NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अवैध बूचड़खानों पर योगी सरकार के प्रतिबंध से ख़त्म हुई बहराइच के मीट व्यापारियों की आजीविका 
साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अवैध बूचड़खानों पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मांस के कारोबार में शामिल हजारों लोगों के जीवन और उनकी आजीविका पर काफी बुरा असर पड़ा है। 
सौरभ शर्मा
24 Jan 2022
slaughter house
बूचड़खाना का चित्र केवल प्रतीकात्मक उपयोग के लिए

उत्तर प्रदेश में बहराइच जिले के व्यस्त चांदपुरा चौराहे पर, एक बड़ी मीट की दुकान जो कभी हर प्रकार के मांस को बेचने के लिए प्रसिद्ध थी, अब वहां 10 किलो बकरी का मांस या चिकन बेचने के लिए जद्दोजहद जारी है। 

दुकान के मालिक मोहम्मद निज़ाम (बदला हुआ नाम) मीडिया से बात करने से डरते हैं। काफी समझाने-बुझाने पर वे बातचीत के लिए तैयार होते हैं। निज़ाम जो कुरैशी समुदाय से ताल्लुकात रखते हैं, कहते हैं- “मेरे दुकान बहराइच की सबसे बड़ी मांस की दुकानों में से एक थी और ग्राहकों की अच्छी-खासी तादाद थी, जो उनके बदले में, इसे शहर के हर नुक्कड़ पर भी बेचते थे। अब, लोग न केवल मांस बेचने से बचते हैं बल्कि उसे खाने से भी डरते हैं। ”

2017 में निज़ाम और अन्य मीट व्यापारियों की रोजमर्रे की जिंदगी ने एकदम से 360 डिग्री मोड़ ले लिया, जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवैध बूचड़खानों पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे प्रत्यक्ष या परोश रूप से मांस के कारोबार में शामिल हजारों लोगों के जीवन और उनकी आजीविका पर काफी बुरा असर पड़ा।

अब निज़ाम अपने परिवार को दो वक्त का खाना मुहैया कराने के लिए फिक्रमंद हैं। “2017 में, जब बूचड़खानों और बिना लाइसेंस वालों पर कार्रवाई शुरू हुई, तो हमने लगभग एक साल के लिए अपनी दुकानें बंद कर दीं। रोक की वजह से बड़ी तदाद में मीट व्यापारी या तो शहर छोड़ गए या फिर उन्होंने अपना धंधा बदल लिया। पुलिस कार्रवाई से आशंकित, मेरे कई पड़ोसी दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने के लिए उन्नाव, कानपुर और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में चले गए।” 

निजाम कहते हैं कि "मेरे कई दूर के रिश्तेदारों ने भी मांस बेचने का कारोबार छोड़ दिया है।”

बढ़ती असुरक्षा और अनिश्चितता के कारण निज़ाम नहीं चाहते कि उनके बेटे इस पारंपरिक-पारिवारिक व्यवसाय में हाथ लगाएं।

योगी आदित्यनाथ के पूर्ववर्ती अखिलेश यादव ने अपने प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि उचित अपशिष्ट और जल प्रबंधन के साथ बूचड़खानों को आइएसओ दिशानिर्देशों पर चलाया जाए। इसके डेढ़ साल बाद राज्य भर के 10 नगर निगमों के लिए भी इस मद में बजट आवंटित किया गया था। हालाँकि, आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद उन उपायों को लागू नहीं किया जा सका।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीपीसीबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी अजय शर्मा के अनुसार, उप्र में लगभग 37 लाइसेंसी बूचड़खाने हैं, जो पूरे राज्य में मांस की आपूर्ति करते हैं। उन्होंने बताया कि “उत्तर प्रदेश में लगभग 37 या 38 बूचड़खाने सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशानिर्देशों के अनुसार चल रहे हैं। 2017 में सैकड़ों अवैध बूचड़खाने बंद कर दिए गए।”

प्रतिबंध के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "इस मुद्दे पर रिपोर्ट न करें; यह राष्ट्र को बदनाम करता है। कृपया, राष्ट्रहित में चीजों को रिपोर्ट करें।” उन्होंने कहा कि इनमें से अधिकतर लाइसेंस प्राप्त बूचड़खाने मांस के निर्यात कारोबार में लगे हैं।

“मांस का बड़ा हिस्सा मुस्लिम देशों को निर्यात किया जाता है क्योंकि यह हलाल है और इसकी कीमत कम है। बरेली का एक निजी बूचड़खाना जो मांस का निर्यात करता है, वह बहराइच की मांस की जरूरतों को पूरा करता है। बूचड़खाने की स्थापना के लिए कम से कम 10 एकड़ का भूखंड, 1 करोड़ रुपए से अधिक की कार्यशील पूंजी और 15 वर्ष से अधिक उम्र के जानवरों को मारने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है।"

यूपी कभी मांस का सबसे बड़ा उत्पादक था, लेकिन 2014-15 में उसका उत्पादन 1.3 मिलियन टन (MT) से गिरकर 2019-20 में 1.16 मीट्रिक टन हो गया। दूसरी ओर, इसी अवधि में महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में मांस उत्पादन में वृद्धि हुई।

मोहम्मद अतहर की मीट की दुकान

मोहम्मद अतहर (बदला हुआ नाम) ने अपनी दुकान को एक साल से अधिक समय तक बंद रखा था। इसकी बजाय वे पके हुए चने और चावल और बिरयानी बेच रहे थे, जिससे उन्हें 2017 से पहले लगभग 600 रुपये की तुलना में प्रति दिन केवल 200 रुपये मिलते थे।

अतहर ने कहा “2017 से पहले बहराइच में रही 200 मीट की दुकानों में से आधी अब बंद हो गई हैं। अपने घरों से कारोबार करने वाले मांस विक्रेता भी पुलिस के खौफ से विलुप्त होने के कगार पर हैं। पलायन के कारण मांस विक्रेताओं की संख्या काफी कम हो गई है। यह लगभग 5,000-6,000 होने का अनुमान है”

अपनी बेटी की शादी के लिए लिए गए 3 लाख रुपये का कर्ज चुकाने वाले अतहर ने कहा, “कुछ परिवारों को बिना भोजन के ही कई रातें बितानी पड़ी थी और उन्हें अपने बच्चों को खिलाने के लिए कर्ज लेना पड़ा।”

2011 की जनगणना के अनुसार, यूपी में लगभग 38.48 मिलियन मुसलमान हैं, जो इसकी सकल आबादी का लगभग 19 फीसदी हैं, लेकिन उनमें से केवल 25.6 फीसदी ही कार्यरत हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा मांस बेचने जैसे कम नियमित और कम आय वाले व्यवसायों में लगा हुआ है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। लेख अज़ीम मिर्जा के इनपुट्स के साथ।)

अंग्रेजी में मूल रूप से लिखे गए लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: 

Yogi’s ban on Illegal Slaughterhouses Culled Livelihood of Bahraich Butchers

Uttar pradesh
Bahraich
Meat Ban
slaughterhouses
Yogi Adityanath
AKHILESH YADAV
selling meat
Muslims

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License