NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
चुनाव 2022
विधानसभा चुनाव
भारत
राजनीति
सियासत: अखिलेश ने क्यों तय किया सांसद की जगह विधायक रहना!
चुनाव नतीजों के बाद से ही चली आ रही नेता प्रतिपक्ष के नाम की कश्मकश लगभग खत्म हो चुकी है। अखिलेश यादव ने लोकसभा से इस्तीफा देकर भाजपा के सामने चुनौती पेश की है।
रवि शंकर दुबे
23 Mar 2022
सियासत: अखिलेश ने क्यों तय किया सांसद की जगह विधायक रहना!

अगर भाजपा को केंद्र की सत्ता से हटाना है, तो सबसे पहले उत्तर प्रदेश खाली कराना होगा... इस बात को शायद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अच्छी तरह से समझ चुके हैं, यही कारण है कि विधानसभा चुनावों में हार के बाद भी अखिलेश यादव प्रदेश की भाजपा सरकार के सामने डटे हुए हैं। और नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। 

या फिर यूं कहें कि अखिलेश के सामने अपने कार्यकर्ताओं को संगठित रखने की बड़ी चुनौती थी, इसी चुनौती को भांपते हुए अखिलेश ने उत्तर प्रदेश में रहने का फैसला किया है। जिससे कार्यकर्ताओं में ये संदेश ज़रूर जाएगा कि भले ही सपा को महज़ 111 विधानसभा सीटों से संतोष करना पड़ा है, और विपक्ष में बैठना पड़ रहा है। लेकिन पार्टी का जोश कम नहीं हुआ है। यानी समाजवादी पार्टी अगले पांच सालों तक सड़क पर लड़ाई लड़ती रहेगी। 

ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि अगर अखिलेश यादव अपनी विधायकी से इस्तीफा दे देते तो हार से निराश सपा कार्यकर्ताओं का मनोबल और गिर जाता जो सपा के लिए बेहद बुरा संकेत हो सकता था। क्योंकि ऐसा होने पर कार्यकर्ता दूसरी पार्टियों का रुख कर सकते थे।

ग़ौरतलब है कि अखिलेश यादव ने लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला से मिलकर उन्‍हें अपना इस्‍तीफा सौंपा। उनके साथ पार्टी नेता रामगोपाल यादव भी मौजूद रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव आजमगढ़ सीट से सांसद चुने गए थे। आपको बता दें कि इस्तीफे से पहले अखिलेश ने आजमगढ़ के विधायकों और पार्टी नेताओं से बातचीत की थी। इसके पहले वह करहल विधानसभा क्षेत्र में भी गए थे। वहां के नेताओं ने अखिलेश से विधायकी न छोड़ने का अनुरोध किया था। तब अखिलेश ने कहा था कि इस बारे में पार्टी फैसला लेगी।  

Samajwadi Party (SP) chief Akhilesh Yadav hands over his resignation to Lok Sabha Speaker Om Birla from his membership of the House. pic.twitter.com/UeZIMHgQyj

— ANI (@ANI) March 22, 2022

समाजवादी पार्टी की ओर से अखिलेश के उत्तर प्रदेश में रहने का फैसला 2027 के चुनावों के लिहाज़ से भी बेहद अहम है। क्योंकि पार्टी के अच्छे से पता है कि केंद्र से ज्यादा यूपी में मज़बूत पकड़ रखना ज्यादा ज़रूरी है। कुछ जानकारों का मानना है कि 2017 में सत्ता गंवाने के बाद 2019 में अखिलेश यादव का लोकसभा चले जाना भी 2022 में हार का बड़ा कारण रहा है। क्योंकि मतदाताओं में ये धारणा बनी हुई थी कि अखिलेश यादव ज़मीन से ज्यादा सिर्फ ट्वीटर पर एक्टिव रहते हैं। जिसका नुकसान भी सपा को उठाना पड़ा है।

 
वहीं जब सपा के प्रवक्ता अब्दुल हफीज़ गांधी के साथ इस मामले पर न्यूज़क्लिक ने बात की... तो उन्होंने कहा कि जनता ने हम पर विश्वास जताया है इसलिए हमारा दायित्व बनता है कि हमारी पार्टी का और प्रदेश का सबसे बड़ा नेता सदन में नेता विपक्ष की भूमिका अदा करे। हम पहले से ज्यादा मज़बूती से मुद्दों को उठाएंगे और भाजपा पर सही काम करने के लिए दबाव बनाएंगे।

हमने जब सवाल किया का क्या अखिलेश ने इस डर से कमान संभाली है कि कहीं जीते हुए विधायक सपा का दामन छोड़ ना दें, तो गांधी ने जवाब दिया कि ऐसा कुछ नहीं है, बल्कि सपा का एक-एक विधायक और कार्यकर्ता अपने नेता अखिलेश यादव के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। गांधी ने ये भी कहा कि यूपी में हमारी पार्टी ने साल 2027 की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।

अब्दुल हफीज़ गांधी के इस बयान और अखिलेश यादव के इस्तीफे से ये तो साफ है कि सदन में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अखिलेश यादव ही चुनौती पेश करते नज़र आएंगे। हालांकि पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी के चुनाव हारने के बाद शिवपाल यादव, लालजी वर्मा और माता प्रसाद पांडेय का नाम आगे चल रहा था लेकिन अब लगभग तस्वीर पूरी तरह से साफ हो चुकी है कि अखिलेश यादव की नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाएँगे। जिसका आधिकारिक ऐलान पार्टी की ओर से 26 मार्च को जीतकर आए विधायकों की बैठक में किया जाएगा।

2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में अखिलेश यादव का उत्तर प्रदेश में रहने का फैसला ‘’लंबी छलांग के लिए दो कदम पीछे’’ लेने जैसा है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि 2027 के विधानसभा से पहले लोकसभा में अपनी सीटें बढ़ाने के लिए अखिलेश सदन से लेकर सड़क तक भाजपा को घेरेंगे और मुद्दों को और ज्यादा ज़ोर-शोर से उठाएंगे। 2024 में अखिलेश की सपा इसलिए भी बड़ा रोल अहम अदा कर सकती है क्योंकि खुद को केंद्र में लाने की जुगत में लगी ममता बनर्जी लगातार बिना कांग्रेस के एक महागठबंधन तैयार करने में लगी हैं इसी कड़ी में उन्होंने अखिलेश के लिए यूपी में प्रचार भी किया था। 

गौरतलब है कि अब समाजवादी पार्टी के पास सिर्फ तीन सांसद बचे हैं। मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव, मुरादाबाद से एसटी हसन और संभल से शफीकुर्रहमान बर्क। वहीं अखिलेश और आज़म के संसदीय पद से इस्तीफे के बाद अब आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट खाली हो गई हैं जिस पर छह महीने के अंदर उपचुनाव कराए जाएंगे।

आज़म खान की पत्नी संभालेंगी विरासत?

कयास लगाए जा रहे हैं कि आज़म खान के इस्तीफे के बाद रामपुर सीट से उनकी पत्नी तंजीम फातिमा सपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ सकती हैं। आपको बताते चलें कि तंजीम फातिमा 2019 में आज़म खान के सांसद बनने के बाद रामपुर में हुए उपचुनाव में जीतकर विधायक बनी थीं। वहीं इस बार यानी 2022 के चुनावों में आज़म खान खुद विधायकी लड़े और जीते। आज़म खान दसवीं बार विधायक चुने गए है।

डिंपल या धर्मेंद्र यादव?

दूसरी ओर अखिलेश के इस्तीफे के बाद आज़मगढ़ से धर्मेंद्र यादव या फिर डिंपल यादव मैदान में उतर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आज़मगढ़ की सभी 10 विधानसभा सीटों पर सपा का कब्ज़ा है ऐसे में अपने इस गढ़ में समाजवादी पार्टी किसी भी कीमत पर सेंध नहीं लगने देना चाहती।

क्योंकि नेता प्रतिपक्ष के रूप में अखिलेश यादव का विधानसभा में आगमन लगभग तय हो गया है। वहीं योगी आदित्यनाथ भी मुख्यमंत्री के साथ-साथ पहली बार विधायक के रूप में विधानसभा पहुंचेंगे। ऐसे में दोनों के बीच के भाषण देखना बेहद दिलचस्प होगा। 

AKHILESH YADAV
Yogi Adityanath
UP ELections 2022

Related Stories

यूपी चुनाव नतीजे: कई सीटों पर 500 वोटों से भी कम रहा जीत-हार का अंतर

यूपी के नए राजनीतिक परिदृश्य में बसपा की बहुजन राजनीति का हाशिये पर चले जाना

यूपी चुनाव : पूर्वांचल में हर दांव रहा नाकाम, न गठबंधन-न गोलबंदी आया काम !

यूपी चुनाव: कई दिग्गजों को देखना पड़ा हार का मुंह, डिप्टी सीएम तक नहीं बचा सके अपनी सीट

जनादेश—2022: वोटों में क्यों नहीं ट्रांसलेट हो पाया जनता का गुस्सा

जनादेश-2022: यूपी समेत चार राज्यों में बीजेपी की वापसी और पंजाब में आप की जीत के मायने

यूपी चुनाव: प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की वापसी

यूपी चुनाव: रुझानों में कौन कितना आगे?

यूपी चुनाव: इस बार किसकी सरकार?

यूपी चुनाव: नतीजों के पहले EVM को लेकर बनारस में बवाल, लोगों को 'लोकतंत्र के अपहरण' का डर


बाकी खबरें

  • भाषा
    महाराष्ट्र : एएसआई ने औरंगज़ेब के मक़बरे को पांच दिन के लिए बंद किया
    19 May 2022
    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रवक्ता गजानन काले ने मंगलवार को कहा था कि औरंगजेब के मकबरे की कोई जरूरत नहीं है और उसे ज़मींदोज़ कर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग वहां न जाएं। इसके बाद, औरंगाबाद के…
  • मो. इमरान खान
    बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’
    19 May 2022
    रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुत्ववादी भीड़ की हरकतों से पता चलता है कि उन्होंने मुसलमानों को निस्सहाय महसूस कराने, उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और उन्हें हिंसक होकर बदला लेने के लिए उकसाने की…
  • वी. श्रीधर
    भारत का गेहूं संकट
    19 May 2022
    गेहूं निर्यात पर मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये से सरकार के भीतर संवादहीनता का पता चलता है। किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने की ज़िद के कारण गेहूं की सार्वजनिक ख़रीद विफल हो गई है।
  • एम. के. भद्रकुमार
    खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन
    19 May 2022
    संयुक्त अरब अमीरात में प्रोटोकॉल की ज़रूरत से परे जाकर हैरिस के प्रतिनिधिमंडल में ऑस्टिन और बर्न्स की मौजूदगी पर मास्को की नज़र होगी। ये लोग रूस को "नापसंद" किये जाने और विश्व मंच पर इसे कमज़ोर किये…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी 
    19 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,364 नए मामले सामने आए हैं, और कुल संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 29 हज़ार 563 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License