NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बता गए किसान- “दिल्ली से हम नहीं, हमसे दिल्ली है”
दिल्ली के रामलीला मैदान और संसद मार्ग पर जमा किसानों का जमावड़ा हिंदुस्तान के जमीन की कहानी बयाँ कर रहा था, जो बता रहा था कि दिल्ली से देश नहीं बल्कि देश से दिल्ली चलती है।
अजय कुमार
01 Dec 2018
KISAN MUKTI MARCH
PHOTO : NEWSCLICK

दिल्ली गुमान में रहती है। उसे लगता है कि उसके पास सबकुछ है। केवल उसे पूरे देश को अपने हिसाब से जोतते रहना है। लेकिन कब तक दिल्ली अपने हिसाब से पूरे देश को चला पाएगी। इसका जवाब 29 और 30 नवम्बर को किसानों की हुई रैली ने दिया। दिल्ली के रामलीला मैदान और संसद मार्ग पर जमा किसानों का जमावड़ा हिंदुस्तान के जमीन की कहानी बयाँ कर रहा था। यह दिल्ली (केंद्रीय सत्ता) की बदगुमानी को झकझोरता हुआ किसानों का सैलाब था। ऐसा सैलाब जिससे यह लगे कि दिल्ली से देश नहीं बल्कि देश से दिल्ली चलती है।

KISAN MUKTI MARCH.jpg

किसान मुक्ति मार्च के पहले दिन देशभर से आए किसान दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से पैदल मार्च करते हुए रामलीला मैदान में जमा हुए। इन किसानों ने कई किलोमीटर पैदल मार्च किया। इस किसान मार्च में देश के अलग अलग राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र,  तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक आदि राज्यों के किसान शामिल हुए।

इस मौके पर किसानों के जमावड़े ने मोदी सरकार को अब तक की सबसे किसान-विरोधी सरकार बताया और कहा कि "किसान मुक्ति मार्च" देश के किसानों की लूट, आत्महत्या, शोषण और अन्याय से मुक्ति की यात्रा है। इस यात्रा में किसान अकेले नहीं है, बल्कि पूरा देश उनके साथ चल रहा है।

पहले दिन इस किसान यात्रा की अगुआई करने वाले नेताओं ने हर भारतीय से 30 नवम्बर को संसद मार्च में ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में हिस्सा लेने की अपील करते हुए कहा कि हमारे देश को सही और सार्थक दिशा किसानों की ख़ुशहाली के बिना नहीं मिल सकती। इसी उद्देश्य से आज 200 से ज़्यादा किसान संगठन "अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति" नाम की एक छतरी के नीचे एकजुट हो गए हैं। 

दो दिन हुई इस "किसान मुक्ति मार्च" की मांग थी कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर किसान संसद द्वारा पारित किए गए दोनों महत्वपूर्ण विधेयकों को पास किया जाए। पहला कानून किसानों की ऋण मुक्ति का है, जबकि दूसरा कृषि उपज का उचित और लाभकारी मूल्य से जुड़ा है।

मार्च का समर्थन करने के लिए अलग-अलग समूह सामने आए हैं। मसलन स्टूडेंट फ़ॉर फार्मर्स, जर्नलिस्ट फ़ॉर फार्मर्स, आर्टिस्ट फ़ॉर फार्मर्स,लॉयर्स फॉर फार्मर्स और डॉक्टर्स फ़ॉर फार्मर्स जैसे समूहों ने किसानों के साथ यात्रा की।

इसके बाद दूसरे दिन  30 नवंबर को दिल्ली के संसद मार्ग पर हजारों की संख्या में पहुंचे किसानों ने किसान मुक्ति मार्च के बैनर तले अपनी दो प्रमुख मांगो के लिए हुंकार भरी। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की ओर से 207 संगठनों की ओर से आयोजित इस ऐतिहासिक किसान रैली में करीब 21 विपक्षी दल एक मंच पर आए।

kisan-rally-759.jpeg

सभी नेताओं ने मंच से एक सुर में कहा कि मोदी सरकार सबसे ज्यादा किसान विरोधी है। इसे सत्ता से उखाड़ फेंकना है।

किसान नेताओं ने मंच से 21 सूत्री मांगों की घोषणा की और बताया कि इसमें मजदूरों, पशुपालकों और खेती-किसानी से जुड़े अन्य समुदायों के मांगे शामिल की गयी हैं। हमारी भविष्य की एकता और मांगे दोनों ही इन 21 सूत्रीय मांगों के तहत ही आगे बढ़ेंगी। इन मांगों के बारें में संक्षेप में चर्चा हुई और यह प्रस्ताव रखा गया कि हर पोलिटिकल पार्टी इन मांगों को अपने मेनिफेस्टो (घोषणा पत्र) में शामिल करे।

किसान अपनी इन मांगों को लेकर काफी समय से आंदोलनरत हैं। गौरतलब है कि किसानों ने पूर्ण कर्जामुक्ति और फसलों की लागत का ड्योढ़ा दाम को लेकर पिछले वर्ष किसान संसद लगाकर इन मांगों को बिल के रूप पास किया था। इस बिल को राज्यसभा सांसद राजू शेट्टी ने प्राइवेट बिल के रूप में संसद में पेश भी कर दिया था। इसी बिल को किसान चाहते हैं कि सरकार विशेष सत्र बुलाकर पास करे। 

अखिल भारतीय संघर्ष समन्वय समिति के मुताबिक अगर जीएसटी को लेकर सरकार आधी रात में संसद का सत्र बुला सकती है तो देश के अन्नदाता के लिए दो दिन का विशेष सत्र क्यों नहीं बुला सकती। 

समन्वय समिति ने किसानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि जबतक हमारा हक नहीं मिल जाता हमें चुप नहीं बैठना है, हमारा संकल्प ही हमारी जीत है। 

आंदोलन को समर्थन देने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा, सीपीआई-एमएल महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला, एनसीपी नेता शरद पवार, लेजेडी नेता शरद यादव समेत उन सभी 21 दलों के नेता पहुंचे थे, जिन्होंने किसानों के दोनों बिलों का समर्थन किया है। 

 वो बिल जिन्हें किसान पास किए जाने की मांग कर रहे हैं:

 1. किसान ऋणमुक्ति विधेयक: इस कानून का उद्देश्य है कि किसानों को कर्जे से मुक्त किया जाय यानी किसानों पर खेती से जुड़े सभी कर्जो का जितना भी बोझ है उसे एक झटके में ख़त्म किया जाए।

 2. किसान (कृषि उत्पाद लाभकारी मूल्य गारंटी) अधिकार विधेयक: यह कानून सभी किसानों को फसलों का सही दाम यानी पूरी लागत का डेढ़ गुना दिलाने की गारंटी देगा। इस कानून से किसान अपनी फसल का सही दाम सचमुच हासिल कर पाएंगे। यदि इस कानून के मुताबिक फसल का सही दाम नहीं मिलता तो किसान अदालत जा सकेंगे और दोषी अफसरों को सज़ा भी मिलेगी।

इसे भी पढ़ें : 2019 के चुनाव से पूर्व किसानों ने कहा “नरेंद्र मोदी किसान विरोधी”

देखें वीडियो : देश भर के किसान अपने हकों के लिए खड़े हुए

 

kisan mukti march
किसान मुक्ति मार्च
DILLI CHALO
दिल्ली चलो
kisan andolan
farmers protest
farmer crises
MSP
farmers' Long March
कर्ज़ माफ़ी

Related Stories

विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?

केवल विरोध करना ही काफ़ी नहीं, हमें निर्माण भी करना होगा: कोर्बिन

लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी

युद्ध, खाद्यान्न और औपनिवेशीकरण

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

MSP पर लड़ने के सिवा किसानों के पास रास्ता ही क्या है?


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    विश्व आर्थिक मंच पर पेश की गई ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के दौर में फूड फ़ार्मा ऑयल और टेक्नोलॉजी कंपनियों ने जमकर कमाई की।
  • परमजीत सिंह जज
    ‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप
    26 May 2022
    पंजाब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंजाब की गिरती अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करना है, और भ्रष्टाचार की बड़ी मछलियों को पकड़ना अभी बाक़ी है, लेकिन पार्टी के ताज़ा क़दम ने सनसनी मचा दी है।
  • virus
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या मंकी पॉक्स का इलाज संभव है?
    25 May 2022
    अफ्रीका के बाद यूरोपीय देशों में इन दिनों मंकी पॉक्स का फैलना जारी है, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में मामले मिलने के बाद कई देशों की सरकार अलर्ट हो गई है। वहीं भारत की सरकार ने भी सख्ती बरतनी शुरु कर दी है…
  • भाषा
    आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद
    25 May 2022
    विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    "हसदेव अरण्य स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि आदिवासियों के अस्तित्व का सवाल"
    25 May 2022
    हसदेव अरण्य के आदिवासी अपने जंगल, जीवन, आजीविका और पहचान को बचाने के लिए एक दशक से कर रहे हैं सघंर्ष, दिल्ली में हुई प्रेस वार्ता।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License