NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
...आएंगे, उजले दिन ज़रूर आएंगे
आज हमारे प्रिय कवि वीरेन डंगवाल (5 अगस्त 1947-28 सितंबर 2015) का जन्मदिन है। इस मौके पर पढ़ते हैं उनकी बेहद ख़ास और उम्मीद जगाती कविता “आएंगे, उजले दिन ज़रूर आएंगे”
न्यूज़क्लिक डेस्क
05 Aug 2021
Viren Dangwal

‘अच्छे दिन’ का धोखा हम खा चुके हैं, लेकिन ‘उजले दिन’ ज़रूर आएंगे। क्योंकि अच्छे दिन एक राजनेता का वादा था, जिसे आपसे वोट चाहिए था और उजले दिन एक कवि का वादा है, जिसे आपसे कुछ भी नहीं चाहिए, वह तो देना चाहता है आपको एक उम्मीद, एक हिम्मत। वह कहता भी है- आए हैं जब चलकर इतने लाख बरस/ इसके आगे भी चलते ही जाएंगे। आइए पढ़ते हैं उनकी यह ख़ास कविता-

आएंगे, उजले दिन ज़रूर आएंगे

 

आतंक सरीखी बिछी हुई हर ओर बर्फ़

है हवा कठिन, हड्डी-हड्डी को ठिठुराती

आकाश उगलता अन्धकार फिर एक बार

संशय विदीर्ण आत्मा राम की अकुलाती

 

होगा वह समर, अभी होगा कुछ और बार

तब कहीं मेघ ये छिन्न-भिन्न हो पाएँगे

 

तहखानों से निकले मोटे-मोटे चूहे

जो लाशों की बदबू फैलाते घूम रहे

हैं कुतर रहे पुरखों की सारी तस्वीरें

चीं-चीं, चिक-चिक की धूम मचाते घूम रहे

 

पर डरो नहीं, चूहे आखिर चूहे ही हैं

जीवन की महिमा नष्ट नहीं कर पाएंगे

 

यह रक्तपात यह मारकाट जो मची हुई

लोगों के दिल भरमा देने का ज़रिया है

जो अड़ा हुआ है हमें डराता रस्ते पर

लपटें लेता घनघोर आग का दरिया है

 

सूखे चेहरे बच्चों के उनकी तरल हँसी

हम याद रखेंगे, पार उसे कर जाएंगे

 

मैं नहीं तसल्ली झूठ-मूठ की देता हूं

हर सपने के पीछे सच्चाई होती है

हर दौर कभी तो ख़त्म हुआ ही करता है

हर कठिनाई कुछ राह दिखा ही देती है

 

आए हैं जब चलकर इतने लाख बरस

इसके आगे भी चलते ही जाएंगे

 

आएंगे, उजले दिन ज़रूर आएंगे

-    वीरेन डंगवाल

Viren Dangwal
Indian poet
Academic
journalist

Related Stories

"रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष

नागरिकों से बदले पर उतारू सरकार, बलिया-पत्रकार एकता दिखाती राह

बलिया पेपर लीक मामला: ज़मानत पर रिहा पत्रकारों का जगह-जगह स्वागत, लेकिन लड़ाई अभी बाक़ी है

जीत गया बलिया के पत्रकारों का 'संघर्ष', संगीन धाराएं हटाई गई, सभी ज़मानत पर छूटे

बलिया: पत्रकारों की रिहाई के लिए आंदोलन तेज़, कलेक्ट्रेट घेरने आज़मगढ़-बनारस तक से पहुंचे पत्रकार व समाजसेवी

पत्रकारों के समर्थन में बलिया में ऐतिहासिक बंद, पूरे ज़िले में जुलूस-प्रदर्शन

तिरछी नज़र: कुछ भी मत छापो, श..श..श… देश में सब गोपनीय है

सीधी प्रकरण: अस्वीकार्य है कला, संस्कृति और पत्रकारिता पर अमानवीयता

पेपर लीक प्रकरणः ख़बर लिखने पर जेल भेजे गए पत्रकारों की रिहाई के लिए बलिया में जुलूस-प्रदर्शन, कलेक्ट्रेट का घेराव

यूपी बोर्डः पेपर लीक प्रकरण में "अमर उजाला" ने जेल जाने वाले अपने ही पत्रकारों से क्यों झाड़ लिया पल्ला?


बाकी खबरें

  • समीना खान
    ज़ैन अब्बास की मौत के साथ थम गया सवालों का एक सिलसिला भी
    16 May 2022
    14 मई 2022 डाक्टर ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ज़ैन अब्बास ने ख़ुदकुशी कर ली। अपनी मौत से पहले ज़ैन कमरे की दीवार पर बस इतना लिख जाते हैं- ''आज की रात राक़िम की आख़िरी रात है। " (राक़िम-…
  • लाल बहादुर सिंह
    शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा
    16 May 2022
    इस दिशा में 27 मई को सभी वाम-लोकतांत्रिक छात्र-युवा-शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच AIFRTE की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कन्वेंशन स्वागत योग्य पहल है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!
    16 May 2022
    फ़िल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कहना है कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसान का बेटा भी एक फिल्म बना सके।
  • वर्षा सिंह
    उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!
    16 May 2022
    “किसी स्थान की वहनीय क्षमता (carrying capacity) को समझना अनिवार्य है। चाहे चार धाम हो या मसूरी-नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल। हमें इन जगहों की वहनीय क्षमता के लिहाज से ही पर्यटन करना चाहिए”।
  • बादल सरोज
    कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी
    16 May 2022
    2 और 3 मई की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के गाँव सिमरिया में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर पहुंचे बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह ने पहले घर में सोते हुए आदिवासी धनसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License