NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
आम चुनावों में आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के बारे में विचार की जरूरत
नरेंद्र मोदी फिर देश के प्रधानमंत्री बन गये, लेकिन इस चुनाव में भाजपा को सिर्फ 37 फीसदी वोट मिले हैं। यह बात जानबूझकर बहुत कम बतायी गयी है।
अजय सिंह
27 Jun 2019
Parliament
फोटो साभार: The Indian Express

लोकसभा चुनाव-2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बेशक दोबारा जीत हासिल कर ली और नरेंद्र मोदी फिर देश के प्रधानमंत्री बन गये, लेकिन इस चुनाव में भाजपा को सिर्फ 37 फीसदी वोट मिले हैं। यह बात जानबूझकर बहुत कम बतायी गयी है। सिर्फ 37 प्रतिशत वोटों के बल पर उसने लोकसभा की कुल 545 सीटों में से 300 से ज्यादा सीटों पर कब्जा कर लिया, और केंद्र में अपनी सरकार बना ली। भाजपा को मिले वोट प्रतिशत के आधार पर इतनी ज्यादा सीटें उसे नहीं मिलनी चाहिए थीं।

अगर हमारे संसदीय लोकतंत्र में चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर होता तो यह 'करिश्मा' संभव नहीं हो पाता। चूंकि हमारे यहां एक व्यक्ति-एक वोट प्रणाली लागू है, इसलिए सारा जोर इस पर है कि किसको कितना वोट मिला।

इस बात की जरूरत शिद्दत से महसूस की जाने लगी है कि हमारी चुनाव प्रणाली में वोट प्रतिशत व सीट प्रतिशत के बीच तर्कसंगत व विवेकसंगत अनुपात होना चाहिए। इसके लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू करने के बारे में विचार करने की जरूरत है। जैसा कि पड़ोसी देश नेपाल ने अपने यहां संसदीय लोकतंत्र में लागू किया है।

नेपाल की संसदीय लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली को ध्यान से देखने-समझने की जरूरत है। वहां चुनाव में आनुपातिक प्रतिनिधत्व प्रणाली लागू है और एक व्यक्ति को दो बार वोट देने का अधिकार है। यानी, एक बार में एक व्यक्ति दो बार वोट देता या देती है। इस तरह नेपाल ने वोट प्रतिशत व सीट प्रतिशत के बीच खाई व विसंगति को काफी हद तक दूर किया है। और नेपाल की संसद में महिलाओं, सभी समुदायों, राष्ट्रीयताओं, वंचित समूहों, धार्मिक/ जातीय अल्पसंख्यकों, आदि को उचित प्रतिनिधित्व-समानुपातिक प्रतिनिधित्व—बहुत हद तक मिला है।

हम अपने यहां खासकर उत्तर प्रदेश के एक-दो उदाहरणों से इस विसंगति को समझने की कोशिश करेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 10 सीटें और करीब 25 प्रतिशत वोट मिले। समाजवादी पार्टी (सपा) को पांच सीटें और करीब 17 प्रतिशत वोट मिले। 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को करीब 20 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन सीट एक भी नहीं मिली थी। सपा को 22-23 प्रतिशत के करीब वोट मिले थे, और सीट तब भी पांच ही मिली थी। अब इस विरोधाभास और विसंगति को किस तरह समझा जाए ! बिहार में इस बार लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल को काम लायक वोट मिलने के बावजूद एक भी लोकसभा सीट नहीं मिली।

जो लोग 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत को 'प्रचंड जीत’ कह कर शोर मचा रहे हैं, उनसे कहा जाना चाहिए कि 37 प्रतिशत वोट को 'प्रचंड जीत’ नहीं कहा जा सकता। 

अलबत्ता लोकसभा में भाजपा को सीटें बहुत ज्यादा मिल गयीं, जबकि उन्हें वोट प्रतिशत के हिसाब से होना चाहिए था। 'प्रचंड जीतवादियों’ को याद दिला दिया जाये कि 1984 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और उनकी कांग्रेस पार्टी को लोकसभा में 400 से ज्यादा सीटें और करीब 40 प्रतिशत वोट मिले थे।

इसी के साथ चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल, प्रासंगिकता और विश्वनीयता पर भी विचार करने की जरूरत है। मतदान के लिए ईवीएस मशीन का उपयोग बराबर कठघरे में रहा है और इसकी विश्वसनीयता को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते रहे हैं। 2019 का लोकसभा चुनाव भी—ईवीएम मशीन के इस्तेमाल के सवाल पर संदेह के दायरे में रहा है। इसकी अनदेखी करना संसदीय लोकतंत्र के लिए नुकसानदेय है।

(लेखक वरिष्ठ कवि व राजनीतिक-सांस्कृतिक विश्लेषक हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)   

Parliament of India
General elections2019
Narendra modi
modi sarkar 2.O
37% votes
BJP

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति

बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..


बाकी खबरें

  • बी. सिवरामन
    मोदी  महंगाई पर बुलडोजर क्यों नहीं चलाते?
    23 Apr 2022
    मोदी के पास कोई सुराग नहीं है कि कीमतों को कैसे नियंत्रित किया जाए। उनकी समस्या यह है कि वे महंगाई पर अपने बुलडोजर नहीं चला सकते।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    नफ़रती भाषण: कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को ‘बेहतर हलफ़नामा’ दाख़िल करने का दिया निर्देश
    23 Apr 2022
    दिल्ली की ‘धर्म संसद’ में कोई हेट स्पीच नहीं हुई, पुलिस के इस हलफ़नामे पर देश की सुप्रीम कोर्ट में एकबार फिर दिल्ली पुलिस की किरकिरी हुई है, लेकिन पुलिस इससे कोई सबक़ लेगी, नहीं लगता।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में ढाई हज़ार से ज़्यादा नए मामले, 33 मरीज़ों की मौत
    23 Apr 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,527 नए मामले सामने आए हैं। दिल्ली आज फिर एक हज़ार से ज़्यादा नए मामले सामने आए। 
  • सबरंग इंडिया
    असम की अदालत ने जिग्नेश मेवाणी को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेजा
    23 Apr 2022
    मेवाणी को बुधवार रात गिरफ्तार किया गया था और गुरुवार सुबह उन्हें असम ले जाया गया था; रात के समय अदालत में कार्यवाही के दौरान उनकी जमानत याचिका खारिज
  • दमयन्ती धर
    चुनाव से पहले गुजरात में सांप्रदायिकता तनाव, उन जिलों में दंगों की कोशिश जहां भाजपा मजबूत नहीं
    23 Apr 2022
    गुजरात में चुनावों से पहले सांप्रदायिकता का एक पैटर्न है। संयोग से, पिछले एक हफ्ते में जिन जगहों पर सांप्रदायिक तनाव देखा गया, वे सभी भाजपा के गढ़ नहीं माने जाते हैं
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License