NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
आख़िर कब भरेंगे मौत के गड्ढे, 5 साल में 15 हज़ार ने जान गंवाई
तमाम दावों और वादों के बाद भी सड़कों के गड्ढे नहीं भर सके हैं। न देश के, न यूपी के। ये गड्ढे लगातार जिंदगियां लील रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट इसे लेकर चिंतित है लेकिन सरकार फिक्रमंद नहीं दिखाई देती।
मुकुंद झा
08 Dec 2018
सांकेतिक तस्वीर

देश में लगातार दुर्घटनाओं से बढ़ते मौत के आंकड़ों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार  को पिछले पांच सालों में सड़क में गड्ढों  के कारण हुईं सड़क दुर्घटनाओं में करीब 15 हज़ार (14, 926) लोगों की मौत पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसे अस्वीकार्य बताया और इसके लिए केंद्र को फटकार लगाई। इसके अलावा अन्य सड़क दुर्घटनाओं की बात करें, तो सिर्फ 2017 में ही करीब सवा लाख लोगों की इसमें जान जा चुकी है।

इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि देश भर में गड्ढों के कारण बड़ी संख्या में मौतें "सीमा पर या आतंकवादियों द्वारा मारे गए लोगों की तुलना में बहुत अधिक हैं।"

न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और हेमंत गुप्ता समेत पीठ ने कहा कि गड्ढों के कारण दुर्घटनाओं में 2013 से 2017 तक की मौतों की संख्या से संकेत मिलता है कि संबंधित विभाग बिल्कुल बेफिक्र है उसने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार जो आँकड़ें सामने आए हैं वो सही में चौंकाने वाले, भयावह  और चिंताजनक हैं। 2017 में ही 3,597 मौतें इन गड्ढों से हुईं| इसी दौरान आतंकी घटनाओं में 40 लोगों की मौत हुई।

             

  वर्ष                    आतंकी घटनाओं में हुईं मौतें                       सड़क के गड्ढों के कारण हुईं मौतें

 2013                       303                                                           2614

 2014                       407                                                           3004

 2015                       181                                                           3387

 2016                       30                                                             2324

 2017                       40                                                             3597

     

 कुल                       961                                                            14,926 

 

गड्ढों से मौत पर राज्य द्वारा केंद्र को 2017 में भेजे गए आकड़ों के अनुसार यूपी का नम्बर अव्वल है –

 

राज्य                        मौत 

1. उत्तर प्रदेश            987

2. महाराष्ट्र                726

3. हरियाणा               522

4. गुजरात                 228

इस सूची को ध्यान से देखें तो पाएँगे कि टॉप चार राज्यों में चारों राज्य भाजपा शासित हैं | सबसे चौंकाने वाली बात है कि यूपी में भाजपा की सरकार का नारा था कि यूपी अब गड्ढा मुक्त होगा लेकिन वास्तविकता इससे कोसो दूर है।  योगी जी के दावे के विपरीत यूपी की सड़कें अभी भी गड्ढा युक्त बनी हुई हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीश केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा पर एक कमेटी बनाई थी। इसी कमेटी की रिपोर्ट पर खंडपीड ने केंद्र से प्रतिक्रिया मांगी थी। परन्तु केंद्र कि ओर से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला है।

पीठ ने कहा था कि यह हम सब जानते है  कि ऐसी दुर्घटनाओं बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे, इसके लिए  जिम्मेदार वो हैं जिन्हें सड़कों का रखरखाव रखना था, वे अपना कर्तव्य ठीक से नहीं निभा रहे हैं।

इस तरह की मौत में मारे गए व्यक्ति के परिवार जनों को किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिलती है जबकि ये मौतें सरकार व प्रशासन के लापरवाही से होती हैं। खंडपीठ ने यह भी कहा कि जो लोग गड्ढों के कारण दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप अपनी जान गंवा चुके हैं उन्हें मुआवजे मिलना चाहिए।

पीठ ने  इस "गंभीर समस्या" को देखने और दो हफ्तों के भीतर एक रिपोर्ट दर्ज करने के लिए सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट कमेटी से कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि समिति को सिफारिशें देनी चाहिए क्योंकि यह मुद्दा सड़क सुरक्षा का हिस्सा है ।

यह पूरा मामला पीठ के सामने तब आया था जब पीठ पूरे देश में सड़क सुरक्षा से संबंधित एक याचिका को सुन रहा था।

इस रिपोर्ट ने सरकार के उस दावों कि पोल खोल दी कि उसने देश की सड़कों को सुरक्षित किया है। इस रिपोर्ट ने बताया कि लाखों लोगों ने सड़क दुर्घटना में जान गंवाई है और यह कम होने की जगह साल दर साल बढ़ रहा है।

पिछले वर्ष का ही उदाहरण लेते हैं। पिछले साल 2017 में सड़क हादसों में सवा लाख लोगों ने अपनी जान गंवायी है। 

2017 में हुई मौतें

राज्य                                                  मौतें

उत्तर प्रदेश                                        20142

तमिलनाडु                                         16157

गुजरात                                               7289

तेलंगाना                                              6595

प. बंगाल                                             5953

बिहार                                                 5429

ओड़िशा                                              4790

पंजाब                                                 4278 

इस आकड़ें को देखें तो केवल उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन 55 व्यक्तियों कि मौत सड़क दुर्घटना में हो रही है। जिस पर हमारे दल हर चुनावों में मुद्दा बनाते हैं लेकिन सरकार में आने पर भूल जाते हैं। योगी जी ने भी सरकार में आते ही 15 जून 2017 तक सभी सड़कों के गड्ढे भरने का ऐलान किया था लेकिन जून 2018 भी बीत गया और पुराने गड्ढे भरे न जा सके, बल्कि और नये गड्ढे हो गए। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अब ख़राब सड़कों को लेकर चिंता जता रहे हैं और बयान दे रहे हैं कि सड़कें खराब हुईं तो ठेकेदारों पर बुलडोजर चलवा दूंगा। ये विवादित बयान अपनी ज़िम्मेदारी से बचने के अलावा और कुछ नहीं।

गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भी इसको लेकर चिंता जाहिर कि सरकार के लापरवाही के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। कोर्ट ने इसको लेकर सरकारों को फटकार भी लगाई है जल्द इस पर कार्रवाई करने को कहा।

broken roads
supreme court on roads
supreme court committee on road safety 2018
road accidents
potholes
Nitin Gadkari
Yogi Adityanath

Related Stories

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?

यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?

उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण

योगी 2.0 का पहला बड़ा फैसला: लाभार्थियों को नहीं मिला 3 महीने से मुफ़्त राशन 

चंदौली पहुंचे अखिलेश, बोले- निशा यादव का क़त्ल करने वाले ख़ाकी वालों पर कब चलेगा बुलडोज़र?

ग्राउंड रिपोर्ट: स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रचार में मस्त यूपी सरकार, वेंटिलेटर पर लेटे सरकारी अस्पताल


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License