NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बुलेट ट्रेन परियोजना: सूट-बूट वालों के साथ खड़ी दिखती सरकार, किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं
एनएचएसआरसीएल ने कोर्ट में कहा है कि गोदरेज समूह के द्वारा प्रस्तावित भूखंड के अधिग्रहण में कोई समस्या नहीं है। सूट-बूट वाली सरकार के गोदरेज के साथ यह समझौते से हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए।
शारिब अहमद खान
01 Aug 2018
bullet train

नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन (एनएचएसआरसीएल) ने गोदरेज समूह द्वारा प्रस्तावित वैकल्पिक ज़मीन को पहली नजर में अधिग्रहण के लिए उपयुक्त पाया है। एनएचएसआरसीएल ने बीते रोज़ मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय के सामने प्रस्तुत होकर कहा है कि गोदरेज समूह ने जो ज़मीन दी है उसपर बुलेट ट्रेन परियोजना बनाने में कोई दिक्कत नहीं है।

दरअसल बुलेट ट्रेन परियोजना के प्रस्तावित ट्रैक पर गोदरेज और उसकी सहभागी कंपनी बॉयस मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड की 3.5 हेक्टेयर ज़मीन आ गई थी। जिसके अधिग्रहण के लिए एनएचएसआरसीएल ने 26 मार्च 2018 को कंपनी को नोटीस भेजा था।

गोदरेज और उसकी सहभागी कंपनी एनएचएसआरसीएल के इस अधिग्रहण के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय चली गई थी। वहाँ उसने हलफनामा दायर कर कहा था कि वह एनएचएसआरसीएल को यह परियोजना पूरी करने के लिए दूसरी ज़मीन दे सकता है। 

1.08 लाख करोड़ की इस परियोजना पर आपत्ति जताने वाला केवल गोदरेज समुह नहीं है। इसके अलावा गुजरात और महाराष्ट्र के किसानों ने भी इस परियोजना पर आपत्ति जता चुके हैं।

सैंकड़ों किसानों का आरोप है कि इस परियोजना के लिए भूमी आवंटन में अनियमितता बरती गई है। नियम और कानून को ताक पर रख कर किसानों से ज़मीन अधिग्रहण कर ली है। परियोजना का विरोध करते हुए सैंकड़ों किसानों ने कई बार महाराष्ट्र और गुजरात में आंदोलन किया है, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

वहीं गोदरेज समूह के केस में सरकार की जल्दबाजी अपने आप में कई सवाल खड़े करती है।

पिछली सुनवाई के दौरान एनएचएसआरसीएल ने न्यायमूर्ति एन एच पाटिल और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ से कहा था कि कंपनी ने वैकल्पिक भूखंड सुझाए हैं। हालांकि, यह बाद  में  प्रकाश में आया कि कंपनी के द्वारा जो ज़मीन पहले प्रस्तावित की गई थी, जाँच करने पर पाया गया  कि उस ज़मीन पर कानूनी विवाद चल रहा है।

31 जुलाई को हुई सुनवाई में कोर्ट के सामने एनएचएसआरसीएल ने 1.08 लाख करोड़ से बनने वाली बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए समुह के द्वारा विक्रोली में दूसरा वैकल्पिक भूखंड प्रस्तावित किया गया। एनएचएसआरसीएल  की तरफ से दायर वकील ने कोर्ट से कहा कि प्रस्तावित भूखंड परियोजना के लिए उपयुक्त है।

हालांकि कोर्ट ने राज्य सरकार को प्रस्तावित भूखंड की जाँच करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस भूखंड का अधिग्रहण करने से पहले, सरकार इस बात को भी ध्यान में रखे कि पर्यावरण से संबधित किसी भी तरह की समस्याओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाएगा।

गौरतलब है कि जो भूभाग प्रस्तावित किया गया है उस  प्रस्तावित भूखंड के कुछ भूभाग पर भी विवाद चल रहा है।

एनएचएसआरसीएल की तरफ से पक्ष रखते हुए वकील अनिल सिंह ने अदालत को आश्वस्त किया है कि वह अगली सुनवाई पर गोदरेज के साथ पूर्ण समाधान के साथ आएंगे। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख तीन सितंबर को तय की है।

आपको पता दे कि गोदरेज समूह इस मुद्दे पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार और एनएचएसआरसीएल के खिलाफ 21 मई को बंबई उच्च न्यायालय में गया था। समूह ‘Right to Fair Compensation & Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation & Resettlement Act, 2013’ का हवाला देते हुए न्यायालय में हलफनामा दायर किया था। हलफनामा में उसने कहा था कि या तो एनएचएसआरसीएल यह भूखंड से परियोजना दूसरी जगह ले जाए या तो इस जगह का 800 करोड़ रूपये दे।

508.17 किलोमीटर की यह बुलेट ट्रेन परियोजना अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलेगी। प्रस्तावित परियोजना के तहत 21 किलोमीटर ट्रैक भूमीगत होगा। इस सुरंग का एक द्वार गोदरेज समूह की ज़मीन पर निकलता है। इसी भूभाग पर कंपनी और एनएचएसआरसीएल के बीच विवाद चल रहा है।

हालांकि यह बात किसी से छुपी नहीं है कि गोदरेज समुह के पास मुंबई में सबसे ज्यादा निजी ज़मीन है।

सरकार से ले कर मीडिया भी इन मामलों पर चुप्पी साधे हुए है। किसानों ने इस मुद्दे को सरकार के सामने कई बार उठाया है। 17 मई 2018 को महाराष्ट्र के ठाणे और पालघर जिलों के विभिन्न गाँवों के किसान मुंबई के आज़ाद मैदान में उनकी ज़मीन ज़बरदस्ती अधिग्रहण के खिलाफ इकठ्ठा हुए थे।

इसके बाद जून में गुजरात में भी इस परियोजना का विरोध हुआ था। सूरत जिले से करीब 200 किसान इस परियोजना का विरोध करते हुए राज्य की राजधानी गांधीनगर में आकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था।

सूरत जिले के 15 गाँवों से आये किसान इस अधिग्रहण का विरोध करने आए थे। किसानों का आरोप था की इलाके के 21 गाँवों की 110 हेक्टेयर ज़मीन बिना किसी सूचना और  उचित मुआवजे के बगैर इस परियोजना के लिए ले ली गई।

महाराष्ट्र के आज़ाद मैदान में आए किसानों का आरोप था कि बीते वर्ष नवंबर में महाराष्ट्र के राज्यपाल ने एक अधिसूचना जारी किया था। जिसमें ये कहा गया था कि अब आदिवासी इलाकों में लोगों की ज़मीन लेने के लिए ग्राम सभा की अनुमति नहीं चाहिए होगी।

किसानों ने इसके अलावा भी कई बार इस परियोजना का विरोध किया है। किसानों के आंदोलन व विरोध के बावजूद सरकार इस मामले पर खामोश है।

बुलेट ट्रेन के लिए ज़मीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों के साथ आंध्र प्रदेश की राज्यपाल रह चुकी कुमुदबेन जोशी भी किसानों के साथ विरोध में शामिल हुई थीं।

आदिवासियों व किसानों का आरोप है कि राज्यपाल की इस अधिसूचना से ‘Panchayats (Extension to Scheduled Areas) Act (PESA), 1996’ कमज़ोर हुआ है। राज्यपाल की इसी अधिसूचना के बाद से ही ज़मीन पर कब्ज़े की प्रक्रिया शुरू की गयी थी।

जैसा कि न्यूज़क्लिक ने पहले ही अपने रिपोर्ट में आशंका जताई थी कि ‘‘सरकारों और पूँजीपतियों के रिश्तों का इतिहास बताता है, इस बात की बहुत संभावना है कि गोदरेज कम्पनी और सरकार कोई रास्ता निकाल लें और किसानों के विरोध पर फिर से आँखें मूँद ली जाए।” मामले को देखते हुए तो कुछ ऐसा ही लग रहा है, कि सरकार किसी भी तरह गोदरेज समूह से इस मामले का समाधान निकालना चाह रही है।

वर्तमान में सत्ता पर आसीन भारतीय जनता पार्टी पर सूट-बूट वालों के साथ रहने का आरोप लगता रहा है। हालांकि इस बात का प्रमाण खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरी सभा में दे दिया था, तो सरकार की इस भावी परियोजना में गोदरेज समूह के साथ समझौता करने पर हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए….!

 

बुलेट ट्रेन
गोदरेज
एनएचएसआरसीएल

Related Stories

बुलेट ट्रेन परियोजना के खिलाफ गोदरेज ने की हाई कोर्ट में अपील

महाराष्ट्र के पालघर के किसान बुलेट ट्रेन के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ कर रहे हैं विरोध

गुजरात किसानों ने किया बुलेट ट्रेन परियोजना का विरोध,कहा किसानों के साथ मीटिंग एक धोखा थी

भारत में बुलेट ट्रेन: घाटे का सौदा

बुलेट ट्रेन के क्या मायने जब मुंबई-अहमदाबाद मार्ग पर चलती हैं खाली ट्रेनें


बाकी खबरें

  • लाल बहादुर सिंह
    सावधान: यूं ही नहीं जारी की है अनिल घनवट ने 'कृषि सुधार' के लिए 'सुप्रीम कमेटी' की रिपोर्ट 
    26 Mar 2022
    कारपोरेटपरस्त कृषि-सुधार की जारी सरकारी मुहिम का आईना है उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट। इसे सर्वोच्च न्यायालय ने तो सार्वजनिक नहीं किया, लेकिन इसके सदस्य घनवट ने स्वयं ही रिपोर्ट को…
  • भरत डोगरा
    जब तक भारत समावेशी रास्ता नहीं अपनाएगा तब तक आर्थिक रिकवरी एक मिथक बनी रहेगी
    26 Mar 2022
    यदि सरकार गरीब समर्थक आर्थिक एजेंड़े को लागू करने में विफल रहती है, तो विपक्ष को गरीब समर्थक एजेंडे के प्रस्ताव को तैयार करने में एकजुट हो जाना चाहिए। क्योंकि असमानता भारत की अर्थव्यवस्था की तरक्की…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 1,660 नए मामले, संशोधित आंकड़ों के अनुसार 4,100 मरीज़ों की मौत
    26 Mar 2022
    बीते दिन कोरोना से 4,100 मरीज़ों की मौत के मामले सामने आए हैं | जिनमें से महाराष्ट्र में 4,005 मरीज़ों की मौत के संशोधित आंकड़ों को जोड़ा गया है, और केरल में 79 मरीज़ों की मौत के संशोधित आंकड़ों को जोड़ा…
  • अफ़ज़ल इमाम
    सामाजिक न्याय का नारा तैयार करेगा नया विकल्प !
    26 Mar 2022
    सामाजिक न्याय के मुद्दे को नए सिरे से और पूरी शिद्दत के साथ राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में लाने के लिए विपक्षी पार्टियों के भीतर चिंतन भी शुरू हो गया है।
  • सबरंग इंडिया
    कश्मीर फाइल्स हेट प्रोजेक्ट: लोगों को कट्टरपंथी बनाने वाला शो?
    26 Mar 2022
    फिल्म द कश्मीर फाइल्स की स्क्रीनिंग से पहले और बाद में मुस्लिम विरोधी नफरत पूरे देश में स्पष्ट रूप से प्रकट हुई है और उनके बहिष्कार, हेट स्पीच, नारे के रूप में सबसे अधिक दिखाई देती है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License