NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
संस्कृति
समाज
भारत
राजनीति
आइए कुछ जानें : नव संवत्सर अकेला हिन्दू नववर्ष नहीं है, न ही भारतीय नववर्ष
जिस तरह ग्रिगोरियन कैलेण्डर को क्रिश्चियन कैलेण्डर कहना असंगत है, वैसे ही विक्रम संवत को हिन्दू कैलेण्डर कहना।
हिमांशु पंड्या
06 Apr 2019
सांकेतिक तस्वीर
तस्वीर साभार : वेबदुनिया

नव संवत्सर की शुभकामनाएं!

बाकी दो बातें :

1. यह हिन्दू नववर्ष नहीं है। केरल में ओणम पर, तमिलनाडु और दूसरे दक्षिणी जनपदों में पोंगल पर, असम में बिहू पर, बंगाल में बैसाख, गुजरात में दीवाली, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा पर नया साल शुरू होता है। 

अगर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा हिन्दू नववर्ष है तो ओणम, पोंगल, बिहू आदि को नया साल मानने वाले मलयाली, तमिल, असमी हिन्दू नहीं हैं क्या?

2. यह भारतीय नववर्ष भी नहीं है। भारत सरकार द्वारा माना गया राष्ट्रीय कैलेंडर शक संवत है जो विक्रम संवत से एक सौ पैंतीस साल बाद और ईस्वी सन् से कोई अठहत्तर साल बाद शुरू हुआ।

पुनः शुभकामनाएं !..."

जिस तरह ग्रिगोरियन कैलेण्डर को क्रिश्चियन कैलेण्डर कहना असंगत है, वैसे ही विक्रम संवत को हिन्दू कैलेण्डर कहना। और वैसे भी, देश में एक नववर्ष की कल्पना मूलतः यूरोपीय सेमेटिक पद्धति का अनुकरण है, उनके विरोध में उन जैसा बन जाने की कोशिश। 

भारत में तो भिन्न भिन्न पंचांग और उनकी समान्तर प्रतिष्ठा रही है। महापंडित काणे ने लिखा है कि हिन्दुओं के वार त्योहार के लिए पंचांग जरूरी है और चूंकि वह स्थान विशेष पर ग्रह नक्षत्रों के अनुसार बदलता है इसलिए अलग अलग पंचांग हैं। भारत में तो शक संवत ही सबसे प्राचीन और स्वीकार्य रहा है।

महापंडित काणे ने ये भी लिखा है, "लगभग 500 ईस्वी के उपरान्त संस्कृत में लिखे गए सभी ज्योतिषशास्त्रीय ग्रन्थ शक संवत का उपयोग करते पाए गए हैं।" 

ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर और इतिहासकार कल्हण के यहाँ काल गणना के लिए शक संवत ही उपयोग में लाया गया है।

असल में दिक्कत कनिष्क से है। विक्रम अपना है न। और ये जो लोग अपने बधाई संदेशों में 'युगाब्द' लिख रहे हैं, उन पर तो हंसी भी नहीं आती। युग गणना का तरीका तो प्रलय की ओर जाता है। वह तो सृष्टि की चक्रीय अवधारणा है।

क्या बंगाली यह दावा करते हैं कि उनका नववर्ष भारतीय नववर्ष है? क्या गुजराती यह कहते हैं कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को राष्ट्रीय नववर्ष मनाया जाए? गुड़ी पड़वा (जो आज ही है) को हिन्दू नववर्ष बताने से पहले ये जान लें कि महाराष्ट्र में भी ज्योतिबा फुले की परंपरा है जो बलीप्रतिपदा को मानती है, वो भी हिन्दू ही हैं। गूगल पे डालिए - ‘इडा-पिडा टळो, बळीचे राज्य येवो’. फिर बहुत सी और बातें पता चलेंगी।

उत्तर भारतीय सवर्ण पुरुषों की ये खासियत होती है, वे अपने प्रत्येक वैशिष्ट्य को राष्ट्रीय प्रतीक का दर्जा दिलाने के लिए बेचैन रहते हैं। हमारी भाषा - राष्ट्रीय भाषा, हमारा पहनावा - राष्ट्रीय पहनावा, आदि आदि (और हमारी नदी!)।

भाषाओं, कैलेंडरों, कपड़ों, भोजन आदि को धर्म की छाप से बचाया जा सके तो ठीक रहेगा...

.....

शक संवत भारतीय संवतों में सबसे ज्यादा वैज्ञानिक, सही तथा त्रुटिहीन हैं, शक संवत प्रत्येक साल 22 मार्च को शुरू होता है, इस दिन सूर्य विश्वत रेखा पर होता हैं तथा दिन और रात बराबर होते हैं। 

शक संवत में साल 365 दिन होते हैं और इसका ‘लीप इयर’ ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ के साथ-साथ ही पड़ता है। ‘लीप इयर’ में यह 23 मार्च को शुरू होता हैं और इसमें ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ की तरह 366 दिन होते हैं।

पश्चिमी ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ के साथ-साथ, शक संवत भारत सरकार द्वारा कार्यलीय उपयोग लाया जाना वाला आधिकारिक संवत है। शक संवत का प्रयोग भारत के ‘गज़ट’ प्रकाशन और ‘आल इंडिया रेडियो’ के समाचार प्रसारण में किया जाता है। भारत सरकार द्वारा ज़ारी कैलेंडर, सूचनाओं और संचार हेतु भी शक संवत का ही प्रयोग किया जाता है।

शक संवत को भारत के राष्ट्रीय कैलेण्डर के रूप में डॉ. मेघनाद साहा की अध्यक्षता में बनी समिति द्वारा चुना गया।

.....

जो सामी (सेमेटिक) धर्म हैं, उनकी खासियत है कि वे एक किताब, एक पैगम्बर, एक भाषा आदि आदि यानी सब तत्त्वों का मानकीककरण करने की कोशिश करते हैं, हिन्दू धर्म पैगन श्रेणी में आता है। यानी बहुदेव, बहुपंथ, बहुभाषा, बहुविश्वास और इन सब का सहस्तित्त्व.... "देश में एक नववर्ष की कल्पना मूलतः यूरोपीय सेमेटिक पद्धति का अनुकरण है, उनके विरोध में उन जैसा बन जाने की कोशिश।"

उत्तर भारतीय सवर्ण पुरुषों की बेचैनी मैंने यह बताई थी कि वे अपने वैशिष्ट्य, अपनी परंपरा को पूरे भारत का राष्ट्रीय चेहरा बनाकर पेश करना चाहते हैं जो पूरब या दक्षिण भारतीय नहीं करते...

वैसे बंगाल में पोएला बैसाख मनाया जाता है नववर्ष के रूप में। यह बंगाल में ही नहीं बांग्लादेश में भी मनाया जाता है। यानी यह बंगला अस्मिता से जुड़ता है, धार्मिक अस्मिता से नहीं। बांग्लादेश इस्लामी गणतंत्र होने भर से बंगाली साल मानना छोड़ता नहीं है। एक और मजेदार बात, बंगला कैलेण्डर 'बंगाब्द' लगभग पांच सौ साल पीछे है यानी वहां अभी पंद्रहवीं शताब्दी शुरू हुई है। इसका उत्स ढूंढें तो हम अकबर तक जाते हैं जिन्होंने हिजरी संवत के चन्द्र पंचांग और सौर पंचांग के मिलन की बात की थी। यह तो आपको पता ही होगा कि चन्द्र वर्ष तीन सौ चौवन दिन में पूरा हो जाता है यानी ग्यारह दिन कम रह जाते हैं जिसके हल के लिए तिथियाँ 'टूट' जाती हैं, यानी गायब हो जाती हैं। इसका बेहतरीन हल अकबर ने सुझाया था जिसे बंगाल ने अपनाया...

(कुछ अहम तथ्य और जानकारियां प्रभाष जोशी की किताब “हिन्दू होने का धर्म” और प्रकाशन विभाग से प्रकाशित डॉ. मेघनाद साहा की जीवनी समेत कुछ अन्य पुस्तकों से ली गईं हैं: लेखक)

(लेखक हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक और शिक्षक हैं। यह लेख 2018 में लिखा गया था जो आज भी प्रासंगिक है। इस लेख को जनचौक डॉट कॉम से साभार लिया गया है।)

nav samvatsar
nav samvatsar 2076
Vikram Samvat
Chaitra Navratri
SHAK SAMVAT
hindu calendar
नव संवत्सर
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
चैत्र नवरात्रि

Related Stories


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License