NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
अंग्रेजी में देहली की बजाय दिल्ली लिखे जाने से क्या बदलेगा?
'देश में इससे कहीं बड़े दूसरे बहुत से मसले हैं, एक सांसद को इस पर अपना समय बेकार नहीं करना चाहिए। वैसे भी यह मसला सिर्फ एक राजनीतिक शिगूफा है। हमें इस पर बेवजह का विवाद नहीं खड़ा करना चाहिए। इस मांग का ऐतिहासिकता से कोई लेना देना नहीं है।' - एस इरफान हबीब
न्यूजक्लिक रिपोर्ट
26 Jul 2019
लाल किला

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने संसद में दिल्ली के अंग्रेजी नाम की स्पेलिंग बदलने की मांग की है। दिल्ली को हिंदी और अंग्रेजी में अलग-अलग तरीके से लिखे जाने पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि अंग्रेजी में देहली की बजाय दिल्ली लिखा जाना चाहिए। 

उन्होंने तर्क दिया है कि देहली नाम में दिल्ली की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की झलक नहीं मिलती है, इसलिए इसे बदला जाय। उन्होंने जल्द ही गृह मंत्रालय को इस संदर्भ में एक प्रस्ताव भेजने की बात भी कही है।

खबरों के मुताबिक, गोयल ने कहा कि राजधानी का नाम दिल्ली किस महत्व की वजह से पड़ा, यह निश्चित रूप से तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन लोकप्रिय धारणाएं बताती हैं कि दिल्ली का नाम मौर्य राजवंश के शासक राजा दिल्लू से मिला, जिन्होंने पहली शताब्दी ईसा पूर्व में इस शहर का नाम खुद के नाम पर रख दिया था। वहीं कुछ इतिहासकारों का मानना है कि दिल्ली का नाम दहलीज शब्द से मिला, क्योंकि दिल्ली को एक तरह से सिंधु-गंगा के मैदानों के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता था।

उन्होंने अपनी मांग की वजह समझाते हुए कहा कि दिल्ली नाम में इस शहर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत झलकती है, जबकि देहली शब्द सुनने पर वह एहसास नहीं होता है। साथ ही इसकी वजह से लोगों के अंदर एक तरह का भ्रम भी पैदा होता है, क्योंकि कुछ लोग इसे देहली कहते हैं, तो वहीं ज्यादातर लोग दिल्ली कहते हैं। 

उन्होंने बताया कि वैसे दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ या हस्तिनापुर रखे जाने की मांग पहले भी उठाई जा चुकी है, लेकिन इस समय वह यह नहीं कह रहे कि ऐसा कोई बदलाव हो, लेकिन कम से कम राजधानी के नाम की स्पेलिंग में सुधार करके एकरूपता तो लाई ही जा सकती है।

पहले भी बदले कई शहरों के नाम की स्पेलिंग

नवभारत टाइम्स के मुताबिक गोयल ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को दर्शाने के लिए किसी शहर या जगह का नाम बदला गया हो। आजादी के बाद से ही कई बड़े शहरों के नामों को कानून पास करके बदला गया है। 

उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि जैसे कोचीन का नाम बदलकर कोच्चि रखा गया, बॉम्बे का नाम मुंबई किया गया, इंदुर का नाम इंदौर, पूना का पुणे, बनारस का वाराणसी या कलकत्ता का नाम बदलकर कोलकाता किया गया। 

इसी तरह कई शहरों के नामों की स्पेलिंग भी सही की गई। जैसे Kawnpore को Kanpur लिखा जाने लगा, Monghyr को Munger और Orissa को Odisha किया गया। इसी तर्ज पर उन्होंने दिल्ली के नाम की स्पेलिंग में सुधार करने की मांग रखी है। 

गृह मंत्रालय का रुख 

गोयल ने कहा कि इस बारे में वह अन्य राजनीतिक दलों से भी चर्चा करेंगे और एकराय कायम करने की कोशिश करेंगे। उसी के बाद वह गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजेंगे।

हालांकि अपनी मांग के बाद गोयल ने जानना चाहा कि क्या गृह मंत्रालय दिल्ली की स्पेलिंग में सुधार करेगा? 

इस पर गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि गृह मंत्रालय की नाम परिवर्तन के मामले में भूमिका सिर्फ एनओसी देने तक ही सीमित है। बाकी कार्य राज्यों या दूसरे विभागों के जिम्मे होता है। मंत्रालय अपने स्तर पर कोई बदलाव नहीं करता है। उसे प्रस्तावों को देखना होता है।

हुआ विरोध 

दिल्ली का नाम बदलने को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में सियासी घमासान शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर लगातार निशाना साध रही है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया,'हमें दिल्ली का नाम नहीं, दिल्ली वालों की ज़िंदगी बदलनी है, उनकी ज़िंदगी बेहतर बनानी है। लोगों का विकास दिल्ली का नाम बदलने से कैसे होगा? लोगों की ज़िंदगी में ख़ुशहाली तब आएगी जब हम उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा, उनको अच्छा इलाज, उनके लिए अच्छी सड़क, बिजली, पानी का इंतज़ाम करेंगे।'

चांदनी चौक विधायक अलका लांबा ने ट्वीट कर लिखा था कि 'बीजेपी नेताओं के मुताबिक दिल्ली का नाम बदलते ही दिल्ली का भाग्य भी बदल जायेगा। नाम बदलते ही जादू होगा। दिल्ली का प्रदूषण छुमंतर हो जायेगा। पीने के पानी और बिजली की कोई कमी नहीं रहेगी। बेटियां खुद-ब-खुद सुरक्षित हो जायेंगी। अपराध खत्म हो जायेगा। सबकी बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।'

वहीं, आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा है, 'विजय गोयल जी, जब हिंदी में "गोयल" तो अंग्रेजी में "Goel" क्यों? आप भी अपना नाम बदल कर VIJAY GOYAL कर दो । बाकी खानदान का भी नाम बदल दो। संस्कृति का मामला है।'

क्या कहते हैं इतिहासकार?

इतिहासकारों का मानना है कि यह मांग गैर जरूरी है। इस मांग को मान लेने से भी दिल्ली में कुछ बदलने वाला नहीं है। स्पेलिंग में बदलाव, बेवजह भ्रम पैदा करेगा। वैश्विक स्तर पर मैप, एटलस, दूसरे जरूरी दस्तावेजों के रिकॉर्ड में नाम की स्पेलिंग बदलना आसान नहीं होता है। इसके लिए बेवजह की कसरत होगी। 
आम लोगों के बीच देलही व दिल्ली दोनों नामों का चलन है। अंग्रेजी में कुछ लोग देहली बोलते हैं तो कुछ लिखते भले ही देहली हों बोलते दिल्ली ही हैं। हिंदी में ज्यादातर लोग दिल्ली लिखते और बोलते हैं। 

इतिहासकार एस इरफान हबीब कहते हैं कि लोग दोनों नामों का उच्चारण सहजता से कर लेते हैं। इसके साथ कोई विवाद भी नहीं है। ऐसे में फेरबदल का मतलब क्या है। देश में इससे कहीं बड़े दूसरे बहुत से मसले हैं, एक सांसद को इस पर अपना समय बेकार नहीं करना चाहिए। वैसे भी यह मसला सिर्फ एक राजनीतिक शिगूफा है। हमें इस पर बेवजह का विवाद नहीं खड़ा करना चाहिए। इस मांग का ऐतिहासिकता से कोई लेना देना नहीं है। 

आपको बता दें कि दिल्ली दुनिया के कुछ पुराने शहरों में से एक है। यहां की पुरानी इमारतें कई राजाओं और बादशाहों की दास्तां बताती हैं। महाभारत काल में इंद्रपस्थ नाम से इसका जिक्र मिलता है। खिलजी, तुगलक, मुगलों की राजधानी रही है। बाद में यह अंग्रेजों की राजधानी बनी।

इस शहर को कई बार उजाड़ा और बसाया भी गया है। अभी यह देश की राजधानी है। इस दरम्यान इसे इंद्रप्रस्थ, किला राय पिथौरा, किलकोरी, सिरी, तुगलकाबाद, शाहजहानाबाद और दिल्ली जैसे तमाम नामों से जाना गया।

Delhi
AAP
BJP
vijay goyal
DILLI
Arvind Kejriwal
Parliament
rajay sabha

Related Stories

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

मनोज मुंतशिर ने फिर उगला मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर, ट्विटर पर पोस्ट किया 'भाषण'

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन

जहांगीरपुरी हिंसा में अभी तक एकतरफ़ा कार्रवाई: 14 लोग गिरफ़्तार

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

उर्दू पत्रकारिता : 200 सालों का सफ़र और चुनौतियां

सद्भाव बनाम ध्रुवीकरण : नेहरू और मोदी के चुनाव अभियान का फ़र्क़

यूपी चुनाव: पूर्वी क्षेत्र में विकल्पों की तलाश में दलित

हम भारत के लोगों की असली चुनौती आज़ादी के आंदोलन के सपने को बचाने की है


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन
    20 May 2022
    मुंडका, नरेला, झिलमिल, करोल बाग से लेकर बवाना तक हो रहे मज़दूरों के नरसंहार पर रोक लगाओ
  • रवि कौशल
    छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस
    20 May 2022
    प्रचंड गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
  • Worship Places Act 1991
    न्यूज़क्लिक टीम
    'उपासना स्थल क़ानून 1991' के प्रावधान
    20 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा विवाद इस समय सुर्खियों में है। यह उछाला गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर क्या है? अगर मस्जिद के भीतर हिंदू धार्मिक…
  • सोनिया यादव
    भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट
    20 May 2022
    प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में परिवारों की आय बढ़ाने के लिए एक ऐसी योजना की शुरूआत का सुझाव दिया गया है जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना
    20 May 2022
    हिसार के तीन तहसील बालसमंद, आदमपुर तथा खेरी के किसान गत 11 मई से धरना दिए हुए हैं। उनका कहना है कि इन तीन तहसीलों को छोड़कर सरकार ने सभी तहसीलों को मुआवजे का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License