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पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सड़कों पर उतरे मज़दूर
मोदी सरकार लगातार मेहनतकश तबके पर हमला कर रही है। ईपीएफ की ब्याज दरों में कटौती इसका ताजा उदाहरण है। इस कटौती से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सर्वाधिक नुकसान होगा। इससे पहले सरकार ने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड संसद से पारित किए, जिसमें काम के घंटे बढ़ाकर बारह करने का प्रावधान है।
विजय विनीत
28 Mar 2022
strike

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की हड़ताल के चलते बुधवार को सभी सार्वजनिक क्षेत्र के दफ्तर बंद रहे। बैंकों में जमा-निकासी और चेकों का क्लीयरेंस नहीं हो सका। डाकघर, दूरसंचार और बीमा कार्यालयों पर भी सन्नाटा पसरा रहा। पूर्वांचल में सरकारी बैंकों और डाकघरों में कामकाज पूरी तरह बंद रहा। कर्मचारियों ने अल्टीमेटम दिया है कि जल्द ही मांगें न माने जाने पर आंदोलन तेज किया जाएगा। मंगलवार को भी श्रमिकों ने आंदोलन-प्रदर्शन करने और जुलूस निकालने का निर्णय लिया है।

बनारस में काम ठप कर धरने पर बैठे डाककर्मी

राष्ट्रव्यापी दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन बैंक, एलआईसी और डाककर्मियों ने दफ्तरों में सुबह ही तालाबंदी कर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में आवाज बुलंद की। बैंकों के कर्मचारी पोस्‍टर बैनर के साथ सड़क पर उतरे और मांगों के साथ ही ग्राहकों को वापस लौटा दिया। हालांकि भारतीय स्टेट बैंककर्मी इस हड़ताल से विरत रहे जिसके चलते ग्राहकों को भी आसानी हुई।

वाराणसी में एलआईसी दफ्तर पर कर्मचारियों को संबोधित करते किसान नेता अफलातून देसाई

न्यूनतम वेतनमान 21 हजार करने, पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने, बैंकों का विलय न करने,  खाली पदों पर शीघ्र नियुक्तियां करने सहित कई मांगों को लेकर दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन पूर्वांचल के सभी डाकघरों, बीमा कार्यालयों और दूरसंचार दफ्तरों के ताले नहीं खुले। हड़ताल का सबसे अधिक असर औद्योगिक इकाइयों पर दिखा। कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर प्रदर्शन किया। औद्योगिक इकाइयों के मजदूरों ने भी जुलूस निकाला और सरकार के विरोध में नारे लगाए। 

बैंकों व डाकघरों में लटकते रहे ताले

वाराणसी में आल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन और बैंक इंप्लाइज फेडरेशन आफ इंडिया के आह्वान पर बैंक आफ बड़ौदा, केनरा बैंक, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक, सेंट्रल बैंक, पंजाब नेशनल बैंक आदि बैंकों की अधिकांश शाखाओं में पूरे दिन ताले लटकते रहे। कर्मचारियों ने कामकाज बंद कर धरना दिया और मोदी सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हड़ताल के चलते जमा-निकासी के लिए आने वाले ग्राहकों को बैरंग लौटना पड़ा। यूपी बैंक इंप्लाइज यूनियन के मंत्री संजय कुमार शर्मा ने न्यूजक्लिक कहा, "हड़ताल के चलते वाराणसी के पांच सौ करोड़ के साथ ही पूर्वांचल के गाजीपुर, भदोही, मिर्जापुर, चंदौली, जौनपुर, आजमगढ़ में 900 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ।" आदोलन के दौरान कर्मचारी नेता आरबी चौबे, कुंदन,  कृष्णकांत उपाध्याय, पीके घोष, जेके दास, प्रमोद द्विवेदी ने बैंक कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा, "बैंक यूनियन सरकार से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को रोकने और उन्हें मजबूत करने, बैड लोन की जल्द वसूली, बैंकों द्वारा उच्च जमा दरों, ग्राहकों पर कम सर्विस चार्ज के साथ-साथ पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग करता है।"

 

वाराणसी में यूनियन बैंक की एक शाखा पर प्रदर्शन करने कर्मचारी

वाराणसी में कई प्रमुख बैंकों में ताला बंद देखकर आम जनता लौट गई तो कुछ ताला खुलने की आस में देर तक इंतजार करते नजर आए। जुलूस प्रदर्शन मैं एसके सेठ, अनन्त मिश्र, सुशील गुप्ता, आर वी चौबे, संजय शर्मा, प्रमोद द्विवेदी, विवेक गुप्ता, अनिल चौरसिया, नीलम, प्रेमलता, अर्चना, रंजन सिंह, अरविंद दुबे, अजय, विजय, संतोष, अंजनी, वीरू, प्रदीप द्विवेदी, बालेश्वर सिंह, शीतला प्रसाद, नेहा, सिद्धार्थ शामिल रहे। बैंककर्मियों ने वाराणसी के नदेसर स्थित इंडियन बैंक के सामने प्रदर्शन कर सरकार पर अपनी मांगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया और बैंकों में तालाबंदी कर अपनी मांगों के समर्थन में पोस्‍टर बैनर लेकर एक जगह जुटे और प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

वाराणसी में इंडियन बैंक के सामने प्रदर्शन करते बैंक कर्मी

वाराणसी में सोमवार की सुबह से ही विशेश्वरगंज मुख्य डाकघर के कर्मचारी हड़ताल पर नजर आए। बैंककर्मी सीके त्रिपाठी ने कहा, "हम लोग सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों से काफी प्रभावित हैं। निजीकरण के नाम पर जिस तरह से हमारा दोहन हो रहा है, वह असहनीय है।"

वाराणसी के चांदपुर इंडस्ट्रियल स्टेट और रामनगर इंडस्ट्रियल स्टेट में मजदूर यूनियनों के आह्वान पर अलग-अलग कारखानों में काम करने वाले मजदूरों ने जुलूस निकाला। हाथों में झंडा लिए मजदूरों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं। मजदूर से संबद्ध नेता पहले चांदपुर औद्योगिक आस्थान के पास एकत्र हुए और वहां से लंबा जुलूस निकाला। उनका कहना था कि आठ घंटे कामकाज की व्यवस्था लागू करने और न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये देने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन सरकार ने कोई सार्थक कदम नहीं उठाया।

दवा प्रतिनिधियों ने निकाला जुलूस

हड़ताल के समर्थन में दवा प्रतिनिधियों ने भी कामकाज ठप रखकर बाइक जुलूस निकाला। यूपी उत्तराखंड मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन के अध्यक्ष आलोक मिश्रा और प्रदेश सह सचिव मनोज शर्मा के निर्देशन में निकले जुलूस के माध्यम से सेल्स प्रमोशन इंप्लाइज एक्ट लागू करने की मांग की गई। इसके अलावा आठ घंटे तक ही काम लिए जाने, दवाओं और उपकरणों पर जीएसटी हटाने, शोषण बंद करने आदि की मांग की गई। दूसरी ओर, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में बरेका कर्मचारी भी सड़क पर उतरे।

वाराणसी में बाइक जुलूस निकालकर सेल्स रिप्रजेंटेटिव ने किया मोदी सरकार की नीतियों का विरोध 

बरेका बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बारिश के बावजूद कर्मचारी कारखाने के पूर्वी गेट पर इकट्ठा हुए और उन्होंने रेलवे और रेलवे उत्पादन इकाइयों, वर्कशॉप, ट्रेनों, स्टेशनों, प्रमुख रेल मार्गों के निजीकरण व निगमीकरण के खिलाफ प्रदर्शन किया। सभा को संबोधित करते हुए संयोजक वीडी दुबे ने कहा, "सरकार श्रम कानूनों के सुधार के नाम पर 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर चार कोड में बदल रही है। इसके चलते कर्मचारियों को मिलने वाले तमाम अधिकार छीन लिए जाएंगे।" इस दौरान बीएलडब्ल्यू रेल मजदूर यूनियन के महामंत्री राजेंद्र पाल, कर्मचारी परिषद सदस्य प्रदीप यादव, नवीन सिन्हा, देवता नंद तिवारी, अमित कुमार, अरविंद श्रीवास्तव, श्याम मोहन आदि मौजूद रहे।

आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, वर्कर्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच ने समर्थन देते हुए प्रदेश में विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन किए। आइपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसआर दारापुरी ने न्यूजक्लिक से कहा, "ग्लोबल पूंजी और देशी कारपोरेट घरानों को देश की सार्वजनिक राष्ट्रीय संपदा को केंद्र सरकार द्वारा बेचने के खिलाफ मजदूरों की राष्ट्रीय हड़ताल देश को बचाने के लिए है। मोदी सरकार लगातार मेहनतकश तबके पर हमला कर रही है। ईपीएफ की ब्याज दरों में कटौती इसका ताजा उदाहरण है। इस कटौती से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सर्वाधिक नुकसान होगा। इससे पहले सरकार ने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड संसद से पारित किए। जिसमें काम के घंटे बढ़ाकर बारह करने का प्रावधान है।"

"विद्युत संशोधन विधेयक 2021 के जरिए सरकार बिजली का निजीकरण करने में लगी है। जिसके दुष्परिणाम आम जनता खासकर किसानों को महंगी बिजली के रूप में भुगतने पड़ेंगे। महंगाई बेलगाम हो वुकी है पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, सीएनजी के दाम रोज बढ़ रहे हैं। पहली अप्रैल से दवाओं का दाम भी बढ़ने जा रहा है। रोजगार का संकट गहरा रहा है और आर्थिक असमानता बढ़ रही है। लाखों सरकारी विभागों में खाली पदों पर भर्ती नहीं निकाली जा रही है। इसके खिलाफ देश के सभी प्रमुख श्रमिक संघों की सफल अखिल भारतीय हड़ताल जन प्रतिरोध को मजबूत करेगी।"

मजदूर किसान मंच के प्रदेश महामंत्री डा. बृज बिहारी, सुनीला रावत, सोनभद्र में आइपीएफ जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, तेजधारी गुप्ता, चंदौली में अजय राय, लखनऊ में वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष दिनकर कपूर, बस्ती में श्याम मनोहर ने कहा, "केंद्र सरकार मजदूर विरोधी है और कामगारों के सभी अधिकार खत्म कर देना चाहती है। यदि अभी नहीं जागे, तो हड़ताल करने का उनका अधिकार भी खत्म हो जाएगा। वर्षों से मिले कामगारों के अधिकार बरकरार रखने के लिए निर्णायक संघर्ष करना होगा। ऐसा नहीं हुआ तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेगी।" 

आंदोलन में शामिल हुए किसान

पूर्वांचल में संयुक्त किसान मोर्चा से संबद्ध किसान भी श्रमिकों के आंदोलन में शामिल हुए। किसान नेता अफलातून देसाई, राजेंद्र चौधरी, लक्ष्मण मौर्य, रामजी सिंह, आइपीएफ के  राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा "ग्लोबल पूंजी और देशी कारपोरेट घरानों को देश की सार्वजनिक राष्ट्रीय संपदा को मोदी सरकार द्वारा बेचने के खिलाफ मजदूरों की राष्ट्रीय हड़ताल देश को बचाने के लिए है। यह सरकार लगातार मेहनतकश तबके पर हमला कर रही है। ईपीएफ की ब्याज दरों में कटौती इसका ताजा उदाहरण है। इस कटौती से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सर्वाधिक नुकसान होगा। इससे पहले सरकार ने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड संसद से पारित किए, जिसमें काम के घंटे बढ़ाकर 12 करने का प्रावधान है।"

प्रदर्शन करते श्रमिक

"विद्युत संशोधन विधेयक 2021 के जरिए सरकार बिजली का निजीकरण करने में लगी है। जिसके दुष्परिणाम आम जनता खासकर किसानों को महंगी बिजली के रूप में भुगतने पड़ेंगे। महंगाई बेलगाम हो चुकी है पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, सीएनजी के दाम रोज बढ़  रहे है। एक अप्रैल से दवाओं के दामों में भी बड़ी वृद्धि होने जा रही है। रोजगार का संकट गहरा रहा है और आर्थिक असमानता बढ़ रही है। लाखों सरकारी विभागों में खाली पदों पर भर्ती नहीं निकाली जा रही है। इसके खिलाफ देश के सभी प्रमुख श्रमिक संघों की सफल अखिल भारतीय हड़ताल जन प्रतिरोध को मजबूत करेगी।"

उल्लेखनीय है कि ट्रेड यूनियन केंद्र सरकार से लेबर कोड रद्द करने की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार एक नया लेबर कोड लेकर आई है जिसमें तीन दिन की छुट्टी और चार दिन के काम का प्रावधान है। इसके अलावा मजदूरी और मेहनताना के लिए भी कई नियम बनाए गए हैं। इसमें न्यूनतम मजदूरी का प्रावधान है जिसमें सरकार पूरे देश में कम से कम मजदूरी तय करेगी। सरकार का अनुमान है कि नया लेबर कोड लागू होने से देश में कम से कम 50 करोड़ मजदूरों-श्रमिकों को समय पर निश्चित मजदूरी मिलेगी। ग्रेच्युटी लेने के लिए 5 साल के नियम को खत्म कर दिया गया है। ट्रेड यूनियन इस लेबर कोड का विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा ट्रेड यूनियन किसी भी कंपनी के निजीकरण के पक्ष में नहीं हैं। सरकार ने अपनी लिस्ट में कई सरकारी कंपनियों को शामिल किया है जिनका निजीकरण होना है।

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