NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
पाकिस्तान
आदम और मनु की नालायक औलादों के बीच हव्वा की नातिन और इडा की पोतियाँ
यही इडा की पोती और हव्वा की नातिनें थीं जो होली के दिन दिल्ली से सांस भर दूरी के गुड़गांव - गुरुग्राम - में दरवाज़ा पीटते हमलावरों के डर से बिलख रही थीं। जान बचाने के लिए कलप रही थीं। किसी सुषमा स्वराज के ट्वीट के इन्तज़ार में सिसक रही थीं।
बादल सरोज
08 Apr 2019
आदम और मनु की नालायक औलादों के बीच हव्वा की नातिन और इडा की पोतियाँ
Image Courtesy: ASTHVI

होली के दिन पाकिस्तान में दो हिन्दू लड़कियों को अगवा कर लिये जाने की ख़बर के बाद दो दिन पहले एक और किशोरी के अपहरण का समाचार आया है । तीनों - रीना (15 वर्ष), रवीना (13 वर्ष), माला कुमारी (16 वर्ष) की कहानी एक सी है ; तीनों नाबालिग थीं । तीनों को सिंध से अगवा किया गया और पंजाब के लाहौर में जाकर धर्म परिवर्तन करा के निकाह पढ़वा दिया गया । पाकिस्तानी अख़बारों के मुताबिक़ पिछले दो महीनो में इन सहित ऐसी कुल 7 वारदातें हुई हैं।

पाकिस्तान के ये मामले अपहरण और जबरिया शादी-निकाह की वजह से नहीं, धर्म के अलग होने - बच्चियों के हिन्दू होने और अपहरणकर्ताओं के मुसलमान होने की वजह से चर्चा में हैं । लड़कियाँ भी मुसलमान हुई होतीं या अपहरणकर्ता भी हिन्दू हुए होते तो इतना तूमार खड़ा होना तो अलग बात है, चर्चा भी नहीं हुई होती। सुनने में भले कितना आदिम और असभ्य क्यों न लगे किन्तु कड़वा सच यह है कि इस तरह की घटनाएँ प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक माने जाने वाले भारतीय प्रायद्वीप - अशोक के जम्बूद्वीप - में, विशेषकर जिन इलाक़ों में लिंगानुपात बुरी तरह असंतुलित है, प्रचलन में मानी जाती रही हैं। जिस भोपाल में बैठ कर मैं इन पंक्तियों को लिख रहा हूँ, वहाँ 24 बच्चे हर रोज़ ग़ायब हो रहे हैं। इनमे से 80 प्रतिशत लड़कियाँ हैं। आबादी में उनका अनुपात भले कम हो मगर बेटियों के "अचानक गुम" हो जाने की घटनाओं में सतपुड़ा और विंध्य की पहाड़ियों-घाटियों में बसे आदिवासियों की बेटियों की तादाद कहीं ज़्यादा है। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि चार दिन पहले रीवा के एक स्कूल से परीक्षा देकर निकली किशोरी को दिनदहाड़े उठा लिया गया था। बाक़ी देश की हालत भी कोई सुकून देने वाली नहीं है - इधर ओड़िशा और छत्तीसगढ़ उधर उत्तराखंड और नेपाल की तराई और असम तक की बच्चियाँ-युवतियाँ इस तरह की जघन्यता के अनुपात से अधिक शिकार हैं तो दिल्ली, मुम्बई, पटना भी निरापद नहीं हैं। 

इसमें सांप्रदायिकता और कट्टरता कितनी है यह एक पहलू है जो लाहौर और इस्लामाबाद के हाईकोर्ट्स में दायर दो अलग-अलग हैबियस कोर्पस याचिकाओं पर चल रही सुनवाई के बाद सामने आ ही जायेगा। मगर इसमें तीन नन्ही औरतो की ज़िंदगी शामिल है यह समझने के लिए किसी फ़ैसले की ज़रूरत नहीं है। नन्ही औरतें जो हव्वा की नातिन और इडा की पोती हैं - संस्कृति की वाहक और सभ्यता की थाती हैं। सीमा के इस पार हों या उस पार, अपराधी साम्प्रदायिकता और उसकी जड़ सामन्तवाद और पितृसत्तात्मकता की पहली शिकार वे ही हैं। पृथ्वी के गोलार्ध का उत्तर हो या दक्षिण हर रंग की साम्प्रदायिकता और तत्ववादी कट्टरता की ध्वजा का ध्वज-स्तम्भ सबसे पहले अपने धर्म-मज़हब की स्त्री की देह में गाड़कर फहराया जाता है। हिन्दू-मुस्लिम, सुरक्षा-असुरक्षा के नारे तो भावनात्मक उन्माद और लामबंदी के लिए हैं; असली शिकार तो घर में हैं। 

यही इडा की पोती और हव्वा की नातिनें थीं जो होली के दिन दिल्ली से सांस भर दूरी के गुड़गांव - गुरुग्राम - में दरवाज़ा पीटते हमलावरों के डर से बिलख रही थीं। जान बचाने के लिए कलप रही थीं। किसी सुषमा स्वराज के ट्वीट के इन्तज़ार में सिसक रही थीं।
मगर न उधर के सिंध में वे अकेली हैं न इधर के हरियाणे में वे तन्हा हैं। कराची और लाहौर, इस्लामाबाद और कसूर में इडा की पाकिस्तानी नातिनों की हिमायत में लोग, वहाँ के वामपंथ, कम्युनिस्ट पार्टी और लोकतांत्रिक संगठनों की अगुआई में लोग सड़कों पर थे तो इधर हरियाणा के सीटू, जनवादी महिला समिति के नुमाइंदों के साथ जनवादी आंदोलन के नेता गुरुग्राम के दहशतज़दा हव्वा के भारतीय परिवार के साथ खड़े थे।
एक अंतर ज़रूर था और वह यह था कि उधर पाकिस्तानी प्रेस सिंध की इन तीन लड़कियों के अपहरण को लेकर अपनी हुक़ूमत की लानत-मलामत कर रही थी, उन्हें न्यूज़ीलैंड से सीखने की सलाह दे रही थी - वहीं इधर का मीडिया - गोदी मीडिया - इस सब पर मुँह सिले सरबसर नंगे खड़े राजा का बाजा बजा रहा था।

violence against women
religion
India
Pakistan
Girl child
Gurgaon Violence
child abuse
patriarchy
Manusmriti
Godi Media

Related Stories

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी

यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन

बिहार: आख़िर कब बंद होगा औरतों की अस्मिता की क़ीमत लगाने का सिलसिला?

बिहार: 8 साल की मासूम के साथ बलात्कार और हत्या, फिर उठे ‘सुशासन’ पर सवाल

मध्य प्रदेश : मर्दों के झुंड ने खुलेआम आदिवासी लड़कियों के साथ की बदतमीज़ी, क़ानून व्यवस्था पर फिर उठे सवाल

बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर कांड से लेकर गायघाट शेल्टर होम तक दिखती सिस्टम की 'लापरवाही'

यूपी: बुलंदशहर मामले में फिर पुलिस पर उठे सवाल, मामला दबाने का लगा आरोप!

दिल्ली गैंगरेप: निर्भया कांड के 9 साल बाद भी नहीं बदली राजधानी में महिला सुरक्षा की तस्वीर

असम: बलात्कार आरोपी पद्म पुरस्कार विजेता की प्रतिष्ठा किसी के सम्मान से ऊपर नहीं


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान
    24 May 2022
    वामदलों ने आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों और बेरज़गारी के विरोध में 25 मई यानी कल से 31 मई तक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है।
  • सबरंग इंडिया
    UN में भारत: देश में 30 करोड़ लोग आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर, सरकार उनके अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध
    24 May 2022
    संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने दावा किया है कि देश में 10 करोड़ से ज्यादा आदिवासी और दूसरे समुदायों के मिलाकर कुल क़रीब 30 करोड़ लोग किसी ना किसी तरह से भोजन, जीविका और आय के लिए जंगलों पर आश्रित…
  • प्रबीर पुरकायस्थ
    कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक
    24 May 2022
    भारत की साख के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देशों में अकेला ऐसा देश है, जिसने इस विश्व संगठन की रिपोर्ट को ठुकराया है।
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी मस्जिद की परछाई देश की राजनीति पर लगातार रहेगी?
    23 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ज्ञानवापी मस्जिद और उससे जुड़े मुगल साम्राज्य के छठे सम्राट औरंगज़ेब के इतिहास पर चर्चा कर रहे हैं|
  • सोनिया यादव
    तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?
    23 May 2022
    पुलिस पर एनकाउंटर के बहाने अक्सर मानवाधिकार-आरटीआई कार्यकर्ताओं को मारने के आरोप लगते रहे हैं। एनकाउंटर के विरोध करने वालों का तर्क है कि जो भी सत्ता या प्रशासन की विचारधारा से मेल नहीं खाता, उन्हें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License