छात्र-युवा, उनके अभिभावक से लेकर अनेक विपक्षी दल भी JEE-NEET परीक्षाओं के सितम्बर के पहले-दूसरे सप्ताह में करवाने की मोदी सरकार की ज़िद से हैरत में हैंI चिकित्सा-विज्ञानी बता रहे हैं कि सितम्बर में कोरोना यहाँ अपने उफान पर होगाI ऐसे में क्या यह बड़ा जोखिम नहीं होगा?
इसी तरह विवि परीक्षाओं के बारे में भी राज्यों और विश्वविद्यालयों को छात्रों की भौतिक मौजूदगी के साथ पारंपरिक परीक्षा पद्धति अपनाने के लिए बाध्य किया जा रहा हैI दुनिया के अन्य विकसित देशों में क्या हो रहा है? वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का विश्लेषण: