NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
भारत
राजनीति
बाबरी मस्जिद मामलाः ' हमें रवि शंकर की नियुक्ति पर संदेह व्यक्त करना चाहिए’
अयोध्या-बाबरी मस्जिद के मालिकाना विवाद में एक मुस्लिम पक्षकार का प्रतिनिधित्व फुजैल अयूबी कर रहे हैं। मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश की संवैधानिकता पर उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात की।
सौरव दत्ता
13 Mar 2019
babri

वकील फ़ुजैल अहमद अयूबी 2011 की रिट याचिका (सिविल) 4905 में बाबरी मस्जिद मामलें में मुस्लिम पक्षकारों में से एक पक्षकार हाजी मोहम्मद का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने इस मामले में मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के नवीनतम निर्णय की संवैधानिकता पर न्यूज़क्लिक से बात की। पक्षकारों और सामान्य राजनीति के लिए इसके संदेशों और भविष्य को लेकर उन्होंने चर्चा की।

संविधान पीठ के आदेश पर आपका क्या विचार है जिसने 60 साल पुराने विवाद पर मध्यस्थता का निर्देश दिया है?

एफए: सुप्रीम कोर्ट ने गतिरोध ख़त्म करने के लिए ये क़दम उठाया क्योंकि दो महीने से पहले की सुनवाई के लिए पक्षकार सहमत नहीं हो रहे थें चूंकि इनमें से कुछ पक्षकार को यूपी सरकार द्वारा दस्तावेजों के अनुवाद पर समस्या थी। इस बीच जाहिर तौर पर अदालत ने इस गंभीर समस्या का समाधान तलाशने के लिए एक नवीन उपाय की कोशिश की है और यह सराहनीय है। पीठ ने सुनवाई को दो महीने के लिए टाल दिया है लेकिन फिर इसने न्याय के हितों में एक अभिनव कदम उठाने का फैसला किया।

लेकिन यह एक संवैधानिक अदालत का फैसला है और यह पूर्ववर्ती उदाहरण का पालन करने के लिए बाध्य है। जुलाई 2010 में अफकन्स इन्फ्रा बनाम चेरियन वर्के कंस्ट्रक्शन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया कि सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 89 के तहत, जिसके तहत वर्तमान मध्यस्थता का निर्देश दिया गया है, अदालत के पास दोनों पक्षों की सहमति के बिना पार्टियों को पंच-निर्णय (अर्बिट्रेशन)का आदेश देने का अधिकार नहीं। इस मामले में क्या अंतर किया गया था?

आपने जो कहा वह पंच-निर्णय के बारे में था न कि मध्यस्थता के बारे में। हालांकि दोनों ही सीपीसी के समान प्रावधान के तहत आते हैं लेकिन यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि अदालत ने अनुच्छेद 142 (पूर्ण न्याय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की विस्तृत शक्ति) का सहारा नहीं लिया जिसकी आलोचना होती। इसके बजाय इसने दोनों तरफ के कुछ पक्षों के मतों पर विचार किया है। इसके अलावा मैं यहां एक अतिसूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण अंतर बताउंगा। दोनों पक्ष केवल एक प्रतिनिधि (राम लला या दूसरे पक्ष का प्रतिनिधित्व) के रुप में काम कर रहे हैं इसलिए मतभेदों का यह चित्रण पूरी तरह से मान्य है। सीपीसी के आदेश I नियम VIII का जिक्र करें जो स्पष्ट रूप से किसी भी व्यक्ति को अनुमति देता है। इस व्यक्ति की ओर से रिप्रेजेंटेटिव सूट अदालत में आवेदन के लिए आरंभ की जाती है और इसे प्रकाश में लाया जाए। इस नियम के कथन सीमित नहीं हैं क्योंकि वे स्थिति के अनुसार आदेश 1 नियम 10 के द्वारा इस सूट में उत्पन्न हो रहे प्रश्नों पर अधिनिर्णय की तरह व्यक्त किए जा रहे हैं। आप देखेंगे कि यह सब कानून की सीमाओं के भीतर कैसे आता है।

मध्यस्थता की कार्यवाही के दौरान मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध है लेकिन इसको लेकर राजनीतिक दलों की टिप्पणी पर कोई प्रतिबंध नहीं है। गत रविवार को आरएसएस ने कहा कि उसी स्थल पर राम मंदिर बनेगा। क्या आपको नहीं लगता कि यह प्रतिकूल है?


एससी ने नियमों को तैयार करने के लिए मध्यस्थता पैनल के लिए इसे खुला छोड़ दिया है। हम पैनल के प्रारंभिक आदेशों की प्रतीक्षा करने के अलावा कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। कुछ महत्वपूर्ण भावनाएं यहां शामिल हैं और सभी क्षेत्रों को कवर करते हुए आदेश का उल्लंघन करना प्रेस का अन्याय होगा।

मध्यस्थता स्थल के रूप में फैजाबाद चयन करने को लेकर क्या कहेंगे? क्या सुप्रीम कोर्ट को इससे अधिक तटस्थ स्थान नहीं मिला?

फैजाबाद का प्रतीकात्मक महत्व है और हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को आश्वस्त करने की आवश्यकता है। हम इस बात से सचेत हैं कि यह राष्ट्रीय राजनीति को कैसे प्रभावित करेगा, हम वास्तविकता की नृशंसता के प्रति सचेत हैं और हम उसी के अनुसार व्यवहार करेंगे। मैं दूसरे पक्ष से भी इस दृष्टिकोण का सम्मान करने की अपेक्षा करता हूं। इस निष्कर्ष पर पहुंचना विचार योग्य होगा कि मध्यस्थता पैनल स्थान के आधार पर निर्णय करेगा। लेकिन और मुझे यह कहना चाहिए कि यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि हमें स्थानीय लोगों से क्या प्रतिक्रिया मिलती है। यदि वे शोर शराबा करने का निर्णय लेते हैं तो शायद चीजें और स्थिति बदल जाएगी।

मध्यस्थता की रूपरेखा क्या होनी चाहिए? केवल एक संपत्ति विवाद के रूप में या इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले की तरह क़ायम रखना होगा (बहुसंख्यकों की भावनाओं के आधार पर)? क्या यह संपत्ति होगा या समन्वय होगा (जिसे अनिवार्य रूप से समझौते की आवश्यकता होगी)? प्रताप भानु मेहता का मानना है कि मध्यस्थता के तौर पर रुपरेखा तैयार करना हार की एक स्वीकृति है। आप क्या कहते हैं?

पैनल और सुप्रीम कोर्ट दोनों इस मामले के अन्य और संबंधित पहलुओं से अवगत हैं। इसे केवल एक संपत्ति विवाद के रूप में देखना अदूरदर्शी होगा और साथ ही हम यह देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं कि दूसरे पक्ष का क्या कहना है। यह 13 मार्च को ही पता चलेगा, लेकिन एससी के आदेश के अनुसार हम मीडिया को कुछ भी नहीं बता सकते हैं और न ही वे इस पर रिपोर्ट कर सकते हैं।

मध्यस्थों के चयन के बारे में क्या कहना है? उदाहरण स्वरुप श्री श्री रविशंकर?

हम इस मुद्दे पर उनकी पहले की टिप्पणियों से अवगत हैं (जैसा कि मीडिया में व्यापक रूप से बताया गया है) और उन्हें पैनल में रखने को लेकर हम संदेह व्यक्त करेंगे। हम बेदाग परिणाम चाहते हैं।

 

mediation
ram temple
babri masjid
sri sri ravishankar
RSS
BJP
pratap bhanu mehta
hindutwa

Related Stories

उर्दू पत्रकारिता : 200 सालों का सफ़र और चुनौतियां

सांप्रदायिक घटनाओं में हालिया उछाल के पीछे कौन?

ज्ञानवापी मस्जिद : अनजाने इतिहास में छलांग लगा कर तक़रार पैदा करने की एक और कोशिश

‘लव जिहाद’ और मुग़ल: इतिहास और दुष्प्रचार

अयोध्या विवाद के 'हल' होने के बाद, संघ परिवार का रुख़ काशी और मथुरा की तरफ़

बनारस: ‘अच्छे दिन’ के इंतज़ार में बंद हुए पावरलूम, बुनकरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल

अयोध्या का भूमिपूजन भारत के लोकतंत्र का बहुसंख्यकवाद में बदल जाने का सबसे बड़ा गवाह है

हल्ला बोल! सफ़दर ज़िन्दा है।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आदिवासियों पर सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं थोपी जा रही हैं

49 हस्तियों पर एफआईआर का विरोध : अरुंधति समेत 1389 ने किए हस्ताक्षर


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License