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क्यों चीन के ख़िलाफ़ अमेरिकी आर्थिक जंग विफल हो रही है
आईएमएफ़ द्वारा वैश्विक स्तर पर लगाए गए अनुमानों से संकेत मिलता है कि 2020-2021 तक चीन पूर्ण बहुमत में होगा और विश्व विकास का 51 प्रतिशत उसकी झोली में होगा, और अमेरिका के खाते में केवल 3 प्रतिशत जाएगा- हालांकी यूएस के मामले में आईएमएफ़ की नई भविष्यवाणियां वास्तविकता से अधिक भी हो सकती हैं।
विजय प्रसाद, जॉन रॉस
09 Oct 2020
Translated by महेश कुमार
क्यों चीन के ख़िलाफ़ अमेरीकी आर्थिक जंग विफल हो रही है

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अधिकांश अमेरिकी संस्थाओं के समर्थन से चीनी अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी सरकार के हमलों को तेज़ कर दिया है। शायद चीन के साथ "व्यापार युद्ध" ट्रम्प के राजनीतिक आधार के लिए एक बेहतर हथियार है, जो कहीं ना कहीं ये उम्मीद करते है कि चीन पर आर्थिक हमला चमत्कारिक रूप से उनके देश में आर्थिक तरक्की लाएगा।  2018 में ही, ट्रम्प सरकार ने विभिन्न चीनी सामानों पर 200 बिलियन डॉलर से अधिक का टैरिफ थोप दिया था। फिर, ट्रम्प प्रशासन हुआवेई, जेडटीई, बाइटडांस (टिकटॉक के मालिकों), और वीचैट जैसी चीनी उच्च तकनीक फर्मों के पीछे पड़ गया।

इन चालों या कदमों में से किसी ने भी अच्छे से काम नहीं किया। बल्कि ट्रम्प को "व्यापार  युद्ध" के मामले में नकारात्मक कानूनी निर्णयों का सामना करना पड़ा और अमेरिकी अर्थव्यवस्था नकारात्मक क्षेत्र में फिसल गई। यह सिर्फ ट्रम्प नहीं है। बल्कि रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी दोनों ही ऐसी नीतियों के प्रति प्रतिबद्ध हैं लेकिन चीन किसी भी हालत में अमेरिकी महत्वाकांक्षाओं के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा। अमेरिका अपनी इन तकलीफदेह नीतियों से पीछे हट सकता है और चीन के साथ बातचीत का रास्ता अपना सकता है; ऐसा करना, निश्चित रूप से, जरूरी होगा।

कानूनी झटके 

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और अमेरिकी जिला कैलिफोर्निया के उत्तरी जिले में कानूनी चुनौतियां ट्रम्प प्रशासन के खिलाफ चली गईं हैं। यह अमेरिकी सरकार की नीति को करारा  झटका है।

ट्रम्प द्वारा चीनी आयतित माल पर लगाए गए भयंकर टैरिफ के बाद, चीनी सरकार ने औपचारिक रूप से डब्ल्यूटीओ के “विवाद निपटान व्यवस्था” के माध्यम से इस मामले को उठाया। काफी अध्ययन करने के बाद, विश्व व्यापार संगठन किसी फैसले पर पहुंचा। 15 सितंबर, 2020 को, डब्ल्यूटीओ के तीन-व्यक्ति वाले पैनल ने पाया कि अमेरिका ने 1994 में टैरिफ एंड ट्रेड (जीएटीटी) के मामले में डब्ल्यूटीओ की तय संधि के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की गंभीर हार थी; अब ट्रंप प्रशासन के पास अपील दायर करने के लिए 60 दिन का समय है।

संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार को हारना पसंद नहीं है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर ने पैनल के फैंसले की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया। "इस पैनल की रिपोर्ट," लाइटहाइज़र ने कहा, "पुष्टि करती है कि ट्रम्प प्रशासन चार सालों से कह क्या रहा है: कि डब्ल्यूटीओ चीन की हानिकारक प्रौद्योगिकी कारगुजारियों को रोकने में पूरी तरह से नाकामयाब है।" अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ को अंतिम लागू फैसले को लागू करने की डब्ल्यूटीओ की क्षमता को पंगु बना दिया है, क्योंकि डब्ल्यूटीओ का अपील कोर्ट फिलहाल काम नहीं कर रहा है क्योंकि वाशिंगटन ने इसके नए सदस्यों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।

1994 में, अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन के निर्माण पर जोर दिया था, इसके कई नियम भी खुद ही लिखे, और 2001 में चीन को विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बनाया गया था। क्योंकि यू.एस. को लगा कि दुनिया की कमान उसके हाथ में है, यद्द्पि विश्व व्यापार संगठन ने अपने हितों को आगे बढ़ाने का काम किया; अब जब चीन की अर्थव्यवस्था मजबूत हो गई है, तो अमेरिका डब्ल्यूटीओ के नियमों को अपने ऊपर बोझ मानता है। मुक्त व्यापार केवल यूएस जैसी सरकारों के लिए उपयोगी है क्योंकि यह उनकी कंपनियों के लिए फायदेमंद होता है; मुक्त व्यापार का सिद्धांत अन्यथा आसानी से खारिज किया जा सकता है।

यहां तक कि अमेरिका के भीतर भी, ट्रम्प की नीतियों को लेकर भारी संदेह है। चीन में लोगों के साथ संवाद करने के साधन के रूप में अमेरिकी निवासियों को वीचैट का इस्तेमाल करने से रोकने के ट्रम्प के प्रयास को धता बताते हुए एक न्यायाधीश ने निषेधाज्ञा पर हस्ताक्षर किए। अमेरिकी चुनावों के बाद टिकटोक पर भी दबाव कम हो सकता है।

आर्थिक झुकाव 

फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ सेंट लुइस के एक वरिष्ठ विश्लेषक का कहना है कि अमेरिका में "अराजक" लॉकडाउन की वजह से आर्थिक प्रभाव कम से कम एक पीढ़ी के ऊपर बड़े व्यवधान पैदा करेगा। वे कहते हैं कि इसकी संभावना कम है कि यू.एस. "आसानी से वापसी करने" में सक्षम होगा। चीन की रिकवरी के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि अभी तक वहाँ चीजें काफी बेहतर हैं। लेकिन उन्होने यह भी कहा कि अमेरिका के बाजार पर चीन की किसी भी तरह की निर्भरता का चीन की वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

चीन ने निश्चित तौर पर कोविड-19 संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ दिया है, हालांकि अधिकारी कोविड के नए प्रकोप के लिए सतर्क हैं; अमेरिका में, दूसरी लहर के बारे में बात करना मुश्किल है क्योंकि पहली लहर अभी तक जारी है।

इसका मतलब यह है कि 2020 की दूसरी तिमाही में, चीन का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एक साल पहले के स्तर से 3.2 प्रतिशत ऊपर था; इस बीच, अमेरिका की जीडीपी पिछले साल के स्तर से 9 प्रतिशत कम हो गई। चीन पहले से ही रिकवरी के रास्ते पर है, जबकि अमेरिका यह भी नहीं जानता है कि संक्रमण अपने चरम पर पहुंचा है या नहीं।

अमेरिकी और चीन औद्योगिक उत्पादन के कुछ अलग आंकलन प्रकाशित करते हैं, लेकिन इसके इनके बीच की भिन्नता इतनी अधिक है कि यह सापेक्ष रुझानों के बारे में कोई संदेह नहीं छोड़ता है। चीन औद्योगिक उद्यमों द्वारा जोड़े गए कुल मूल्य के मामले में प्रकाशित डेटा, अगस्त 2020 में एक साल पहले की तुलना में 5.6 प्रतिशत अधिक था, जबकि इसके विपरीत अगस्त 2020 में यूएस में औद्योगिक उत्पादन एक साल पहले की तुलना में 7.7 प्रतिशत कम था। चीन के औद्योगिक उत्पादन का स्तर एक साल पहले की तुलना में अधिक था, जबकि अमेरिका इससे काफी नीचे था।

चीन के अधिक गतिशील आर्थिक सुधार के परिणामस्वरूप, चीन का व्यापार संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में बहुत तेजी से सुधर रहा है। यह आयात के मामले में भी स्पष्ट है- जो अन्य देशों के लिए उनका निर्यात हैं। जुलाई में, पिछले महीने जिसके लिए अमेरिका और चीन दोनों का डाटा मौजूद है, चीन के आयात में लगभग महामारी से पहले के स्तर आ गया है- जो कि एक साल पहले की तुलना में केवल 1 प्रतिशत कम था। इसके विपरीत, अमेरिकी आयात अभी भी एक साल पहले से लगभग 11 प्रतिशत नीचे है। 

इन रुझानों का नतीजा यह है कि चीन कोविड-19 मंदी से विश्व आर्थिक सुधार का केंद्र होगा- जबकि अमेरिका इसमें लगभग कुछ भी योगदान नहीं कर पाएगा।

आईएमएफ के नवीनतम वैश्विक अनुमानों से संकेत मिलता है कि 2020-2021 में, चीन पूर्ण बहुमत के साथ विश्व विकास दर का 51 प्रतिशत का हिस्सेदार होगा, और अमेरिका केवल 3 प्रतिशत का हकदार होगा- और यूएस के मामले में आईएमएफ की नई भविष्यवाणियां संकेत दे रही है कि हो सकता है यूएस के मामले में आईएमएफ की नई भविष्यवाणियां वास्तविकता से अधिक भी हो सकती हैं। आईएमएफ के विश्लेषण के अनुसार विश्व विकास दर में अन्य योगदानकर्ताओं में अधिकांश रूप से वे एशियाई अर्थव्यवस्थाएं होंगी जिनके चीन के साथ बेहतर दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और मलेशिया के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध हैं।

वैश्विक स्थिति का विश्लेषण करते वक़्त, कोविड-19 संकट के प्रभाव का विकासशील और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के बीच विभाजित करने के मामले में विश्व अर्थव्यवस्था के विकास के पैटर्न पर बहुत नाटकीय प्रभाव पड़ता है। आईएमएफ के अनुमानों के आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की जीडीपी 2019 के स्तर से से 3.6 प्रतिशत नीचे रहेगी, जबकि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में यह 2019 के मुकाबले 2.7 प्रतिशत अधिक होगी। यह विश्व आर्थिक विकास के पक्ष में एक बड़ा बदलाव है जो विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के पक्ष में और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के खिलाफ है।

अप्रैल में आईएमएफ का अनुमान है कि 2020-2021 में दुनिया की 95 प्रतिशत से अधिक का आर्थिक विकास विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में होगा- अप्रैल आईएमएफ वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक डेटाबेस के आंकड़ों का मतलब है कि कुल विश्व विकास का 51 प्रतिशत सिर्फ चीन में होगा और अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में इसका 44 प्रतिशत का योगदान होगा। यानि विश्व अर्थव्यवस्था में उन्नत अर्थव्यवस्थाओं का योगदान 5 प्रतिशत से भी कम होगा।

विश्व व्यापार को चीन से दूर कर संयुक्त राज्य अमेरिका उसे नई दिशा देने के प्रयास कर रहा है, ऐसा कर अमेरिका चीन की अधिक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के मुक़ाबले अन्य देशों को अपने अधीन करने का प्रयास कर रहा है। यह स्पष्ट रूप से अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए भयंकर रूप से हानिकारक है।

यह लेख Globetrotter में प्रकाशित हो चुका है। 

विजय प्रसाद इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वे ग्लोबट्रॉट्टर में लेखक और मुख्य संवाददाता हैं। वे लेफ्टवर्ड बुक्स के मुख्य संपादक और ट्राईकांटिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक हैं। वे चीन के रेनमिन विश्वविद्यालय में चोंगयांग इंस्टीट्यूट में एक सीनियर रेजीडेंट फ़ेलो हैं। उन्होंने 20 से अधिक किताबें लिखी हैं, जिनमें द डार्कर नेशंस और द पूरर  नेशंस शामिल हैं। उनकी नवीनतम पुस्तक वाशिंगटन बुल्लेट्स है, जिसका परिचय ईवो मोरालेस आयमा द्वारा लिखा गया है।

जॉन रॉस चिनयांग इंस्टीट्यूट फ़ॉर फ़ाइनेंशियल स्टडीज़, रेनमिन यूनिवर्सिटी ऑफ़ चाइना में वरिष्ठ फ़ेलो हैं। वे पहले लंदन के मेयर के आर्थिक नीति निदेशक थे।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Why America’s Economic War on China Is Failing

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