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मज़दूर-किसान, मछुआरे और हॉकर्स: 26 नवंबर को सभी की हड़ताल की तैयारी
महाराष्ट्र में औपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी, जिनमें निगमों में काम करने वाले कर्मचारी भी शामिल हैं, वे भी अपनी काम करने की जगहों से हड़ताल का समर्थन करेंगे।
अमय तिरोदकर
24 Nov 2020
 26 नवंबर
प्रतीकात्मक तस्वीर

महाराष्ट्र में संविधान दिवस के मौके पर हर जिले के कलेक्टर कार्यालय के सामने हज़ारों लोगों के जुटने की संभावना है। यह जमावड़ा कई संगठनों की मांग पर आयोजित किया जा रहा है, जिसमें कामगारों और किसानों की एकता का प्रदर्शन किया जाएगा।

राज्य के श्रम संगठनों ने गुरुवार को औद्योगिक इलाकों में पूर्ण बंद की योजना बनाई है, वहीं किसान संगठन दिल्ली की तरफ कूच करेंगे। औपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले या जिन्हें निगमों ने नौकरी दी है, वे भी अपनी काम की जगहों से हड़ताल में हिस्सा ले रहे होंगे।

शनिवार को ऑल इंडिया किसान सभा के डॉ अशोक धवाले, किसानों के नेता राजू शेट्टी, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, किशोर धमाले, INTUC नेता जयप्रकाश छाजेड़, मुंबई यूनियन लीडर शंकर साल्वी, ट्रेड यूनियनवादी उदय भट्ट, जन आंदोलनंची संघर्ष समिति के संयोजक विश्वास उतागी एक बैठक में शामिल हुए, जिसमें विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई गई।

JASS के संयोजक उतागी कहते हैं, "हम सभी जिलों के लिए तैयारी कर रहे हैं। संगठन के सदस्य कर्मचारियों, किसानों और मज़दूरों को इकट्ठा कर रहे हैं। हर जगह पोस्टर और बैनर लगाए जा रहे हैं। वे लोग पूरे दिन कलेक्टोरेट ऑफिस पर प्रदर्शन करेंगे।"

यह भी तय किया गया है कि किसान संगठन राज्य की हर तहसील में प्रदर्शन करेंगे। डॉ धावाले कहते हैं, "हजारों किसान दिल्ली में दो दिन के प्रदर्शन में हिस्सा लेने जाएंगे। ठीक इसी वक़्त किसान राज्य की हर तहसील और हर क्षेत्रीय कार्यालय पर दो दिन तक प्रदर्शन करेंगे। वे एक मेमोरेंडम जमा करेंगे, जिसमें नए किसान कानून को वापस लिए जाने की मांग होगी।"

इस बार स्ट्रीट वेंडर्स यूनियन, रियल एस्टेट कामग़ारों की यूनियन, कुलियों की यूनियन भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रही हैं। सर्व श्रमिक संगठन के नेता उदय भट्ट ने न्यूज़क्लिक को बताया, "लॉकडाउन के चलते असंगठित क्षेत्र पर बहुत असर पड़ा है। हमारी मांग है कि जब तक महामारी की स्थिति खत्म नहीं हो जाती, तब तक हर मज़दूर को 7500 रुपये दिए जाएं। हमारी आशा है कि सरकार इन मांगों पर ध्यान देगी और इन्हें मानेगी। यह हड़ताल केंद्र सरकार को चेतावनी है। यह प्रदर्शन अब मजबूत और व्यापक होता जाएगा।"

नेशनल अलायंस फॉर पीपल्स मूवमेंट (NAPM) की नेता मेधा पाटकर और दूसरे सदस्य भी 26 नवंबर को होने वाले प्रदर्शनों में हिस्सा लेंगे। उन्होंने नर्मदा बांध परियोजना से प्रभावित लोगों से भी प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए कहा है। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार का आर्थिक मॉडल कमजोर और समाज के सबसे वंचित तबके के लोगों को दबाता जा रहा है। हमारी लड़ाई संसाधनों की इस अंधाधुंध लूट, मज़दूरों के अपमान के खिलाफ़ है। हम भारत की शांति और सौहार्द्र को बिगाड़ने वाली सांप्रदायिक विचारधारा और आम लोगों के अधिकारों को कमज़ोर किए जाने के ख़िलाफ़ है।"

राज्य के तटीय इलाकों के मछुआरों ने भी हड़ताल में भाग लेने और डीजल दरों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। उन्होंने अपने काम को एक दिन के लिए रोकने का ऐलान किया है। फिशरमैन एक्शन कमेटी के सचिव महेंद्र पराडकर ने कहा कि सभी 6 तटवर्ती जिलों के मछुआरे इस हड़ताल का समर्थन करेंगे। वह कहते हैं, "किसानों और मज़दूरों की तरह हम भी सरकारी नीतियों की वजह से कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। डीजल की बढ़ती कीमतों के अलावा, दूसरे मुद्दे जैसे फारसी जाल, LED फिशिंग और कानूनों को तोड़कर किए जा रहे अंतर्राज्यीय मछली शिकार से छोटे मछुआरे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।"

राज्य की राजधानी मुंबई में सबसे बड़ी हॉकर्स यूनियन के नेता शंकर साल्वी का कहना है कि मौजूदा आर्थिक स्थिति ने समाज के छोटे वर्गों के हितों को सबसे बुरे तरीके से प्रभावित किया है। वह कहते हैं, "कोई व्यापार ही नहीं है। हम लगातार राहत पैकेजों के बारे में सुनते हैं, लेकिन उन्हें कहां लागू किया जा रहा है? भारत में असली आत्मनिर्भर किसी शहर का हॉकर होता है। लेकिन उसकी कोई परवाह नहीं कर रहा है। यह सरकार हॉकर्स की रीढ़ की हड्डी तोड़ने पर आमादा है।"

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Workers, Farmers, Fishermen and Hawkers: All Gear up for Strike on 26th

Nov 26-27 Strike
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Mumbai
Worker-Peasant Unity
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JASS
Medha patkar

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