NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
आधार न सिर्फ 'मौलिक अधिकार' को, बल्कि 'संघवाद' को प्रभावित करता है
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और गोपाल सुब्रह्मण्यम ने पीठ के समक्ष आधार की अनिवार्यता को लेकर बहस के दौरान अपनी दलील पेश की।

न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
15 Feb 2018
Adhar card

आधार की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दसवें दिन यानी 13 फरवरी को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बहस शुरू की। पहले सत्र में सिब्बल ने इज़रायल के बायोमेट्रिक डाटाबेस क़ानून की तुलना करते हुए बहस की शुरूआत की। इज़रायल में इस तरह के आईडी कार्ड स्वैच्छिक है जबकि सब्सिडी, सुविधाओं और सेवाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को विशेष रूप से अनिवार्य बनाने का मतलब साफ है कि ये अधिनियम आधार को अनिवार्य बनाता है। इज़राइल कानून को एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए परिभाषित किया गया है, जबकि जिस उद्देश्य के लिए आधार अधिनियम के तहत डाटा एकत्र किया गया है वह अस्पष्ट है। इस अधिनियम के तहत 'राष्ट्रीय सुरक्षा' के हित में जानकारी खुलासा करने की संभावना है। आज तक कोई क़ानून विशेष रूप से 'राष्ट्रीय सुरक्षा' को परिभाषित नहीं किया है, जिसका मतलब है कि यह अभी भी न्यायिक स्पष्टीकरण के लिए मुक्त है। वरिष्ठ वकील ने कहा कि इस प्रावधान में दुरुपयोग की संभावना है। इसे स्पष्ट करने के लिए उन्होंने जस्टिस केएस पुट्टास्वामी (सेवानिवृत्त) तथा एएनआर बनाम भारत संघ तथा ओआरएस में दिए गए फ़ैसले का ज़िक्र किया। इस मामले को गोपनीयता का अधिकार केस के रूप में भी जाना जाता है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने मेटाडेटा की ताक़त और इसके दुरुपयोग की संभावना को स्वीकार किया था। कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि एक संस्था के अधीन जानकारी इकट्टा करने का मतलब उस संस्था को नियंत्रण की असीम शक्ति देना है।

उन्होंने आगे कहा कि ये अधिनियम 'आनुपातिकता' के परीक्षण में सफल नहीं होता है। वैधानिक कार्यवाही आनुपातिक है या नहीं इसे निर्धारित करने के तीन भाग हैं; (ए) मौलिक अधिकार सीमित करने को न्यायसंगत बनाने के लिए वैधानिक उद्देश्य पर्याप्त रूप से महत्वपूर्ण है; (बी) विधायी उद्देश्य को पूरा करने के लिए तैयार किए गए उपाय तर्कसंगत रूप से इसके साथ जुड़े हुए हैं; और (सी) अधिकार कम करने के लिए इस्तेमाल में लाए गए साधन उद्देश्य पूरा करने के लिए आवश्यकता से अधिक कुछ नहीं है। इस मामले में उन्होंने आधार क़ानून को इस आधार पर चुनौती दी कि इस अधिनियम में निर्दिष्ट उद्देश्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के लक्षित वितरण के लिए है। औसत दर्जे का नागरिक जो इस लाभ के लिए भुगतान करेगा उसका निर्धारित लक्ष्य के साथ कोई तर्कसंगत संबंध नहीं है।

उन्होंने इस मुद्दे को भी उठाया कि गैर-निवासियों को सरकार समर्थित विभिन्न अनुदान प्रदान किए गए हैं और क्या सरकार आधार संख्या के अभाव में इन अधिकारों से इनकार करेगी। नागरिकों द्वारा विभिन्न अनुदान और लाभ हासिल किए जाते हैं जिनकी जड़ मौलिक अधिकार में समाहित है। इन सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य बनाकर सरकार अधिकारों पर शर्त रख रही है, जो बिना किसी शर्त के संविधान द्वारा दिए गए हैं।

सुनवाई के दूसरे सत्र में कपिल सिब्बल ने आधार और पहचान के अन्य तरीक़ों के बीच अंतर को उजागर करते हुए अपनी बहस जारी रखी। पहचान के दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस व्यक्ति की पहचान बताते हैं, जबकि आधार व्यक्ति की केवल पहचान को 'प्रमाणित' करने का प्रयास करता है। उन्होंने मिनरवा मिल्स फ़ैसले का उल्लेख किया जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के उद्देश्यों को पूरा करते हुए मौलिक अधिकारों को निरस्त नहीं करना चाहिए। वरिष्ठ वकील ने कहा कि आज़ादी के बाद से अब तक के मामलों में वर्तमान का मामला बेहद महत्वपूर्ण है। आपातकाल से उत्पन्न हुए मामलों को एडीएम जबलपुर ने निपटाया, जबकि आधार सभी को प्रभावित करता है, चाहे आपातकाल घोषित किया गया हो या नहीं।

अदालत में सिब्बल द्वारा किए जा रहे बहस ख़त्म होने के बाद वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम ने बहस शुरू की। गोपनीयता के अधिकार मामले का उल्लेख करते हुए वरिष्ठ वकील ने अपनी बहस की शुरूआत की। उन्होंने कहा गोपनीयता मौलिक अधिकार है। मानव की गरिमा गोपनीयता का मूल हिस्सा है, और आधार भौतिक व्यक्ति पर इलेक्ट्रॉनिक व्यक्ति को प्राथमिकता देता है। उन्होंने दोहराया कि डाटा का इकट्ठा करना एक ख़तरनाक विचार है और आधार अधिनियम डाटा को संपत्ति के रूप मानता है। उन्होंने आगे कहा कि संविधान ने कुछ विशिष्ट परिस्थितियों को उजागर किया है जहां मौलिक अधिकारों में कमी की जा सकती है, और कुछ निश्चित परिस्थितियों से परे यह राज्य को इन अधिकारों पर अतिक्रमण करने से रोकता है। संविधान के भाग XI (केंद्र-राज्य संबंध) का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान में प्रशासन के विकेन्द्रीकृत स्वरूप की व्याख्या है जबकि दूसरी तरफ आधार इसे केंद्रीकृत करना चाहता है।

आधार कार्ड
सुप्रीम कोर्ट
मूलभूत अधिकार
UIDAI
कपिल सिब्बल

Related Stories

वोट बैंक की पॉलिटिक्स से हल नहीं होगी पराली की समस्या

ईकेवाईसी सत्यापन के ज़रिये यूआईडीएआई ने 21 महीनों में कमाये 240 करोड़ रुपये: आरटीआई

आधार डेटा की चोरीः यूआईडीएआई ने डेटा सुरक्षा के अपने ही दावों की पोल खोली

सर्वोच्च न्यायालय में दलितों पर अत्याचार रोकथाम अधिनियम में संसोधन के खिलाफ याचिका दायर

शर्मा को पता है कि वे आधार की चुनौती के सामने हार गये हैं

सुप्रीम कोर्ट: मॉब लिंचिंग पर जल्द कानून लाए केंद्र

दिल्ली सरकारी स्कूल: सैकड़ों छात्र लचर व्यवस्था के कारण दाखिला नहीं ले पा रहे

कोलेजीयम ने न्यायमूर्ति के० एम० जोसेफ की सिफारिश को दोहराएगा

क्या आधार एक डूबता जहाज़ है ?

चेन्नई में SC/ST Act को कमज़ोर बनाये जाने के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License