NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था के खस्ता हाल
जिस अस्पताल के आईसीयू में आम इंसानो का आना-जाना प्रतिबंधित होता है वहाँ सरकार की मेहरबानी की बदौलत पानी घुस आया है।
हर्ष कुमार
01 Aug 2018
बिहार

बिहार की राजधानी पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आई.सी.यू के तालाब बन जाने की तस्वीर मीडिया में खूब वायरल हुई। दरअसल नालंदा मेडिकल कॉलेज में बारिश का पानी सीधे अस्पताल में घुस गया। यह बारिश स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार की बयानबाज़ी की पोल खोलने के लिए काफी है।

हैरानी करने वाली बात यह है कि जिस अस्पताल के आईसीयू में आम इंसानो का आना-जाना प्रतिबंधित होता है वहाँ सरकार की मेहरबानी से पानी घुस आया है। अब आलम यह है कि इस अस्पताल के वार्ड में नीचे मछलियां तैर रही हैं और ऊपर मरीज़ बाढ़ के पानी से बेहाल हो रहे हैं। बरसात का पानी आईसीयू में घुस जाने से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मरीज़ों के साथ डॉक्टरों को इलाज करने में भी कितनी दुशवारी होती होगी।

यही नहीं बिहार के रोहतास स्थित एक और अस्तपताल में पिछले पांच दिनों से पानी भर हुआ है। इलाज करवाने आ रहे आस-पास के लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि यह कोई समस्या नहीं है क्योंकि हर साल इस तरह पानी भरता है और यह एक सामान्य बात है।

अस्पतालों में भरे हुए पानी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उर्फ सुशासन बाबू की बद-इंतज़ामी की पोल खोल दी है। बरसाती मौसम में होने वाली बीमारियों के इलाज के लिए आ रहे लोगों को, पानी से भरे अस्पतालों में कैसे बेहतर इलाज मिलेगा, इस पर सवालिया निशान है।

बिहार के अस्पतालों कि यह स्थिति एका-एक पैदा नहीं हुई है, दरअसल यह सालों से बिहार सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की ओर उदासीनता का नतीज़ा है। अगर आँकड़ो की ओर नज़र डाले तो यह स्थिती साफ नज़र आती है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अनुसार लगभग 10 करोड़ की आबादी वाले बिहार में महज़ 9949 उप चिकित्सा केंद्र 1899 प्राथमिक चिकित्सा केंद्र व 150 केंद्रिय चिकित्सा केंद्र है।

वहीं अगर अस्पतालों में डॉक्टरों की बात करें तो बिहार के प्राथमिक स्वास्थ्य  केंद्र के लिए 2078 डॉकटरों के पद स्वीकृत हैं जिनमें से 1786 डॉकटर कार्यरत है। यहाँ खाली पदों की संख्या 292 है। 

बिहार के केंद्रिय स्वास्थय केंद्रो की ओर अगर नज़र डाली जाए तो यह स्थिति और भी गंभीर दिखती है। यहाँ विशेषज्ञ डॉक्टरों की स्वीकृत संख्या 600 है मगर कार्यरत महज़ 82 है। यानी 518 डाक्टरों के पद खाली हैं।

बिहार में मौजूद केन्द्रीय चिकित्सा केंद्रों और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों की फर्मासिस्टो की बात करें तो स्वीकृत पदों की संख्या 989 हैं मगर यहाँ कार्यरत केवल 287 हैं। यानी की 70 पद खाली है। वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अनुसार बिहार में फार्मासिस्ट के 2049 पद स्वीकृत होने चाहिए। अगर इस आधार पर देखा जाए तो खाली पदों की संख्या 1762 है।

केंद्रिय चिकित्सा केंद्र और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रो में स्वीकृत लैबोरेट्री तकनीशियनों की संख्या 683 है वहीं कार्यरत तकनीशियन 611 हैं। राष्ट्रिय स्वास्थ्य मिशन के अनुसार तकनीशियनों की संख्या 2049 होनी चाहिए। आँकड़ों की बानगी देखी जाए तो यहाँ 1438 पद खाली पड़े हैं।

वहीं बिहार में नर्सिंग स्टाफ की बात की जाए तो यहाँ अधिकृत संख्या 1662 है मगर कार्यरत केवल 1142 हैं यानी 520 पद अभी भी खाली हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अनुसार स्वीकृत संख्या 2949 होनी चाहिए इस आधार से यहाँ 1807 पद खाली हैं।

स्वास्थ्य व्यवस्था की ओर सरकार की उदासीनता साफ-साफ इस बात से दिखती है कि 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार की शिशू मृत्यु दर 44 थी, यानी प्रत्येक 1000 जन्मों मे से 44 नवजात अपनी जान 0 से 5 वर्ष तक की आयू तक गवाँ देते हैं।

वहीं इस दौरान मातृ मत्यु दर 208 रही, यानी कि प्रत्येक 1,00,000 बच्चों को जन्म देने के दौरान 208 महिलाओं की मौत हो जाती है।

ऐसे समय में जब देश के प्रधानमंत्री युवाओं को पकौड़े बेचने के लिए प्रोत्साहित कर रहें हो, सरकार को चाहिए कि वह स्वास्थ्य के क्षेत्र में पड़े खाली पदों को जल्द से जल्द भरे ताकि युवाओं को एक सम्मान जनक रोज़गार मिले। इससे न सिर्फ रोज़गार में वृद्धि होगी बल्कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था भी पटरी पर लौट सकेगी। 

बिहार
अस्पताल
अस्पताल में पानी
पानी
स्वास्थ्य व्यवस्था

Related Stories

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय: आनिश्चित काल के लिए हुआ बंद

मध्यप्रदेश: एक और आश्रयगृह बना बलात्कार गृह!

मुज़फ्फरपुर सुधारगृह कांड: बिहार सरकार ने मुख्य आरोपी के अखबार को दिये थे लाखों के विज्ञापन

यूपी-बिहार: 2019 की तैयारी, भाजपा और विपक्ष

बिहार: सामूहिक बलत्कार के मामले में पुलिस के रैवये पर गंभीर सवाल उठे!

नई नीति बिहार में सरकारी स्कूलों की वास्तविकता को उज़ागर करती हैं

बिहार: मंदिर निर्माण से होगा महिला सशक्तिकरण ?

दिन में भाजपा की आलोचना की और शाम को जदयू से एमएलसी का टिकट लिया

बिहार चुनावों में संघ परिवार का घातक गठजोड़

नीतीश कुमार BJP-RSS के राजनीतिक बंधक हैं : उर्मिलेश


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पटना : जीएनएम विरोध को लेकर दो नर्सों का तबादला, हॉस्टल ख़ाली करने के आदेश
    06 May 2022
    तीन वर्षीय जीएनएम डिप्लोमा कोर्स में वर्तमान में 198 छात्राएं हैं। उनका कहना है कि पीएमसीएच कैंपस में विभिन्न विभागों में और वार्डों में बड़े पैमाने पर क्लिनिकल प्रशिक्षण की सुविधा है।
  • विजय विनीत
    अब विवाद और तनाव का नया केंद्र ज्ञानवापी: कोर्ट कमिश्नर के नेतृत्व में मस्जिद का सर्वे और वीडियोग्राफी शुरू, आरएएफ तैनात
    06 May 2022
    सर्वे का काम तीन दिन चल सकता है। शाम पांच बजे के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के एक किमी के दायरे को कानून व्यवस्था के लिहाज से खाली करा लिया गया। मौके पर दंगा नियंत्रक उपकरणों के साथ…
  • Press Freedom Index
    न्यूज़क्लिक टीम
    Press Freedom Index में 150वें नंबर पर भारत,अब तक का सबसे निचला स्तर
    06 May 2022
    World Press Freedom Index को किस तरह से पढ़ा जाना चाहिए? डिजिटल की दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वत्नत्रता के प्लेटफॉर्म बढे है तो क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी बढ़ी है? आबादी के लिहाज़ से दुनिया के…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी-शाह राज में तीन राज्यों की पुलिस आपस मे भिड़ी!
    06 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार बात कर रहे हैं तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के गिरफ़्तारी और पूरे मामले की।
  • भाषा
    चुनावी वादे पूरे नहीं करने की नाकामी को छिपाने के लिए शाह सीएए का मुद्दा उठा रहे हैं: माकपा
    06 May 2022
    माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि शाह का यह कहना कि सीएए को पश्चिम बंगाल में लागू किया जाएगा, इस तथ्य को छिपाने का एक प्रयास है कि 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे पर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License