NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भीमा कोरेगांव दमन चक्र कहां रुकेगा
असहमति और विरोध को कुचलने के लिए सरकारी दमनचक्र जारी है। यलगार परिषद मामला और दिल्ली शाहीन बाग़ आंदोलन मामला ‘आपदा को अवसर में बदलने’ का नया नाम बन गये हैं।
अजय सिंह
14 Sep 2020
भीमा कोरेगांव
भीमा कोरेगांव मामले में हो रही गिरफ़्तारियों के विरोध में पिछले दिनों दिल्ली में हुए एक प्रदर्शन की तस्वीर। साभार: ट्विटर 

भीमा कोरेगांव-यलगार परिषद मामले में गिरफ़्तारियों का सिलसिला जारी है। अब तक इस मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने 15 लोगों को गिरफ़्तार किया है। तीन लोगों को एनआईए ने पूछताछ के लिए अपने दफ़्तर (मुंबई) बुलाया है। ऐसी आशंका है कि इन्हें भी गिरफ़्तार कर लिया जायेगा। असहमति और विरोध को कुचलने के लिए सरकारी दमनचक्र जारी है। यलगार परिषद मामला और दिल्ली शाहीन बाग़ आंदोलन मामला ‘आपदा को अवसर में बदलने’ का नया नाम बन गये हैं।

भीमा कोरेगांव मामले में जिन तीन बुद्धिजीवियों को एनआईए ने समन भेजा है, उनके नाम हैं: कोलकाता-स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) के प्रोफ़ेसर पार्थो सारथी राय, हैदराबाद-स्थित अंगरेज़ी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर के. सत्यनारायण, और हैदराबाद के वरिष्ठ पत्रकार केवी कुरमनथ। सत्यनारायण और कुरमनथ जेल में बंद कवि वरवर राव के दामाद है। वरवर राव को दो साल पहले इस मामले में गिरफ़्तार कर लिया गया था। पार्थो सारथी विषाणुओं पर शोध कार्य करनेवाले वायरोलॉजी वैज्ञानिक हैं, और मानवाधिकार एक्टिविस्ट हैं।

महाराष्ट्र में एनआईए ने 7 व 8 सितंबर 2020 को भीमा कोरेगांव मामले में सांस्कृतिक संगठन कबीर कला मंच से जुड़े तीन युवा कलाकारों-लोकगायकों—सागर तात्याराम गोरखे, रमेश गायचोर और ज्योति जगतप—को गिरफ़्तार कर लिया। दलित-आदिवासी-अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए लड़ने वाले ये तीनों कलाकार एक्टिविस्ट पुणे के निवासी हैं। इन्हें मिलाकर इस मामले में अब तक 15 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है।

केंद्र की हिंदुत्ववादी फ़ासीवादी भारतीय जनता पार्टी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शह पर भीमा कोरेगांव मामले से जुड़ी गिरफ़्तारियों का सिलसिला जून 2018 से शुरू हुआ। यह सिलसिला जारी है, और यह कहां व कब रुकेगा, कहना मुश्किल है। हर बार ‘भारत सरकार के ख़िलाफ़ षडयंत्र’ की नयी थ्योरी, नया क़िस्सा पुलिस व एनआईए (राष्ट्रीय जाँच एजेंसी) की तरफ़ से पेश किया जाता है, और हर बार नया निशाना व नया टार्गेट ढूंढा जाता है।

गिरफ़्तार किये गये अभियुक्तों पर अदालत में मुक़दमा कब चलेगा, सुनवाई कब शुरू होगी, कुछ पता नहीं। अनिश्चित काल के लिए उन्हें जेलों में बंद कर, बिना सज़ा सुनाये, सज़ा दी जा रही है। गिरफ़्तार किये गये 15 लोगों में से 9 लोग दो साल से ज़्यादा समय से जेलों में बंद है, और उन्हें एक बार भी ज़मानत नहीं मिली। शेष 6 अभियुक्तों को भी ज़मानत नहीं मिली। इन छह लोगों को इस साल अप्रैल से अब तक—कोरोना लॉकडाउन के दौरान—बंदी बनाया गया।

इस मामले में जिन्हें गिरफ़्तार किया गया है, ये वे लोग हैं, जो समाज के सर्वाधिक वंचित-उत्पीड़ित तबकों और हाशिए पर फेंक दिये गये समूहों के लिए काम करते रहे हैं, और मनुष्य की स्वतंत्रता व गरिमा के वाहक और गायक रहे हैं। जिन्हें गिरफ़्तार किया गया है, वे कलाकार व संस्कृतिकर्मी हैं, ट्रेड यूनियन नेता, मानवाधिकार कार्यकर्ता व सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, कवि व लेखक हैं, प्रोफ़ेसर, अकादमीशियन, पत्रकार और वकील हैं। ये सब-के-सब ‘आत्मा के इंजीनियर’ हैं।

जिन लोगों को भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ़्तार किया गया है, उनके नाम हैं: महेश राउत, हनी बाबू एमटी, सुधा भारद्वाज, शोमा सेन, वरवर राव, सुधीर धावले, सुरेंद्र गाडलिंग, रोना विल्सन, अरुण फ़रेरा, वरनान गोंजाल्विस, गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबडे, ज्योति जगतप, रमेश गायचोर और सागर तात्याराम गोरखे।

इन साथियों ने देश में लोकतंत्र की परिभाषा, समझ व दायरे का विस्तार किया है और उसे भारत के संविधान की प्रस्तावना के अनुरूप बनाने की लड़ाई लड़ी है। यही इनका गुनाह है!

(लेखक वरिष्ठ कवि व राजनीतिक विश्लेषक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Bhima Koregaon
Shaheen Bagh
NIA
IISER
Elgar Parishad case
BJP
Narendra modi
Activists
Human rights activist

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • BIRBHUMI
    रबीन्द्र नाथ सिन्हा
    टीएमसी नेताओं ने माना कि रामपुरहाट की घटना ने पार्टी को दाग़दार बना दिया है
    30 Mar 2022
    शायद पहली बार टीएमसी नेताओं ने निजी चर्चा में स्वीकार किया कि बोगटुई की घटना से पार्टी की छवि को झटका लगा है और नरसंहार पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री के लिए बेहद शर्मनाक साबित हो रहा है।
  • Bharat Bandh
    न्यूज़क्लिक टीम
    देशव्यापी हड़ताल: दिल्ली में भी देखने को मिला व्यापक असर
    29 Mar 2022
    केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के द्वारा आवाह्न पर किए गए दो दिवसीय आम हड़ताल के दूसरे दिन 29 मार्च को देश भर में जहां औद्दोगिक क्षेत्रों में मज़दूरों की हड़ताल हुई, वहीं दिल्ली के सरकारी कर्मचारी और…
  • IPTA
    रवि शंकर दुबे
    देशव्यापी हड़ताल को मिला कलाकारों का समर्थन, इप्टा ने दिखाया सरकारी 'मकड़जाल'
    29 Mar 2022
    किसानों और मज़दूरों के संगठनों ने पूरे देश में दो दिवसीय हड़ताल की। जिसका मुद्दा मंगलवार को राज्यसभा में गूंजा। वहीं हड़ताल के समर्थन में कई नाटक मंडलियों ने नुक्कड़ नाटक खेलकर जनता को जागरुक किया।
  • विजय विनीत
    सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी
    29 Mar 2022
    "मोदी सरकार एलआईसी का बंटाधार करने पर उतारू है। वह इस वित्तीय संस्था को पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है। कारपोरेट घरानों को मुनाफा पहुंचाने के लिए अब एलआईसी में आईपीओ लाया जा रहा है, ताकि आसानी से…
  • एम. के. भद्रकुमार
    अमेरिका ने ईरान पर फिर लगाम लगाई
    29 Mar 2022
    इज़रायली विदेश मंत्री याइर लापिड द्वारा दक्षिणी नेगेव के रेगिस्तान में आयोजित अरब राजनयिकों का शिखर सम्मेलन एक ऐतिहासिक परिघटना है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License