NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
यूपी: प्रशासन की नाकामी उजागर करने पर एफआईआर दर्ज करने के विरोध में पत्रकारों का जल-सत्याग्रह जारी
जल सत्याग्रह का सहारा लेने वाले पत्रकार जिला प्रशासन के ख़िलाफ़ अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसकी ओर से उनमें से एक पत्रकार के ख़िलाफ़ महामारी रोग अधिनियम और आईपीसी की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई है।
सौरभ शर्मा
09 Jun 2020
 पत्रकारों का जल-सत्याग्रह जारी

फतेहपुर: उत्तर प्रदेश में संवेदनशील माने जाने वाले ज़िले फतेहपुर में ज़िला प्रशासन के ख़िलाफ़ पत्रकारों का जल सत्याग्रह जारी है। ये पत्रकार नदी में कमर तक पानी में खड़े रहकर ज़िला प्रशासन की कथित मनमानी और उत्पीड़न के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।

जल सत्याग्रह का सहारा लेने वाले ये पत्रकार जिला प्रशासन के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसकी ओर से उनमें से एक पत्रकार के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188, 269, 270, 120-बी, 385, 505 (2) और महामारी रोग अधिनियम, 1897 की धारा 3 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

यह विरोध प्रदर्शन रविवार और सोमवार के बाद आज मंगलवार को भी जारी हैं, जिसमें पत्रकारों के छोटे समूह विरोध की तख्तियों को हाथ में लेकर जिले में यमुना और गंगा नदी के अलग-अलग किनारों पर खड़े होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों ने प्रशासन के ख़िलाफ़ नारेबाजी भी की और सरकार से माँग की है वह इस सम्बन्ध में तत्काल कदम उठाते हुए पत्रकारों के ख़िलाफ़ दर्ज मुकदमों को वापस ले और फतेहपुर जिलाधिकारी संजीव सिंह को यहाँ से स्थानांतरित करे और उनके ख़िलाफ़ मामले की जाँच हो।

जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष अजय सिंह भदौरिया ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि “वर्तमान  जिलाधिकारी किसी तानाशाह से कम नहीं है। पत्रकारों की खुलेआम बेइज्जती करने से लेकर प्रशासन की नाकामी का पर्दाफाश करने पर पत्रकारों के ख़िलाफ़ एफआईआर ठोंकने में इनकी तत्परता देखते बनती है। इनके मन में जो आता है वो करते हैं।”

अभी हाल ही में भदौरिया के ख़िलाफ़ सदर कोतवाली में एक एफआईआर दर्ज कराई गई है, जिसके पीछे की वजह यह बताई जाती है कि उन्होंने विजयपुर ब्लॉक के एक दृष्टि-बाधित जोड़े की स्टोरी को कवर करने का ‘अपराध’ किया था, जिन्हें भोजन नहीं मिल पा रहा था। भदौरिया के अनुसार सोशल मीडिया में यह घटना खूब वायरल हो गई थी, जिससे जिलाधिकारी बुरी तरह से चिढ़ गए थे।

वहीं दैनिक भास्कर समूह के लिए काम करने वाले पत्रकार विवेक मिश्रा की ओर से भी इस बात का दावा किया गया है कि प्रशासन को बेनकाब करने के चलते उनके ऊपर भी आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। मिश्रा ने यहाँ की एक गौशाला को अपनी स्टोरी में कवर किया था, जहाँ पर गौवंश के लिए चारे का कोई इंतजाम नहीं था और जंगली कुत्ते उन्हें अपना शिकार बना रहे थे।

मिश्रा ने फोन पर न्यूज़क्लिक को बताया "यदि मामले की सही तरीके से जाँच की जाए तो ऐसे ढेर सारे भ्रष्टाचार हैं, जिनका पता चल सकता है।"

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रिंट मीडिया सलाहकार ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। उनके अनुसार वे इस मामले में बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं, जबकि फतेहपुर के डीएम संजीव सिंह की ओर से फोन नहीं उठाया जा रहा था।

इस सम्बन्ध में रविवार को जिला मजिस्ट्रेट की ओर से एक प्रेस नोट जारी किया गया, जिसमें सूचित किया गया है कि जिला सूचना अधिकारी की जांच में पाया गया है कि भदौरिया, जोकि पिछले 32 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं वे “वर्ष 2020 में किसी भी प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से नहीं जुड़े थे। भदौरिया की ओर से अपने व्यक्तिगत ट्विटर अकाउंट के माध्यम से प्रशासन को बदनाम करने के लिए लगातार एकतरफा अफवाहबाजी के प्रयास किये जाते रहे हैं।”

लखनऊ स्थित वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा के अनुसार जिलाधिकारी की ओर से लिया गया यह कदम असंवैधानिक और अनैतिक है।

उन्होंने कहा, “सरकार को तत्काल इस घटना का संज्ञान लेकर आरोपी डीएम को स्थानांतरित कर देना चाहिए। सरकार को इस बात को भी सुनिश्चित करना चाहिए कि इस व्यक्ति को जिला कलेक्टर या मजिस्ट्रेट के पद को संभालने की जिम्मेदारी किसी भी सूरत में न दी जाए, क्योंकि यह व्यक्ति इस जिम्मेदारी के योग्य नहीं है। पत्रकारों के साथ जिस तरह का बर्ताव उनकी ओर से देखने को मिला है वह अत्यंत निंदनीय है और इस सम्बन्ध में उनके ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा “यह संबंधित जिलों में प्रेस की आजादी का गला घोंटने जैसा स्पष्ट मामला है, और इससे पहले भी राज्य के अन्य जिलों में भी इसी तरह के घटनाक्रम देखने को मिले थे।”

कुछ इसी तरह का मामला अप्रैल माह में साधना न्यूज़ और के न्यूज़ के पत्रकार 26 वर्षीय सिद्धार्थ मौर्य के साथ भी मऊ जिले में देखने को मिला था। मऊ के जिलाधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी के आदेश पर बुक किए गए नौ पत्रकारों में से वे भी एक थे। उनके अनुसार “जिला मजिस्ट्रेट ने हमें एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आमंत्रित किया था, जिसे संपन्न करने के बाद जैसे ही मैं घर पहुँचा, स्थानीय पुलिस स्टेशन ने मुझे फोन पर सूचित किया कि लॉकडाउन सम्बंधी आदेशों के उल्लंघन के नाम पर मेरे समेत आठ अन्य पत्रकारों के ख़िलाफ़ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कर दी गई है।

मुझे लगता है कि इस कदम के पीछे स्थानीय प्रशासन या सरकार की मंशा यह है कि वे नहीं चाहते कि प्रेस की ओर से उनसे ऐसे सवाल किये जाएँ, जिनसे उनकी जवाबदेही सवालों के घेरे में आ जाती हो, जिससे उन्हें चिढ़ है। हैरानी की बात तो यह है कि स्थानीय पुलिस स्टेशन में मौजूद अधिकारी ने मुझे सूचित किया था कि मेरे ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफआईआर डीएम और एसएसपी के आदेश पर की गई थी, लेकिन आरटीआई में मुझे जो जवाब मिला है उसमें बताया गया है कि मैं एक पान की दुकान पर खड़ा पाया गया था, जो कि सच नहीं है। एक अन्य जवाब में कहा गया कि डीएम ने व्यक्तिगत तौर पर एफआईआर दर्ज करने सम्बंधी मौखिक आदेश दिए थे। हमने अब उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेना बंद कर दिया है और हमें न्याय चाहिए।”

जिस पत्रकार पर लॉकडाउन के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था उनका कहना है कि उनके ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज किये जाने की वजह से वे मानसिक तौर पर अशांत हैं और ठीक से न तो उनसे कामकाज हो पा रहा है और न ही वे ढंग से सो पा रहे हैं। इन सभी नौ पत्रकारों ने भारत के राष्ट्रपति के नाम एक संयुक्त पत्र लिखकर इस मामले में उनसे हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।

Press freedom
Uttar pradesh
FATEHPUR
Journalists
COVID-19
Lockdown

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License