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शिक्षा के 'केरल मॉडल' को दूसरे राज्यों को भी क्यों फॉलो करना चाहिए?
केरल देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसके सभी सरकारी स्कूलों में हाइटेक क्लासरूम हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
13 Oct 2020
शिक्षा
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : Tolivelugu

केरल देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसके सभी सरकारी स्कूलों में हाइटेक क्लासरूम हैं। राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सोमवार को यह जानकारी दी है। सरकार ने दावा किया है कि राज्य के सभी 16 हजार सेकेंडरी और प्राइमरी स्कूलों में हाई टेक क्लासरूम और लैब बनाया गया है। स्कूलों के पूरी तरह से डिजिटल करने पर सरकार ने 595 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, 'यह हमारे राज्य की उपलब्धि है जिसका लाभ अगली पीढ़ी को मिलेगा। पिछले पांच वर्षों में पांच लाख छात्र सरकारी स्कूलों में आए। सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली के प्रति लोगों के रुझान में बदलाव आया है। हमारा लक्ष्य स्कूलों को अकादमिक एवं अन्य क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय मानकों को अनुरूप बनाना है। गांव के स्कूलों में भी दुनिया के दूसरे हिस्सों के मानक होने चाहिए। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सभी को दी जानी चाहिए।'

सरकार के मुताबिक, उसने सरकारी शिक्षा कायाकल्प मिशन के तहत यह काम किया है जिसका उद्देश्य सभी कक्षाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाना और हाई टेक प्रयोगशाला बनाना है।

क्या है इतंजाम

मिशन के तहत आठवीं से लेकर 12वीं कक्षा तक की कुल 42 हजार कक्षाओं को लैपटॉप, प्रोजेक्टर और स्क्रीन से सुसज्जित किया गया है और स्कूलों में स्टूडियो बनाए गए हैं।

आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि यह सुनिश्चित किया गया है कि सभी निचले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में कम से कम एक स्मार्ट क्लास रूम हो, जिसमें कंप्यूटर लैब हो।

राज्य के सभी 16,030 पब्लिक स्कूल अब 3,74,274 आईटी उपकरणों से लैस हैं, जिनमें 1,19,055 लैपटॉप, 69,944 मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर, 23,098 प्रोजेक्टर स्क्रीन, 4,545 एलईडी टीवी, 4,578 डीएसएलआर कैमरा, 4,778 फुल एचडी वेबकैम और 4,611 मल्टी-फंक्शन प्रिंटर शामिल हैं। इसके साथ ही 12,678 स्कूलों को उच्च गति वाले ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ा गया है।

मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि उपकरण में पांच साल की व्यापक वारंटी और बीमा है और शिकायतों को दूर करने के लिए एक वेब-पोर्टल और कॉल सेंटर भी काम कर रहा है।

जनता भी रही भागीदार

सरकार के अनुसार इस प्रोजेक्ट पर पहले 793.5 करोड़ रुपये का खर्चा अनुमानित था लेकिन स्थानीय निकायों और समाज के हर क्षेत्र के लोगों की मदद से इसे 595 करोड़ में ही पूरा किया गया है। जनता की तरफ से इस योजना के लिए 1,365 करोड़ रुपये मिले। इसके अलावा केरल इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी फॉर एजुकेशन ने लैपटॉप में फ्री सॉफ्टवेयर डलवाकर कम से कम 3 हजार करोड़ रुपये की बचत की।

मुख्यमंत्री ने भी इसका श्रेय जनता को दिया है। उन्होंने कहा कि यह काफी हद तक लोगों के प्रतिनिधियों, स्थानीय निजी संस्थानों, माता-पिता-शिक्षक संघों, पूर्व छात्रों और व्यक्तियों के प्रयासों के साथ संभव हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि कम से कम 1,83,440 शिक्षकों को डिजिटलीकरण मिशन को लागू करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया था। लोक शिक्षा कायाकल्प मिशन स्कूलों को उत्कृष्टता के केंद्र में बदलना था।

गौरतलब है कि इस साल मार्च से ही कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन ने स्कूल-कॉलेजों को ठप कर दिया है। बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से इंटरनेट यानी ऑनलाइन माध्यम पर निर्भर हो गयी है। बड़े-बड़े शहरों के प्राइवेट स्कूलों ने कुछ ही समय में ऑनलाइन क्लॉस लगाने का इंतजाम कर लिया लेकिन देश के सरकारी स्कूलों की हालत अब भी बदतर बनी हुई है। ऐसे में देश के दूसरे राज्यों के लिए केरल एक प्रेरणास्रोत की तरह है। आपको यह भी बता दें कि लॉकडाउन के बाद से ही केरल सरकार ने जिस तरह से ऑनलाइन शिक्षा शुरू की है, उसकी हर तरफ तारीफ हुई थी।

समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ  

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