NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अलीगढ़ मुठभेड़ मामला : पीड़ित परिवार का घर में नज़रबंदी और यौन उत्पीड़न का आरोप
दो कथित अपराधियों, मुस्तकीम और नौशाद को 20 सितंबर को हरदुआगंज के अलीगढ़ में पुलिस ने गोली मार दी थी।
तारिक़ अनवर
12 Oct 2018
अलीगढ़ मुठभेड़ (फाइल फोटो)

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के अतरौली के भेंसपाडा गांव में घर के दो कमाने वाले सदस्यों, मुस्तकीम (22) और नौशाद (17) को एक “मुठभेड़” में पुलिस ने मार डाला था, लेकिन अब उनके परिवार को बिना किसी औचित्य के तैनात किए गए "पुलिस के हाथों यौन उत्पीड़न और घर में नजरबंदी का सामना करना पड़ रहा है"।

हरदुआगंज में मछुआ नहर के पास एक निर्जन सरकारी इमारत में 20 सितंबर को दो युवाओं की कथित तौर पर गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। शायद, यह देश की पहली मुठभेड़ है जहां पत्रकारों को इसे लाइव कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था।

मृतकों का परिवार, जिसने अपने सभी कमाने वाले हाथों को खो दिया हैं, "भूखे" हैं, क्योंकि कहा जा रहा है कि पड़ोस से उनके घर पर किसी को जाने की इजाज़त नहीं है और न ही भोजन देने या भोजन की पेशकश करने की अनुमति दी जा रही है। बताया गया कि गाँव में तथ्य की खोज़ करने वाली टीम जो कानूनी सहायता प्रदान करती है, से जुड़े लोगों पर “बजरंग दल के कार्यकर्ताओ” ने गांव में हमला किया।

समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता और कार्यकर्ता पँखुरी पाठक और इतिहासकार और फिल्म लेखक अमरेश मिश्रा, जो 6 अक्टूबर को मृतक के परिवार से मिलने गए थे, ने आरोप लगाया था कि पीड़ितों का परिवार "वास्तविक घेराबंदी" के अधीन है, और वे उन्हें किसी से भी मिलने की अनुमति नहीं दे रहे है। मिश्रा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि "हमें बताया गया कि पुलिस कभी भी महिलाओं को उठा लेती है और उन्हें परेशान करती है। हमें यह भी सूचित किया गया कि वे जब भी चाहें घर में घुसकर कमजोर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करते हैं।"

विशेष रूप से, कई लोगों द्वारा इस आरोप को दोहराया गया है, लेकिन इस संबंध में पीड़ितों द्वारा कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है।

पाठक ने कहा, "दो मृतकों के परिवार के सदस्य सख्त निगरानी में क्यों हैं, और क्यों उन्हें इस यातना के चक्र से गुजरना पड़ रहा है? और क्यों पुलिस पूरे समय घर के बाहर डेरा डालें हुए है? हमें मिलने की इजाजत क्यों नही दी जा रही है, और जो भी परिवार से मिलने जाता है उस पर बजरंग दल के किराये के गुंडों द्वारा हमला किया जा रहा है? "

इससे पहले पाठक और मिश्रा, जो पीड़ितों के परिवारों से मिलने अपने सहयोगियों के साथ गांव गए थे तब उन पर दक्षिणपंथी समूह के कार्यकर्ताओं ने हमला किया था। उस पूरी घटना को कैमरे में कैद किया गया है।

6 अक्टूबर को हुई घटनाओं की श्रृंखला की व्याख्या करते हुए पँखुरी पाठक ने बताया कि वह और अमरेश मिश्रा मुस्लिम युवाओं की पुलिस द्वारा की गई हत्या के मुद्दे की जांच के लिए अलीगढ़ के अतरौली में गई थीं। उन्होंने कहा कि "हम दोपहर 12:30 बजे अतरौली पहुंचे, और मृत मुस्तकीम की पत्नी से मुलाकात की। मैंने पाया कि घर के अन्य सद्स्य पुलिस की हिरासत में है।” उन्होंने यह भी कहा वे क्षेत्र के पुजारी के परिवार से भी मिलना चाहते थे जिनकी हत्या हो गयी थी। नौशाद और मुस्तकीम - पुलिस के अनुसार - पुजारी की हत्या में शामिल थे।

"जब टीम आगे बढ़ रही थी तो पूरी टीम को लगभग 50 व्यक्तियों के एक समूह ने घेर लिया था जो खुद को बजरंग दल के सदस्य के रूप में दिखा रहे थे। उन्होंने टीम के सदस्यों को पकड़ लिया, और उन्हें मारना शुरू कर दिया। बजरंग दल के सदस्य वहां पहुंचे, और वाहनों पर हमला करना शुरू कर दिया। बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार, बलात्कार की धमकी दी गई, उन्होंने एक फासीवादी गिरोह की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया।” उन्होंने दावा किया कि इस जानलेवा हमले में पांच लोगों के सिर पर चोटें आईं है।

मिश्रा जो मंगल पांडे सेना नामक समूह के संस्थापक अध्यक्ष हैं उन्होंने दावा किया कि “बजरंग दल के लोगों ने मुझे मारना शुरू कर दिया, और चिल्लाए कि 'वह सोशल मीडिया पर हमारे खिलाफ लिखता है, इसे मारो’। मंगल पांडे सेना के कुछ सदस्य तब तक वहां पहुंच गए थे। बजरंग दल के सदस्यों ने आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल शुरू किया। मंगल पांडे सेना ने आत्मरक्षा में कदम उठाए। उनके लगातार प्रतिरोध के बाद ही वे बजरंगियों के हमले को बेअसर करने में कामयाब रहे, –इस तरह वे और उनकी टीम वहां से भागने में कामयाब रही। "

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने इस संबंध में कोई शिकायत दायर की है, पाठक ने कहा कि उन्होंने हेल्पलाइन नंबर 100 डायल करके पहले से ही शिकायत दर्ज करा दी है। और उन्हें एक पावती मिली है, जबकि मिश्रा ने कहा कि लखनऊ में हजरतगंज पुलिस स्टेशन ने उनकी प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार कर दिया था।

मिश्रा और पाठक दोनों ने दावा किया कि वे अतरौली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज़ करने मैं नाकामयाब रहे, क्योंकि वहां की पुलिस हमलावरों के साथ "मिली" हुई है। मिश्रा ने आरोप लगाया कि "अलीगढ़ पुलिस ने खुद की रक्षा में लगता है बजरंग दल के सदस्यों की सेवा ले रखी है। उत्तर प्रदेश में कानून और व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी है। "

अलीगढ़ आधारित एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता मारिया आलम उमर, जिन्होंने यह दावा किया कि उन्हें बजरंग दल के सदस्यों ने अतरौली पुलिस स्टेशन में धमकी दी, जहां वह महिलाओं से इस बात की पुष्टि करने के लिए गई थीं कि परिवार हिरासत में है या नहीं और क्या उन्हें शारीरिक शोषण की धमकी दी जा रही है।

उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि "मैंने उस परिवार की महिलाओं से मुलाकात की जिसके दो युवाओं को 20 सितंबर को पुलिस हिरासत में गोली मार दी गई थी। उन्हें बताया गया कि परिवार की तीन महिलाओं को एक हाजी द्वारा ले जाया गया और उन्हें अतरौली थाना (पुलिस स्टेशन) में हिरासत में ले लिया गया। इसलिए, मैं यह पुष्टि करने के लिए अतरौली  थाना गयी थी कि क्या वास्तव में वहां महिलाओं को हिरासत में लिया गया था या नहीं। श्री प्रवीण राणा (अत्रौली एसओ) यह जानने के बाद कि हम इन लोगों के बारे में चिंतित हैं उन्होने फोन कर गाँव के लोगों को बुलाया ताकि वे हम से सवाल-जवाब कर सके।"

इसके अलावा, उमर ने कहा कि उन्होंने (एसओ राणा) उन्हें धमकी दी और उनकी कार की चाबियाँ छीन ली, यह तब किया जबकि कार से संबंधित सभी कागजात सही थे। "कार मेरे पिता, श्री इज़हर आलम खान (पूर्व विधायक), कायमगंज के नाम पर पंजीकृत है। महिलाओं के बारे में जानकारी लेने के लिए महिला कार्यकर्ताओं के साथ इस तरह का घृणित व्यवहार अतरौली पुलिस की अत्यधिक संवेदनहीनता को दर्शाता है। हम महिलाओं के मुद्दों पर जाति, पंथ या धर्म आधारित भेदभाव से परे हट कर काम कर रहे हैं, फिर भी अतरौली थाना पुलिस ने हमारे ऊपर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया। "

महिलाओं के यौन उत्पीड़न के बारे में पूछे जाने पर उमर ने कहा कि उन्हें इस संबंध में जानकारी मिली है।" उन्होंने कहा कि मुझे इसके बारे में पता चला है, लेकिन वे इतने डरे हुए हैं कि वे आधिकारिक तौर पर इसके बारे में तफसील से नहीं बता सकते हैं। ऐसी स्थिति में, महिलाएं अधिक कमजोर होती हैं, और उनके शोषण की अधिक संभावना बन जाती हैं।"

दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की एक और जांच टीम परिवार से मिलने गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जब वे आधिकारिक जानकारी के लिए अतरौली पुलिस स्टेशन पहुंचे तो एसओ राणा ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और कथित रूप से बजरंग दल के सदस्यों को पुलिस स्टेशन में बुलाया। उन्हें वहां से जाना पड़ा क्योंकि तथ्य की तलाश में आई टीम के साथ बड़ी भीड़ में आए बजरंग दल के सदस्यों ने बहस करना शुरू कर दिया था।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से संपर्क करने के बार-बार प्रयास विफल रहे, साथ ही न्यूज़क्लिक द्वारा किए गए फोन कॉल पर किसी पुलिस अधिकारी ने कोई प्रतिक्रिया नही दी। लखनऊ में डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमारे पास किसी भी कीमत पर मीडिया को जानकारी न देने के स्पष्ट निर्देश हैं, क्योंकि इस घटना के संबंध में पुलिस की बहुत आलोचना हुई है।"

Aiigarh Encounter
Mustaqueem and Naushad
UP police
UP Police Encounter
Yogi Adityanath

Related Stories

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?

यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?

उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण

योगी 2.0 का पहला बड़ा फैसला: लाभार्थियों को नहीं मिला 3 महीने से मुफ़्त राशन 

चंदौली पहुंचे अखिलेश, बोले- निशा यादव का क़त्ल करने वाले ख़ाकी वालों पर कब चलेगा बुलडोज़र?


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License