बहनों के संघर्ष और आंदोलन में उनके साथ है और लड़ाई के अंत तक रहेगा। धरने को एक्टू के प्रदेश सचिव अनिल वर्मा, उपाध्यक्ष एस एम ज़ैदी, राना प्रताप सिंह, निर्माण मजदूर संघ के नेता गौरव सिंह, माले नेता राम सिंह, अमर सिंह, उत्तर प्रदेश मिड डे मील वर्कर्स की प्रदेश संयोजिका, साधना पांडेय, लखनऊ जिला संयोजक कमला गौतम, बाराबंकी आशा वर्कर्स नेता अनीता रावत, अमेठी की नेता उषा लोधी आदि ने संबोधित किया।


आशाओं का मांग इस प्रकार हैं-
1. सभी आशाओं/संगीनियो को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दो।

2.आशाओं/संगीनियो के लिए 21,000/- मासिक वेतन तय करो।

3. आशाओं/संगीनियो को सवेतन मातृत्व अवकाश तथा मेडिकल अवकाश दो।

4. आशाओं/संगीनियों के बकाया कोरोना भत्ता, टीकाकरण, कोविड सर्वे सहित सभी कार्य जो लिए गये उनका तुरन्त भुगतान करो व हर केन्द्र पर बोर्ड लगाकर कार्यों के प्रतिफल को प्रदर्शित करो

5. कार्य स्थल पर होने वाले लैंगिक शोषण के खिलाफ जिला स्तरीय जेंडर सेल का निर्माण करो।


6. डिस्पेंसरियों से लेकर अस्पतालों तक आशाओं/संगीनियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार पर रोक लगाओ। इसको लेकर सभी स्वास्थ्य संस्थानों में सर्कुलर जारी करो।

7. सभी डिस्पेंसरियों में आशाओं/ संगीनियो के लिए कॉमन रूम की व्यवस्था करो। जहाँ आशाएं विश्राम कर सकें।


8. आशाओं व संगीनियो के काम के घंटे तथा काम तय करो। आशाओं के ऊपर अन्य कामों का बोझ बन्द करो।

9. आशाओं व संगीनियो के परिवार के सदस्यों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं दो व आशाओं व संगीनियो को 10 लाख का  स्वास्थ्य बीमा गारंटी करो

10. कोरोना जैसी बीमारियों मे अगली पंक्ति मे भूमिका निभाने वाली आशा वर्कर्स व संगीनियो को 50 लाख का जीवन बीमा सुनिश्चित करो

11. शाहजहाँपुर के सीएमओ के भ्रष्टाचार की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करो

12. शाहजहाँपुर की आशाओं को उत्पीड़ित करना बंद करो, घटना की न्यायिक जांच करो, पूनम पांडेय सहित अन्य सभी आशाओं पर लगाये गये सारे मुकदमे वापस लो

13. शाहजहांपुर में  09-11-2021 को आशा कर्मी पूनम पांडेय व अन्य आशाओं के साथ बर्बर अत्याचार करने वाले पुरूष उप पुलिस निरीक्षक नीरज व उप निरीक्षक ज्योती त्यागी सहित अन्य पुलिस कर्मियो को चिन्हित कर उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जाए

14. लखीमपुर में आशा/संगिनी द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन को उनकी मांगे मानकर तत्काल समाप्त कराया जाए

15. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए आवंटित धन की पूरे प्रदेश मे हो रही लूट की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनायी जाये व प्रदेश भर मे आशा/संगिनी के विभिन्न कार्यो के प्रतिफल राशि के घोटाले के ज़िम्मेदारो से वसूली कर आशा/संगिनी को भुगतान किया जाए।

धरने में, आने वाले चार जनवरी को हर जिले में आन्दोलन करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देने की घोषणा की गई। साथ ही यह निर्णय लिया गया कि सुनवाई न होने की सूरत में कार्य बहिष्कार किया जायेगा।

ये भी पढ़ें: हरियाणा : कोविड-19 भत्ता बंद होने के विरोध में हज़ारों आशा वर्करों ने स्वास्थ्य मंत्री के घर का घेराव किया

ASHA
asha workers
workers protest
scheme workers
Asha Workers Protest

Related Stories

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

क्यों है 28-29 मार्च को पूरे देश में हड़ताल?

28-29 मार्च को आम हड़ताल क्यों करने जा रहा है पूरा भारत ?

दिल्ली: संसद सत्र के बीच स्कीम वर्कर्स का प्रदर्शन, नियमितीकरण और बजट आवंटन में वृद्धि की मांग

मध्य प्रदेश : आशा ऊषा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन से पहले पुलिस ने किया यूनियन नेताओं को गिरफ़्तार

झारखंड: हेमंत सरकार की वादाख़िलाफ़ी के विरोध में, भूख हड़ताल पर पोषण सखी

बिहार : आशा वर्कर्स 11 मार्च को विधानसभा के बाहर करेंगी प्रदर्शन

अधिकारों की लड़ाई लड़ रही स्कीम वर्कर्स


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License