NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था
वंदे भारत, तेजस और मेक इन इंडिया का बंटाधार
सरकारी अफसरशाही और उसके चारों और मँडराते दलाल समूहों के हित हमेशा से विदेशों से महँगे आयात से जुड़े रहे हैं क्योंकि इस प्रक्रिया में उनके लिए कमाई का बड़ा मौका होता है।
मुकेश असीम
13 Jan 2020
make in india

प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में चमत्कारिक सुधार और करोड़ों रोजगार सृजन हेतु मैनुफेक्चुरिंग को प्रोत्साहन देने के लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम ज़ोरशोर से आरंभ किया था, किन्तु उसका नतीजा शून्य ही रहा। इसकी असफलता के पीछे के कारणों को समझना हो तो वंदे भारत ट्रेन या तेजस लड़ाकू विमान के प्रोजेक्ट इसके अत्यंत सटीक उदाहरण हैं।

एक साल से कुछ अधिक पहले बड़े ज़ोर-शोर से नई दिल्ली-वाराणसी के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस नामक तेज गति ट्रेन चलाई गई थी। बाद में ऐसी ही एक ट्रेन नई दिल्ली और कटरा के बीच भी चलाई गई। उस समय मीडिया में इस मेक इंडिया ट्रेन की सफलता का भारी प्रचार हुआ था और खबर थी कि 3 साल में ऐसी 40 और गाडियाँ निर्मित कर चलाई जायेंगी। पर बाद में ऐसी और कोई गाड़ी नहीं चलाई गई।
vande bharat.jpg

वंदे भारत ट्रेन की खास बात क्या थी? असल में अभी जो रेलगाड़ियाँ चलाई जाती हैं वह अलग-अलग यात्री डिब्बों को शृंखला में जोड़कर बनाई जाती हैं और उनके आगे यात्रा की दिशा में एक इंजन लगा दिया जाता है। किंतु पिछले 25 सालों में रेलवे तकनीक में जो उन्नति हुई है उससे इस किस्म की गाडियाँ पुरानी हो गई हैं। इसके बजाय अब सभी उन्नत देशों के रेलवे सिस्टम स्थायी ट्रेन सेट का प्रयोग करने लगे हैं जिनमें पूरी ट्रेन अलग इंजन व डिब्बों के बजाय एक स्थायी सेट के रूप में बनी होती है और गाड़ी के दोनों सिरों पर यात्री डिब्बों के एक हिस्से में ही ड्राईवर का केबिन बना होता है। गाड़ी में एक अलग इंजन के बजाय एक से अधिक डिब्बों में बिजली चालित मोटर लगे होते हैं। इस तरह न सिर्फ इसका परिचालन आसान है बल्कि इस तकनीक से बनी ट्रेन हल्की होने से कम ऊर्जा की खपत होती है और यह तेजी से गति पकड़ती है।

वंदे भारत ट्रेन इसी प्रकार के एक ट्रेन सेट या ट्रेन 18 (18 यात्री डिब्बों का सेट) तकनीक पर आधारित थी। भारतीय रेलवे में इस तकनीक को अपनाने का प्रयास लंबे समय से चल रहा था पर इसमें बाधा इस विवाद की वजह से थी कि इसका आयात किया जाये या भारत में ही बनाया जाये, और भारत में ही बनाया जाये तो कौन सा विभाग इसकी ज़िम्मेदारी ले। मोदी सरकार के आरंभिक दौर में इसे बनाने की ज़िम्मेदारी चेन्नई की इंटीग्रल कोच फ़ैक्टरी (आईसीएफ़) को दी गई थी। आईसीएफ़ के इंजीनियरों व कर्मियों ने इसे 18 महीने के अंदर ही तैयार भी कर दिया था। यह सुरक्षा जाँच की कसौटी पर भी सही उतरी और दो ट्रेन सफलतापूर्वक चालू भी हो गई।

मगर इसके बाद स्थितियाँ तुरंत बदल गईं। रेलवे बोर्ड ने ट्रेन सेट 18 का उत्पादन रोकने के आदेश दिये और रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ओर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) को नए मानक तैयार करने के लिए कहा। इस तरह अचानक दो सेट के सफल उत्पादन और परिचालन के पश्चात ट्रेन के लिए तय किए गये मानक बदल दिये गये। पहले जाँच के बाद सब सही पाने वाले सेफ़्टी कमिश्नर ने भी सुरक्षा मानक में परिवर्तन कर आग रोकने के लिए नये मानक अपनाने का आदेश दिया। साथ ही ट्रेन सेट 18 का निर्माण करने वाली मुख्य टीम पर विजिलेंस जाँच भी बैठा दी गई। इस तरह भारी प्रचार व प्रशंसा पाने वाला पूरा सफल प्रोजेक्ट ठप हो गया। अब पता चला है कि रेलवे ने ऐसी गाडियाँ खरीदने के लिए वैश्विक टेंडर जारी कर दिया है अर्थात अब यह ट्रेन सेट स्वदेश में विकसित तकनीक से भारत में ही बनाने के बजाय बाहर से खरीदा जायेगा या किसी विदेशी कंपनी की तकनीक खरीदकर बनाया जायेगा।

इसी तरह की बात डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ओर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा तैयार स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के मामले में होती रही है। अभी 11 जनवरी को ही नौसेना के पाइलटों ने आईएनएस विक्रमादित्य पर स्प्रिंग व वायर तकनीक से तेजस मार्क 1 की सफलतापूर्वक उड़ान व लैंडिंग कर दिखाई थी जो इससे पहले सिर्फ 5 देशों की नौसेनायें ही कर पाई हैं। मगर बाद में पता चला कि नौसेना के साथ तय मानकों के अनुसार इस कामयाब परीक्षण के बावज़ूद भी अब नौसेना तेजस मार्क 1 नहीं खरीदेगी क्योंकि अब उन्होने इसमें और तकनीकी फीचर जोड़ने को कहा है जिन्हें तैयार होने में फिर से और वक्त लगेगा। तब फिर से तेजस मार्क 2 के परीक्षण के बाद फैसला किया जायेगा। तब तक शायद नौसेना कहीं विदेश से कई गुना महँगा लड़ाकू विमान खरीदेगी।
tejas.jpg
वायुसेना में भी इसी प्रकार की कहानी दोहराई जाती रही है। पहले वायुसेना की मांग के अनुसार लड़ाकू विमान तेजस मार्क 1 तैयार किया गया। पर उसके तैयार होने पर उन्होने तय तकनीकी मानकों में बदलाव कर दिये, जिनके लिए और समय लगा। इस बीच में वायुसेना ने फ्रांस में निर्मित महँगा रफ़ाल खरीदने का फैसला कर लिया। अब रफ़ाल के मुक़ाबले कहीं बहुत सस्ते तेजस मार्क 1A के लिए भी मुश्किल से कुछ ऑर्डर देने की बात जारी है, कहा जा रहा है कि संभवतः इस वर्ष के अंत तक 83 तेजस का ऑर्डर एचएएल को मिले, किंतु अभी भी यह अनिश्चित ही है। स्थिति यह है कि इसको उत्पादित करने वाले हिंदुस्तान ऐरोनौटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के भविष्य पर ही सवाल खड़े हो गये हैं क्योंकि उसके पास 2021 के बाद उत्पादन के ऑर्डर नहीं हैं।

आखिर बार-बार यह कहानी दोहराये जाने के पीछे कारण क्या हैं? इसे भारतीय राजसत्ता और अर्थव्यवस्था में दो विपरीत हितों के बीच संघर्ष में देखा जाना चाहिए। एक और राष्ट्रीय पूंजीपति वर्ग का एक हिस्सा आयात के बजाय भारत में ही औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाने पर ज़ोर देता रहा है। इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े निगम स्थापित किए गये जो बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश के साथ मुनाफे में जोखिम को वहन कर सकें। किंतु ये निगम बहुत सा उत्पादन का काम ठेके पर निजी क्षेत्र को देकर उसकी जरूरत को भी पूरा करते रहे हैं। किंतु सरकारी अफसरशाही और उसके चारों और मँडराते दलाल समूहों के हित हमेशा से विदेशों से महँगे आयात से जुड़े रहे हैं क्योंकि इस प्रक्रिया में उनके लिए कमाई का बड़ा मौका होता है।
   
अब लगता है कि मोदी सरकार द्वारा घोषित तौर पर अपनाई गई मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन देने की नीति के बजाय लगता है कि सरकार में अपने निहित स्वार्थों के कारण महँगे आयात को पसंद करने वाली लॉबी मजबूत हो गई है और वह मेक इन इंडिया के प्रोजेक्टों के बजाय विदेशी कंपनियों से आयात के पक्ष में निर्णय करा पाने में सफल हो रही है। इससे पूरी मेक इन इंडिया नीति की असफलता का तो पता चलता ही है, अर्थव्यवस्था में, खास तौर पर मैनुफेक्चुरिंग क्षेत्र में, नये पूंजी निवेश में देखी जा रही भारी गिरावट का एक कारण भी पता चलता है। इससे यह भी तय है कि 45 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुँची बेरोजगारी दर में निकट भविष्य में शायद ही कमी आये। यह रोजगार की तलाश कर रही देश की बड़ी युवा आबादी के लिए अत्यंत निराशाजनक खबर है।

MAKE IN INDIA
Vande Bharat Express
Tejas
economy of
economic crises
Economic Recession
GDP
modi sarkar
BJP
Narendra modi
Nirmala Sitharaman
india air force

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • Yeti Narasimhanand
    न्यूज़क्लिक टीम
    यति नरसिंहानंद : सुप्रीम कोर्ट और संविधान को गाली देने वाला 'महंत'
    23 Apr 2022
    यति नरसिंहानंद और अ(संतों) का गैंग हिंदुत्व नेता यति नरसिंहानंद गिरी ने दूसरी बार अपने ज़मानत आदेश का उल्लंघन करते हुए ऊना धर्म संसद में मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रती बयान दिए हैं। क्या है यति नरसिंहानंद…
  • विजय विनीत
    BHU : बनारस का शिवकुमार अब नहीं लौट पाएगा, लंका पुलिस ने कबूला कि वह तलाब में डूबकर मर गया
    22 Apr 2022
    आरोप है कि उनके बेटे की मौत तालाब में डूबने से नहीं, बल्कि थाने में बेरहमी से की गई मारपीट और शोषण से हुई थी। हत्या के बाद लंका थाना पुलिस शव ठिकाने लगा दिया। कहानी गढ़ दी कि वह थाने से भाग गया और…
  • कारलिन वान हाउवेलिंगन
    कांच की खिड़कियों से हर साल मरते हैं अरबों पक्षी, वैज्ञानिक इस समस्या से निजात पाने के लिए कर रहे हैं काम
    22 Apr 2022
    पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाले लोग, सरकारों और इमारतों के मालिकों को इमारतों में उन बदलावों को करने के लिए राजी करने की कोशिश कर रहे हैं, जिनके ज़रिए पक्षियों को इन इमारतों में टकराने से…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ :दो सूत्रीय मांगों को लेकर 17 दिनों से हड़ताल पर मनरेगा कर्मी
    22 Apr 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले वे 4 अप्रैल से हड़ताल कर रहे हैं। पूरे छत्तीसगढ़ के 15 हज़ार कर्मचारी हड़ताल पर हैं फिर भी सरकार कोई सुध नहीं ले रही है।
  • ईशिता मुखोपाध्याय
    भारत में छात्र और युवा गंभीर राजकीय दमन का सामना कर रहे हैं 
    22 Apr 2022
    राज्य के पास छात्रों और युवाओं के लिए शिक्षा और नौकरियों के संबंध में देने के लिए कुछ भी नहीं हैं। ऊपर से, अगर छात्र इसका विरोध करने के लिए लामबंद होते हैं, तो उन्हें आक्रामक राजनीतिक बदले की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License