NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
कानून
नज़रिया
भारत
राजनीति
झारखंड: मुख्यमंत्री के काफिले पर हिंसक हमला, भाजपा ने कहा लोकतान्त्रिक विरोध!
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हुए पथराव मामले में 30 लोगों को हिरासत में लिया गया, भाजपा कार्यकर्ताओं पर है आरोप।
अनिल अंशुमन
06 Jan 2021
Hemant Soren

भीड़ हिंसा (मॉब लिन्चिंग) के कई कांडों के लिए झारखंड प्रदेश कुख्यात रहा है । जिनमें संगठित उन्मादी भीड़ ने बिलकुल ठंढे दिमाग से कई निर्दोषों की जान ले ली। 4 जनवरी की शाम अपने कार्यालय से वापस लौट रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हुए पथराव के बाद से प्रदेश की सियासत में काफी सरगर्म हो गयी है। हमले के आरोप में  30 लोगों को हिरासत में लिया गया है।

इस घटना के बाद लगभग दो पक्ष बिलकुल साफ़ नज़र आ रहे हैं। एक पक्ष के अनुसार 4 जनवरी की शाम राजधानी के व्यस्ततम इलाके किशोरगंज चौराहे पर मुख्यमंत्री के काफिले पर भाजपा कार्यकर्त्ताओं की संगठित भीड़ ने सरकार विरोध ने नाम पर सरेआम सुनियोजित हमला किया है। मौके पर मौजूद ट्रैफिक पुलिस व अधिकायों द्वारा रोके जाने के बावजूद सीएम काफिले के आगे चल रही ‘हूटर–सायरन गाड़ी’ पर पथराव कर उसका शीशा फोड़ दिया गया। मजबूरन रूट डायवर्ट कर सीएम काफिले को सुरक्शित उनके गंतव्य पर भेजना पड़ा। उपद्रवी भीड़ ने कई निजी वाहनों को निशाना बनाते हुए आसपास के दुकानों को जबरन बंद कराने की कोशिश भी की। बाद में काफी फोर्स आने के बाद हालात पर क़ाबू पाया जा सका। पुलिस के अनुसार इस घटना में एक ट्रैफिक अधिकारी समेत कई पुलिस जवान भी घायल हुए हैं।

झामुमो - वाम दलों और हेमंत सरकार में शामिल अन्य घटक दलों के अनेक मंत्री-विधायक और नेताओं के साथ साथ कई सामाजिक–नागरिक संगठनों ने इस घटना को भाजपा प्रायोजित बताकर तीखा विरोध किया है। लोकतान्त्रिक विरोध की आड़ में पार्टी कार्यकर्त्ताओं द्वारा किए गए हिंसात्मक–अराजक कृत्यों को प्रदेश भाजपा प्रवक्ताओं तथा पार्टी विधायक दल नेता बाबूलाल मरंडी द्वारा जायज़ ठहराने की घोर भर्तस्ना की है। 

जबकि मामले के दूसरे पक्ष के तौर पर बाबूलाल मराण्डी समेत प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता–नेताओं ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री काफिले पर कोई हमला नहीं बल्कि लोकतांत्रिक विरोध है। जो दरअसल में हेमंत सरकार की नाकामी से क्षुब्ध जनता के बढ़ते गुस्से का परिचायक है। सरकार–प्रशासन पर फेल होने का आरोप लगाते हुए यह भी कहा है कि उसने उपद्रवियों को वहाँ क्यों जमा होने दिया।
राजधानी की मेयर (भाजपा नेता) द्वारा 5 जनवरी को दिये बयान ने सियासी चर्चाओं को और भी सरगर्म बना दिया जिसमें प्रदेश के डीजीपी के दिए बयान में उक्त घटना के प्रदर्शनकारियों को गुंडा कहकर उनसे ‘आयरन हैंड’ से निपटने की निंदा करते हुए उन्हें अपने दिए वक्तव्य पर शर्म महसूस करने की हिदायत दे डाली।

ज्ञात हो कि मीडिया खबरों के अनुसार गत 2 जनवरी को राजधानी से सटे ओरमंझी के पास के जंगल में नग्न–वीभस्त अवस्था में एक युवती का सर कटा हुआ शव पाया गया था। युवती के प्राइवेट पार्ट तक में बोतल ठूंस दिए जाने के कारण सामूहिक दुष्कर्म कर ह्त्या किए जाने की आशंका जताई जा रही थी। 

इसी घटना को लेकर 4 जनवरी की शाम भाजपा युवा व महिला मोर्चा ने रांची के अलबर्ट एक्का चौक पर हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। स्थानीय मीडिया के एक बेवपोर्टल तथा कई स्थानीयों द्वारा निजी तौर से शूट किए वायरल वीडियो में साफ़ तौर पर दिखता है कि किस तरह से महिला कार्यकर्ताओं को आगे लाकर वहाँ मौजूद ट्रैफिक पुलिस से झड़प करते हुए सभी ट्रैफिक बैरिकेडों को गिराया जा रहा है। एक वीडियो में तो एक कार्यकर्त्ता द्वारा इन दृश्यों को शूट करनेवाले को धमकाते हुए भी दिखाया गया है। लगभग सभी वीडियो में इसी दौरान मुख्यमंत्री के काफिले के आगे चल रहे हूटर वैन को रोकने की कोशिशों तथा सीएम के काफिले को दूसरे रास्ते से जाने के दृश्य भी साफ़ देखने को मिल रहे हैं। साथ ही उन पोस्टरों को भी दिखाया गया जनके बारे में कयास लगाया जा रहा है कि कुछ देर पहले अल्बर्ट एक्का चौक पर हुए भाजपा युवा व महिला मोर्चे के कार्यक्रम में ये लहराये गए थे।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व नेताओं द्वारा जारी तात्कालिक ट्वीट में उपद्रव करने वालों पर कोई टिप्पणी करने की बजाय राज्य की सरकार व प्रशासन की विफलता को ही निशाना बनाया गया। ट्वीट में कहा गया है कि राज्य में कानून व्यवस्था ऐसी हालत हो गयी है कि आम जनता सड़कों पर उतर चुकी है। मुख्यमंत्री आत्मचिंतन करें कि लोग उनकी कार्यप्रणाली से इतने आक्रोशित क्यों हैं? इन्होंने वहाँ उपद्रवियों की भीड़ क्यों जमा होने दी।
  
प्रस्तावित नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मराण्डी ने भी अराजकता मचाने वालों को ही अप्रत्यक्ष ढंग से सही करार देते हुए ट्वीट किया कि मुख्यमंत्री जी को इस बात को समझना चाहिए कि जब लोगों का कानून–शासन से भरोसा उठ जाता है तो लोग हताश–निराश होकर सड़क पर उतरने को मजबूर हो जाते हैं। जब सीएम को पता नहीं है कि लोग मेरे विरोध में खड़े हैं तो फिर इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इनका सुरक्षा तंत्र कितना विफल है।

मुख्यमंत्री काफिले पर हुए हमले के विरोध में राजधानी समेत प्रदेश के कई इलाकों में सामाजिक जन संगठनों व झारखंडी नागरिक समाज के लोगों द्वारा तीखी  प्रतिक्रिया हो रही हैं। जगह-जगह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व बाबूलाल मराण्डी के पुतले जलाकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शित किया जा रहा है। 

उक्त प्रकरण में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी स्पष्ट किया है कि घटना करनेवाले घात लगाकर मेरे इंतज़ार में बैठे थे और जब प्रयास सफल नहीं हो सका तब उपद्रव करने में लग गए। इस घटना के खिलाफ उठाए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए कहा है कि रांची शहर बहुत छोटा सा है, सभी एक– दूसरे का चेहरा पहचानते हैं और सब जानते हैं कि कौन किसका आदमी है। यह सब उन्हीं लोगों का किया हुआ है जो आज खबरों में हैं। सरकार ने हमला प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी की भी घोषणा कर दी है। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तारियां जारी हैं।   

वहीं, ओरमंझी जंगल में बरामद सरकटी युवती से संबन्धित जानकारी देनेवले का नाम पूरी तरह से गुप्त रखने के साथ साथ 50 हज़ार ईनाम की घोषणा की गयी है। उक्त स्थल व आसपास के पूरे इलाके में जारी लगातार खोजबीन के बावजूद पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लग सका है ।  

बावजूद इसके यह अहम सवाल तो है ही कि अपने एक बरस के शासन में हेमंत सोरेन सरकार, प्रदेश में महिला हिंसा की बेतहाशा बढ़ती घनाओं पर लगाम लगा पाने और विधि व्यवस्था की कमजोरियों को दुरुस्त करने में अभी तक सफल नहीं दिख रही है। जिसके लिए उसे फौरी तौर से प्रभावी कार्य कर खुद को सही साबित करना ही होगा । 

Jharkhand government
Hemant Soren
Babulal Marandi
mob lynching

Related Stories

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

झारखंड: भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम युवक से की मारपीट, थूक चटवाकर जय श्रीराम के नारे लगवाए

भारत में हर दिन क्यों बढ़ रही हैं ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं, इसके पीछे क्या है कारण?

पलवल : मुस्लिम लड़के की पीट-पीट कर हत्या, परिवार ने लगाया हेट क्राइम का आरोप

शामली: मॉब लिंचिंग का शिकार बना 17 साल का समीर!, 8 युवकों पर मुकदमा, एक गिरफ़्तार

बिहार: समस्तीपुर माॅब लिंचिंग पीड़ितों ने बिहार के गृह सचिव से न्याय की लगाई गुहार

त्रिपुरा: भीड़ ने की तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या, आख़िर कौन है बढ़ती लिंचिंग का ज़िम्मेदार?

राजस्थान : फिर एक मॉब लिंचिंग और इंसाफ़ का लंबा इंतज़ार

झारखण्ड में सब इंस्पेक्टर रूपा तिर्की की मौत की सीबीआई जांच के लिए आदिवासी समुदाय का विरोध प्रदर्शन   

नफ़रत और अफवाह पर कोई लॉकडाउन नहीं, झारखंड में भी अल्पसंख्यकों पर हमले तेज़


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License