NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था
क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल को बांग्लादेश के लिए चेतावनी का काम करना चाहिए। 
डी डब्ल्यू स्टाफ़
20 May 2022
bangladesh
बुनियादी वस्तुओं की बढ़ती क़ीमतें बांग्लादेशी समाज के आर्थिक तौर पर कमज़ोर तबक़ों को बहुत दर्द पहुंचा रही हैं।

पिछले कुछ महीनों से श्रीलंका आर्थिक उथल-पुथल से जूझ रहा है। श्रीलंका बुनियादी चीजों की गंभीर कमी से ग्रस्त है और एक गंभीर भुगतान शेष (बीओपी- बैलेंस ऑफ पेमेंट) संकट के बीच, वहां पेट्रोल, दवाईयां व विदेशी मुद्रा खत्म हो रही है।

जनता की नाराजगी के चलते, सरकार के विरोध करते हुए सड़कों पर प्रदर्शन शुरु हो गए। जिससे राजनीतिक संकट भी पैदा हो गया, जिसके बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनकी कैबिनेट को इस्तीफा भी देना पड़ा और नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति हुई।

 बांग्लादेश में कई लोगों को डर है कि वहां भी बढ़ते हुए व्यापार घाटे और विदेशी कर्ज के भार के चलते ऐसी ही स्थिति बन सकती है। 2022 के शुरुआती चार महीनों में निर्यात 32.9 फ़ीसदी की धीमी रफ़्तार से बढ़ा, जबकि विदेशों में रहने वाले बांग्लादेशियों से आने वाला पैसा, जो विदेशी मुद्रा का एक अहम स्त्रोत् है, उसमें इस अवधि में पिछले साल की तुलना में 20 फ़ीसदी की कमी आई और यह गिरकर 7 बिलियन डॉलर ही पहुंचा।

ख़तरनाक स्तर तक पहुंचेगा विदेशी मुद्रा भंडार

बांग्लादेशी अर्थशास्त्री और चिटगांव विश्वविद्यालय में पूर्व प्रोफ़ेसर मोइनुल इस्लाम आशंका जताते हुए कहते हैं कि व्यापार घाटा आने वाले सालों में लगातार बढ़ सकता है, क्योंकि आयात, निर्यात की तुलना में ज़्यादा तेज गति से बढ़ रहे हैं। 

इस्लाम ने डी डब्ल्यू से कहा, "इस साल हमारा आयात 85 अरब डॉलर पहुंचने की संभावना है, जबकि हमारा निर्यात 50 अरब डॉलर से ज़्यादा नहीं है। और 35 अरब डॉलर का व्यापार घाटा सिर्फ बाहर रहने वाले बांग्लादेशियों द्वारा भेजी गई रकम से नहीं भर सकता। हमें इस साल 10 अरब डॉलर की कमी होगी।"

विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार पिछले 8 महीनों में 48 अरब डॉलर से गिरकर 42 अरब डॉलर पर आ गया है। उन्हें चिंता है कि आने वाले महीनों में इसमें और भी ज्यादा गिरावट हो सकता है, मतलब 4 अरब डॉलर की और कमी आ सकती है।

वह आगे कहते हैं, "अगर आयात की तुलना में निर्यात के ज़्यादा रहने के प्रक्रिया चलती रहती है और हम बाहर से आने वाले धन से इसकी भरपाई करने में नाकाम रहते हैं, तो हमारा विदेशी मुद्रा भंडार अगले तीन से चार साल में खतरनाक स्तर तक गिर जाएगा। इससे देश की मुद्रा का डॉलर की तुलना में बहुत ज्यादा अवमूल्यन होगा।" 

ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े कर्ज़

श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी हाल के सालों में ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर विदेशी कर्ज लिया है, आलोचकों की भाषा में "सफेद हाथी" जैसी यह परियोजनाएं ख़र्चीली होने के बावजूद पूरी तरह अलाभकारी हैं।

इस्लाम कहते हैं कि जब कर्ज चुकाने का समय आएगा, तो यह "गैरजरूरी परियोजनाएं" दिक्कतें खड़ी कर सकती हैं। वह कहते हैं, "हमने रूस से एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए 12 अरब डॉलर का कर्ज लिया है, जिसकी उत्पादन क्षमता 2,400 मेगावॉट ही है। हम इस कर्ज़ को 20 साल में चुका सकते हैं, लेकिन 2025 से इसकी किस्त सालाना 565 मिलियन डॉलर हो जाएगी। यह सबसे बदतर "सफेद हाथी" परियोजना है। 

इस्लाम का अनुमान है कि कुलमिलाकर 2024 से किस्त और विदेशी कर्ज़ के तौर पर देश को हर साल 4 अरब डॉलर चुकाने होंगे। वह आगे कहते हैं, "मुझे डर है कि उस वक़्त बांग्लादेश इन भुगतान को पूरा नहीं कर पाएगा, क्योंकि इन बड़ी परियोजनाओं से पर्याप्त आय नहीं हो रही होगी।"

संयुक्त राष्ट्रसंघ विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के ढाका स्थित कार्यालय में काम करने वाले अर्थशास्त्री नाज़नीन अहमद का कहना है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह परियोजनाएं बिना किसी अतिरिक्त क़ीमत और देरी के पूरी हो जाएं।

वह कहती हैं, "हमें इन बड़ी परियोजनाओं को सावधानी के साथ पूरा करना होगा। लापरवाही और भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। इन परियोजनाओं में ना तो देर लगनी चाहिए और ना ही मौजूदा बजट को बढ़ाया जाना चाहिए। अगर हम उन्हें सही समय पर पूरा करने में कामयाब रहे, तभी हम अपने कर्ज़ों को चुका पाएंगे।"

बढ़ती क़ीमतों ने गरीब़ों पर किया करारा वार

बुनियादी चीजों की बढ़ती क़ीमतों ने कर्ज और घाटे से पैदा हुई समस्या को और भी जटिल कर दिया है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने महंगाई के दबाव को और भी ज़्यादा बढ़ा दिया है। बांग्लादेश बड़े पैमाने पर खाने का तेल, गेहूं और दूसरी खाद्य सामग्री के साथ-साथ ईंधन भी आयात करता है, इसलिए इस स्थिति से बांग्लादेश ज़्यादा ख़तरे में रहा है।

अहमद ने कहा कि इन चीजों की क़ीमतें बढ़ने से सबसे ज़्यादा मार गरीब़ों पर पड़ी है। वह कहती हैं, "सरकार को गरीब़ लोगों को सब्सिडी पर वस्तुएं उपलब्ध करवानी होंगी। साथ में एक सामाजिक सुरक्षा तंत्र के तहत उन्हें अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करवानी होगी।"

लेकिन विशेषज्ञ बांग्लादेश की हालत को लेकर सकारात्मक रुझान भी रखते हैं, उनका कहना है कि जब कोविड महामारी के चलती आई मंदी से दुनिया उबरेगी, तो बांग्लादेश के मौजूदा आर्थिक पैमानों में सुधार हो सकता है।

अहमद ने डी डब्ल्यू से कहा, "कोविड से उबरने के दौर में पूरी दुनिया में महंगाई देखी जा रही है। ऊपर से यूक्रेन युद्ध ने अनिश्चित्ता में और भी ज्यादा बढ़ोत्तरी की है। साथ ही श्रीलंका में आए आर्थिक संकट ने भी हमारे भीतर डर भर दिया है। फिर भी, अगर अगले कुछ सालों में कुछ बड़ा नहीं होता है, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था एक बार फिर उबर जाएगी।"

हसीना ने लोगों से की मितव्ययता की अपील

प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने ख़र्च को कम करने और विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए कुछ क़दम उठाए हैं। बांग्लादेश सरकार ने अधिकारियों की विदेश यात्राएं रद्द कर दी हैं और दूसरे देशों से सामग्री आयात करने वाली कुछ कम जरूरी योजनाओं को फिलहाल के लिए निलंबित कर दिया है। हसीना ने लोगों से ख़र्चों में कटौती और ख़र्च से जुड़े फैसलों को लेकर सावधानी बरतने की अपील की है।

बांग्लादेश के योजना मंत्री एम ए मन्नान ने ढाका में मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "प्रधानमंत्री ने सरकारी अधिकारियों को व्यय कम करने के लिए पहले कुछ सुझाव दिए थे। आज उन्होंने निजी क्षेत्र और लोगों से ख़र्च कम करने को कहा है।"

इस्लाम ने कहा कि सरकार को आर्थिक प्रबंधन को लेकर बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि बढ़ती क़ीमतों के चलते व्यापक स्तर पर लोग आर्थिक मार झेल रहे हैं, इससे मुस्लिम बहुसंख्यक देश में पहले से जारी राजनीतिक तनाव और भी ज़्यादा गहरा सकता है।

वह कहती हैं, "बांग्लादेश का आखिरी चुनाव सही नहीं रहा था। वह फर्जी था। अगले दो साल में एक और चुनाव होना है। इसलिए राजनीतिक स्थिति तनावपूर्ण ही रहेगी। आर्थिक अनिश्चित्ता इसे बढ़ाने का ही काम करेगी।"

एक तरफ विशेषज्ञों को निकट समय में आर्थिक संकट दिखाई नहीं पड़ता, लेकिन उनका विश्वास है कि श्रीलंका के आज जैसे हालात से बचने के लिए बांग्लादेश को अच्छे प्रशासन और वित्तीय प्रबंधन की जरूरत है। 

संपादन: श्रीनिवास मजूमदार

साभार: डी डब्ल्यू

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करेँ।

Is Bangladesh Heading Toward a Sri Lanka-like Crisis?

Bangladesh
economic crisis
Foreign debt
sri lanka crisis

Related Stories

GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?

मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात

वित्त मंत्री जी आप बिल्कुल गलत हैं! महंगाई की मार ग़रीबों पर पड़ती है, अमीरों पर नहीं

श्रीलंका में सत्ता बदल के बिना जनता नहीं रुकेगीः डॉ. सिवा प्रज्ञासम

श्रीलंकाई संकट के समय, क्या कूटनीतिक भूल कर रहा है भारत?

श्रीलंका में हिंसा में अब तक आठ लोगों की मौत, महिंदा राजपक्षे की गिरफ़्तारी की मांग तेज़

आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे का इस्तीफ़ा, बुधवार तक कर्फ्यू लगाया गया

आइएमएफ की मौजूदगी में श्रीलंका के सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र को ख़तरा 

किधर जाएगा भारत— फ़ासीवाद या लोकतंत्र : रोज़गार-संकट से जूझते युवाओं की भूमिका अहम

गहराते आर्थिक संकट के बीच बढ़ती नफ़रत और हिंसा  


बाकी खबरें

  • EVM
    श्याम मीरा सिंह
    मतगणना से पहले अखिलेश यादव का बड़ा आरोप- 'बनारस में ट्रक में पकड़ीं गईं EVM, मुख्य सचिव जिलाधिकारियों को कर रहे फोन'
    08 Mar 2022
    पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनाव परिणामों में गड़बड़ी की आशंकाओं के बीच अपनी पार्टी और गठबंधन के कार्यकर्ताओं को चेताया है कि वे एक-एक विधानसभा पर नज़र रखें..
  • bharat ek mauj
    न्यूज़क्लिक टीम
    मालिक महान है बस चमचों से परेशान है
    08 Mar 2022
    भारत एक मौज के इस एपिसोड में संजय राजौरा आज बात कर रहे हैं Ukraine और Russia के बीच चल रहे युद्ध के बारे में, के जहाँ एक तरफ स्टूडेंट्स यूक्रेन में अपनी जान बचा रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकार से सवाल…
  •  DBC
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: डीबीसी कर्मचारियों की हड़ताल 16वें दिन भी जारी, कहा- आश्वासन नहीं, निर्णय चाहिए
    08 Mar 2022
    DBC के कर्मचारी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं।  ये कर्मचारी 21 फरवरी से लगातार हड़ताल पर हैं। इस दौरान निगम के मेयर और आला अधिकारियो ने इनकी मांग पूरी करने का आश्वासन भी दिया। परन्तु…
  • Italy
    पीपल्स डिस्पैच
    इटली : डॉक्टरों ने स्वास्थ्य व्यवस्था के निजीकरण के ख़िलाफ़ हड़ताल की
    08 Mar 2022
    इटली के प्रमुख डॉक्टरों ने 1-2 मार्च को 48 घंटे की हड़ताल की थी, जिसमें उन्होंने अपने अधिकारों की सुरक्षा की मांग की और स्वास्थ्य व्यवस्था के निजीकरण के ख़िलाफ़ चेतवनी भी दी।
  • bihar school
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने की मांग में भाकपा-माले विधायकों का प्रदर्शन
    08 Mar 2022
    “2.75 लाख शिक्षक के पद नीचले स्तर पर खाली हैं और कॉलेज लेवल पर अभी भी करीब 70 प्रतिशत शिक्षक के पद खाली हैं। पढ़ने-लिखने वाले गरीब के बच्चे शिक्षा महंगी होने के चलते वे इससे दूर हो रहे हैं।"
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License