NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
उत्पीड़न
पर्यावरण
भारत
उत्तराखंड: विकास के नाम पर 16 घरों पर चला दिया बुलडोजर, ग्रामीणों ने कहा- नहीं चाहिए ऐसा ‘विकास’
चमोली जिले के हाट गांव में अलकनंदा नदी पर 444 मेगावाट की विष्णुगाड-पीपलकोटी नाम की एक विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है। इसी परियोजना के लिए हाट गांव को विस्थापित किया जा रहा है।
सत्यम कुमार
06 Oct 2021
UTTARAKHAND
हाट गांव में प्रशासन द्वारा तोड़े गये घर (फोटो-राजेंद्र हटवाल)

एक माँ जिसका बेटा सरहद पर देश की सुरक्षा के लिए तैनात है, एक पोता जो श्राद्ध में अपनी दादी को तर्पण दे रहा था और एक दिव्यांग, उन्हें बिना किसी पूर्व चेतावनी के, प्रशासन ने पुलिस के सहयोग से जबरन घर से निकाल कर उन के घरों पर बुलडोजर चला कर बेघर कर दिया, यह कहना है हाट गांव के उन 16 परिवारों का जो विष्णुगाड-पीपलकोटी विद्युत् परियोजना के लिए आज बेघर हो चुके हैं। 

प्रशासन ने जबरन तोड़ दिए घर 

आप को बता दें उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले के हाट गांव में अलकनंदा नदी पर 444 मेगावाट की विष्णुगाड-पीपलकोटी नाम की एक विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है, साल 2003 में प्रस्तावित इस परियोजना से प्रभावित 7 गांव में से केवल हाट गांव को ही विस्थापित होने की जरूरत थी, प्रशासन के कहने पर गांव के कुछ लोगो ने पहले ही गांव को छोड़ दिया, लेकिन इसी गांव के कुछ परिवारों का कहना है कि यह उनके पुरखों की जमीन है, हम इसको खाली नहीं करना चाहते हैं, इसके लिए गांव वालो ने कई बार विरोध प्रदर्शन भी किया, लेकिन 22 सितम्बर 2021 को पुलिस फोर्स और प्रशासन की उपस्थिति में जबरन गांव वालो के घरो को तोड़ दिया गया।

Uttarakhandघर के बाहर बिखरा हुआ राशन (फोटो-नरेंद्र पोखरियाल)

जिस कारण 15 से भी अधिक परिवार आज खुले में रात बिताने को मजबूर हैं, लोग चिल्लाते रहे, महिलाएं रोती रहीं और प्रशासन से रहम की गुहार लगाती रहीं लेकिन प्रशासन और पुलिस ने इन सभी को अनदेखा करते हुए उनके सामान को जबरन घरों से बाहर फैंक दिया और इस कार्यवाही का विरोध कर रहे गांव के कुछ लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर गोपेश्वर थाने ले गयी। प्रभावित परिवारों का कहना है कि हमको बिना किसी पूर्व सूचना के ही प्रशासन ने इस प्रकार का अमानवीय कार्य किया है, हम लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था कि हमारी सरकार कभी हम लोगों को इतने बेरहम तरीके से हमारे घर से बेघर कर देगी।

Uttarakhandअपने टूटे घर देख, फ़फक कर रोता सेना से छुट्टी पर आया जवान (फोटो- राजेंद्र हटवाल )

प्रशासन की कार्यवाही के विरोध में प्रदर्शन  

बिना पूर्व सूचना के घरो को तोड़ने पर गुस्साए गांव वालो ने 4 अक्टूबर 2021 को टीएचडीसी के प्रशासनिक भवन के सामने धरना दिया, धरना दे रहे लोगो की मांग है कि 2009 में जो हाट गांव के लोगो के साथ विस्थापन को लेकर समझौता हुआ था उसको रद्द किया जाये, इस पूरे समझौते की एक स्वतंत्र कमेटी के द्वारा जाँच की जाये, जो लोग बेघर हो चुके हैं, तुरंत उनके रहने की व्यवस्था की जाये और इस परियोजना का नाम विष्णुगाड-पीपलकोटी विद्युत परियोजना से बदल कर विष्णुगाड-हाट विद्युत परियोजना हो जाये, ताकि हमारे गांव से जुड़ी जो हमारी पहचान है वह लुप्त ना हो जाये। धरनास्थल पर पहुंचे सयुंक्त मजिस्ट्रेट और उप जिलाधिकारी अभिनव शाह ने लोगों को आश्वासन दिया कि 12-13 अक्टूबर को गांव वालों की मुलाक़ात मुख्यमंत्री से कराई जायेगी, जिसके बाद लोगो ने धरना समाप्त कर दिया।

Uttarakhand
धरने पर बैठे हुए गांव वाले 


Uttarakhandजबरन घरों को तोड़े जाने के विरोध में टीएचडीसी के प्रशासनिक भवन के बहार धरना देते ग्रामीण (फोटो-नरेंद्र पोखरियाल) 

विस्थापन के लिये समझौता होने पर भी गांव के लोगों ने क्यों खाली नहीं किया गांव 

गांव के निवासी नरेंद्र पोखरियाल का कहना है कि 2009 में हाट गांव के विस्थापन को लेकर होने वाले समझौते के दौरान गांव के केवल कुछ ही लोग मौजूद थे, जो इस समझौते से सहमत थे, लेकिन गांव के अधिकांश लोग समझौते के लिये होने वाली सभा में मौजूद ही नहीं थे, लेकिन फिर भी प्रशासन द्वारा बार-बार गांव खाली करने के लिए दबाव बनाया गया। जिसका विरोध हम सब गांव वालो ने मिलकर किया, प्रशासन को यदि हमारी जमीन चाहिए तो उसके लिये पहले हमारी मंजूरी आवश्यक है, लेकिन प्रशासन ने जबरन हमारे घरों को तोड़ दिया। गांव के अधिकांश परिवार इस समझौते को नहीं मानते हैं। नरेंद्र पोखरियाल आगे बताते हैं कि प्रशासन को यदि कोई जगह खाली करानी होती है तो उसके लिए प्रशासन द्वारा लोगों को सूचित किया जाता है, कुछ समय जनता को दिया जाता है ताकि वह अपने घरों से जरूरी सामान को सुरक्षित निकाल लें, लेकिन यहां प्रशासन के द्वारा इस प्रकार की कोई सूचना घरों को तोड़े जाने से पहले हमें नहीं दी गई, हमारे घरों में रखा कीमती सामान, प्रशासन द्वारा की गयी इस कार्रवाई में टूट चुका है, हमारे गांव से विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास की कोई योजना प्रशासन द्वारा नहीं बनायी गयी है, जिन परिवारों का घर उनसे छीन लिया गया है वे आज खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं।  नरेंद्र आगे बताते है कि अपनी इच्छा से जो परिवार विस्थापित हुए हैं उनको जो राशि सरकार द्वारा दी गयी है वह आज के समय में महंगाई को देखते हुए बहुत ही कम है, इसके अतिरिक्त, गांव वालो ने अपना गांव खाली न करने को लेकर एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय में डाली थी, जिस पर न्यायालय ने योजना की मुख्य कार्यदायी संस्था टीएचडीसी से जवाब भी मांगा, लेकिन टीएचडीसी ने इस बारे में अपनी कोई जबाबदेही नहीं समझी। 

प्रकृति के लिए भी हानिकारक  

2014 में डॉ. रवि चोपड़ा की अध्यक्षता में आयी एक्सपर्ट कमेटी (असेसमेंट ऑफ़ एनवायर्नमेंटल डिग्रिडेशन एंड इम्पैक्ट ऑफ़ हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट) की रिपोर्ट में भी इस परियोजना को इस क्षेत्र के लिए खतरा बताया गया है।  एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य रहे हेमंत ध्यानी बताते हैं कि हिमालय में बनायी जा रही इन परियोजनाओं ने आपदाओं को बढ़ाया है, जिसका सीधा उदाहरण हम तपोवन परियोजना में देख सकते हैं जहां लगभग 200 लोग आपदा के कारण मारे गये, ऐसे समय पर जब सारी दुनिया के वैज्ञानिक पृथ्वी के बढ़ते तापमान को लेकर चिंतित हैं और बार बार इस प्रकार के निर्माण न करने के चेतावनी दे रहे हैं, ऐसे समय में हमारे राज्य में विकास के नाम पर प्रकृति को होने वाले नुकसान की परवाह किये बिना लगातार ये निर्माण कार्य किये जा रहे हैं। आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा बसाये गये इस ऐतिहासिक गांव को आज विकास के नाम पर उजाड़ दिया गया, आखिर यह विकास किसके लिये है? जो लोगों से उनका घर छीने और राज्य में आपदाओं को बढ़ाये, ऐसे विकास की आवश्यकता हम को नहीं है। 

न्यूजक्लिक ने प्रशासन का पक्ष जानने के लिए उप जिलाधिकारी अभिनव शाह से फोन पर बात की, उन्होंने हमें बताया कि मैं एक सरकारी कर्मचारी हूँ हमें गांव को खाली कराने का आदेश था, लेकिन अधिक जानकारी के लिये आप को कार्यदायी संस्था टीएचडीसी से ही बात करनी होगी, जिसके बाद हमने टीएचडीसी पीपलकोटी यूनिट हेड आर एन सिंह से फ़ोन पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो पाया, हमारे द्वारा आर एन सिंह को ईमेल कर दिया गया है जानकारी मिलने पर आप को अवगत करा  दिया जायेगा। 

(लेखक देहरादून स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं , लेख में निहित विचार उनके निजी हैं। )

Development of Uttarakhand
Challenges of Uttarakhand
UTTARAKHAND
uttarakhand govt.
uttarakhand strike
Environment
environment degradation

Related Stories

उत्तराखंड चुनाव: राज्य में बढ़ते दमन-शोषण के बीच मज़दूरों ने भाजपा को हराने के लिए संघर्ष तेज़ किया

‘(अ)धर्म’ संसद को लेकर गुस्सा, प्रदर्शन, 76 वकीलों ने CJI को लिखी चिट्ठी

देहरादून: प्रधानमंत्री के स्वागत में, आमरण अनशन पर बैठे बेरोज़गारों को पुलिस ने जबरन उठाया

उत्तराखंड: NIOS से डीएलएड करने वाले छात्रों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए अनुमति नहीं

मेडिकल छात्रों की फीस को लेकर उत्तराखंड सरकार की अनदेखी

अपने भविष्य के लिए लड़ते ब्राज़ील के मूल निवासी

उत्तराखंड: आंगनबाड़ी कार्यकर्ती एवं सेविका कर्मचारी यूनियन का विधानसभा कूच 

उत्तराखंड में धरने पर क्यों बैठी हुई हैं आशा कार्यकर्ता? सरकार से कहां तक पहुंची बातचीत!

छत्तीसगढ़: जशपुर के स्पंज आयरन प्लांट के ख़िलाफ़ आदिवासी समुदायों का प्रदर्शन जारी 

उत्तराखंड में स्वच्छता के सिपाही सड़कों पर, सफाई व्यवस्था चौपट; भाजपा मांगों से छुड़ा रही पीछा


बाकी खबरें

  • अनिल अंशुमन
    झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 
    12 May 2022
    दो दिवसीय सम्मलेन के विभिन्न सत्रों में आयोजित हुए विमर्शों के माध्यम से कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध जन संस्कृति के हस्तक्षेप को कारगर व धारदार बनाने के साथ-साथ झारखंड की भाषा-संस्कृति व “अखड़ा-…
  • विजय विनीत
    अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद की शक्ल अख़्तियार करेगा बनारस का ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा?
    12 May 2022
    वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने लगातार दो दिनों की बहस के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिवक्ता कमिश्नर नहीं बदले जाएंगे। उत्तर प्रदेश के…
  • राज वाल्मीकि
    #Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान
    12 May 2022
    सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन पिछले 35 सालों से मैला प्रथा उन्मूलन और सफ़ाई कर्मचारियों की सीवर-सेप्टिक टैंको में हो रही मौतों को रोकने और सफ़ाई कर्मचारियों की मुक्ति तथा पुनर्वास के मुहिम में लगा है। एक्शन-…
  • पीपल्स डिस्पैच
    अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की
    12 May 2022
    अल जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह (51) की इज़रायली सुरक्षाबलों ने उस वक़्त हत्या कर दी, जब वे क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक स्थित जेनिन शरणार्थी कैंप में इज़रायली सेना द्वारा की जा रही छापेमारी की…
  • बी. सिवरामन
    श्रीलंकाई संकट के समय, क्या कूटनीतिक भूल कर रहा है भारत?
    12 May 2022
    श्रीलंका में सेना की तैनाती के बावजूद 10 मई को कोलंबो में विरोध प्रदर्शन जारी रहा। 11 मई की सुबह भी संसद के सामने विरोध प्रदर्शन हुआ है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License