NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
घटना-दुर्घटना
स्वास्थ्य
विज्ञान
भारत
राजनीति
बिहार : कुशासन की भेंट चढ़ते बच्चे और ख़ामोश विपक्ष!
आख़िर जब इस रोग के लक्षण मई महीने में ही दिख गए थे तो सरकार, प्रशासन और दूसरे जिम्मेदार लोगों ने बच्चों को बचाने के लिए क्या कदम उठाए? पिछले ढाई दशकों से लगभग हर साल बड़ी संख्या में बच्चों को लीलने वाली इस बीमारी से निपटने के लिए बिहार सरकार के पास क्या रणनीति है?
अमित सिंह
17 Jun 2019
Bihar Deaths
फोटो साभार: India TV

उत्तरी बिहार के मुजफ्फरपुर समेत आसपास के जिलों में महामारी का रूप ले चुके चमकी बुखार का कहर जारी है। हिंदुस्तान अखबार के मुताबिक रविवार को भी 16 बच्चों की मौत हुई है। इसके साथ ही इस बीमारी से मरने वाले बच्चों की संख्या 126 पहुंच गई है, जबकि अभी तक कुल 334 मामले सामने आए हैं। 

आपको बता दें कि उत्तर बिहार में इस साल चमकी बुखार ने मई के दूसरे पखवाड़े में दस्तक दी थी। 21 मई को तीन बच्चों की मौत हो गई। उसके बाद मौसम में थोड़ा सुधार हुआ तो स्थिति संभली, लेकिन जून की शुरुआत से ही स्थिति बिगड़ती गई। मरीज बढ़ते गए और मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती गई। 

हालांकि बिहार के स्वास्थ्य विभाग की इंटीग्रेटेड सर्विलांस प्रोग्राम के वरीय अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में अब तक एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार से 325 बच्चे पीड़ित हुए हैं। इसमें से 76 की मौत हो गई है। शेष बच्चों का इलाज चल रहा है। 

इस पूरी स्थिति पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को इस समस्या से निपटने के लिए हर मुमकिन उपाय करने के निर्देश दिए हैं। स्थिति से निपटने के लिए एक केंद्रीय टीम भी राज्य में पहुंच गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का दौरा किया। हालांकि जब वह आईसीयू में बच्चों को देख ही रहे थे तभी दो बच्चों ने दम तोड़ दिया था।

इस दौरान जब हर्षवर्धन से सवाल किया गया कि इतने बच्चों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया। हर्षवर्धन ने कहा, 'विषम परिस्थितियों के बावजूद अस्पताल के डॉक्टर बच्चों का अच्छी तरह से ध्यान रख रहे हैं लेकिन कष्टदायक परिस्थितियों में हमने जिन बच्चों को खो दिया है, उनके परिवारों के प्रति हमारी सरकार संवेदना जताती है।'

निसंदेह संवेदना जताना बेहतर है लेकिन सरकारों का काम सिर्फ संवेदना जताना नहीं बल्कि ऐसे सवालों का जवाब देना भी होता है जो इस घटना के बाद पूछे जा रहे हैं लेकिन कोई जवाब शासन-प्रशासन की तरफ से नहीं आ रहा है। 

आखिर जब इस रोग के लक्षण मई महीने में ही दिख गए थे तो सरकार, प्रशासन और दूसरे जिम्मेदार लोगों ने बच्चों को बचाने के लिए क्या कदम उठाए? पिछले ढाई दशकों से लगभग हर साल बड़ी संख्या में बच्चों को लीलने वाली इस बीमारी से निपटने के लिए बिहार सरकार के पास क्या रणनीति है? 

अगर इस साल इतने ज्यादा संख्या में बच्चों की मौत हुई है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है?  अस्पतालों में दवाओं और डॉक्टरों की कमी की भी बात सामने आ रही है, इससे निपटने के लिए सरकार क्या कर रही है?

हालांकि इस पूरे मामले में सरकार के साथ ही साथ बिहार में विपक्ष की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। बिहार में बच्चे असमय काल के गाल में समा रहे थे और सरकार के साथ ही साथ विपक्ष भी चैन की नींद सो रहा था। इस पूरे मामले में विपक्ष की नींद तब खुली जब 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी थी। 

रविवार को सबसे बड़े विपक्षी दल आरजेडी के नेता तेजप्रताप यादव ने ट्वीट किया, 'सुशासन बाबू, माना कि ये 5-10 वर्ष के मासूम बच्चे किसी दल के वोटर नहीं हैं लेकिन क्या इन सैकड़ों मासूमों की जान आपके सुशासन की जिम्मेदारी नहीं हैं? नीतीश बाबू हम राजनीति बाद में कर लेंगे अभी इन मासूमों की जिंदगी ज्यादा जरूरी है। कुछ भी कीजिए इन बच्चों को बचा लीजिए।'

वहीं, उनके पार्टी के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया गया, '200 बच्चों की जान जाने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस हो रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे उसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सो रहे हैं। बिहार सरकार के मंत्री भी जम्हाई ले रहे। जाने इनकी मानवीय संवेदना कहाँ मर गई? सीएम तो गहरी निद्रा में है ही?'

पप्पू यादव ने ट्वीट किया, 'सोइये हुज़ूर!ये बच्चे आपके नहीं हैं।इसमें हिन्दू-मुसलमान की राजनीति नहीं हो सकती,तो जग कर आप क्या करेंगे? 5 साल बाद इसमें पाक की साजिश ढूंढ लीजियेगा। फिर वोट ले, ऐसे ही गधा बेच सो जाइयेगा। गरीब मां-बाप अपने बच्चों की बेमौत मौत पर रतजगा करें, उनकी आंखों की नींद उड़ जाय।आपको क्या फर्क?'

राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट किया, 'लगभग 200 परिवारों का आँगन सूना हो चुका है और हजारों बच्चे काल की गोद में हैं फिर भी डबल इंजन सरकार सो रही है। अब तो ईश्वर के भरोसे ही बिहार और देश की आस बची है।'

फिलहाल जब प्रदेश के बड़े राजनीतिक दलों को इस घटना से ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा है तब निसंदेह यह माना जाना चाहिए कि बिहार के बच्चों की जान ईश्वर के भरोसे है। हालांकि ट्वीट से आगे बढ़कर भाकपा माले के नेताओं ने ज़रूर मुजफ्फरपुर में अस्पताल का दौरा किया और पीड़ित बच्चों और उनके परिजनों से मुलाकात की। माले ने इस बुखार को तत्काल आपदा घोषित करने और युद्ध स्तर पर राहत अभियान चलाने की भी मांग की है।

इसे भी पढ़ें : बिहार : 14 दिन में 86 बच्चों की मौत और ‘सुशासन’ की कहानियां

Bihar
muzaffarpur
child deaths
aes
school children
children death
bihar children

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

मुज़फ़्फ़रपुर: हादसा या हत्याकांड!, मज़दूरों ने कहा- 6 महीने से ख़राब था बॉयलर, जबरन कराया जा रहा था काम

रघुवंश बाबू का जाना राजनीति से एक प्रतीक के जाने की तरह है

बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बिजली गिरने की इतनी घटनाएं क्यों हो रही हैं?

उत्तर प्रदेश, बिहार में बिजली गिरने से दो दिन में 110 लोगों की मौत, 32 घायल

हादसा-दर-हादसा: अलग-अलग स्थानों पर 14 मज़दूरों समेत 15 की मौत, 30 घायल

गंगा के कटाव से विस्थापित होने की कगार पर हजारों परिवार

बिहार: बच्चों के लिए मिड डे मील बना रहे एनजीओ के प्लांट का बॉयलर फटा, 3 की मौत

शर्म : बिहार में नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म, पंचायत ने पीड़िता का सिर मुंडवाकर गांव में घुमाया

बिहार में बाढ़ की स्थिति गंभीर, करीब 25 लाख लोग प्रभावित


बाकी खबरें

  • left
    अनिल अंशुमन
    झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान
    01 Jun 2022
    बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दोनों राज्यों में अपना विरोध सप्ताह अभियान शुरू कर दिया है।
  • Changes
    रवि शंकर दुबे
    ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च
    01 Jun 2022
    वाहनों के बीमा समेत कई चीज़ों में बदलाव से एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। इसके अलावा ग़रीबों के राशन समेत कई चीज़ों में बड़ा बदलाव किया गया है।
  • Denmark
    पीपल्स डिस्पैच
    डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान
    01 Jun 2022
    वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, यूरोपीय संघ के समर्थक वर्गों के द्वारा डेनमार्क का सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने की नीति को समाप्त करने और देश को ईयू की रक्षा संरचनाओं और सैन्य…
  • सत्यम् तिवारी
    अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"
    01 Jun 2022
    अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज के एस आर ख़ालिद का कॉलेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एबीवीपी ने उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी। कॉलेज की जांच कमेटी गुरुवार तक अपनी…
  • भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    मुंह का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम ग़ैर-संचारी रोगों में से एक है। भारत में पुरूषों में सबसे ज़्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रूप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License